अंतर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश/आज़ाद, मौलाना अबुल कलाम

अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञानकोश  (1943) 
द्वारा रामनारायण यादवेंदु

[ ४३ ] आज़ाद, मौलाना अबुल कलाम--भारतीय राष्ट्रीय महासभा (कांग्रेस) के आप अध्यक्ष हैं। सन् १८८८ में मक्का में इनका जन्म हुआ। आपके पिता अरब में रहते थे। उपरान्त मिस्र आगये। क़ाहिरा (मिस्र) के अल-अज़हर विश्वविद्यालय में इन्होंने अपनी शिक्षा पूर्ण की। अरबी, फारसी, इसलामी-दर्शन और क़ुरान का विशेष रूप से अध्ययन किया। तत्पश्चात् भारत में आये। कलकत्ता से आपने 'अलहिलाल' नामक उर्दू दैनिक-पत्र निकाला। आपकी स्पष्टवादिता के कारण पत्र से ज़मानत माँग ली गई, जो कुछ दिन बाद ज़ब्त हो गई और दस हज़ार की नई ज़मानत माँगी गई। तब आपने 'अलबलाग़' नामक दूसरा उर्दू-साप्ताहिक निकाला। पिछला महायुद्ध शुरू हो चुका था। पत्र की खरी आलोचना से अधिकारी विचलित हो उठे और मौलाना साहब को राँची से नज़रबन्द कर दिया गया। इन्हीं दिनो अलीबन्धु नज़रबन्द किये गये। १९२० ई० में मौलाना को छोड़ा
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गया। छूटते ही आप गान्धीजी के साथ काग्रेस में शामिल होगये। १९२०-२१ के असहयोग-आन्दोलन में आपने महात्मा गान्धी के साथ विशेष भाग लिया। सन् १९२३ में देहली में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन के सभापति हुए। सन

१९३० में कांग्रेस के स्थानापन्न सभापति रहे। सन् १९३० तथा सन् १९३२ के भद्र-अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया और कैद रहे। सन् १९३७ से सन १९३९ तक्र काग्रेस-पार्लमेण्टरी-कमिटी के सदस्य रहे। इसके बाद काग्रेस के रामगढ-अधिवेशन (मार्च १९४०) के अध्यक्ष निर्वाचित किये गये। अक्टूबर १९४० में महात्मा गान्धी ने युद्ध-विरोधी सत्याग्रह प्रारम्भ किया। इस समय प्रयाग में दिये गये एक भाषण के

कारण आप गिरफ़्तार कर लिये गये। मौलाना काग्रेस के बहुत प्रभावशाली, सुयोग्य और लोकप्रिय तथा पुरातन नेता हैं। आप उच्च कोटि के वक्ता, लेखक तथा पत्रकार हैं। आपने क़ुरान की उर्दू मे महत्वपूर्ण टीका लिखी है। महात्मा गान्धी के आप दाहिने हाथ हैं। प्रत्येक मुस्लिम-प्रश्न का महात्माजी मौलाना साहब की सलाह से निर्णय करते हैं। मौलाना साहब की गान्धीजी मे अटल श्रद्धा है। वह पक्के गान्धीवादी नेता हैं। आपकी एक-निष्ठता आदर्श है।