भ्रमरगीत-सार/२३२-ऊधो! पा लागौं भले आए

बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १६८

 

ऊधो! पा लागौं भले आए।

तुम देखे जनु माधव देखे, तुम त्रयताप नसाए॥
नँद जसोदा नातो टूटो बेद पुरानन गाए।
हम अहीरि, तुम अहिर नाम तजि निर्गुन नाम लखाए॥
तब यहि घोष खेल बहु खेले ऊखल भुजा बँधाए।
सूरदास प्रभु यहै सूल जिय बहुरि न चरन दिखाए॥२३२॥