विकिस्रोत:आज का पाठ/११ अगस्त
झाँकी कहानी प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी-संग्रह मानसरोवर १ में संकलित है जिसका प्रकाशन १९४७ ई॰ में सरस्वती प्रेस, बनारस द्वारा किया गया।
"सारे शहर में जन्माष्टमी का उत्सव हो रहा था। मेरे घर में संग्राम छिड़ा हुआ था। संध्या हो गई थी; पर सारा घर अंधेरा पड़ा था। मनहूसत छाई हुई थी। मुझे अपनी पत्नी पर क्रोध आया। लड़ती हो, लड़ो; लेकिन घर में अँधेरा क्यों कर रखा है। जाकर कहा—क्या आज घर में चिराग न जलेंगे? पत्नी ने मुँह फुलाकर कहा –– जला क्यों नहीं लेते। तुम्हारे हाथ नहीं हैं?..."(पूरा पढ़ें)