विकिस्रोत:आज का पाठ/३० मार्च
बेटोंवाली विधवा प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी-संग्रह मानसरोवर १ का एक अंश है जिसका प्रकाशन अप्रैल १९४७ में बनारस के सरस्वती प्रेस बनारस द्वारा किया गया था।
"पण्डित अयोध्यानाथ का देहान्त हुआ तो सबने कहा, ईश्वर आदमी को ऐसी ही मौत दे। चार जवान बेटे थे, एक लड़की। चारों लड़कों के विवाह हो चुके थे, केवल लड़की क्वाँरी थी। सम्पत्ति भी काफी छोड़ी थी। एक पक्का मकान, दो बगीचे, कई हज़ार के गहने और बीस हज़ार नकद। विधवा फूलमती को शौक तो हुआ और कई दिन तक बेहाल पड़ी रही, लेकिन जवान बेटों को सामने देखकर उसे ढाढस हुआ। चारों लड़के एक से-एक सुशील, चारों बहुए एक-से-एक बढ़ कर आज्ञाकारिणी।.."(पूरा पढ़ें)