विकिस्रोत:आज का पाठ/२८ जुलाई
ठाकुर रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया।
"(३७) ठाकुर-इस नाम के तीन कवि हो गए हैं जिनमें दो असनी के ब्रह्मभट्ट थे और एक बुंदेलखंड के कायस्थ । तीनों की कविताएँ ऐसी मिल जुल गई हैं कि भेद करना कठिन है । हाँ, बुंदेलखंडी ठाकुर की वे कविताएँ पहचानी जा सकती हैं जिनमें बुंदेलखडी कहावते या मुहावरे आए हैं ।..."(पूरा पढ़ें)