भ्रमरगीत-सार/२२०-ऊधो भली करी अब आए
ऊधो! भली करी अब आए।
विधि-कुलाल कीने काँचे घट ते तुम आनि पकाए॥
रंग दियो हो कान्ह साँवरे, अँग अँग चित्र बनाए।
गलन न पाए नयन-नीर तें अवधि अटा जो छाए॥
ब्रज करि अँवाँ, जोग करि ईंधन सुरति-अगिनि सुलगाए।
फूँक उसास, बिरह परजारनि, दरसन-आस फिराए॥
भए सँपूरन भरे प्रेम-जल, छुवन न काहू पाए।
राजकाज तें गए सूर सुनि, नंदनंदन कर लाए॥२२०॥