विकिस्रोत:आज का पाठ/२४ सितम्बर
मृत्यु के पीछे प्रेमचंद द्वारा रचित प्रेम पंचमी का एक अंश है जिसका प्रकाशन लखनऊ के गंगा-पुस्तकमाला-कार्यालय द्वारा स° १९८७ वि° में किया गया था।
"बाबू ईश्वरचंद्र को समाचारपत्रों में लेख लिखने की चाट उन्हीं दिनो पड़ी, जब वह विद्याभ्यास कर रहे थे। नित्य नए विषयों की चिंता में लीन रहते। पत्रों में अपना नाम देखकर उन्हें उससे कही ज्यादा खुशी होती थी, जितनी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने या कक्षा में उच्च स्थान प्राप्त करने से। वह अपने कॉलेज के 'गरम-दल' के नेता थे। समाचारपत्रों में परीक्षा-पत्रों की जटिलता या अध्यापकों के अनुचित व्यवहार की शिकायत का भार उन्हीं के सिर था।..."(पूरा पढ़ें)