जायसी ग्रंथावली/पदमावत/३७. रत्‍नसेन संतति खंड

जायसी ग्रंथावली
मलिक मुहम्मद जायसी, संपादक रामचंद्र शुक्ल

वाराणसी: नागरीप्रचारिणी सभा, पृष्ठ १७३

 

(३७) रत्नसेन संतति खंड

जाएउ नागमती नगसेनहि। ऊँच भाग, ऊँचे दिन रैनहि॥
कवँलसेन पदमावति जाएउ। जानहुँ चंद धरति महँ आएहुँ॥
पंडित बहु बुधिवंत बोलाए। रासि बरग औ गरह गनाए॥
कहेन्हि बड़े दोउ राजा होहीं। ऐसे पूत होहिं सब तोहीं॥
नवौ खंड के राजन्ह जाहीं। औ किछु दुंद होइ दल माहीं॥
खोलि भंडारहि दान देवावा। दुखी सुखी करि मान बढ़ावा॥
जाचक लोग, गुनीजन आए। औ अनंद के बाज बधाए॥

बहु किछु पावा जोतिसिन्ह औ देइ चले असीस।
पुत्र, कलत्र, कुटुंब सब, जीवहिं कोटि बरीस॥ १ ॥