ऐसो, माई[१]! एक कोद[२] को हेतु।
जैसे बसन कुसुँभ-रंग मिलि कै नेकुचटक पुनि सेत॥
जैसे करनि किसान बापुरो नौ नौ बाहैं देत[३]।
एतेहू पै नीर निठुर भयो उमगि आय सब लेत॥
सब गोपी भाखैं ऊधो सों, सुनियो बात सचेत।
सूरदास प्रभु जन तें बिछुरें ज्यों कृत राई रेत[४]॥३६२॥