अद्भुत आलाप/१३—एक हिसाबी कुत्ता

अद्भुत आलाप
महावीर प्रसाद द्विवेदी

लखनऊ: गंगा ग्रंथागार, पृष्ठ ११४ से – ११७ तक

 

१३—एक हिसाबी कुत्ता

एक हिसाबी कुत्ते का हाल सुनिए। यह कुत्ता केवल हिसाबी ही नहीं, हिसाब लगा देने के सिवा यह मनुष्य की बोली भी समझ लेता और दी हुई कितनी ही आज्ञाओं का पालन भी अक्षरशः करता है। इसमें और भी एक बड़ा ही आश्चर्यजनक गुण है। यह मनुष्य के मन की बात भी जान लेता है। अतएव कहना चाहिए कि यह पूर्ण-प्रज्ञ योगियों अथवा अंतर्दृष्टिधारी महात्माओं की बराबरी करनेवाला है।

अमेरिका के संयुक्त राज्यों में एक राज्य या रियासत अरिज़ोना नामक है। वहाँ ट्राओन नाम के एक इंजीनियर हैं। यह अजीब कुत्ता आप ही का है। आप ही ने इसे शिक्षा दी है। इसके विषय में, अमेरिका के अखबारों में, अनेक लेख निकल चुके हैं। साईंटिफ़िक् अमेरिकन नामक एक वैज्ञानिक पत्र के संपादकों ने
इसकी परीक्षा करके जो बातें हैं, प्रकाशित कीं। उनका उल्लेख, संक्षेप में, नीचे किया जाता है---

इस कुत्ते का नाम हेक्टर है। गणित के यह कितने ही प्रश्न, बात-की-बात में, हल कर देता है। कितने ही मामूनी काम करने के लिये आज्ञा पाने पर, बिना किसी इशारे या विशेष प्रकार की शिक्षा के, तुरंत उन्हें ठीक-ठीक कर दिखाता है। उदा- हरण लीजिए---कमरे में एक कुरसी रक्खी थी। इसके मालिक ने आज्ञा दी---"हेक्टर, अपनी पिछली टाँगों के बल चलकर इस कुरसी को प्रदक्षिणा करो। जब कुरसी को पीठ के सामने आ जाओ, तब खड़े हो जाओ और भूँको। फिर उसी तरह कुरसी की प्रदक्षिणा करते हुए लौटो, और अपनी जगह पर जाकर बैठ जाओ।" हेक्टर ने इस आज्ञा का पालन अक्षरशः कर दिखाया। फिर उससे कहा गया---"रद्दी काग़ज़ की टोकरी को पंजे से उलट दो।" उसने वैसा ही किया। "अच्छा, अब मुँह के धक्के से उसे गिराओ।" हेक्टर ने गिरा दिया।

लोगों को यह शंका हो सकती है कि शायद सिखलाने से हेक्टर ऐसा करता हो। उसे यह सब काम करने की शिक्षा, बंदरों और रीछों की तरह, शायद पहले ही से दी गई हो। इस संदेह को दूर करने के लिये हेक्टर के और करतब सुनिए।

बिजली की जैसी घंटियाँ रेल के तार-घरों में रहती हैं, वैसी ही एक घंटी हेक्टर के सामने रखी गई। हेक्टर उसकी की (खटका देनेवाली चाभी) पर अपना पंजा रखकर

सावधानता-पूर्वक बैठ गया। तब उससे पूछा गया-"चार तियाँ?" उत्तर में टन-टन करके बारह बार घंटी बज उठी।"छ तिरुक?" पूछते ही अठारह ठोंके घंटी पर पड़े। इसके बाद हेक्टर का मालिक बीस फ़ीट दूर जाकर खड़ा हुआ। पीठ उसने हेक्टर की तरफ़ की और मुँह दीवार की तरफ़। फिर उसने पूछा--"छ चौको?" घंटी ने टन-टन जवाब दिया, चौबीस। इस परीक्षा का फल देखकर भी शंका हुई कि कहीं किसी ढब से इस कुत्ते को इन सब प्रश्नों के उत्तर पहले ही से न सिखला दिए गए हों। इस कारण और भी गहरी और कठिन परीक्षा की ठहरी। परीक्षा लेनेवाले महाशय ट्राओन साहब के पास गए। वह हेक्टर से बहुत दूर खड़े हुए थे। उनके कान में परीक्षकजी ने धीरे से--इतना धीरे से कि दो फ़ीट की दूरी पर खड़ा हुआ आदमी भी न सुन सके--कहा, "पाँच सत्ते?" बस, उनके कान में यह कहना था कि हेक्टर की घंटी ने ३५ ठोंके लगा दिए। अर्थात् प्रश्न को कान से सुना भी नहीं, पर उत्तर दे दिया, और ठीक दे दिया। दिया भी इतनी शीघ्रता से कि ठोंकों का गिना जाना मुश्किल हो गया। इसी तरह जोड़, बाक़ी और गुणा के कितने ही प्रश्न पूछे गए, और सबके उत्तर हेक्टर ने सही-सही दे दिए। दो-एक दफ़े उससे भूलें भी हुई। पर ये भूलें शायद गिननेवालों की ही हों, क्योंकि घंटी पर ठोंके इतनी शीघ्रता से पड़ते थे कि एक ठोंके को दो अथवा दो को एक गिन जाना बहुत संभव था। इन परीक्षाओं से यह सूचित हुआ कि इस कुत्ते में कोई देवी शक्ति है। इसे एक प्रकार का अंतर्ज्ञान या दिव्यदृष्टि प्राप्त है। इसी से यह दूसरे के मन की बात ही नहीं जान लेता, किंतु किए गए प्रश्नों का उत्तर भी इसे वही अदृष्ट-शक्ति बता देती है। ऐसी शक्ति हेक्टर में सचमुच ही है या नहीं, इसकी जाँच के लिये पहले से भी कठिन प्रश्न पूछे गए। यह सारी परीक्षा साइंटिफ़िक अमेरिकन के दफ़्तर में हुई। हेक्टर से पूछा गया---"हेक्टर, ९ का वर्गमूल बताओ।" हेक्टर ने सुनते ही घंटी बजाई। टन टन-टन। सुनकर बड़े-बड़े ज्ञानी-विज्ञानी दंग रह गए। जिस मनुष्य ने वर्गमूल का कभी नाम न सुना हो, वह भी ऐसे प्रश्नों का उत्तर नहीं दे सकता, फिर कुत्ता! अतएव यह बात निश्चय-पूर्वक प्रमाणित हो गई कि हेक्टर को कोई अलौकिक शक्ति या अंतर्दृष्टि ज़रूर प्राप्त है। वही उससे इस तरह के अद्भुत-अद्भुत काम कराती है। यह कौन-सी शक्ति या दृष्टि है, और किस तरह कुत्तों तक को प्राप्त हो जाती है, इसका पता अमेरिकावालों को कब लगेगा, मालूम नहीं। भारत में तो ऐसे महात्मा हो गए हैं। और शायद अब भी कहीं-कहीं हों, जिनकी आज्ञा से भैंसे वेद-पाठ करने लगते हैं।

नवंबर, १९१४