जायसी ग्रंथावली/पदमावत/६. रत्‍नसेन जन्म खंड

जायसी ग्रंथावली
मलिक मुहम्मद जायसी, संपादक रामचंद्र शुक्ल

वाराणसी: नागरीप्रचारिणी सभा, पृष्ठ २६

 

(६) रत्‍नसेन जन्म खंड

चित्रसेन चितउर गढ़ राजा। कै गढ़ कोट चित्र सम साजा॥
तेहि कुल रतनसेन उजियारा। धनि जननी जनमा अस बारा॥
पंडित गुनि सामुद्रिक देखा। देखि रूप औ लखन बिसेखा॥
रतनसेन यह कुल निरमरा। रतन-जोति मन माथे परा॥
पदुम पदारथ लिखी सो जोरी। चाँद सुरुज जस होइ अँजोरी॥
जस मालति कहँ भौंर वियोगी। तस ओहि लागि होइ यह जोगी॥
सिंघलदीप जाइ यह पावै। सिद्ध होइ चितउर लेइ आवै॥

भोग भोज जस माना, विक्रम साका कीन्ह।
परखि सो रतन पारखी सबै लखन लिखि दीन्ह॥१॥





(१) पदुम = पदमावती की ओर लक्ष्य है। भोज = राजा भोज। लखन = लक्षण।