रामनाम
मोहनदास करमचंद गाँधी

अहमदाबाद - १४: नवजीवन प्रकाशन मन्दिर, पृष्ठ ३९

 
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आम लोगोंके लिअे अिलाज

"आपको यह जानकर खुशी होगी कि ४० बरससे भी पहले जब मैने कुनेकी 'न्यू सायन्स ऑफ हीलिग' और जुस्टकी 'रिटर्न टु नेचर' नामकी किताबे पढी, तभीसे मै कुदरती अिलाजका पक्का हिमायती हो गया था। लेकिन मुझे यह कबूल करना चाहिअे कि मै 'रिटर्न टु नेचर' का पूरा-पूरा मतलब नही समझ सका हू—अिसकी वजह मेरी अिच्छाकी कमी नही, बल्कि मेरे ज्ञानकी कमी है। अब मै कुदरती अिलाजका अैसा तरीका खोजनेकी कोशिश कर रहा हू, जो हिन्दुस्तानके करोडो गरीबोको फायदा पहुचा सके। मै सिर्फ अैसे ही अिलाजके प्रचारकी कोशिश करता हू, जो मिट्टी, पानी, धूप, हवा और आकाशके अिस्तेमालसे किया जा सके। अिस अिलाजसे मनुष्यको कुदरतन् यह बात समझमे आ जाती है कि दिलसे भगवानका नाम लेना ही सारी बीमारियोका सबसे बडा अिलाज है। अिस भगवानको हिन्दुस्तानके कुछ करोड मनुष्य रामके नाम से जानते है और दूसरे कुछ अल्लाहके नामसे पहचानते है। दिलसे भगवानका नाम लेनेवाले मनुष्यका यह फर्ज हो जाता है कि वह कुदरतके अुन नियमोको समझे और अुनका पालन करे, जो भगवानने मनुष्यके लिअे बना दिये है। यह दलील हमे अिस नतीजे पर पहुचाती है कि बीमारीका अिलाज करनेसे अुसे रोकना बेहतर है। अिसलिअे मै लाजिमी तौर पर लोगोको सफाअीके नियम समझाता हू, यानी अुन्हे मन, शरीर और अुसके आसपासके वातावरणकी सफाअीका अुपदेश करता हू।"

हरिजनसेवक, १५-६-१९४७