रेवातट (पृथ्वीराज-रासो)/परिशिष्ट/10. शुद्धिपत्र भाग 2

रेवातट (पृथ्वीराज-रासो)
चंद वरदाई, संपादक विपिन बिहारी त्रिवेदी

हिंदी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, पृष्ठ ४६९ से – ४७१ तक

 

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पृष्ट पंक्ति शुद्ध २ २३ शुद्धि-पत्र ( भाग २ ) शुद्ध 'धूप' ने भी रेवा (नर्मंदा ) की चर्चा छत्र- पति शिवाजी के राज्य की सीमा का उल्लेख करते हुए की है :- यवत गुसलखाने ऐसे कछु त्यौर ठाने जानो अवरंग ही के प्रानन को लेवा है रस खोट भए तें अगोट श्रागरे मैं सातौ चौकी डाँकि बानी घर कीन्ही हद रेवा है ॥७६॥ शिवराजभूपण ; ३ ६ वितरिय विश्वरिय ३ ७ इप इत् ५ १४ पिलि पिष्णि ७ २३ श्रगदेश अंगदेश १० गूदेदा गूदेदार ११ १६ लपित पित १४ २२ चलो चल्लो १५ ५ सिह सिंह 13 २४ ऐक एक १६ . १ दूहा, दूहा, 53 २४ मिल्यो मिल्यो १८ ५. धनुधरें धनुर्द्धर १६ १२ यो कि कि ये ३५ चौहानों २० ६ गोरी चौहान शोरी २१ २७ भारत भरत ララ ३१ मसरीत मसूरति २२ १६ गोरी गोरी २३ १६ पूर्वार्द्ध २६ ५ पृथ्वीराज पज्जून ६ पज्जून पृथ्वीराज ________________

( २३२ ) पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध ३० १५ गिना गिनौ २६ वै 55 ३२ का रा ૨૪ १६ घर धर ३६ २२ सुत के सुति ३७ ७ बॅधी बँधी 33 n २३ यूथय यूथप ૪૨ २१ दं छंद ५. ० २३ बचन वचन ५२ काण कोण ५३ १ फला देश फलादेश ५६ ३३ the the ६३ १४ तिथ्यह तिथ्यह ६५ १८ मुगत ६७ ६ परै मुगति पारै ७६ २ वले = २२ चंद 35 33 २६ --- ७७ ६ ७८ २२ बन पृथ्वीपति क्ले = लेकिन ; < वलय = वेरा, फिर । चंड पृथ्वीपति = वन ८१ क की २ सेन सेना ८६ १ ता तो ६. ११ गौइंद = आहु गौद श्राहुड ६२ ६ ६३ १५. ऋष ऋष्यै २० तचर तत्तार " ६६ १८८५ परत परत १ १५ '४' आजानुबाहु आजानुबाहु ११५ सन्त क्षप्त ________________

( २३३ ) पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध ११८ ६ ग्रहं १२२ ४ बंधु बंधु १२३ २२ Pastt ense Past tense १२४ ३६ हमहि हमसि १२६ २६ 1 [ १२८ लग लगा १३० ६ ढ़ने १३२ २० डिग्भरू डिंभरू १३३ ३ बढै ४. गठै गढदै " १३४ २८५ खींचा खींचा ३० रूक क २, 33 ३२ बटदै १३७ ३० नत्यि नत्थि १४० २० सची शची २८ ययाँ यहाँ " १४३ ११ चपि चंपि १५.३ १६ वरवात तलवार १५७ ३ राजनी राजनी १५८५ घ राज्ज्ञ १६२ २१ सिंहासन सिंहासन पर २३ पर् x 33 १६५ १४ त्रिलगो खिलजी १६७ २१ कुमार, कुमार- १६ε २ उजाड़ने उजाड़ने २७ श्रागण गण १७१ १ to म में १७४ ४ वैष्णव १४ चाले वाले १६ कभा कभी "