भ्रमरगीत-सार/२६३-मधुकर प्रीति किए पछितानी

बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १८०

 

मधुकर! प्रीति किए पछितानी।
हम जानी ऐसी निबहैगी उन कछु औरै ठानी॥
कारे तन को कौन पत्यानो? बोलत मधुरी बानी।
हमको लिखि लिखि जोग पठावत आपु करत रजधानी।
सूनी सेज स्याम बिनु मोको तलफत रैनि बिहानी।
सूर स्याम प्रभु मिलिकै बिछुरे तातें मति जु हिरानी॥२६३॥