महात्मा शेख़सादी
प्रेमचंद

कलकत्ता: हिन्दी पुस्तक एजेन्सी, पृष्ठ ७ से – ८ तक

 

शेख़ सादी
प्रथम अध्याय
जन्म

शेख़ मुसलहुद्दीन, उपनाम सादी, का जन्म सन् ११७२ ई॰ में शीराज़ नगर के पास एक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम अब्दुल्लाह, और दादा का नाम शरफ़ुद्दीन था। शेख़ इस घराने की सम्मानसूचक पदवी थी। क्योंकि उनकी वृत्ति धार्मिक शिक्षा-दीक्षा देने की थी। लेकिन इनका ख़ानदान सैयद था। जिस प्रकार अन्य महान् पुरुषों के जन्म के सम्बन्ध में अनेक अलौकिक घटनायें प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार सादी के जन्म के विषय में भी लोगों ने खूब कल्पनायें की हैं। लेकिन उनके उल्लेख की ज़रूरत नहीं जान पड़ती। न सादी का जीवन हिन्दी तथा संस्कृत के अनेक कवियों के जीवन की भांति ही अन्धकारमय है और उनकी जीवनी के सम्बन्ध में हमको अनुमान का सहारा लेना पड़ता है। यद्यपि उनका जीवनवृत्तान्त फ़ारसी ग्रन्थों में बहुत विस्तार के साथ लिखा हुआ है तथापि उनमें अनुमान की मात्रा भांति सादी भी दुर्व्यसनों में पड़ जाते लेकिन उनके पिता की धार्मिक शिक्षा ने उनकी रक्षा की।

यद्यपि शीराज़ में उस समय विद्वानों की कमी न थी और बड़े बड़े विद्यालय स्थापित थे, किन्तु वहाँ के बादशाह साद बिन ज़ंगी को लड़ाई करने की ऐसी धुन थी कि वह बहुधा अपनी सेना लेकर एराक़ पर आक्रमण करने चला जाया करता था, और अपने राज्य-काज की तरफ़ से बेपरवाह हो जाता था। उसके पीछे देश में घोर उपद्रव मचते रहते थे और बलवान शत्रु देश में मार काट मचा देते थे। ऐसी कई दुर्घटनायें देखकर सादी का जी शीराज़ से उचट गया। ऐसी उपद्रव की दशा में पढ़ाई क्या होती? इस लिए सादी ने युवावस्था में ही शीराज़ से बुग़दाद को प्रस्थान किया।