अयोध्या का इतिहास/१६—अंगरेजी राज्य में अयोध्या
सोलहवाँ अध्याय।
अंग्रेज़ी राज में अयोध्या।
हम ऊपर लिख चुके कि मुसलमान राज्य में अयोध्या अधिकांश मुसलमानों का निवास हो गया था और सरयूतट पर लक्ष्मण घाट से चक्रतीर्थ तक मुसलमानों के महल्ले अब तक विद्यमान हैं। नवाब वज़ीरों के शासनकाल में न केवल राज्य के ऊँचे अधिकारियों को ही नहीं वरन्बा हर के राजा लोगों को भी अयोध्या में मन्दिर बनाने का अधिकार मिल गया था। अंग्रेज़ी राज्य के आते ही मुसलमानों की प्रतिष्ठा घट गई और यद्यपि आज कल कभी कभी उनके कारण उपद्रव खड़ा होता है परन्तु अब के अधिकांश दरिद्र हैं और दूकानदारी करके जीविका निर्वाह करते हैं। इसके प्रतिकूल हमारी ६० वर्ष की याद में अयोध्या में बड़ा परिवर्तन हो गया है। इसमें सन्देह नहीं कि अत्यन्त प्राचीन नगर होने के कारण यहाँ मनुष्य जीवन की प्राकृतिक सामग्री कुछ घट सी गई है और गृहस्थ यहाँ पनपते ही नहीं। कोई उद्योग धन्धा न होने से यहाँ के निवासी और और नगरों में जाकर बसे हैं और बड़े बड़े ऊँचे मकान खुद कर उनकी जगह मन्दिर बनते चले आते हैं। सरकार अंग्रेज़ी के प्रबन्ध में सकड़ी गलियों चौड़ी कर दी गई और पक्की सड़कें बनाई गई हैं और यात्रियों के सुख के लिये कोई बात उठा नहीं रक्खी गई ।रेल निकल जाने से यात्रा में बड़ी सुगमता हो गई है और भारतवर्ष के कोने कोने से लाखों यात्री रामनवमी, झूलन और कतकी के मेलों में पाते हैं। भारतवर्ष के और प्रान्तों के राजा महाराजाओं ने बड़े-बड़े मन्दिर बनवा दिये और प्रतिवर्ष अनेक मन्दिर बनते चले आते हैं। महाराज अयोध्या के प्रासाद दर्शनेश्वर और राजराजेश्वर के मन्दिर इस नगर के समुज्ज्वल रत्न हैं। परन्तु केवल धनाढ्य ही नहीं मन्दिर धर्मशाला बनवाने में दत्तचित्त हैं।
अयोध्या का एक दृश्य
आजकल अयोध्या मन्दिरों का नगर है और जबतक हिन्दुओं में मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्रजी के प्रति श्रद्धा और भक्ति रहेगी अयोध्या उत्तर भारत की धार्मिक राजधानी रहेगी।
आवश्यकता केवल इस बात की है कि इस स्थान का शासन ऐसे हाकिमों के हाथ में रहे जो पक्षपातरहित होकर सनातन धर्मियों से सहानुभूति रक्खें।