रामनाम  (1949) 
मोहनदास करमचंद गाँधी
    स्क्रिप्ट त्रुटि: "interprojetPart" फंक्शन मौजूद नहीं है।

अहमदाबाद - १४: नवजीवन प्रकाशन मन्दिर, पृष्ठ मुखपृष्ठ से – ९ तक

 

रामनाम



गांधीजी




नवजीवन प्रकाशन मंदिर

अहमदाबाद

मुद्रक और प्रकाशक

जीवणजी डाह्याभाई देसाअी
नवजीवन मुद्रणालय, अहमदाबाद-१४



© सर्वाधिकार नवजीवन ट्रस्टके अधीन, १९४९






पहला संस्करण १००००, १९४९

पुनर्मुद्रण १००००





५० नये पैसेजनवरी, १९५९
प्रकाशकका निवेदन

रामनामके प्रति गाधीजीके हृदयमे श्रद्धाका बीज बोनेवाली अुनकी दाअी रमा थी। अिसका अुल्लेख गाधीजीने खुद अपनी 'आत्मकथा' मे किया है। बचपनमे अुनके हृदयमे जो बीज बोया गया था, वह पौधा बनकर गाधीजीकी साधनाके बरसो दरमियान धीरे धीरे विकास करता गया। आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक तीनो तरहकी कठिनाअियोमे रामनाम मनुष्यका सबसे बड़ा सहारा बनता है, अैसी श्रद्धा गाधीजीने अपने लेखोमे बार-बार प्रकट की है। जीवनके आखिरी बरसोमे कुदरती अुपचारका काम हाथमे लेनेके बाद अुन्होने कअी बार लिखा है कि रामनाम शरीरकी बीमारियोको मिटानेका रामबाण कुदरती अिलाज है।

रामनामके बारेमे गाधीजीकी अिस श्रद्धाको प्रकट करनेवाले लेखोका अग्रेजीमे सपादन करके श्री भारतन् कुमारप्पाने जो पुस्तक तैयार की थी, अुसे नवजीवन कार्यालयने प्रकाशित किया है। यह हिन्दुस्तानी सस्करण अुसीके आधार पर तैयार किया गया है।

गाधी-साहित्य और रामनामके प्रेमियोको यह सग्रह बहुत पसन्द आयेगा, अैसे विश्वाससे ही यह प्रकाशित किया गया है।
संपादकका निवेदन

गाधीजीको बचपनसे ही दु:खमे रामनाम यानी राम या अीश्वरका नाम लेना सिखाया गया था। अेक सत्याग्रही या अैसे व्यक्तिके नाते, जो दिनके चौबीसो घटे सत्य या अीश्वरमे अटल श्रद्धा रखता है, गाधीजीने यह जान लिया था कि अीश्वर हर तरहकी कठिनाअीमे—फिर वह शारीरिक हो, मानसिक हो या आध्यात्मिक—हमेशा अुन्हे सान्त्वना और सहारा देता है। अुनकी सबसे पहली परीक्षाओमे अेक ब्रहाचर्य-पालनके सम्बन्धमे थी। गाधीजीने कहा है कि अपवित्र विचारोको रोकनेमे रामनामने अुनकी सबसे बडी मदद की। रामनामने अुन्हे अुपवासोकी पीडासे पार लगाया। रामनामने ही आत्माकी सारी अकेली लडाअियोमे अुन्हे जिताया, जो राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक क्षेत्रोके नेताके नाते अुन्हें लडनी पडी थी। लेकिन अपने-आपको अीश्वरके भरोसे ज्यादा-ज्यादा छोडनेके दरमियान अुनकी आखिरी खोज यह थी कि रामनाम शारीरिक रोगोका भी अिलाज है।

सत्यकी खोज करने और मानव जातिके दु:खोको कम करनेकी अुत्कट अिच्छा रखनेके कारण गाधीजीने लम्बे समयसे शुद्ध हवा, मालिश, कअी तरहके स्नानो, अुपवासो, योग्य आहार, मिट्टीकी पट्टी और अैसे ही दूसरे साधनोके जरिये रोग मिटानेके सादे और सस्ते तरीके खोज निकाले थे। अुनका विश्वास था कि आज व्यापारके लिअे बडे पैमाने पर बनाई जानेवाली और आखिरमे मनुष्य-शरीरको नुकसान पहुचानेवाली बेशुमार दवाओके बनिस्बत अिलाजके ये तरीके कुदरत या अीश्वरके नियमोसे ज्यादा मेल खाते है।

लेकिन मनुष्य सिर्फ शरीर ही नही है बल्कि और भी कुछ है, अिसलिये गाधीजीका यह पक्का विश्वास था कि मनुष्यकी बीमारियोका सिर्फ शारीरिक अिलाज ही काफी नही है। शरीरके साथ बीमारके मन और आत्माका भी अिलाज करनेकी जरूरत है। जब ये दोनो नीरोग होगे, तो शरीर अपने-आप नीरोग हो जायगा। गाधीजीने देखा कि अिस ध्येयको पानेके लिअे रामनाम या अुस बडे डॉक्टरमे हार्दिक श्रद्धा रखने और अुसका सहारा लेने जैसी अुपयोगी कोअी चीज नहीं है। गाधीजीको यकीन था कि जब मनुष्य अपने-आपको पूरी तरह अीश्वरके हाथोमे सौप देता है और भोजन, व्यक्तिगत सफाअी तथा आम तौर पर अपने-आपको और खास तौर पर काम-क्रोध वगैरा विकारोको जीतनेके बारेमे और मानव बन्धुओके साथके अपने सम्बन्धोके बारेमे अीश्वरके नियमोका पालन करता है, तो वह रोगसे मुक्त रहता है। अैसी स्थितिको प्राप्त करनेके लिअे वे खुद भी हमेशा कोशिश करते रहे। और दूसरोको वही ध्येय प्राप्त करनेमे मदद पहुचानेके लिअे अुन्होने अुरुळीकांचनमे अपनी आखिरी सस्था 'कुदरती अुपचार केन्द्र' कायम की थी, जहा खुद अुनके द्वारा अमलमे लाये गये कुदरती अिलाजके अलावा बीमारोको रामनामकी अुपयोगिता भी सिखाअी जाती है। यह छोटीसी पुस्तक अिस बारेमे गाधीजीके विचार और अनुभव अुन्हीके शब्दोमे पाठकोके सामने सक्षेपमे रखना चाहती है।

भारतन् कुमारप्पा

अनुक्रमणिका

प्रकाशकका निवेदन
संपादकका निवेदन
१ बीजारोपण
२ नीतिरक्षाका अुपाय
३ रामनाम हमारा अेकमात्र आधार
४ रामनाम और राष्ट्रसेवा
५ भगवानकी मदद मागो
६ नाम रटनेसे शान्ति
७ मुहसे रामनाम जपना
८ रामधुन
९ यौगिक क्रियाअे
१० यकीनी अिमदाद
११ रामनामका मजाक
१२ रामनाम और जतर-मतर
१३ रामनामका प्रचार
१४ मेरा राम
१५ राम कौन?
१६ दशरथ-नन्दन राम
१७ मेरा राम कौन?
१८ अीश्वर कौन और कहा है?
१९ रामनाम और कुदरती अिलाज
२० कुदरती अिलाज
२१ रामनाम—रामबाण अिलाज
२२ सब रोगोका अिलाज
२३ कुदरती अिलाजके रामनाम








११
१२
१३
१४
१५
१५
१६
१७
१८
१९
२०
२२
२२
२४
२५
२६
२७
२९


२४ आम लोगोके लिअे अिलाज
२५ रामबाण अुपाय
२६ आयुर्वेद और कुदरती अुपचार
२७ अुरुळीकाचनमे
२८ अुरुळीकाचनमे कुदरती अुपचार
२९ गरीबोके लिए कुदरती अिलाज
३० कुदरती अिलाज और आधुनिक अिलाज
३१ पश्चिमकी ओर नजर न रखे
३२ कुदरत के नियम
३३ विश्वास-चिकित्सा और रामनाम
३४ रामनामके बारेमे भ्रम
३५ बेचैन बना देनेवाली बात
३६ नाम-साधनाकी निशानिया
३७ सर्वधर्म-समभाव
३८ सच्ची रोशनी
३९ अवसानसे अेक दिन पहले
४० "राम! राम!"
४१ प्रार्थना-प्रवचनोमें से
४२ रोजके विचार
४३ दो पत्र
परिशिष्ट
सच्चा डॉक्टर राम ही है
सूची


३१
३२
३५
३७
४०
४१
४२
४३
४४
४५
४८
४९
५१
५३
५४
५४
५५
५६
६६
६९

७०
७३

यह कार्य भारत में सार्वजनिक डोमेन है क्योंकि यह भारत में निर्मित हुआ है और इसकी कॉपीराइट की अवधि समाप्त हो चुकी है। भारत के कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के अनुसार लेखक की मृत्यु के पश्चात् के वर्ष (अर्थात् वर्ष 2024 के अनुसार, 1 जनवरी 1964 से पूर्व के) से गणना करके साठ वर्ष पूर्ण होने पर सभी दस्तावेज सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आ जाते हैं।


यह कार्य संयुक्त राज्य अमेरिका में भी सार्वजनिक डोमेन में है क्योंकि यह भारत में 1996 में सार्वजनिक प्रभावक्षेत्र में आया था और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसका कोई कॉपीराइट पंजीकरण नहीं है (यह भारत के वर्ष 1928 में बर्न समझौते में शामिल होने और 17 यूएससी 104ए की महत्त्वपूर्ण तिथि जनवरी 1, 1996 का संयुक्त प्रभाव है।