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भारतेंदु हरिश्चंद्र रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहासका एक अंश है जिसका प्रकाशन नागरी प्रचारिणी सभा, काशी द्वारा १९४१ ई. में किया गया था।


"भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म काशी के एक संपन्न वैश्य-कुल में भाद्र शुक्ल ५ सवत् १९०७ को और मृत्यु ३५ वर्ष की अवस्था में माघ कृष्ण ६ सं० १९४१ को हुई। संवत् १९२० में वे अपने परिवार के साथ जगन्नाथजी गए ! उसी यात्रा में उनका परिचय बंग देश की नवीन साहित्यिक प्रगति से हुआ। उन्होंने बाँगला में नए ढंग के सामाजिक, देश-देशांतर-संबंधी, ऐतिहासिक और पौराणिक नाटक, उपन्यास आदि देखे और हिंदी में ऐसी पुस्तकों के अभाव का अनुभव किया । संवत् १९२५ में उन्होंने 'विद्यासुंदर नाटक’ बँगला से अनुवाद करके प्रकाशित किया । इस अनुवाद में ही उन्होंने हिंदी-गद्य के बहुत ही सुडौल रूप का आभास दिया । इसी वर्ष उन्होंने "कवि- वचनसुधा" नाम की एक पत्रिका | निकाली जिसमें पहले पुराने कवियों की कविताएँ छपा करती थीं पर पीछे गद्य लेख भी रहने लगे । संवत् १९३० में उन्होंने 'हरिश्चंद्र मैगजीन' नाम की एक मासिक पत्रिका निकाली जिसका नाम ८ संख्याओं के उपरांत "हरिश्चंद्र-चंद्रिका" हो गया। हिंदीगद्य का ठीक परिष्कृत रूप पहले पहले इसी चंद्रिका में प्रकट हुआ।..."(पूरा पढ़ें)