विकिस्रोत:आज का पाठ/१ अप्रैल
शांति प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी-संग्रह मानसरोवर १ का एक अंश है जिसका प्रकाशन अप्रैल १९४७ में बनारस के सरस्वती प्रेस बनारस द्वारा किया गया था।
"स्वर्गीय देवनाथ मेरे अभिन्न मित्रों में थे। आज भी जब उनकी याद आ जाती है, तो वह रँगरेलियाँ आँखों में फिर जाती हैं, और कहीं एकान्त में जाकर ज़रा देर रो लेता हूँ। हमारे और उनके बीच में दो-ढाई सौ मिल का अन्तर था। मैं लखनऊ में था, वह दिल्ली में, लेकिन ऐसा शायद ही कोई महीना जाता हो कि हमें आपस में न मिल जाते हों। वह स्वच्छन्द प्रकृति के, विनोद-प्रिय, सहृदय, उदार और मिळू पर प्राण देनेवाले आदमी थे; जिन्होंने अपने और पराये में भी भेद नहीं किया। सच्चाई क्या है और यहाँ लौकिक व्यवहार का कैसे निर्वाह होता है, यह उस व्यक्ति ने कभी न जानने की चेष्टा की।..."(पूरा पढ़ें)