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UPHT010035562020
न्यायालय–विशेष न्यायाधीश, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति
(अत्याचार निवारण) अधिनियम, हाथरस।
उपस्थितः– त्रिलोक पाल सिंह, एच॰जे॰एस॰
विशेष सत्र परीक्षण संख्या–583/2020

राज्य बनाम्
1.सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू
पुत्र श्री नरेन्द्र उर्फ गुड्डू
    2.रवि उर्फ रविन्द्र पुत्र श्री अतर सिंह
3. रामू उर्फ राम कुमार पुत्र श्री राकेश सिंह
4. लवकुश पुत्र श्री रामवीर सिंह
समस्त निवासीगण ग्राम बूलगढ़ी,
थाना चन्दपा, जिला हाथरस।
    अपराध संख्या–RC1202020S0005/2020
धारा–376,376ए,376डी,302 भा॰दं॰सं॰ व
धारा–3(2)(v) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित
जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम
थाना-चन्दपा, जिला हाथरस।

निर्णय

1.प्रस्तुत सत्र वाद में अभियुक्तगण सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू, रवि उर्फ रविन्द्र, रामू उर्फ राम कुमार एवं लवकुश का केन्द्रीय जाँच ब्यूरो द्वारा प्रेषित आरोप पत्र के आधार पर धारा 376, 376ए, 376डी, 302 भारतीय दण्ड संहिता व धारा 3(2)(v) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप का विचारण किया गया।
2.धारा 228ए भा॰दं॰सं॰ के प्रावधानों को दृष्टिगत रखते हुये, पीड़िता/मृतका के नाम का उल्लेख न कर पीडिता को "पीड़िता" के नाम से सम्बोधित किया जायेगा।
3.अभियोजन कथानक के अनुसार, वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार पुत्र श्री ओम प्रकाश, निवासी ग्राम बूलगढ़ी, थाना चन्दपा, जिला हाथरस द्वारा एक हस्तलिखित तहरीर प्रदर्श क–1 दिनांक 14.09.2020 को थाना चन्दपा पर इस आशय की प्रस्तुत की गयी कि दिनांक 14.09.2020 को मेरी बहन "पीड़िता" और मेरी मम्मी घास लेने के लिये गये थे, मैं घास डालने घर गया था। मेरी मम्मी कुछ दूरी पर घास काट रही थी। मेरी बहन "पीड़िता थोड़ी दूर पर बाजरा के
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खेत में से सन्दीप पुत्र ठा॰ गुड्डू निवासी बूलगढ़ी ने जान से मारने की नीयत से मेरी बहन का गला दबा दिया तथा मारने की पूरी कोशिश की फिर मेरी बहन चिल्लाई तो मेरी माँ रामा ने आवाज दी कि मैं आ रही हूँ। सन्दीप आवाज सुनकर वहाँ से छोड़कर भाग गया। यह घटना समय करीब 09:30 बजे सुबह की है। मेरी रिपोर्ट लिखकर कार्यवाही की जाये। मैं जाति से बाल्मीकि हूँ ।
4.वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार की उक्त तहरीर के आधार पर दिनांक 14.09.2020 को समय 10:30 बजे अभियुक्त सन्दीप के विरूद्ध मुकदमा अपराध संख्या 136/2020, अन्तर्गत धारा 307 भा॰दं॰सं॰ व धारा 3(2)(v) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना चन्दपा पर पंजीकृत हुई, जिसकी चिक एफ॰आई॰आर॰ पत्रावली पर मौजूद है। उक्त प्राथमिकी का इन्द्राज थाने पर जी॰डी॰ संख्या–19 में समय 10:30 बजे दिनांक 14.09.2020 को किया गया। थाना पुलिस द्वारा चिट्ठी मजरूबी प्रदर्श क–8 के साथ "पीड़िता" को होम गार्ड शिव कुमार एवं कां॰ नेहा के साथ बागला जिला अस्पताल हाथरस भेजा गया। जहाँ "पीड़िता" का प्राथमिक उपचार किया गया और उसकी गम्भीर स्थिति के सम्बन्ध में उसके परिवारीजन को अवगत कराया गया एवं "पीड़िता" के गले में गम्भीर चोट होने के कारण उसे जे॰एन॰एम॰सी॰ अलीगढ़ उपचार हेतु रेफर किया गया। "पीड़िता" को उसी दिन जे॰एन॰एम॰सी॰ अलीगढ़ में उपचार हेतु भर्ती कराया गया, जहाँ "पीड़िता" का उपचार प्रारम्भ हुआ।
5.इसके उपरान्त वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार द्वारा पुलिस अधीक्षक, हाथरस को एक प्रार्थना पत्र प्रदर्श क–2, जिस पर दिनांक अंकित नहीं है, इस आशय का प्रस्तुत किया गया कि मेरे परिवार से प्रार्थी सतेन्द्र कुमार तथा प्रार्थी की माँ रामा देवी एवं मेरी छोटी बहन "पीड़िता" प्रतिदिन की तरह खेत पर पशुओं के लिये हरा चारा लेने दिनांक 14.09.2020 को प्रातः गये थे। प्रार्थी की माँ घास काट रही थी तथा उस कटी हुई घास को मेरी बहन "पीड़िता" एक जगह इकट्ठा कर रही थी, उस इकट्ठी एक घास की गठरी को प्रार्थी सतेन्द्र कुमार अपने घर डालने चला गया, मौका पाकर लगभग 09:30 बजे नामजद सन्दीप पुत्र गुड्डू निवासी बूलगढ़ी अपने अन्य साथी रवि पुत्र अतर सिंह, रामू पुत्र राकेश, लवकुश पुत्र रामवीर व अन्य दो-तीन अज्ञात व्यक्ति जो गाँव बूलगढ़ी थाना चन्दपा के रहने वाले हैं, उक्त लोगों की मदद से मेरी बहन "पीड़िता" को गन्दी नीयत से "पीड़िता" के गले में पड़े दुपट्टे से खींचते हुये बाजरा के खेत में दुष्कर्म करने के उद्देश्य से खींच ले गये। गले में फंदा लगा होने के कारण
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मेरी बहन की आवाज ही नहीं निकल पायी, जिसका फायदा उठाकर उक्त लोगों ने मेरी बहन के साथ जबरन सामूहिक बलात्कार कर डाला तथा अपनी पहचान छुपाने के उद्देश्य से मेरी बहन को जान से मारने की कोशिश की, जिसमें मेरी बहन की गर्दन की हड्डी में फैक्चर आ गया, रीढ़ की हड्डी फैक्चर है तथा जीभ को काटा है, पूरे शरीर पर चोटों के निशान हैं जिससे मेरी बहन बेहोश हो गयी और वे लोग मेरी बहन को मरा समझकर, बेहोशी की हालत में छोड़कर फरार हो गये। उक्त घटना छोटू पुत्र ओम प्रकाश के खेत पर हुई थी, उक्त छोटू ने ही प्रार्थी के घर आकर उक्त घटना के बारे में अवगत कराया और कहा कि आपके घर की लड़की मेरे खेत में निर्वस्त्र, आपत्तिजनक स्थिति में, अतिगम्भीर बेहोशी की अवस्था में पड़ी हुई है। सुनते ही प्रार्थी व अन्य परिवारीजन भागे-भागे उक्त छोटू के खेत पर पहुंचे तथा वहाँ से अपनी बहन को बेहोशी की हालत में लम्बी-लम्बी सांस लेते हुये पाया तुरन्त ही हम थाना चन्दपा गये, वहाँ पुलिस वालों ने लड़की की गम्भीर हालत को देखते हुये बागला हास्पीटल ले जाने को कहा, जल्दबाजी एवं घबराहट में मेरे द्वारा मैंने अपना शिकायती पत्र ठीक से नहीं दे पाया था, तथा उस समय मुझे घटना की पूर्ण जानकारी भी नहीं हो पायी थी। उसके बाद दो पुलिस वाले महिला कांस्टेबल सहित बागला जिला हास्पीटल ले गये, जहाँ सी॰एम॰ओ॰ द्वारा लड़की की जाँच की गयी तथा उसकी स्थिति अत्यधिक खराब होने के कारण अलीगढ़ मेडिकल के लिये रेफर कर दिया गया। आज भी मेरी बहन की हालत यथावत बनी हुई है, उसकी स्थिति काफी नाजुक है, तथा आई॰सी॰यू॰ में अपनी जिन्दगी और मौत से जूझ रही है। उक्त लोगों द्वारा प्रार्थी व उसके परिवार पुलिस कार्यवाही करने पर जान से मारने की धमकी एवं गाँव से भगाने की धमकी दी जा रही है। मेरे परिवार के साथ पूर्व में भी उक्त लोगों के परिवारीजनों के द्वारा मेरे दादाजी बाबूलाल पुत्र कुँवरसेनजी जिनके द्वारा रवि पुत्र अतर सिंह, गुड्डू पुत्र जगवीर निवासी बूलगढ़ी थाना चन्दपा जो कि मेरी पैतृक कृषि भूमि में अपनी भैंस जबरन चरा रहे थे जिसका विरोध मेरे दादाजी ने किया तो उन लोगों ने मेरे दादाजी से ढे़डा भंगी, नीच, सूद्र जैसे जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुये व अश्लील गालियां देते हुये धारदार दरांती से प्राण घातक वार किया जिससे मेरे दादाजी के हाथ की उंगलियां कट गयी थी। जिसकी रिपोर्ट थाना चन्दपा में दी गयी थी और बतौर सजा के तौर पर उक्त लोग तीन माह के कारावास में जेल काट चुके हैं। उक्त लोग सवर्ण जाति के दबंग, आपराधिक प्रवृत्ति के लोग हैं, जो हमको नीची जाति समझकर आये दिन
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हमारे घर की माँ, बहन एवं बेटियों की तरफ गन्दी नीयत से देखते आये हैं तथा अश्लील फब्तियां कसते रहते हैं, जिससे हमारे परिवार के सभी लोगों पर हमेशा जान का खतरा बना रहा है। उक्त मामले को अपने संज्ञान में लेकर विधिवत कानूनी कार्यवाही कराने की महती कृपा करें एवं जिन अधिकारियों द्वारा मामले की जाँच में लापरवाही बरती गयी है, उनके विरूद्ध ठोस विभागीय कार्यवाही करने की कृपा करें एवं "पीड़िता" मेरी बहन को न्याय दिलाने की कृपा करें। साथ ही साथ प्रार्थी व प्रार्थी के परिवार की जान-माल की सुरक्षा करने की कृपा करें। यह प्रार्थना पत्र पुलिस अधीक्षक हाथरस के कार्यालय में दिनांक 22.09.2020 को डायरी संख्या 2315 पर दर्ज हुआ। डायरी की प्रवृष्टि के अनुसार, यह प्रार्थना पत्र दिनांक 22.09.2020 को प्राप्त हुआ है।
6.दिनांक 14.09.2020 को थाना चन्दपा की चिट्ठी मजरूबी के साथ "पीड़िता" को पहले बागला जिला चिकित्सालय हाथरस ले जाया गया, जहाँ से उसे जे॰एन॰एम॰सी॰ अलीगढ़ रेफर किया गया और उसी दिन "पीड़िता" को जे॰एन॰एम॰सी॰ अलीगढ़ में भर्ती किया गया। जे॰एन॰एम॰सी॰ अलीगढ़ में इलाज के दौरान "पीड़िता" की गम्भीर स्थिति को देखते हुये, उसे दिनांक 28.09.2020 को इलाज हेतु दिल्ली रेफर किया गया और "पीड़िता" को सफदरजंग अस्पताल दिल्ली में दिनांक 28.09.2020 को भर्ती कराया गया, जहाँ दिनांक 29.09.2020 को सुबह लगभग 05:00 बजे "पीड़िता" की मृत्यु हो गयी। "पीड़िता" का पंचायतनामा व पोस्टमार्टम संयुक्त प्रदर्श क–33 दिनांक 29.09.2020 को सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली में हुआ। पोस्टमार्टम संयुक्त प्रदर्श क–33 के अनुसार "पीड़िता" की गर्दन पर लिगेचर मार्क गला घोंटने के प्रयास के अनुरूप पाये गये। मृतका की मृत्यु का कारण गर्दन की हड्डी में चोट कुन्द आघात/blunt Trauma द्वारा एवं उसके पश्चातवर्ती परिणाम (sequelae) था। गर्दन पर मौजूद लिगेचर का निशान गला घोंटने के प्रयास से हुआ था किन्तु मृत्यु का कारण नहीं था।
7.इस प्रकरण में प्राथमिक विवेचना उ॰प्र॰ पुलिस के उपाधीक्षक/क्षेत्राधिकारी सादाबाद द्वारा की गयी। विवेचना के दौरान, उ॰प्र॰ पुलिस द्वारा अभियुक्तगण को गिरफतार किया गया। विवेचनाधिकारी द्वारा घटनास्थल का निरीक्षण कर नक्शा नजरी प्रदर्श क–18 बनाया गया। दौरान विवेचना "पीड़िता" का बयान अन्तर्गत धारा 161 दं॰प्र॰सं॰ दिनांक 19.09.2020 व दिनांक 22.09.2020 को जे॰एन॰एम॰सी॰ अलीगढ़ में लिया गया। विवेचना के दौरान, घटना के समय "पीड़िता" द्वारा पहने हुये कपड़े फारेन्सिक जाँच हेतु भेजे गये। फारेन्सिक जाँच
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में "पीड़िता" के कपड़ों पर कोई वीर्य नहीं पाया गया। तत्पश्चात्, इस प्रकरण की विवेचना केन्द्रीय जाॅच ब्यूरो को स्थानान्तरित हुई। उसके पश्चात् प्रकरण की विवेचना केन्द्रीय जाॅच ब्यूरो की विवेचनाधिकारी/उप पुलिस अधीक्षक श्रीमती सीमा पाहुजा द्वारा अन्य सह-विवेचकों के सहयोग से की गयी। विवेचनोपरान्त, विवेचनाधिकारी द्वारा अभियुक्तगण सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू, रवि उर्फ रविन्द्र, रामू उर्फ राम कुमार एवं लवकुश के विरूद्ध धारा 376, 376ए, 376डी, 302 भारतीय दण्ड संहिता व धारा 3(2)(v) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अपराध में आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया। विवेचनाधिकारी द्वारा आरोप पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि फारेन्सिक जाॅच में "पीड़िता" के कपडों पर कोई रक्त या वीर्य नहीं मिला।
8.दिनांक 25.02.2021 को अभियुक्तगण सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू रवि उर्फ रविन्द्र, रामू उर्फ राम कुमार एवं लवकुश के विरूद्ध धारा 376, 376, 376डी, 302/34 भारतीय दण्ड संहिता व धारा 3(2)(v) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अर्न्तगत आरोप विरचित किया गया। अभियुक्तण ने आरोपों से इन्कार करते हुये, विचारण की याचना की।
9.अभियोजन द्वारा अपने कथनों के समर्थन में पी॰डब्लू॰-1 सतेन्द्र कुमार (वादी मुकदमा), पी॰डब्लू॰-2 गोविन्द कुमार शर्मा (पत्रकार अमर तनाव), पी॰डब्लू॰-3 रवि कुमार (पत्रकार हिन्दी खबर), पी॰डब्लू॰-4 डा॰ रमेश बाबू (बागला जिला अस्पताल हाथरस), पी॰डब्लू़॰-5 महिला आरक्षी कु़॰ रश्मि, पी॰डब्लू॰-6 मनीष कुमार (नायब तहसीलदार), पी॰डब्लू॰-7 एच॰सी॰ सरला देवी थाना चन्दपा, पी॰डब्लू॰–8 क्षेत्राधिकारी ब्रहम सिंह, पी॰डब्लू॰–9 होमगार्ड शिव कुमार, पी॰डब्लू॰-10 महिला आरक्षी नेहा, पी॰डब्लू॰-11 जाफर आलम (स्टाफ नर्स जे॰एन॰एम॰सी॰ अलीगढ़), पी॰डब्लू॰-12 सना सुबूर (नर्सिंग आफिसर जे॰एन॰एम॰सी॰ अलीगढ़), पी॰डब्लू॰-13 नौसाबा हैदर (नर्सिंग आफिसर), पी॰डब्लू॰-14 डा॰ एम॰एफ॰ हुदा (प्रोफेसर एवं चेयरमैन न्यूरोसर्जरी विभाग), पी॰डब्लू॰-15 डा॰ फैयाज अहमद (सहायक प्रोफेसर विधि विज्ञान विभाग), पी॰डब्लू॰-16 डा॰ डालिया रफत (सहायक प्रोफेसर स्त्री रोग विभाग), पी॰डब्लू॰-17 श्रीमती रामा देवी (माता पीड़िता), पी॰डब्लू॰-18 डा॰ नैन्सी गुप्ता (जे॰एन॰एम॰सी॰ अलीगढ़), पी॰डब्लू॰-19 ओम प्रकाश (पिता पीडिता), पी॰डब्लू॰-20 डा॰ गौरव सिंह (सीनियर रेजीडेण्ट न्यूरोसर्जरी विभाग बी॰एम॰एम॰सीप॰ एवं सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली), पी॰ डब्लू॰-21 डा॰ अजीमुद्दीन (कैजुअल्टी मेडिकल आफिसर जे॰एन॰एम॰सी॰ अलीगढ़), पी॰डब्लू॰-22 डा॰
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गौरव वी. जैन (प्रोफेसर फोरेंसिक मेडिसिन सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली), पी0डब्लू0-23 गंगा नारायण झा ( नोडल आफिसर रिलायंस जियो पश्चिम क्षेत्र), पी0डब्लू0 - 24 विशाल शर्मा (नोडल आफिसर वोडाफोन आईडिया लि० पश्चिम क्षेत्र), पी0डब्लू0-25 राजीव वशिष्ठ ( नोडल आफिसर भारती एयरटेल लि०), पी0डब्लू0-26 सत्य प्रकाश शुक्ला (अवर अभियन्ता पी.डब्लू.डी.), पी0डब्लू0-27 भूदेव कुशवाहा उर्फ पण्डा, पी0डब्लू0-28 श्रीमती सत्यवीरी देवी (मेडिकल रिकार्ड आफिसर सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली), पी0डब्लू0-29 सरफराज अहमद ( रिसेप्सनिस्ट सी.एम.ओ. कार्यालय जे.एन.एम.सी. अलीगढ ), पी0डब्लू0-30 विनय शर्मा, पी0डब्लू0–31 जगवीर सिंह तत्कालीन एस.एस.आई. चन्दपा, पी0डब्लू0-32 दिनेश कुमार वर्मा तत्कालीन थाना प्रभारी चन्दपा, पी0डब्लू0-33 प्रो0 आदर्श कुमार (विधि विज्ञान विभाग एम्स नई दिल्ली) चेयरमैन एम0आई0एम0बी0 टीम, पी0डब्लू0 - 34 निरीक्षक विवेक श्रीवास्तव ( सहायक विवेचक ) एवं पी0डब्लू0-35 विवेचनाधिकारी श्रीमती सीमा पाहुजा ( पुलिस अधीक्षक सी.बी.आई.) को परीक्षित कराया गया है। इसके अतिरिक्त अभियोजन की ओर से अन्य किसी साक्षी को परीक्षित नहीं कराया गया है।
10.अभियोजन की ओर से अभिलेखीय साक्ष्य में वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार द्वारा थाना चन्दपा पर दी गयी तहरीर प्रदर्श क - 1, वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार द्वारा पुलिस अधीक्षक हाथरस को दिया गया प्रार्थना पत्र प्रदर्श क - 2, मेमोरण्डम मेमोरी कार्ड व सी०डी० डी-68 कागज संख्या 72अ प्रदर्श क - 3, प्रमाण पत्र धारा 65बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम डी - 69 कागज संख्या 73अ प्रदर्श क – 4, मेमोरण्डम एक सी०डी० डी -43 कागज संख्या 48अ प्रदर्श क - 5, प्रमाण पत्र धारा 65बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम डी - 42 कागज संख्या 47अ प्रदर्श क - 6, सीजर मेमो प्रदर्शक -7, चिट्ठी मजरूबी प्रदर्श क- 8, डाक्टर्स ड्यूटी रिकार्ड्स डी-16 कागज संख्या 21अ / 1 लगायत 21अ / 5 प्रदर्श क - 9, प्रविष्टि ओ०पी०डी० रजिस्टर डी-19 प्रदर्श क- 10, प्रविष्टि आई०पी०डी० रजिस्टर डी-18 प्रदर्श क- 11, बेड हेड टिकट डी - 17 प्रदर्श क- 12, रेफरल बुक प्लेट डी-20 प्रदर्श क - 13, बयान पीडिता अन्तर्गत धारा 161 दं०प्र०सं० दिनांकित 19.09.2020 बी-3 प्रदर्श क– 14, मृत्यु पूर्व बयान दिनांकित 22.09.2020 प्रदर्श क - 15, बयान पीडित अन्तर्गत धारा 161 दं0प्र0सं0 दिनांकित 22.09.2020 प्रदर्श क - 16, सीजर मेमो अभिलेख सी०डी०- 1 से सी0डी0-27 तक प्रदर्श क- 17, नक्शा नजरी दिनांकित 23.09.2020 प्रदर्शक - 18, स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट पीडिता प्रदर्शक - 19, विधि विज्ञान प्रयोगशाला को भेजा गया पत्र प्रदर्श क - 20, सीजर मेमो मोबाईल फोन
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प्रदर्श क–21, मुल्जिमान द्वारा जेल से एस०पी० हाथरस के नाम लिखित पत्र प्रदर्श क-22, जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ के रजिस्टर की प्रति डी–73 व डी-73/1 कागज संख्या 77अ व 77अ/1 प्रदर्श क–23, जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ के रजिस्टर की प्रति डी-74/1 व डी-74/2 कागज संख्या 78अ व 78अ / 1 प्रदर्श क-24, जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ के रजिस्टर की प्रति डी-75/1 व डी-75/2 कागज संख्या 79अ व 79अ / 1 प्रदर्श क-25, जाँच रिपोर्ट पीडिता प्रदर्श क-26, डी-77/1 व डी-77/2 ट्रामा आई०सी०यू० रजिस्टर की प्रति प्रदर्श क-27, सीजर मेमो दिनांकित 21.10.2020 डी 70 प्रदर्श क-28, ड्यूटी चार्ट जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ प्रदर्श क-29, ट्रीटमेंट कार्ड पीड़िता प्रदर्श क–30, विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा की रिपोर्ट प्रदर्श क–31, विधि विज्ञान प्रयोगशाला परीक्षण रिपोर्ट की सत्यापित प्रति प्रदर्श क-32, पोस्टमार्टम रिपोर्ट व संलग्न दस्तावेज प्रदर्श क-33, कॉल डिटेल रिपोर्ट फोन नं० 9528761690 भूदेव कुमार प्रदर्श क–34, कॉल डिटेल कैफ फोन नं० 7618640133 संदीप सिसौदिया प्रदर्ष क-35, फोन नं00000000000000 फोन नं0 0000000000000 श्यामवीर, फोन नं0 000000000000 संदीप फोन नं0 9897319621 ओम प्रकाश की कॉल डिटेल रिपोर्ट प्रदर्श क–36, नक्शा नजरी व पत्र डी–7 संयुक्त प्रदर्श क-37, सीजर मेमो दिनांकित 03.12.2020 डी–54 कागज संख्या 593/1 से 593/46 संयुक्त प्रदर्श क–38, सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली के चिकित्सीय प्रपत्र कागज संख्या 01 से 100 संयुक्त प्रदर्श क–39, मेमो एक सी०डी० डी-44, प्रमाण पत्र डी-45 कागज संख्या 49अ व 50अ प्रदर्श क–40, मेमो एक सी०डी० व एक कार्ड डी–46 प्रमाण पत्र डी-47 कागज संख्या 51अ व 52अ प्रदर्श क–41, विडियो दिनांकित 14.09.2020 प्रदर्श क–42, गिरफतारी मेमो अभियुक्त सन्दीप प्रदर्श क–43, गिरफतारी मेमो अभियुक्त रवि प्रदर्श क–44, गिरफतारी मेमो अभियुक्त रामू प्रदर्श क–45, गिरफतारी मेमो अभियुक्त लवकुश प्रदर्श क–46, डी–65 एम0आई0एम0बी0 की कार्यवाही दिनांकित 24.11.2020 कागज संख्या 693/22 लगायत 693/27 प्रदर्श क–47, एम०आई०एम०बी० की कार्यवाही दिनांकित 06.11.2020 डी-52 कागज संख्या 5731/1 लगायत 5731/4 प्रदर्श क-48, डी-65 एम०आई०एम०बी० की कार्यवाही दिनांकित 28.11.2020 कागज संख्या 693/1 लगायत 693/6 प्रदर्श क–49, डी–65 एम0आई0एम0बी0 की कार्यवाही दिनांकित 05.12.2020 कागज संख्या 69अ/7 लगायत 69अ/11 प्रदर्श क-50, डी–65 एम0आई0एम०बी० की कार्यवाही दिनांकित 17.12.2020
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कागज संख्या 69अ/12 लगायत 69अ/21 प्रदर्श क–51, डी–34 सीजर मेमो दिनांकित 17.10.2020 कागज संख्या 39अ प्रदर्श क–52, डी–51 सीजर मेमो दिनांकित 07.11.2020 कागज संख्या 56अ/1 व कागज संख्या 56अ/2 प्रदर्श क–53, डी–7 सीजर मेमो दिनांकित 19.10.2020 मोबाईल फोन कागज संख्या 182अ प्रदर्श क–54, डी–8 सीजर मेमो दिनांकित 19.10.2020 मोबाईल फोन कागज संख्या 182अ प्रदर्श क–55, डी–9 सीजर मेमो मोबाईल फोन कागज संख्या 183अ प्रदर्श क–56, प्रथम सूचना रिपोर्ट सी॰बी॰आई॰ कागज संख्या 43/1 से 4अ/8 प्रदर्श क–57, आरोप पत्र प्रदर्श क–58, आरोप पत्र के साथ दस्तावेज फेहरिस्त व सूची गवाहन कागज संख्या 162ब/1 लगायत 162ब/10 प्रदर्श क–59, दस्तावेजों की अतिरिक्त सूची कागज संख्या 172ब/1 लगायत 172ब/3 प्रदर्श क–60, वस्तु प्रदर्श की सूची कागज संख्या 172ब/5 लगायत 172ब/ 8 प्रदर्श क–61, सी॰एफ॰एस॰एल॰ नई दिल्ली से प्राप्त दस्तावेज प्रदर्श क–62, डी–9 सीजर मेमो दिनांकित 09.11.2020 प्रदर्श क–63, सीजर रिपोर्ट अण्डर गार्मेन्ट्स प्रदर्श क–64, दस्तावेज जो सहायक विवेचक एस॰एस॰ मयाल द्वारा प्राप्त किये गये प्रदर्श क–65, डी–39 एम्बुलेन्स–108 नम्बर का प्राप्त रिकार्ड कागज संख्या 44अ प्रदर्श क–66, डी–41 विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा से प्राप्त प्रपत्र प्रदर्श क–67, डी–48 नक्शा नजरी, जो तहसीलदार द्वारा तैयार किया गया प्रदर्श क–68, अभियुक्त लवकुश के परिवार रजिस्टर की प्रति कागज संख्या 54अ /1 लगायत 54अ/2 प्रदर्श क–69, डी–50 अभियुक्त सन्दीप की शर्ट का सीजर मेमो कागज संख्या 55 प्रदर्श क–70, डी–63 घटनास्थल के निरीक्षण से सम्बन्धित रिपोर्ट, जो सी॰एफ॰एस॰एल॰ से प्राप्त हुई प्रदर्श क–71, विडियों प्राप्त करने की मेमो का प्रमाण पत्र अन्तर्गत धारा 65ब भारतीय साक्ष्य अधिनियम प्रदर्श क–72 प्रस्तुत किये गये हैं।
11.कैन वस्तु प्रदर्श–1, लिफाफा वस्तु प्रदर्श–2, टैग एक जोड़ी चप्पल वस्तु प्रदर्श–3, लिफाफा पीला वस्तु प्रदर्श–4, लिफाफा खाकी वस्तु प्रदर्श–5, टैग पैण्टी वस्तु प्रदर्श–6, संयुक्त रूप से लिफाफे वस्तु प्रदर्श–7, मेमोरी कार्ड व सफेद कवर संयुक्त रूप से वस्तु प्रदर्श–8, डी॰वी॰डी॰ व लिफाफा संयुक्त रूप से वस्तु प्रदर्श–9, डी॰वी॰डी॰ व लिफाफों पर संयुक्त रूप से वस्तु प्रदर्श–10, सी॰डी॰ बयान अन्तर्गत धारा 161 दं॰प्र॰सं॰ वस्तु प्रदर्श–11, सफेद लिफाफा वस्तु प्रदर्श–12, खाली सी॰डी॰ राईटेक्स बयान अन्तर्गत धारा 161 दं॰प्र॰सं॰ वस्तु प्रदर्श–13, पेनड्राईव बयान पीड़िता वस्तु प्रदर्श–14, मोबाईल फोन सैमसंग ए–51 वस्तु प्रदर्श–15 मोबाईल फोन सैमसंग गैलेक्सी जे–7 वस्तु
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प्रदर्श - 16, दुपट्टा पीडिता वस्तु प्रदर्श - 15, कुर्ता पीडिता वस्तु प्रदर्श - 16, सलवार पीडिता रंग हरा वस्तु प्रदर्श - 17, पैण्टी पीडिता वस्तु प्रदर्श-18, सलवार पीडित रंग पीला वस्तु प्रदर्श-19, सीलशुदा पैकेट वस्तु प्रदर्श - 20, सी॰डी॰ समय 39 सेकेण्ड वस्तु प्रदर्श-21, लिफाफा मेमोरी कार्ड वस्तु प्रदर्श-22, लिफाफा सी॰डी॰ विडियों दिनांकित 14.09.2020 वस्तु प्रदर्श - 23, मेमोरी कार्ड वस्तु प्रदर्श-24, सी॰डी॰ विडियों दिनांकित 14.09.2020 वस्तु प्रदर्श-25 प्रस्तुत किये गये हैं ।
12.दिनांक 03.11.2022 को अभियुक्तगण के बयान अन्तर्गत धारा 313 दं॰प्र॰सं॰ अभिलिखित किये गये ।
अभियुक्त सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू ने अपने बयान अन्तर्गत धारा 313 दं॰प्र॰सं॰ में कथन किया है कि मेरे पूरे परिवार को फंसाने के लिये पूर्व रंजिश से मनगढन्त कथानक बनाया गया है। सिखाये गये बयानों को राजनैतिक लोगों के बहकावे पर पीडिता से कहलवाया गया है। पीडिता ने सिखाने व धमकाने पर मेरे खिलाफ विडियों में बोला है। पीडिता के परिवार से हमारे परिवार की पहले मुकदमेबाजी काफी समय चली थी तथा वादी मुकदमा के परिवारीजनों के खिलाफ मेरे परिवारीजनों ने आबादी पर अतिक्रमण के सम्बन्ध में प्रशासन को शिकायत की थी, जिसकी जाँच हुई थी इसलिए मेरे परिवारजनों की वादी के परिवार से रंजिश थी परन्तु मेरे व पीडिता के पिछले दो-तीन वर्षों से प्रेम सम्बन्ध थे। मैं व पीडिता, पीडिता के भाई के फोन पर बातें भी करते थे तथा कभी घर पर, कभी खेतों पर मिलते भी थे, जिसका पता पीडिता के परिजनों को चल गया था। जिसपर पीडिता के भाई सतेन्द्र ने पीडिता की पिटाई भी लगायी थी। घटना के दिन सुबह 07:45 बजे मैं अपने घर के सामने अपने पशुओं को चारा पानी कर रहा था तो पीडिता ने अपने घर के सामने से हाथ के इशारे से मेरे फोन के बारे में पूछा था तो मैंने हाथ के इशारे से अपने फोन को अपने घर वालों द्वारा तोड दिया जाना बताया था। उस समय मैं पीडिता के घर वालों को नहीं देख पाया था परन्तु उन्होंने मुझे देख लिया था। इस बात पर पीडिता के भाई सतेन्द्र ने पीडिता को डाटा-फटकारा व पिटाई लगायी थी, जिससे पीडिता को चोट आयी थी तथा पीडिता को डरा-धमकाकर झूठा बयान दिलाया और मुझे इस प्रकरण में फंसाया है। घटना के दिन न तो मैंने पीडिता के साथ मारपीट की, न ही मैं पीडिता के निकट गया, बाद में मुकदमा वादी अपने दूर के रिश्तेदार एम.पी. राजवीर दिलेर व उसकी पुत्री मंजू दिलेर के प्रभाव से तथा बाद में सरकार विरोधी राजनैतिक दलों के प्रभाव में अधिक मुआवजा मिलने के
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लालच में आरोपों को बढ़ाते रहे तथा मीडिया की सक्रियता से घटना को इतना बड़ा तूल दे दिया जबकि मैं व मेरा परिवार एकदम निर्दोष है। विवेचक ने राजनैतिक व मीडिया के दबाव में गलत आरोप पत्र दिया है। मैं निर्दोष हूँ। मैं, पीड़िता से प्रेम करता था। मेरे पास उसे मारने का कोई कारण नहीं था, न मैंने उसे मारा।
अभियुक्त रवि उर्फ रविन्द्र ने अपने बयान अन्तर्गत धारा 313 दं॰प्र॰सं॰ में कथन किया है कि वादी का भाई व अन्य परिजन मेडिकल फील्ड के कर्मचारी हैं। फर्जी षडयन्त्र व मुआवजा के लालच में विरोधाभासी दूसरी तहरीर देकर पूरे परिवार को फंसाया गया है। साजिशन कारगुजारी है। पीड़िता घटना के दिन थाने पर व बागला अस्पताल में भी होश में थी तथा रंजिशन केवल सन्दीप का नाम ले रही थी। प्रदर्श क–15 कथित रूप से मृत्युपूर्व बयान लिखे जाते समय तैयार नहीं किया गया है, पूर्व में अंगूठा लगे कागज पर बाद में लिखा गया है। सिखाये गये बयान को फर्जीवाड़ा करके पीड़िता से कहलवाया गया। विडियो में पीड़िता ने सिखाने व धमकाने के बाद एक अभियुक्त का नाम लिया है। विवेचना गलत की है व साक्ष्य झूठा है। मैं 40 वर्षीय विवाहित व 03 बच्चों का पिता हूँ। पहले भी मुकदमा वादी के पिता ओम प्रकाश तथा दादा बाबूलाल ने मेरे व अभियुक्त सन्दीप के पिता नरेन्द्र उर्फ गुड्डू के विरूद्ध हरिजन एक्ट का झूठा लिखाया था, जिसमें 15 वर्ष के बाद मुझे दोषमुक्त किया गया था। कथित घटना के दिन मैं अपने पशुओं को चारा-पानी देकर उनका दूध निकालकर मिल्क कलेक्शन सेण्टर पर दूध डालकर अपने कामों में व्यस्त था। मेरा इस अपराध से कोई सम्बन्ध नहीं है। मुझे बाद में साजिशन झूठा फंसाया गया है।
अभियुक्त रामू उर्फ राम कुमार ने अपने बयान अन्तर्गत धारा 313 दं०प्र०सं० में कथन किया है कि वादी का भाई व अन्य परिजन मेडिकल फील्ड से जुड़े हैं, जिनकी साजिश से फर्जी साक्ष्य गढ़कर फर्जी कार्यगुजारी की गयी है। थाने पर व बागला अस्पताल में पीड़िता पूरे होश में थी, जहाँ पीड़िता ने घटना में मेरा शामिल होना नहीं बताया है। विवेचना, वादी को लाभ पहुंचाने के लिये झूठी की है। साक्ष्य झूठा है व गलत आरोप पत्र दिया है। वादी के परिवार से हमारी काफी समय से रंजिश चल रही है। पूर्व में भी मेरे चचेरे भाई रवि व नरेन्द्र उर्फ गुड्डू पर वादी के पिता व दादा ने फर्जी मुकदमें दर्ज कराये थे, जो 15 वर्ष बाद बरी हुये। मैं 30 वर्षीय हूँ तथा दो बच्चों का पिता हूँ। मैं मधुसूदन डेयरी के प्लांट चन्दपा पर नौकरी करता हूँ। कथित घटना के दिन व
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समय पर मैं अपने कार्यस्थल पर था। विवेचक ने मेरे सहकर्मियों तथा प्रबन्धन से पूछताछ की है, उपस्थिति रजिस्टर भी लिये हैं परन्तु जानबूझकर उन्हें विवेचना में सम्मिलित नहीं किया है। मुझे बाद में साजिश कर रंजिशन व राजनैतिक हस्ताक्षेप से अधिक मुआवजे के लालच में झूठा फंसाया है।
अभियुक्त लवकुश ने अपने बयान अन्तर्गत धारा 313 दं॰प्र॰सं॰ में कथन किया है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई, मनगढ़न्त कहानी रचकर रंजिशन झूठा फंसाया गया है। साक्षीगण ने गलत व झूठे बयान दिये हैं। मृत्युपूर्व बयान पीड़िता को सिखाया पढ़ाया जो रंजिशन व लालच व राजनैतिक प्रभाव से बहकावे पर दिलाया गया है। वादी मुकदमा के पक्ष में झूठी विवेचना की गयी। घटना के समय मेरी उम्र 19 वर्ष थी तथा पीड़िता की उम्र 23-24 वर्ष थी। वादी के परिवार से नाली, कूड़ा-करकट एवं फैलायी गयी गन्दगी को लेकर घटना से कुछ दिन पूर्व प्रार्थी के पिता ने अन्य ग्राम वासियों के साथवादी के परिवारजनों की शिकायत एस॰डी॰एम॰ से की थी, जिसकी जाँच हुई थी, जिसके कारण वादी का परिवार हमसे रंजिश मानता था। कथित घटना के समय पर प्रार्थी अपनी माँ के साथ खेतों पर काम कर रहा था तथा सूचना पर मैं व मेरी माँ, छोटू के खेत पर पहुंचे थे तथा मैं, पीड़िता के पानी मांगने पर उसके लिये पानी लेकर आया था। मुझे बिना वजह रंजिश के कारण काफी बाद में साजिश के तहत् फंसाया गया है तथा राजनैतिक प्रभाव, मीडिया तथा सरकार विरोधी दलों की साजिश से तथा और अधिक मुआवजा पाये जाने के लालच में नितान्त झूठी, फर्जी घटना बनायी है। यदि मेरी घटना में जरा भी संलिप्तता होती तो मैं, पीडिता के लिये पानी लेकर नहीं आ सकता था। मैं निर्दोष हूँ।
13.अभियोजन साक्षी पी॰डब्लू॰–1 सतेन्द्र कुमार, जो इस प्रकरण का वादी मुकदमा है, ने अपनी मुख्य परीक्षा में सशपथ बयान किया है कि दिनांक 14.09.2020 को मैं और मेरी बहन पीडिता और माँ रामा देवी चारा लेने गये थे, तकरीबन 07:45 बजे सुबह चारा लेने खेत में गये थे। हम लोग पट्टी सावंत गाँव की सीमा में चारा इकट्ठा करने गये थे। मैंने व मेरी बहन ने चारा काटा, थोड़ी सी घास माँ ने काटी, उसके बाद माँ पीछे गाँव के खेत में चली गयी। हम दोनों भाई-बहन जो चारा काटा था उसको गठरी बांधकर घर की तरफ चल दिये और मेरी बहन पीछे-पीछे चल रही थी। उसके बाद आगे लगभग 300 मीटर चला आगे चलकर छोटू के खेत की मेड पर माँ चारा काट रही थी। उसके बाद मैंने बहन से कहा कि वह माँ के पास चली जाये और मैं गठरी लेकर घर चला गया। घर जाने के बाद मैंने अपनी गठरी घर पर रखी। मैं अपने घर में पानी पीने लगा
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और हवा भी करी थी। उस दिन बहुत गर्मी थी। उसके 10-15 मिनट बाद मेरी लड़की आराध्या जिसकी उम्र 05 साल है, वह मेरे घेर से भागकर घर पर आयी और बोली कि पापा आपको कोई बुला रहा है। फिर मैं घेर की तरफ गया, जल्दी में मैंने वहाँ पर देखा, मुझे वहाँ कोई नहीं दिखा। फिर लाइट आ गयी। मैंने भैसों को पानी पिलाना शुरू कर दिया। मैं दो भैसों को पानी पिला पाया था कि अचानक गाँव का छोटू मेरे घेर के तरफ आया और बोला कि तेरी बहन बीमार हो गयी है, बेहोश हो गयी है। तेरी मम्मी बुला रही है, जल्दी आओ! उसके बाद मैंने मैसों को पानी पिलाना बन्द कर दिया। उस समय घेर की तरफ मेरी दादी भी आ गयी तो मेरी दादी पैदल-पैदल सड़क की तरफ चल दी। मैं घर पर गया, अपनी मोटरसाईकिल स्टार्ट की और अपने घेर पर आया, मेरे पापा की जैकेट में कुछ पैसे पड़े हुये थे उसे लेने के लिये। पैसे मैंने अपने पैजामा में रखे तो उसकी जेब फटी हुई थी और उसमें चैन भी नहीं था। मैंने पायजामा चेंज किया। मैंने जो लाल शर्ट पहले पहने हुई थी वह भीग गई थी, उसे उतारकर दूसरी टी-शर्ट ग्रीन कलर की पहन ली और नीले रंग का पायजामा पहन लिया। उसके बाद मैं गाड़ी स्टार्ट करके सड़क की तरफ चल दिया। रास्ते में दादी को मैंने बाईक पर बैठाया और घटनास्थल पर करीब 08:45 बजे सुबह पहुंचा। वहाँ गाड़ी खड़ी करी और देखा कि मेरी बहन भरा में पड़ी थी। मम्मी बैठी थी और कुछ औरतें भी खडी थी, उन्हें मैं नहीं पहचानता। मैंने उनका चेहरा नहीं देखा, मैंने केवल अपनी बहन की तरफ देखा। मेरी मम्मी रो रही थी। मेरी बहन के पास दो बच्चे, जो कि मेरे चाचा बन्टू उर्फ बनवारी के लडके हैं, जिनका नाम पुतकन्ना उम्र 10 वर्ष एवं उसका बड़ा भाई वरून उम्र 16 वर्ष है, मौजूद थे। मेरी बहन लम्बी-लम्बी सांसे ले रही थी, उसे हल्का-हल्का होश था और दर्द के मारे कराह रही थी। मैंने उसको सर से उठाया और पूछा कि बहन क्या हो गया, तो बहन ने धीरे आवाज में बोला कि गुड्डू का लडका संदीप और कहकर बेहोश हो गयी। उसके बाद मैंने उसको उठाने की कोशिश करी पर वो उठ नहीं पायी फिर मैंने उसे गोदी में उठाकर सड़क पर लिटा दिया और फिर मैंने उसको मोटरसाईकिल पर बैठाया। मेरी माँ पीछे से उसे पकड़कर बैठ गयी। मैं उसको लेकर थाना चन्दपा जाने लगा, थाने से पहले दीक्षित आयुष फार्मेशी जिसमें मेरे पापा सफाई का काम करते हैं, उन्हें बुलाकर इसके बारे में बताया और मैं सीधे थाने चला गया। चन्दपा थाने में मैंने अपनी बहन को वहाँ एक चबूतरे पर लिटा दिया और वहाँ पर दो-तीन पुलिस वाले खड़े थे तो मैंने उनसे बोला कि मेरी रिपोर्ट लिख लो उन्होंने बोला कि क्या
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हुआ। तो मैंने जल्दबाजी में बोला कि मेरी बहन को संदीप ने उसके दुपट्टे से खींचकर बाजरे में ले गये। उन्होंने बोला कि जो आपको पता हो वो लिखकर दो। मैंने बोला कि मुझे लिखना नहीं आता, आप ही लिख दो। उन्होंने बोला कि आप अन्दर जाकर खुद लिखकर दो। फिर मैंने अन्दर जाकर एक कागज लिया उसपर मैंने जल्दबाजी में जितना मुझे पता था, उतना मैंने लिखा। मेरे द्वारा लिखी गयी तहरीर की मूल प्रति पत्रावली पर कागज संख्या 53/4 के रूप में मौजूद है, जो मेरे लेख में है। इस पर मेरे हस्ताक्षर हैं। मैंने इस पर अपना मोबाइल नम्बर भी लिखा था, जो 9897319621 है। इस तहरीर की सत्य प्रतिलिपि भी पत्रावली पर 173 /5 के रूप में मौजूद है। कम्पलेंट देकर मैं बाहर आया जो पुलिस वाले खड़े थे उनसे बोला कि मेरी बहन की हालत ज्यादा खराब है आप अपनी गाड़ी में ले चलो, उन्होंने कहा कि वहाँ से कैसे लेकर आये हो उसी तरह ले जाओ। फिर उनमें से एक बोला कि मर जायेगी जब लेकर जाओगे। फिर मैंने रोड से ऑटो बुलाकर जिसमें चार-पाँच सवारियाँ बैठी हुई थी वो थाने के अन्दर लाया और मैंने बहन पीड़िता को उसमें लिटा दिया। उसके बाद मेरी बड़ी बहन सुनीता वहाँ पैदल-पैदल आ गयी। फिर मैंने, मम्मी व मेरी बहन सुनीता ने पीड़िता को लिटा दिया। फिर थाने की तरफ से दो पुलिस वाले जिसमें एक लेडिज व एक पुरूष सिपाही को लेकर ऑटो में बैठकर बागला अस्पताल गये। मैं और मेरे पापा बाईक से पीछे-पीछे गये। बागला जिला अस्पताल पहुंचकर पीड़िता बहन को स्ट्रेचर पर लिटाकर अन्दर ले गये। थोडी देर बाद डाक्टर साहब आये और उसे देखा। उसके बाद डाक्टर साहब ने दो बोतल चढ़ाना शुरू कर दिया। बोतल चढ़ाते समय एक घण्टे बाद बहन को दो खून की उल्टियां हुई। उसके बाद डाक्टर साहब ने बोला कि इसकी कन्डीशन ज्यादा खराब है। इसे हम अलीगढ़ मेडिकल में रेफर कर रहे हैं और इसे जल्दी ले जाओ। उस दौरान किसी के द्वारा 108 पर कॉल करने पर एम्बुलेन्स लगभग 01:30 बजे आयी, जिस पर हमने बहन को उसमें लिटाया, मैं और मेरे पापा-मम्मी उसमें बैठ गये और मेरी बहन सुनीता घर को वापस लौट गयी। हम लोग अलीगढ़ मेडिकल के लिये वहाँ से चल दिये। एम्बुलेन्स से अलीगढ़ जाते हुये एम्बुलेन्स के ड्राईवर के फोन से बहन के बारे में अपने भाई संदीप को घटना के बारे बताया। हम लोग करीब 04:30 - 05:00 बजे अलीगढ़ मेडिकल कालेज के इमरजेन्सी में पहुँचे। बहन को अन्दर इमरजेन्सी में ले गये, वहाँ बहुत ज्यादा भीड़ थी। वहाँ हमने बागला अस्पताल की रिफरल सीट दिखाकर पर्चा बनवाया। करीब 07:00-08:00 बजे शाम को डाक्टर साहब
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आये और बहन की कंडीशन देखी। उस समय बहन को होश नहीं था। फिर डाक्टर साहब ने कुछ जाँच की पर्चियाँ दी। फिर हम पर्ची लेकर एक्सरे करवाने गये। काफी देर के बाद हमारा नम्बर आया। एक्सरे होने के बाद हम बहन को बाहर लेकर आये और डाक्टर साहब से पूछा "क्या हुआ है"। डाक्टर साहब ने बताया कि इसकी रीढ़ व गर्दन की हड्डी में फैक्चर आया है, जिसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन नहीं हो रहा है। उसी से पैरालाईसिस जैसा हो गया है। फिर उन्होंने बोला आप अल्ट्रासाउण्ड कराओ। फिर हमने अल्ट्रासाउण्ड भी कराया, उसकी रिपोर्ट तकरीबन तीन से चार दिन बाद देने को बोला। उसके बाद फिर बहन को इलाज शुरू किया गया। इलाज चलता रहा। करीब एक दोदिन बाद बहन को होश आने लगा और उसने मेरी मम्मी को इस घटना के बारे में बताया कि गुड्डू का लड़का संदीप और उसके साथी लवकुश, रामू, रवि थे। उसने बताया कि मैं जब चारा इकट्ठा कर रही थी तो संदीप ने पीछे से आकर उसने मेरे गले में पड़े हुये दुपट्टे से पकडकर खींचकर अन्दर ले गया। उन लोगों ने मेरे साथ गन्दा काम किया है। फिर मम्मी ने आकर हमें बताया। मैंने पापा को अपनी बहन के बारे में बताया कि बहन ने बताया कि संदीप, रामू, रवि, लवकुश उसके साथ गन्दा काम किया है। फिर पापा बोलने लगे अब क्या करें। जिन चार लोगों के बारे में मेरी माँ ने मुझे बताया कि उन लोगों के बारे में मेरी बहन ने मेरी माँ को दिनांक 16.09.2020 को बताया था वो गाँ के ही रहने वाले हैं और न्यायालय में उपस्थित हैं। उसके बाद मैं दिनांक 16.09.2020 को मेरे चाचा बनवारी जो ए॰एम॰यू॰ में सफाई का काम करते हैं, उनके साथ मैं शाम को घर चला गया। मैंने बहन के बारे में चाचा बनवारी को बताया था कि बहन के साथ उन चार लोगों ने गन्दा काम किया है। फिर वो कहने लगे अब क्या करें। फिर मैंने मेरी बुआजी के लडके ललित से फोन पर बात की, उन्होंने बताया इसके बारे में एस॰पी॰ आफिस में शिकायत पत्र देना पड़ेगा। अगले दिन 17.09.2020 को अपने बुआ के लडके ललित व अमित, फूफा रामवीर सिंह के साथ हम लोग हाथरस डी॰आर॰वी॰ कालेज पर मिले, वहाँ पर हमने शिकायत पत्र टाईप करवाया। फिर हम लोग बिरादरी के कुछ अन्य लोगों के साथ, जिनके नाम मैं नहीं जानता, के साथ एस॰पी॰ आफिस जाकर एस॰पी॰ आफिस में शिकायत पत्र दिया। मेरे द्वारा एस॰पी॰ आफिस में दी गयी शिकायत पत्र की मूल प्रति पत्रावली पर 163 / 1-16अ / 2 (डी-11) के रूप में मौजूद है, जिसे 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया। शिकायत पत्र के मजबून की मैं तस्दीक करता हूँ। उसके बाद एस॰पी॰ विक्रांतवीर साहब से मिले, उन्होंने आश्वासन दिया कि आगे
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कार्यवाही करेंगे और हम घर को वापस आ गये। उसके अगली सुबह दिनांक 18.09.2020 को मैं दुबारा अस्पताल अपनी बहन के पास गया। अगले दिन 19.09.2020 को मैं अपने गाँव में अपने घर आ गया क्योंकि वहाँ भैसों की देखभाल के लिये कोई नहीं था। अस्पताल में बहन के पास मेरा भाई संदीप, मेरी माँ व मेरे पापा उसकी देखभाल के लिये रह गये। दिनांक 19.09.2020 को संदीप ने फोन पर बताया कि बहन का बयान करने कोई आया था, वो मुझे मालूम नहीं है। फिर दिनांक 22.09.2020 को सी॰ओ॰ ब्रहम सिंह साहब बहन का बयान लेने अस्पताल गये थे और लौटकर वो घर पर मेरे पास वापस आये थे। सी॰ओ॰ साहब घर पर भी मिलने आये और मेरे साथ घटना वाले स्थान पर गये। उन्होंने घटना के बारे में मुझसे जानकारी ली। फिर अगले दिन 24.09.2020 को संदीप का फोन आया कि बहन की हालत अधिक खराब है और उसे वेंटीलेटर पर ले जा रहे हैं। दिनांक 25.09.2020 को मेरी माँ गाँव घर पर आ गयी थी। इलाज के दौरान वेंटीलेटर पर उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर डाक्टर साहब ने दिनांक 28.09.2020 को बोला कि दिल्ली एम्स अस्पताल में रेफर कर रहे हैं। दिनांक 28.09.2020 को दिल्ली एम्स रेफर किया गया था लेकिन सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया और दिनांक 29.09.2020 को बहन की सुबह 05:00 बजे करीब मृत्यु हो गयी। पहले गाजियाबाद रहने के दौरान मेरे पास मोबाईल नम्बर 9953476043 जो कि वीवो हैण्टसेट पर लगा था वो दिनांक 04.03.2020 को चोरी हो गया। लॉक डाउन के दौरान मेरी छोटी दादी प्रेमवती का देहान्त दिनांक 06.03.2020 को हो गया था, जिस कारण मैं दिनांक 05.03.2020 को गाँव आया था। उसके बाद मैंने गाँव में रहने के दौरान अपने पिताजी का नम्बर 9897319621 का इस्तेमाल किया। हमारे घर में केवल यही फोन था और कोई फोन नहीं था। इस प्रकरण में मेरी बहन की सफदरजंग अस्पताल में मृत्यु होने के पश्चात मेरे पिता ओम प्रकाश एवं संदीप ने बहन का शव पहचानकर प्राप्त किया था, जिसके सम्बन्ध में सफदरजंग अस्पताल की रसीद मेमो पत्रावली पर कागज संख्या 187 के रूप में मौजूद है, जिस पर अपने भाई संदीप व पिता के हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें 'A' एवं 'B' बिन्दु से चिन्हित किया गया। इस स्तर पर माननीय न्यायालय की अनुमति से एक टैग से बंधा केमेस्ट्री सी॰एफ॰एस॰एल॰ दिल्ली की सील से बन्द लिफाफा खोला गया, जो लिस्ट ऑफ आर्टिकल के अनुसार क्रमांक–4 है, जिसके अन्दर एक दूसरा लिफाफा जिस पर EX-9 लिखा हुआ है, निकला जिसके अन्दर एक सफेद कलर की प्लास्टिक की कैन निकली जिस पर
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SATVAA लगा है। इसे देखकर गवाह ने पहचान की कि यह वही कैन है, जिसे विवेचना के दौरान उसने सी॰बी॰आई॰ विवेचक को सौंपी थी। इस कैन पर वस्तु प्रदर्श-1 डाला गया। जिस लिफाफे से कैन निकला उस पर मौजूद अपने हस्ताक्षर को देखकर उसे शिनाख्त करता हूँ, जिस पर वस्तु प्रदर्श-2 डाला गया। न्यायालय की अनुमति से एक दूसरा लिफाफा, जिस पर EX-10 लिखा हुआ है तथा लिफाफे पर सी॰एफ॰एस॰एल॰ दिल्ली की सील लगी हुई है, यह लिफाफा लिस्ट ऑफ आर्टिकल के क्रमांक-3 पर दर्शित है, खोला गया। इस लिफाफे के अन्दर एक दूसरा खाकी लिफाफा निकला, जिसके अन्दर पुनः एक पीले रंग का लिफाफा निकला, जिस पर P-10 लिखा है। इस लिफाफे के अन्दर एक जोडी चप्पल मौजूद है। चप्पल पर BIO No. 58/2020 का टैग लगा है टैग के दूसरे तरफ सी॰एफ॰एस॰एल॰ की गोल मोहर के साथ PHY DIV No. 128/2020 लिखा हुआ गवाह ने चप्पल को देखकर बताया कि यह चप्पल पीड़िता की है, जो मैंने विवेचना के दौरान सी॰बी॰आई॰ विवेचक को दी थी। चप्पल के जोड़े पर लगे टैग पर वस्तु प्रदर्श-3 डाला गया। पीले लिफाफे पर वस्तु प्रदर्श-4 व खाकी लिफाफे पर वस्तु प्रदर्श-5 डाला गया। गवाह ने वस्तु प्रदर्श-4 पर मौजूद अपने हस्ताक्षर की पहचान की। न्यायालय की अनुम से एक दूसरा लिफाफा, जिस पर EX-22 लिखा हुआ है तथा लिफाफे पर सी॰एफ॰एस॰एल॰ दिल्ली की सील लगी हुई है, यह लिफाफा लिस्ट ऑफ आर्टिकल के क्रमांक-6 पर दर्शित है, को खोला गया। इस लिफाफे के अन्दर एक दूसरा खाकी लिफाफा निकला जिस पर CFSL-2020-B 572 BIO No. 58/2020 जिसके अन्दर पुनः एक सफेद कपडे का सील खुला हुआ पुलिन्दा जिस पर काले रंग से 'ब्लैक कलर अण्डरवियर लिखा है। इस लिफाफे के अन्दर सफेद पॉलीथीन के अन्दर एक गहरे रंग की लेडीज पैन्टी निकली, जिस पर BIO No. 58/2020 का टैग लगा है। टैग के दूसरे तरफ सी॰एफ॰एस॰एल॰ की गोल मोहर के साथ PHY DIV No. 128/2020 लिखा हुआ है। गवाह ने इसे देखकर बताया कि यह वहीं पैन्टी है, जो मैंने विवेचना के दौरान सी॰बी॰आई॰ विवेचक को दी थी। पैन्टी के टैग पर पैन्टी के लिये आज वस्तु प्रदर्श-6 डाला गया। लिफाफों पर संयुक्त वस्तु प्रदर्श-7 डाला गया और गवाह ने कपड़े के पुलिन्दे पर अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त की, जिस पर आज "A" बिन्दु डाला गया। जब मैं अपनी बहन के पास घटना वाले दिन पहुंचा था तो उसके गले पर निशान थे, मुँह से खून निकल रहा था और उसकी आँखे लाल हो रही थी और वह उठ नहीं पा रही थी और ठीक तरह बोल भी नहीं
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पा रही थी।
पी॰डब्लू॰—1 सतेन्द्र कुमार ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि मुझे अब इस बात की जानकारी नहीं है कि पूर्व में मेरे पिता ओम प्रकाश ने इस मुकदमें के अभियुक्त रवि पुत्र अतर सिंह व सन्दीप के पिता गुड्डू उर्फ नरेन्द्र के विरूद्ध हरिजन एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया था। रवि की उम्र 34-35 साल होगी। रामू की उम्र 27-28 साल होगी। सन्दीप 20-22 साल का होगा। सन्दीप, जो कि रवि और रामू का भतीजा है, की उम्र में लगभग 10-12-13 साल का अन्तर है। मुझे यह नहीं मालूम कि मेरे बाबा के सम्बन्ध में जो मुकदमा रवि तथा गुड्डू के विरूद्ध दर्ज कराया था वह 14.04.2015 को निर्णित हुआ और मुझे यह भी जानकारी नहीं है कि उस मुकदमें में दोनों मुल्जिमों को दोषमुक्त किया गया था। मुझे यह जानकारी नहीं है कि सत्यप्रतिलिपि पत्रावली पर डी-35 दस्तावेज में कागज संख्या 403 / 54 से 403/57 के रूप में संलग्न है। मुझे यह जानकारी नहीं है कि पीडिता की जन्म तिथि विद्यालय के प्रलेखों के अनुसार 11.11.1997 है। सबसे पहले हमने घास पट्टी सावंत गाँव के खेत से काटी। मेरा यह बयान गलत है कि सबसे पहले हमने बिजली घर के पास खेत से घास काटी। मैंने सी॰बी॰आइ॰ विवेचक को अपने दिनांक 21.10.2020 के बयानों में यह बताया होगा कि दिनांक 14.09.2020 को सुबह लगभग 07:45 बजे मैं, मेरी बहन पीडिता व मेरी मम्मी तीनों हास्पीटल के पास जुगल किशोर पण्डित के खेत में घास काटने गये। मेरा यह बयान सही है कि सबसे पहले घास कोला ठाकुर के खेत से काटी थी। मैंने सबसे पहले घास जुगल किशोर के खेत में नहीं काटी। दिनांक 21.10.2020 को मेरा यह बयान गलत है कि सबसे पहले घास मैंने जुगल किशोर के खेत में की। कोला ठाकुर वाला खेत और जुगल किशोर वाला खेत और बिजली घर वाला खेत तीनों बराबर में है। एक खेत बीच में है। पट्टी सावंत के लिये रोड हाथरस–आगरा मार्ग स्थित निर्मला कोल्ड स्टोरेज के सहारे होकर गयी है। कोला ठाकुर का खेत पट्टी सावंत जाने वाले रोड से सटा हुआ है। चन्दपा थाने से बूलगढ़ी वाली सडक व पट्टी सावंत वाली सड़क के बीच काफी खेत है। सरकारी आबादी में कूडा-करकट डालकर पानी बहाकर गन्दगी करने के विरूद्ध मेरे गाँव के अतर सिंह, राकेश, रामवीर सिंह, लोकेश कुमार, रवि प्रताप सिंह, दलवीर, घनेन्द्र, सोनवीर सिंह, राम कुमार, लोकेश, बंशीवाला ने दिनांक 02.06.2020 को मेरे पिता ओम प्रकाश तथा मेरे भाई सन्दीप के विरूद्ध उप जिला अधिकारी महोदय हाथरस को कोई प्रार्थना पत्र दिया था या नहीं, मेरी
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जानकारी में नहीं है। यह बात सत्य है कि अभियुक्त लवकुश, रामवीर का पुत्र है। लवकुश की उम्र 18–20 वर्ष होगी। लवकुश का घर मेरे घर से सटा हुआ है। मेरी बहन ने घर आते समय कहा था कि मुझे प्यास लगी है, मेरे लिये पानी लेकर आना। मैं घर पर घास का गट्ठर डालने तथा पानी लेने आया था। मैं बहन के पास पानी लेकर नहीं गया। मैं घर पर आराम करने लगा। छोटू के बताने के बाद मैं घेर से घर पर चला गया था, खेत पर नहीं गया था, मोटरसाईकिल लेने गया था। मैं घेर से सीधा खेत पर जल्दी पहुंच सकता था। मैं घर पर मोटरसाईकिल लेने गया था। मैं जल्दी की वजह से मोटरसाईकिल लेने गया था। जब मैं अपनी बहन के पास पहुंचा, करीब 08–10 लोग वहाँ पहुंच चुके थे। मुझे पता नहीं कि उस समय मेरी बहन के पास मुझसे पहले पहुंचने वाले आदमी, औरत, बच्चे मेरे ही गाँव के थे या किसी अन्य गाँव के थे। मैंने किसी आदमी औरत और बच्चे को नहीं पहचाना। मैंने नहीं देखा कि मेरे मोहल्ले के नाते से मेरी दादी किन्ना उर्फ किरन देवी वहाँ थी या नहीं। माँ को मैंने बहन के पास बैठे हुये रोते हुये देखा था। वरूण और पुतकन्ना भी वहीं बहन के पास बराबर में बैठे हुये थे। मुझे ध्यान नहीं है कि सोम सिंह उस वक्त वहाँ थे या नहीं। मैं उस जगह अपनी माँ तथा अपने परिवार के वरूण व पुतकन्ना के अलावा अन्य मौजूद व्यक्तियों के बारे में नहीं बता सकता। मैंने घटनास्थल से ही पुलिस कन्ट्रोल रूम फोन नहीं किया क्योंकि मेरे पास फोन नहीं था। उस समय फोन घर पर ही था, जो फोन घर पर था, उसका नम्बर 9897319621 था। यह कहना गलत है कि उस समय उपरोक्त फोन चार्ज अवस्था में था, उसकी बैटरी फूली हुई नहीं थी। मैं इस वक्त नहीं बता सकता कि मैंने 04.03.2020 के बाद अपना मोबाईल नम्बर पुनः कितने दिन बाद चालू करा लिया था। शायद हफ्ता 10 दिन बाद चालू करा लिया था। मुझे ध्यान नहीं है कि मेरे घर के नम्बर 9897319621 से मेरे गाजियाबाद वाले नम्बर 9953476043 पर दिनांक 05, 06, 07, 08 व 09.03.2020 को बात हुई थी या नहीं। मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि मेरे घर वाले नम्बर पर मेरे खोये हुये नम्बर से दिनांक 05.03.2020 से 09.03.2020 तक बातचीत किसने की। प्रदर्श क-1 मूल तहरीर मेरे हस्तलेख में है। यह सही है कि इसमें केवल एक ही व्यक्ति को नामित किया गया है। यह सही है कि इसमें बलात्कार से सम्बन्धित कोई आरोप नहीं है। यह भी सही है कि प्रदर्श क-1 में मेरे द्वारा यह भी अंकित है कि मेरी बहन चिल्लाई तो मेरी माँ रामा ने आवाज दी कि मैं आ रही हूँ। यह भी सही है कि प्रदर्श क-1 में "मैं जाति से बाल्मिकी हूँ", वाक्य
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"मेरी रिपोर्ट लिखकर कार्यवाही की जाये", के पश्चात लिखा हुआ है। "मैं जाति से बाल्मिकी हूँ", तहरीर के अन्य अक्षरों की अपेक्षाकृत छोटे अक्षरों में है। मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि मैंने यह भी बयान दिया था कि मेरा फोन स्वीच ऑफ था। मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि दिनांक 14.09.2020 को समय 10:21:47 पर नम्बर 8445329615 से मेरे घर के नम्बर 9897319621 पर कॉल आया था या नहीं। मुझे इस वक्त यह ध्यान नहीं है कि मेरे भाई सन्दीप के मोबाईल नम्बर 9058725490 से मेरे घर वाले फोन नम्बर 9897319621 पर दिनांक 14.09.2020 को समय 10:24:52 पर 159 सेकेण्ड की कॉल हुई अथवा नहीं। फोन नम्बर 8076292278 मेरे बड़ी बुआ के बेटे मोनू का है, जो दिल्ली में रहता है। मेरी जानकारी में नहीं है कि बुआ के बेटे मोनू के नम्बर से मेरे घर के नम्बर 9897319621 पर 14.09.2020 को ही 11:47:18 पर 245 सेकेण्ड की कॉल थी या नहीं। अलीगढ़ पहुंचने तक मैंने फोन कहीं चार्ज नहीं किया था। मैंने, मेरे भाई सन्दीप को फोन एम्बुलेन्स के ड्राईवर से फोन लेकर उसी के फोन से दो-ढाई बजे दोपहर दिनांक 14.09.2020 को किया था। गवाह ने अपनी माँ की विडियों जो उसे न्यायालय में फोन पर प्ले कर दिखाया गया को देखकर बताया कि यह विडियों चन्दपा थाने पर बनाया गया था, जिसमें उसकी माँ दिख रही है। गवाह को दूसरा विडियो प्ले कर दिखाया गया जो बागला अस्पताल में बनाया गया था, जिसमें उसकी माँ दिख रही। गवाह को तीसरा विडियो प्ले कर दिखाया गया, जिसमें मेरी बहन पीड़िता दिख रही है। यह सही है कि मैंने दिनांक 14.09.2020 को मेरी बहन के साथ कोई घटना घटित होते हुये नहीं देखा। मैंने सी॰बी॰आई॰ विवेचक को अपने बयान में यह बात बतायी थी कि मेरी मम्मी रो रही थी और बोल रही थी कि इसे पता नहीं क्या हो गया है। मैंने प्रदर्श क-2 में अभियुक्तगणों की संख्या 04 लिखवायी है तथा दो-तीन अज्ञात लिखवाये हैं। इस स्तर पर गवाह को प्रदर्श क-2 पढ़ने के लिये दिया गया, जिसे पढ़कर गवाह ने बताया कि इस पत्र में 04 अभियुक्तगणों के अलावा यह भी लिखा हुआ है कि "व दो-तीन अज्ञात व्यक्ति जो गाँव बूलगढ़ी थाना चन्दपा के रहने वाले हैं उक्त लोगों की मदद से मेरी बहन (पीड़िता) को गन्दी नीयत से (पीड़िता) के गले में पड़े दुपट्टे से खींचते हुये बाजरा के खेत में दुष्कर्म करने के उद्देश्य से खींच ले गये।" यह बात गलती से टाईपिंग त्रुटि के कारण आ गयी, मैंने ऐसा नहीं लिखवाया था। रामवीर से घटना के बाद मेरी लम्बी-लम्बी बातचीत फोन पर नहीं हुई है। प्रदर्श क-2 मैंने सुबह 09:00-09:30 बजे के आस-पास लिखवाया होगा। मेरे चाचा बनवारी भी पत्र लिखवाते वक्त
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मौजूद थे। मेरी यह बात सही है कि उस समय बनवारी भी मौजूद थे। मैंने जो पहले अपने अलावा पाँच व्यक्तियों वाली बात बतायी है, वह सही नहीं है। मेरी बिरादरी के अन्य लोग डी॰आर॰वी॰ कालेज में टाईपिंग से पूर्व व टाईपिंग के दौरान नहीं आये थे। वह सीधे एस॰पी॰ आफिस पहुंचे थे। इस बात की मुझे जानकारी नहीं है कि एस॰पी॰ आफिस में कितने लोग पहुंचे थे। यह सही है कि प्रदर्श क-2 में यह बात लिखी है कि "गले में फंदा लगा होने के कारण मेरी बहन की आवाज ही नहीं निकल पायी"। प्रदर्श क-2 में मैंने जो बात लिखी है कि "फिर मेरी बहन चिल्‍लाई" यह सही है कि मैंने प्रदर्श क1 में यह लिखा है कि "मेरी माँ ने आवाज दी कि मैं आ रही हूँ" और विवेचक को मैंने यह बयान दिया था कि "मेरी मम्मी रो रही थी और बोल रही थी कि इसे पता नहीं कि क्या हो गया"। यह सही है कि प्रदर्श क-2 में यह लिखवाया है कि "उक्त छोटू ने ही प्रार्थी के घर आकर घटना के बारे में अवगत कराया और कहा कि आपके घर की लड़की मेरे खेत में निर्वस्त्र आपत्तिजनक स्थिति में अतिगम्भीर बेहोशी की अवस्था में पड़ी हुई है।" जब मैं अपनी दादी को लेकर घटनास्थल पर पहुंचा तो तब तक घटना हो चुकी थी। यह सही है कि प्रदर्श क-1 और प्रदर्श क-2 में घटना का समय 09:30 बजे बताया है। मेरे पास उस समय घड़ी नहीं थी। यह सही है कि प्रदर्श क-4 में यह अंकित नहीं है कि पीड़िता घटना के समय बेहोश हो गयी थी या बेहोशी की अवस्था में थाने में मौजूद थी। गवाह ने स्वयं कहा कि पीड़िता मौके पर बेहोश थी। जब उसके चेहरे पर पानी डाला गया तो वह होश में आ गयी। उसने गुड्डू के लड़के सन्दीप का नाम बताया और फिर बेहोश हो गयी। पीड़िता के चेहरे पर पानी मैंने नहीं डाला। मुझे नहीं मालूम कि पानी किसने डाला था, पानी मेरे सामने नहीं डाला था। जब मैंने पीड़िता को थाने में मोटरसाईकिल से उतारकर चबूतरे पर लिटाया था तब वह बेहोश थी। प्रदर्श क-1 में मैंने यह नहीं लिखाया कि पीड़िता थाने में चबूतरे पर बेहोश है। यह मेरी जानकारी में नहीं है कि पीड़िता को थाने में होश आया या नहीं। वस्तु प्रदर्श-8 अभियोजक द्वारा लाये गये लैपटॉप व मेमोरी कार्ड एडापटर पर चलाकर गवाह को दिखाया गया। गवाह ने कहा कि इस विडियों में पीड़िता बोल रही है और पुलिस अधिकारी द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब दे रही है। जब मैं एफ॰आई॰आर॰ कराने अन्दर कमरे में चला गया, तब पीड़िता को होश आया होगा। इस विडियों में मेरी माँ रामा देवी भी दिखायी दे रही है और घटना के सम्बन्ध में बता रही है। मैं जिस समय घर से घटनास्थल के लिये चला था तब मैंने अपनी पत्नी संध्या से यह नहीं कहा था कि "मोबाईल चार्जर सहित दे
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दो, मैं इसे जरूरत पड़ने पर कहीं चार्ज कर लूंगा।" मैंने मोबाईल का चार्जर अपनी बहन को हास्पीटल में दाखिल करने के पश्चात खरीदा था। वस्तु प्रदर्श-10 अभियोजक द्वारा लाये गये लैपटॉप पर चलाकर गवाह को दिखाया गया तो गवाह ने कहा कि पहले विडियों में मेरी बहन पीड़िता है, जो होश में है, बोल रही है तथा उससे मारपीट करने वाले का नाम सन्दीप बता रही है। मारपीट में सन्दीप के अलावा किसी और का नाम नहीं बताया है। इस विडियो में पीड़िता ने अपने साथ दुष्कर्म के बारे में कोई बात नहीं कही है। यह सही है कि पत्रकार के यह पूछने पर कि कोई रंजिश चल रही है तो पीड़िता सिर हिलाकर हाँ कह रही है। इसी सी॰डी॰ में मौजूद दूसरी विडियो में मेरी माँ हास्पीटल में मौजूद है और पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रही है। बागला हास्पीटल में मेरी बहन उल्टी होने के बाद बेहोश हो गयी थी, उससे पहले मेरी बहन होश में थी और बातें कर रही थी। दिनांक 14.09.2020 को शाम के समय हमारे पहुंचने के बाद भूरी सिंह हास्पीटल आये थे। मुझे यह ध्यान नहीं है कि जब प्रदर्श क-2 तहरीर दी गयी थी उस समय भूरी सिंह आये थे या नहीं। दिनांक 16.09.2020 को मेरे पिता व चाचा भूरी सिंह सुबह जे॰एन॰ मेडिकल कालेज अलीगढ़ से चन्दपा व सादाबाद के लिये निकले थे, समय का मुझे ध्यान नहीं है। भूरी सिंह को मेरे पापा ओम प्रकाश ने मेरी बहन के साथ हुये चार लोगों द्वारा दुष्कर्म की जानकारी दे दी गयी थी। जब प्रदर्श क-2 एस॰पी॰ कार्यालय में दिया गया था तब उसके बारे में मैंने अपने चाचा भूरी सिंह को जानकारी दी या नहीं, इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है। चार लोगों द्वारा पीड़िता के साथ दुष्कर्म करने की बात मुझे मेरी माँ ने बतायी थी। यह बात दिनांक 15/16.09.2020 की रात में बतायी थी। समय का मुझे निश्चित ध्यान नहीं है कि किस समय बतायी थी। दिनांक 15/16.09.2020 की रात्रि को मैं अलीगढ जे॰एन॰ मेडिकल कालेज में था। दिनांक 16.09.2020 को सूर्योदय से पहले रात्रि में किसी समय बता दिया था। मेरी माँ ने सबसे पहले मुझे बताया था। मैंने अपने भाई व अपने पापा को बताया था और मेरे पिताजी ने गाँव जाने के लिये मुझसे कहा था परन्तु मैं गाँव नहीं गया था। मैं 16.09.2020 की शाम को गाँव गया था। मेरे चाचा बनवारी उर्फ बन्टू, जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सफाई कर्मचारी हैं, के साथ गाँव चला आया। मैं तुरन्त नहीं आया था बल्कि दिनांक 16.09.2020 की शाम को आया था। मैंने दिनांक 15/16.09.2020 की रात्रि में अपने पिता को पीड़िता को चार लडकों के द्वारा दुष्कर्म किये जाने के बारे में बता दिया था, जो मेरी माँ ने मुझे बताया था। यह सही है कि मेरे पिता
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को सी॰ओ॰ कार्यालय जाने से पूर्व इस बात की जानकारी थी कि पीड़िता के साथ चार व्यक्तियों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म किया गया है। यह सही है कि अगर मैं दिनांक 16.09.2020 की सुबह डाक्टर या नर्सिग स्टॉफ को पीड़िता के साथ ये दुष्कर्म की जानकारी देता तो उसकी अन्दरूनी जाँच हो जाती। मैंने इसलिए नहीं बताया क्योंकि यह पुलिस केस था इसलिए पुलिस को जानकारी देना जरूरी था। यह सही है कि दुष्कर्म के सम्बन्ध में मेरे द्वारा लिखित में कोई प्रार्थना पत्र थाना चन्दपा या सी॰ओ॰ सादाबाद कार्यालय में नहीं दिया गया क्योंकि मुझे यह जानकारी थी कि मेरे पापा जो बताकर आये हैं, उस पर तुरन्त कार्यवाही की जायेगी। अगर मंजू दिलेर ने मेरे किसी प्रार्थना पत्र को संलग्न कर कोई अभ्यावेदन पुलिस अधिकारीगण या राजनैतिक पार्टी को प्रेषित किया है तो मुझको उसकी कोई जानकारी नहीं है। अगर मेरे नाम से मंजू दिलेर संलग्नक बनाकर अपने कवरिंग लेटर के साथ उच्चाधिकारियों को प्रेषित कर रही है तो मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता। गाँव फिरसौली में मेरी सगी बुआ । मुझे यह जानकारी नहीं है कि मंजू दिलेर मेरी बुआ की रिश्तेदारी में आती हो। राजवीर दिलेर मेरे घर आये थे। चन्द्रशेखर रावण मेरी बहन से मिलने जे॰एन॰ मेडिकल कालेज में आया था। मैंने स्वराज जीवन का नाम सुना है। यह मेरे घर आये थे। डा॰ राजकुमारी बंसल छत्तीसगढ मेडिकल कालेज में प्रोफेसर हैं, जो मेरे घर पर उस दौरान आयीं थी और वह एक रात हमारे यहाँ रूकी थीं। डा॰ राजकुमारी बंसल ने मेरे गाँव में मीडिया को इण्टरवियू दिया होगा, मेरी जानकारी में नहीं है। प्रदर्श क-19 के अनुसार घटना वाले दिन पीड़िता की उम्र 22 वर्ष 07 माह रही होगी। मुझे इस बात की जानकारी है कि राम कुमार को मेरे पिता ओम प्रकाश द्वारा पीड़िता व सन्दीप के मेलजोल के सम्बन्ध में शिकायत की थी। मेरी जानकारी में यह बात नहीं है कि राम कुमार ने मेरे पिता ओम प्रकाश को यह सुझाव दिया था कि आप अपनी पुत्री का विवाह कर दें तथा सन्दीप के पिता से यह कहा था कि उसे गाँव से बाहर भेज दें। यह सही है कि घटना दिन के 09:30 बजे की है। इस समय पर ग्रामीण लोग अपने खेतों में चारा लेने के लिये, घास काटने के लिये एवं अन्य कार्यों के लिये अपने खेतों पर आते-जाते रहते हैं। यह कहना गलत है कि पीड़िता के साथ मारपीट करने के बाद मैं उसे अपनी माँ के पास इसलिए छोड़कर आया हूँ ताकि वह पीड़िता को सन्दीप के खिलाफ बयान देने के लिये दबाव बनाकर राजी कर सके। यह कहना भी गलत है कि प्रदर्श क-1 व प्रदर्श क-2 समय 09:30 बजे बताया है, वह गलत हो, स्वयं में जो घटना का
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कहा कि समय मैंने अन्दाजे से बताया था। यह कहना भी गलत है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद सलाह-मशवरा कर सन्दीप अभियुक्त के चाचा रवि व रामू का नाम भी बढ़वा दिया गया हो। मैं सुबह चन्दपा थाने पीड़िता को लेकर पहुंच गया था, पहुंचने का निश्चित समय 09:34 ए.एम. था की नहीं, मैं इस वक्त नहीं बता सकता। मुझे यह जानकारी नहीं है कि थाना चन्दपा में सी॰सी॰टी॰वी॰ कैमरे लगे हुये हैं अथवा नहीं। एफ॰आई॰आर॰ की नकल मुझे उस दिन नहीं मिली थी। यह कहना सही है कि दिनांक 22.09.2020 से पूर्व इस मामले में किसी विवेचक द्वारा मेरा बयान नहीं लिया गया था। मुझे ध्यान नहीं है कि दिनांक 21.09.2020 को घटनास्थल का निरीक्षण कराने के ले गया हो। विवेचक ने मेरा बयान दिनांक 22.09.2020 को कथित घटनास्थल वाले खेत पर लिया था व कथित घटनास्थल भी देखा था, उस समय मेरी माँ मौजूद नहीं थी। घटना मैंने देखी नहीं थी। मुझे ध्यान नहीं है कि मैंने सी॰बी॰आई॰ को अपना लाईव डिटेक्शन टेस्ट एवं नारको टेस्ट कराने से मना किया था या नहीं। यह सही है कि उस दौरान मैंने मीडिया में यह बयान दिया था कि कहीं पर भी वादी/पीड़िता का लाई डिटेक्शन टेस्ट एवं नारको टेस्ट नहीं होता इसलिए मैं नहीं कराऊंगा। यह कहना गलत है कि सच्चाई छुपाने के लिये मैंने उक्त टेस्ट कराने से मना किया हो। यह मुझे ध्यान नहीं है कि पीड़िता के मुँह से निकल रहा खून उसके कपड़ों पर लगा था या नहीं।

14.साक्षी पी॰डब्लू॰–2 गोविन्द कुमार शर्मा, पत्रकार अमर तनाव ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस वाद के सम्बन्ध में सीबीआई विवेचक ने मुझसे पूछताछ की थी वह मेरा बयान दर्ज किया था। मैंने उन्हें बताया था कि दिनाँक 14.09.2020 को सुबह के वक्त चन्दपा थाने में मैंने पीड़िता से बात कर उसके 04 विडियो बनाये थे। सीबीआई विवेचक को उक्त विडियो स्वतन्त्र गवाह के समक्ष अपने फोन के मेमोरी कार्ड को निकाल कर उससे सीडी बनाकर मेमोरी कार्ड व सीडी सीबीआई विवेचक को दिया था। मेमोरी कार्ड से सीडी बनाने के सम्बन्ध में जो मेमो बना था वह आज पत्रावली पर डी-68 कागज संख्या 723 के रूप में मौजूद है। जिस पर मौजूद अपने हस्ताक्षर को शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज "A" बिन्दु से चिन्हित किया गया। विडियो की सत्यता के सम्बन्ध में मैंने विवेचक के मांगने पर धारा 65बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अन्तर्गत प्रमाण पत्र दिया था, जो पत्रावली पर डी–69 कागज संख्या 73अ के रूप में मौजूद है, जो मेरे हस्तलेख में है तथा मेरे द्वारा हस्ताक्षरित है। प्रमाणपत्र के तथ्यों की तस्दीक करता हूँ। डी–68 कागज संख्या 72अ पर आज प्रदर्श क–3
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डाला गया। डी–69 कागज संख्या 73अ पर आज प्रदर्श क–4 डाला गया। इस स्तर पर न्यायालय के अनुमति से गवाह को एमआर नम्बर 959/21 पीले रंग के लिफाफा जो सीबीआई की सील्ड द्वारा सील है, को खोलकर दिखाया गया जिसके अन्दर एक सफेद कागज को मोड़कर बनाया गया लिफाफा निकला जिस पर मेरे हस्ताक्षर है, जिन्हे "A" बिन्दु से चिन्हित किया गया। इसके अन्दर 32जीबी का एक मेमोरी कार्ड निकला जिस पर सैमसंग ईवो छपा है। इस स्तर पर मेमोरी कार्ड को लोक अभियोजक के द्वारा पेश किये गये एडाप्टर में लगाकर लैपटाप से लगाकर चलाया तो गवाह ने इस पर मौजूद एक VLC फाईल की विडियो को देखने के बाद गवाह ने बताया की यह मेरे द्वारा अपने विवो वाई फोन से बनाया गया है और यह मेरा मेमोरी कार्ड है जो मैंने सीबीआई के विवेचक को दिया था। इस मेमोरी कार्ड व मेमोरी कार्ड के सफेद कवर पर संयुक्त वस्तु प्रदर्श–8 डाला गया। इस स्तर पर एक सफेद कलर का सील्डशुदा लिफाफा जिस पर एमआर–960/21 लिखा है, को न्यायालय की अनुमति से खोला गया, जिसके अन्दर एक खुला हुआ लिफाफा व एक डीवीडी सोनी कम्पनी का निकला। लिफाफे पर मौजूद अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ। डीवीडी को लोक अभियोजक द्वारा पेश किये गये लैपटाप में लगाकर चलाने का प्रयास किया गया न चलने पर पाया गया कि सीडी कोने पर छतिग्रस्त है। इस स्तर पर लोक अभियोजक ने अनुरोध किया कि हमारे पास न्यायालय में आज मूल मेमोरी कार्ड उपलब्ध है जिससे गवाह देखकर पुष्टि कर सकता है। इस डीवीडी व लिफाफे में निकले खुले लिफाफे एवं लिफाफे पर संयुक्त वस्तु प्रदर्श–9 डाला गया।

पी॰डब्लू॰–2 गोविन्द कुमार शर्मा ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि मैंने विडियो क्लिप अपने मोबाईल VIVO Y–53 से दिनांक 14.09.2020 को समय सुबह 09:48 बजे लगभग बनायी थी। मेरे बनाये गये विडियो में पीड़िता भली-भाँति बोल रही है एवं उसकी आवाज साफ है तथा पीड़िता होश में है तथा बेहोश नहीं है और हर पूछे गये प्रश्नों का सटीक जवाब दे रही है। मेरे विडियो के अन्दर जब पीड़िता की माँ से पूछा गया "क्या किया उसने" तो इसके जवाब में पीड़िता की माँ ने कहा "भयो कछु नाय" और यह भी कहा है कि "मैं तो मारा-मार चिपटी बाय"। यह सही है कि विडियो में पुलिस अधिकारी एस॰ओ॰ डी॰के॰ वर्मा तथा एस॰एस॰आई॰ जगवीर सिंह भी पीड़िता व पीड़िता की माँ से पूछताछ करते हुये नजर आ रहे हैं तथा पीड़िता व पीड़िता की माँ अपने पूरे होशो-हवाश में जवाब दे रही है। पीड़िता केवल एक
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ही नाम सन्दीप बता रही है।

15.साक्षी पी॰डब्लू॰–3 रवि कुमार, रिपोर्टर हिन्दी खबर ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस वाद के सम्बन्ध में सीबीआई विवेचक ने मुझसे पूछताछ की थी। वह मेरा बयान दर्ज किये थे, मैंने उन्हें बताया था कि दिनाँक 14.09.2020 को सुबह के वक्त बागला जिला अस्पताल, हाथरस में मैंने, पीड़िता व उसकी माता से बात कर उसका 03 विडियो बनाया था। सीबीआई विवेचक को उक्त विडियो स्वतन्त्र गवाह के समक्ष अपने फोन से सीडी बनाकर सीडी सीबीआई विवेचक को दिया था। सीडी बनाने के सम्बन्ध में जो मेमो बना था। वह आज पत्रावली पर डी–43 कागज संख्या 48अ के रूप में मौजूद है, जिस पर मौजूद अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज "A" बिन्दु से चिन्हित किया गया। विडियो की सत्यता के सम्बन्ध में मैंने विवेचक के मांगने पर धारा 65बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अन्तर्गत प्रमाण पत्र दिया था, जो पत्रावली पर डी–42 कागज संख्या 47अ के रूप में मौजूद है, जो मेरे हस्तलेख में है तथा मेरे द्वारा हस्ताक्षरित है। प्रमाणपत्र के तथ्यों की तस्दीक करता हूँ। मेमो कागज संख्या 48अ पर आज प्रदर्श क–5 डाला गया। डी–42 कागज संख्या 47अ पर आज प्रदर्श क–6 डाला गया। इस स्तर पर माननीय न्यायालय की अनुमति से सीबीआई द्वारा लाया हुआ पीला लिफाफा जिस पर एमआर नम्बर 595/21 सीबीआई की सील से सीलशुदा लिफाफा खोला गया। इस लिफाफे के अन्दर एक सफेद लिफाफा निकला जिस पर अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ, जिसे "A" बिन्दु से चिन्हित किया गया। इसके अन्दर मौजूद सीडी को लोक अभियोजक द्वारा उपलब्ध कराये गये लैपटाप पर खोला गया तो इसमें 03 विडियो फाईल निकली। तीनों विडियो को देखकर गवाह ने बताया की यह उसके द्वारा अस्पताल में बनाई गयी है। इस डीवीडी व लिफाफे में निकले खुले लिफाफे एवं लिफाफे पर संयुक्त वस्तु प्रदर्श–10 डाला गया।

पी॰डब्लू॰–3 रवि कुमार ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि सी॰डी॰ जो संयुक्त वस्तु प्रदर्श–10 में सम्मिलित है, को न्यायालय में चलाया गया तथा गवाह ने देखकर बताया कि यह सी॰डी॰ मैंने दिनांक 14.09.2020 को बागला जिला अस्पताल हाथरस में समय सुबह 11:40 बजे अपने मोबाईल Samsung C-9 Pro से खुद बनायी थी। इस सी॰डी॰ में पीड़िता बोल रही है, होश में है, प्रश्नों के सटीक जवाब दे रही है तथा एक ही नाम सन्दीप बता रही है। पीड़िता ने इस विडियो में बलात्कार या सामूहिक बलात्कार का आरोप नहीं लगाया है। उसी दिन और उसी समय मैंने उसी स्थान पर पीड़िता
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की माँ का भी विडियो बनाया था, जिसमें उसने मारपीट का होना बताया था। इस विडियो में पीड़िता की माँ ने 14-15 साल पूर्व की रंजिश होना बताया है।

16.साक्षी पी॰डब्लू॰—4 डा॰ रमेश बाबू वरिष्ठ परामर्शदाता, बागला जिला अस्पताल, हाथरस ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि मैं वर्तमान में बागला संयुक्त जिला चिकित्सालय पुरूष में वरिष्ठ परामर्शदाता के रूप में बतौर Dermatologist कार्यरत् हूँ। मैंने SN Medical College, Agra से वर्ष 1986–1987 में MBBS की थी। उसके उपरान्त DVD (Diploma) किया और मैं जुलाई–1990 से बतौर चिकित्सक शासकीय अस्पतालों में कार्यरत् हूँ और बागला संयुक्त जिला चिकित्सालय पुरूष में वरिष्ठ परामर्शदाता के रूप में जुलाई–2019 से कार्यरत् हूँ। उपरोक्त वर्णित सत्र परीक्षण दौरान विवेचना में सी॰बी॰आई॰ विवेचक ने मुझसे पूछताछ की थी व मेरा बयान दर्ज किया था। मैंने उनके द्वारा माँगे गये दस्तावेज उन्हें Seizure Memo द्वारा उपलब्ध कराये थे। पत्रावली पर मौजूद D-14 कागज संख्या 19-अ Seizure Memo के द्वारा मैंने इसमें वर्णित दस्तावेज सीबीआई विवेचक Seizure Memo पर दिये थे। Seizure Memo पर अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हे "A" बिन्दु से चिन्हित किया गया है। इस Seizure Memo पर आज प्रदर्श क–7 डाला गया। पत्रावली पर मौजूद दस्तावेज D–15 कागज संख्या 20–अ चिट्ठी मजरूबी है, जिसके द्वारा पीड़िता होमगार्ड 1080 शिवकुमार द्वारा जिला अस्पताल लायी गयी थी। इस चिट्ठी पर सीबीआई को देते वक्त मैंने सत्यापन स्वरूप अपने हस्ताक्षर किये थे, जिनकी शिनाख्त करता हूँ। जिन्हें आज "A" बिन्दू से चिन्हित किया गया, जिस पर आज दिनाँक 19.03.2021 को प्रदर्श क–8 डाला गया। अस्पताल में जब कोई मरीज लाया जाता है तो ऑन ड्यूटी फॉर्मासिस्ट सम्बन्धित रजिस्टर (OPD Emergency Register) में मरीज के आने की प्रविष्टि दर्ज करता है तथा उसके उपरान्त मरीज के आने की प्रविष्टि IPD Register में दर्ज होती है, फिर बेड हेड टिकट जारी होता है और उपलब्ध डॉक्टर मरीज को देखता है। पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 21–अ/1 लगायत 21–अ/5 D–16 बागला जिला अस्पताल में सितम्बर माह में डॉक्टरों के ड्यूटी से सम्बन्धित रिकार्ड एवं उनकी ड्यूटी के सम्बन्ध में आदेश है, जो मैंने सीबीआई विवेचक को अपने हस्ताक्षर से सत्यापित कर सीबीआई को उपलब्ध कराये थे। इन पर अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ जिन्हें "A" बिन्दु से चिन्हित किया गया तथा सी॰एम॰एस॰ आई॰बी॰ सिंह साहब के हस्ताक्षर की भी शिनाख्त करता हूँ। मैंने उनके साथ काम किया है। D–16 कागज संख्या 21–अ/1 लगायत 21–अ/5
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पर आज प्रदर्श क– 9 डाला गया । पत्रावली पर मौजूद D-19 बागला जिला अस्पताल से सम्बन्धित OPD Register है, जिसमें पीड़िता को अस्पताल में लाये जाने की प्रविष्टि वार्षिक क्रमांक 13969 पर दर्ज है, जिसका उस दिन का क्रमांक संख्या 20 है। इस प्रविष्टि पर आज प्रदर्श क - 10 डाला गया। प्रविष्टि के अनुसार, सुबह 11:35 मिनट पर पीड़िता का OPD Register मे इन्ट्री 14.09.2020 को की गयी। पत्रावली पर मौजूद D-18 बागला जिला अस्पताल से सम्बन्धित IPD Register है, जिसमें पीड़िता को अस्पताल में भर्ती किये जाने की प्रविष्टि वार्षिक क्रमांक 6272 पर दर्ज है, जिसका उस दिन का क्रमांक संख्या 17 है। इस प्रविष्टि पर आज प्रदर्श क- 11 डाला गया। पत्रावली पर मौजूद D-17 बागला जिला अस्पताल मे पीड़िता को जारी किया गया बेड हेड टिकट है, जिस पर मैने पीड़िता को परीक्षित कर उपचार से सम्बन्धित प्रविष्टियाँ दर्ज की, जिसमें उसके मेडीकल कन्डीशन व उस दौरान दी गयी दवा का ब्योरा दर्ज है। मैंने मजरूबी चिट्ठी के अनुसार पीड़िता का प्राथमिक उपचार किया तथा उसकी गम्भीर स्थिति के सम्बन्ध में उसके परिवार वालों को अवगत कराया एवं गम्भीर गले की चोट के कारण उसे JNMC Aligarh रेफर किया। बेड हेड टिकट पर पीड़िता के पिता द्वारा जानकारी होने पर अपनी जिम्मेदारी पर उसे रेफर के अनुसार ले जाने के लिए परामर्श दिया गया। बेड हेड टिकट पर आज प्रदर्शक - 12 डाला गया। D-20 बुकलेट बागला जिला अस्पताल से सम्बन्धित रेफरल बुकलेट है, जिस पर दिनाँक 14.09.2020 को पृष्ठ क्रमांक 198 अदालत का कागज संख्या 25-अ पर समय 12:10 मिनट पर पीड़िता को उसकी सीरियस कंडीशन लिखते हुये रेफर किया गया। रेफरल में उसकी स्थिति मेरे द्वारा "Patient General condition very low so immediately refer to Medical College, Aligarh for proper management and investigation after giving First Aid Treatment MLC not done due to serious condition -" सम्बन्धित रेफरल की कार्बन प्रति को आज प्रदर्श क- 13 डाला गया (कार्बन प्रति पर प्रदर्श डालने पर बचाव पक्ष द्वारा आपत्ति की गयी, जिसका निस्तारण बाद में किया जायेगा)। मेरे द्वारा पीड़िता के परीक्षण के दौरान उसके गले पर चोंट से सूजन, Blood Cozing के निशान, semi- conscious condition थी, मेरे सामने परीक्षण के दौरान बोली नहीं थी। पीड़िता को उसके परिवारजनों द्वारा 108 नम्बर में कॉल कर एम्बुलेंस बुलाकर जिला अस्पताल अलीगढ़ ले जाया गया। मेरे द्वारा पीड़िता के परीक्षण के दौरान स्टॉफ नर्सों में बबीता, अंजली व फॉर्मासिस्ट योगेश कुमार उपस्थित थे। उस दौरान
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पीड़िता के साथ Sexual Assault के सम्बन्ध में कोई जानकारी मेरे सामने पीड़िता व उसके परिवार वालों के द्वारा मेरी जानकारी में नही लायी गयी थी, न ही मजरूबी चिट्ठी में ऐसा कुछ लिखा था। वैसे भी गले की चोट को देखते हुये उसकी स्थिति के अनुसार उसे अलीगढ़ मेडीकल कॉलेज रेफर किया गया।

पी0डब्लू0-4 डा0 रमेश बाबू ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि यह सही है कि Glasgow coma score के अनुसार Consciousness, semi consciousness की रेटिंग दी जाती है। यह सही है कि मैं BHT पर Glasgow coma score का रेटिंग अंकित नहीं किया। Glasgow coma score का exercise General Physician कर सकते हैं। Glasgow coma score में पल्स रेट, बी. पी. तथा Respiratory की रेटिंग होती है । मैंने पीडिता की कोई Injury नोट नहीं की। पीडिता को कोई हेड Injury नहीं थी।

17.साक्षी पी0डब्लू0 -5 कु० रश्मि, महिला आरक्षी PIN - 182551576 थाना सासनी ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि मैं दिनांक 03.02.2019 से थाना सासनी में बतौर महिला आरक्षी तैनात हूँ। दिनाँक 19.09.2020 को थाने में शिवम चौधरी कॉन्स्टेबल ने मुझसे कहा था कि हमारे क्षेत्र के क्षेत्राधिकारी रामशब्द यादव जी के साथ मुझे जाना है। थोड़ी देर बाद सी.ओ. साहब थाने पहुंचे और मैं उनकी गाड़ी में बैठकर उनके साथ JN Medical College, Aligarh रवाना हुई। लगभग 12-12:30 बजे हम लोग मेडीकल कॉलेज पहुंचे, वहाँ पर पहुंच कर सी.ओ. साहब नें डॉक्टर साहब से कुछ बात की और फिर हम लोग पीड़िता के पास उसके वार्ड पहुंचे। पीड़िता के पास जब हम पहुंचे तो उसके परिवार वाले उसके साथ वहाँ मौजूद थे। पीड़िता को ऑक्सीजन मॉस्क लगा हुआ था तथा वह अपने बेड पर लेटी हुई थी। सी.ओ. साहब ने पीड़िता से पूछताछ के बाद बयान की कार्यवाही शुरू हुई। सी.ओ. साहब के गनर ओमवीर ने उनके कहने पर मोबाईल से रिकार्डिंग चालू की तथा मुंशी जी संजय, सी.ओ. साहब के कहे अनुसार सवाल कर रहे थे और जबाब मुझे लिखवा रहे थे। मैंने पीड़िता के कथन को सुनकर उसे सीओ साहब के आदेशानुसार अपने हस्तलेख में शब्द ब शब्द लिखा। दिनाँक 19.09.2020 को पीड़िता का जो बयान मैंने अपने हस्तलेख में लिखा था वह आज पत्रावली पर मेरे समक्ष D-3 में कागज संख्या 8-अ / 15 के रूप में मौजूद है, जिसकी मैं शिनाख्त करती हूँ। बयान लेने के बाद पीड़िता का सीधे हाथ का अंगुठा मेरे सामने लगवाया गया था। अँगूठे के निशान को आज “A” बिन्दु से चिन्हित किया गया। ब्यान कागज संख्या 8-अ / 15 पर आज प्रदर्श क - 14 डाला गया। पीड़िता के बताये गये बयान को
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हुबहू लिख दिया गया था। आज मैं बयान में कहे गये तथ्य हुबहू नही बता सकती। सी.ओ. साहब के निर्देश पर मैंने पीड़िता से उसके साथ हुयी घटना में छेड़छाड़ के सम्बन्ध में पूछताछ की थी तो पीड़िता ने बताया था कि मेरा गला दबाने से पहले मेरे साथ छेड़खानी की गयी थी, जो मैंने अपने हस्तलेख में लिखे बयान में लिख दिया था। इस स्तर पर न्यायालय की अनुमति से D-3 में मौजूद CD-5 के साथ संलग्न आडिओ सी.डी. जो एक सफेद कपड़े के पुलन्दें में लिपटकर को खोला गया, जिसमें एक Writex की CD निकली, जिस पर “मु.अ.सं. 136/20, धारा 307, 376A, 302 IPC व 3 ( 2 ) ( 5 ) SC/ST Act थाना चन्दपा" पीड़िता कु.......... (नाम अंकित नहीं किया जा रहा है) निवासी सीडी को चलाकर गवाह को दिखाया गया तो उसने सीडी की शिनाख्त करते हुये बताया कि यह वही सीडी है, जिसका विडीयो पीड़िता के बयान लेते वक्त सीओ साहब के आदेश पर ओमवीर ने बनाया था। इस सीडी पर वस्तु प्रदर्श - 11 डाला गया।


पी0डब्लू0 – 5 कु0 रश्मि ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि प्रदर्शक -14 में केवल बयान वाला हिस्सा मेरे हाथ का लिखा हुआ है, जिसे लाल स्याही से X- 1 X-2 तक दर्शित किया गया। यह सही है कि पीडिता अपना बयान दर्ज कराते हुये पूरे होशो-हवाश में थी। वह पूछे गये सवालों का स्वयं जवाब दे रही थी। बयान लिखे जाते वक्त उसके परिवार के 03-4 लोग मौजूद थे, यह 03-4 लोग हमारी पुलिस टीम के अलावा थे। यह सही है कि बयान प्रदर्श क - 14 के लिखे जाने के दौरान पीडिता ने अभियुक्त सन्दीप के अलावा अन्य किसी व्यक्ति का हमलावर के तौर पर नाम नहीं लिया। यह बात भी सही है कि बयान प्रदर्श क - 14 में पीडिता ने बलात्कार की बात नहीं कही है, केवल छेडखानी की बात कही है। पीडिता जो बोल रही थी, उसे संजय सर दोहरा रहे थे तथा मैंने पीडिता और संजय सर के कहे अनुसार बयान लिखा। विडियों में पीडिता का पिता पीडिता के बेड के सिराहने खडा दिखायी दे रहा है।

18.साक्षी पी0डब्लू0 -6 मनीष कुमार, नायब तहसीलदार, तहसील कोल, जिला अलीगढ़ ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सीबीआई विवेचक ने मुझसे पूछताछ की थी व मेरा बयान दर्ज किया था । इस प्रकरण में मैने मृतका का मृत्युपूर्व बयान दिनाँक 22.09.2020 को JNMC Medical College Hospital में दर्ज किया था। मुझे तत्कालीन SDM श्रीमती अनीता यादव ने मेरे मोबाईल पर फोन करके JNMC Medical College
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Hospital जाकर मृतका का मृत्युपूर्व बयान दर्ज करने के लिए आदेशित किया था। दिनाँक 22.09.2020 को शाम को 05:00 बजे के करीब मैं अस्पताल पहुंचा तथा वहाँ CMO अजीम मलिक से मुलाकात की तथा उन्हें अपना परिचय दिया तब उन्होंने एक गोपनीय मेमो मृत्युपूर्व बयान दर्ज करने के सम्बन्ध में दिया और मैं CMO साहब के साथ मृतका के वार्ड पर पहुंचा। वहाँ चार-पाँच बेड थे और मृतका एवं अन्य मरीजों के परिवारजन मौजूद थे, जिन्हें डॉक्टर साहब ने बाहर कर दिया था तथा डॉक्टर साहब ने पेसेन्ट का नाम पता आदि बताया था तथा पेसेन्ट बयान दर्ज कराने की स्थिति में है ऐसा बताया था। इसके बाद मैंने पीडिता से बातचीत की व अपना परिचय दिया। उसे बताया कि मैं एक मजिस्ट्रेट हूँ और आपका बयान दर्ज करने आया हूँ। उसे यह भी बताया बयान गोपनीय रखा जायेगा तथा वह निश्चिन्त होकर अपनी बात बता सकती। इस स्तर पर माननीय न्यायालय की अनुमति से गवाह को मृत्युपूर्व बयान से सम्बन्धित लिफाफा जो न्यायालय में सीलशुदा अवस्था में मौजूद था, को खोला गया। लिफाफे के अन्दर दो खुले लिफाफे निकले एक सफेद रंग का माननीय सी0जे0एम0 महोदय जिला हाथरस को प्रेषित है, जिस पर लगी सील एवं उसके साथ मोहर के साथ लगे लघु हस्ताक्षर को देखकर शिनाख्त करता हूँ कि यह मेरी मोहर व हस्ताक्षर है, जिन्हें आज “A” बिन्दु से चिन्हित किया गया। इस लिफाफे पर वस्तु प्रदर्श - 12 डाला गया। लिफाफे के अन्दर विवेचक ब्रह्म सिंह एवं सीमा पाहुजा द्वारा विवेचना के दौरान मृत्युपूर्व बयान के मुआयने के सम्बन्ध में दिये गये आवेदन पत्र एवं मृत्युपूर्व बयान निकला। पीड़िता के मृत्युपूर्व बयान को देखकर बयान करता हूँ कि यह मेरे द्वारा दिनाँक 22.09.2020 समय 05:40 PM पर दर्ज किया गया था। बयान के ऊपर व नीचे डॉक्टर अजीम मलिक CMO द्वारा गवाह / मृतका के होश में होने एवं बयान के दौरान होश में रहने के सम्बन्ध में प्रमाणपत्र अपने मोहर व हस्ताक्षर के साथ उसी दिन लगाये गये थे, जिनकी मैं शिनाख्त करता हूँ। उन्होने मेरे समक्ष ही हस्ताक्षर किये थे व प्रमाणपत्र लिखा था। बयान जो कि हिन्दी में है मेरे द्वारा अपने हस्तलेख में लिखा गया था, जिसकी मैं शिनाख्त करता हूँ। बयान लिखने के बाद पीड़िता/मृतका के अँगूठे का निशान लगवाया गया था, जो गोले के अन्दर मौजूद है, यह अँगूठे का निशान मेरे सामने लगाया गया था। मैंने भी इस बयान पर अपने हस्ताक्षर किये थे, जिसकी मैं शिनाख्त करता हूँ। मेरे हस्ताक्षरों को आज “A” बिन्दु से चिन्हित किया गया। डॉक्टर अजीम मलिक जिन्होंने मेरे सामने हस्ताक्षर किये थे। जिन्हे आज "B" बिन्दु से चिन्हित किया गया। पीड़िता
[ ३१ ]द्वारा उस दिन दिया गया बयान मैंने हुबहू शब्द - ब - शब्द दर्ज किया था तथा पीड़िता को भी पढ़कर सुनाया था और उसने सुनकर बयान की तस्दीक की थी। इस बयान पर आज प्रदर्श-15 डाला गया। मेरे द्वारा दर्ज किये बयान को मैं हुबहू शब्द-ब- शब्द इस वक्त नही बता सकता पर जो कहा था वही लिखा गया था।

पी0डब्लू0–6 मनीष कुमार ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि मुझे हास्पीटल जाने से पूर्व मृत्युपूर्व बयान अंकित करने के लिये किसी अधिकारी द्वारा कोई लिखित गोपनीय मेमो नहीं दिया गया था। यह सही है कि मुझे तत्कालीन एस०डी०एम० कोल द्वारा मौखिक निर्देश फोन द्वारा डी०डी० लिखने जाने हेतु दे दिया गया था । यह सही है कि मृत्युपूर्व बयान लिखने के लिये मैंने स्वयं मेमो जे०एन०एम०सी० मेडिकल कालेज जाकर स्वयं प्राप्त किया था। एस० डी०एम० साहब ने मुझे कोई रिटर्न मेमो नहीं भेजा था । यह भी सही है कि एस०डी०एम० साहब के पास कोई भी रिटर्न मेमो नहीं था। मैंने मृतका को शपथ दिलाकर बयान लिया था। मृतका ने अपने मृत्युपूर्व बयानो में सभी अभियुक्तों की वल्दीयत, उम्र व जाति भी मुझे बतायी थी। मुझे मृतका ने रवि की वल्दीयत अत्तन बतायी थी । कोष्ठक लगाने को कहा था या नहीं कहा था, ध्यान नहीं है। मुझे यह ध्यान नहीं है कि शब्द रामवीर सिंह के आगे जो कोष्ठक में थाने में चौकीदार अंकित किया गया है, वह कोष्ठक अपने बयान में मृतका ने बताया था या नहीं । कोष्ठक लगाने के बारे में मुझे जानकारी नहीं है । शब्द परिजन मृतका ने अपने बयान में बताया होगा, मुझे याद नहीं है। मृतका के इस बयान में उसके साथ किसी भी अभियुक्त द्वारा बलात्कार किये जाने का कोई उल्लेख नहीं है। यह सही है कि मृतका का मृत्युपूर्व बयान लिखे जाने के पश्चात् डाक्टर द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र के उपरान्त भी उसका अंगूठा निशान नहीं लिया गया। मुझे यह भी याद नहीं है कि मृतका मृत्युपूर्व बयान देने वाले दिन आई0सी0यू0 में या जनरल वार्ड में थी । यह सही है कि मृत्युपूर्व बयान प्रदर्शक -15 में मृतका के बयान की अन्तिम दो लाईने कागज के आधे भाग में लिखी हुई हैं, पूरे पेज पर नहीं हैं । अन्तिम दो लाईनों के आगे आधे पृष्ठ में मृतका का अंगूठा लगा है इसलिए मैंने अन्तिम लाईन से पूर्व लाईन आधा पेज के पश्चात पेज के शुरू से प्रारम्भ की। यह सही है कि उपरोक्त मृत्यूपूर्व बयान प्रदर्शक - 15 को लिखने के पश्चात मौके पर ही सील नहीं किया था। यह भी सही है कि यह बयान प्रदर्श क - 15 मैंने अस्पताल से बिना सील किये हुये अपने आफिस ले जाकर अपने आफिस में सील किया था । यह भी सही है कि मृत्युपूर्व [ ३२ ]बयान मैंने लिखने तथा अपने कार्यालय जाकर सील करने के उपरान्त उसी दिन न्यायालय में सम्प्रेषित नहीं किया । यह स्पष्ट है कि मृतका का मृत्युपूर्व बयान अंकित किये जाने से पूर्व मृतका के परिजन वार्ड में मौजूद रहे थे। प्रदर्श क- 15 मैंने मृतका का मृत्युपूर्व बयान अंकित किये जाते समय ही तैयार नहीं किया था बल्कि बाद में सी0एम0ओ0 साहब के आफिस में तैयार किया था, जिस समय प्रदर्शक - 15 तैयार किया गया था उस समय वहाँ मृतका नहीं थी ।


19.साक्षी पी0डब्लू0 - 7 सरला देवी, हेड कांस्टेबल, थाना चन्दपा ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि दिनाँक 22.09.2020 को दीवान श्री महेश पाल ने मुझे मेडिकल रिपोर्ट लेने के लिए अलीगढ़ मेडिकल अस्पताल भेजा था। मैंने मेडीकल रिपोर्ट के लिए अलीगढ़ मेडीकल कॉलेज में प्रार्थनापत्र सी0एम0ओ0 ऑफिस में कर दिया था। उसी बीच में दीवान जी ने फोन किया कि सी०ओ० सादाबाद श्री ब्रह्म सिंह वहाँ पहुंच रहे हैं, आप वहीं पर रहना । सी0ओ0 साहब के आने के बाद मैं उनके साथ आई0सी0यू0 वार्ड में गयी, जहाँ पीड़िता भर्ती थी। वहाँ पर और तीन-चार पेसेन्ट थे। मैंने सी०ओ० साहब के कहने पर पीड़िता का बयान लिया व सी०ओ० साहब ने वीडियों बनायी थी। पीड़िता से पूछने पर उसने बताया मैं और मेरी मम्मी चारा लेने खेत में गये थे, वहाँ पर चार लड़के सन्दीप, रामू लवकुश और रवि ने मुझे पकड़ लिया व मेरे साथ बलात्कार किया। उस समय मम्मी थोड़ी दूर पर थी। मैंने पूछा कि आपने पहले बयान में बलात्कार का जिक्र नही किया और एक ही लड़के का नाम लिया कि उसने मेरा गला दबाया पुरानी रंजिश की वजह से उस पर पीड़िता ने बताया की पहले मुझे होश नही था इसलिए नहीं बताया। इस दौरान वहाँ पर मैं, सी०ओ० साहब तथा उनके पेशकार पीड़िता एवं उनकी मम्मी थे। दिनाँक 24.09.2020 को मैं अलीगढ़ अस्पताल से पाँच छोटे लिफाफे, जो सील्ड थे, को चन्दपा थाने लेकर आयी थी और जी०डी० में दर्ज करने के बाद दीवान जी को दे दी, उसके बाद मैं वापस अलीगढ़ चली गयी। दिनाँक 28.09.2020 को पीड़िता की तबीयत खराब होने की वजह से उसे डॉक्टरों द्वारा दिल्ली रेफर किया गया था । मैं, पीड़िता के भाई सन्दीप व उसके पिताजी भी एम्बूलेंस मे पीड़िता के साथ थे एवं एम्बूलेंस में ऑक्सीजन देने वाला ऑपरेटर भी था । हम 01:00 बजे के आस-पास दिल्ली पहुंच गये थे। जमील व प्रमोद शर्मा दूसरी गाड़ी में थे । पीड़िता को सफदरगंज के आई०सी०यू० और तबीयत खराब होने के कारण उसी रात मैं वापस आ गयी थी। पीड़िता बयान लिखवाने के दौरान होश में थी व सही से बोल पा रही थी। बयान लिखने के दौरान सी0ओ0 साहब, पेशकार [ ३३ ]साहब, पीड़िता की माँ व उसके भाई वहाँ मौजूद थे तथा उन्हें बाहर भेज दिया था। मैंने, पीड़िता का बयान अपने हस्तलेख में लिखा था, जो पेशकार साहब के दोहराने पर कमरे के बाहर लिखा गया था। पीड़िता का बयान पेशकार जी ने पहले कागज में लिखा था, बाद में मुझे साफ हस्तलेख में लिखने के लिए दुबारा दिया गया था। मेरे द्वारा लिखा गया बयान आज पत्रावली पर आज डी-3 में कागज संख्या 8अ / 28 के रूप में मौजूद है। इस पर पीड़िता के अंगूठे का निशान मेरे द्वारा बयान को साफ से लिखने के बाद अन्दर जाकर लगवाया गया था। बयान में मौजूद उसके अँगूठे के निशान, जो मेरे सामने लगाया गया था, की मैं शिनाख्त करती हूँ जिसे आज “A” बिन्दु से चिन्हित किया गया। मेरे द्व भरा लिखा गया बयान जो आज प्रदर्श क - 16 डाला गया। बयान लिखने के बाद सी0ओ0 साहब व पेशकार साहब ने आपस में बात करके तय किया कि बयान लिखा जा चुका है अब इसका वीडियों भी बना लिया जाये तो पीड़िता के साथ दुबारा पूछताछ की गयी तथा सी०ओ० साहब के कहे अनुसार मैंने, पीड़िता से पूछताछ की तथा सी0ओ0 ब्रह्म सिंह जी ने अपने मोबाईल से वीडियों बनाया । इस स्तर पर माननीय न्यायालय की अनुमति से पत्रावली पर डी-3 में मौजूद सफेद कपड़े में सिला हुआ, पुलिन्दा खोला गया, जिसके अन्दर सी०डी० निकली जो writex कम्पनी की है लेकिन यह सी०डी० लैपटॉप में चलाये जाने पर ब्लैंक (blank) निकली। जिस पर आज वस्तु प्रदर्श - 13 इस स्तर पर पत्रावली पर मौजूद दूसरे सफेद पुलिन्दा जिस पर CD 8अ / 25 सी0डी0 को न्यायालय की अनुमति से खोला गया। जिसके अन्दर एक sandisk कम्पनी की लाल और काली रंग की पेनड्राईव निकली जिसे खोलने पर उसके अन्दर 23.9Gb data free out of 57.2Gb display हुआ पेनड्राईव में एक फोल्डर निकला जिसका नाम CCTV footage - ICU (Hathras Case) निकला, जिसे पुनः खोलने पर दो और फोल्डर निकले, जिस पर कैमरा - 1 व कैमरा - 3, 25 September से 28 September लिखा हुआ है। इस स्तर पर सीबीआई के लोक अभियोजक द्वारा सम्बन्धित सी०डी० को प्रस्तुत करने के लिए समय चाहा गया। सी०डी० व पेनड्राईव को पुनः उसी पुलिन्दे में सील कर बन्द कर दिया गया। सी.बी.आई. लोक अभियोजक द्वारा दिनाँक 22.09.2020 को पीड़िता के बयान लिखे जाने के दौरान की वीडियोग्राफी को पेनड्राईव जो सी.बी.आई. कार्यालय में विवेचक द्वारा विवेचना के दौरान संग्रह की गयी वीडियो से बनायी गयी, पेशकर व चलाकर गवाह को दिखाने की अनुमति माँगी गयी । पेनड्राईव सीलशुदा नही है, सी.बी.आई. के पैरोकार साथ लेकर आये हैं। इस पर अभियुक्तगण के [ ३४ ]अधिवक्ता द्वारा आपत्ति की गयी । आपत्ति को दृष्टिगत रखते हुये, पेनड्राईव को चलाने की अनुमति दी गयी । पेनड्राईव को लोक अभियोजक द्वारा लाये गये लैपटॉप पर चलाकर खोला गया तो उसमें दो वीडियो फाईल MP-4 14,981kb व दूसरा MP-46,751kb के निकली। दोनों वीड़ियों को चलाने पर गवाह ने देखकर बताया कि यह उस दिन की कार्यवाही से सम्बन्धित वीडियों है, जिसमें मेरे द्वारा पीडिता से पूछताछ की audio visual दिखाई दे रही है । मेरी आवाज व पीडिता की आवाज, मेरी इमेज व पीडिता की इमेज की शिनाख्त करती हूँ । इस स्तर पर लोक अभियोजक द्वारा इस पेनड्राईव को वस्तु प्रदर्श डालकर रिकार्ड में रखने की अनुमति माँगी गयी, जिस पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा विरोध किया गया कि यह secondary evidence है और विवेचक द्वारा दायर किये गये आरोप पत्र के साथ संलग्न दस्तावेज का हिस्सा नही है । इस स्तर पर पेनड्राईव को न्यायालय के अभिलेख में लेते हुये वस्तु प्रदर्श - 14 डाला गया । वस्तु प्रदर्श कागज के चिट में डालकर पेनड्राईव के साथ संलग्न किया गया ।

पी0डब्लू0 – 7 सरला देवी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि यह सही है कि पीडिता का बयान लिये जाते समय पीडिता की मॉ पीडिता के पास मौजूद थी। यह सही है कि मेरे द्वारा लिखे गये बयान प्रदर्श क-16 में घटना की तारीख, समय और न ही घटनास्थल का कोई उल्लेख है। पीडिता का बयान पीडिता द्वारा दिये जाते समय मेरे द्वारा लिखा गया था लेकिन वह टेडा - मेडा लिखा गया था क्योंकि वहाँ बैठने के लिये जगह नहीं थी और वह बयान मैंने खडे होकर लिखा था। थोडी देर बाद उसी बयान को मैंने साफ हस्तलेख में लिखा था। जिस समय मैंने यह प्रदर्श क - 16 लिखा था उस जगह वहाॅ पीडिता कमरे के अन्दर थी। मुझे यह ध्यान नहीं है कि मैंने सी०बी०आई० विवेचक को अपने दिनांक 01.11.2020 को यह बताया हो कि "मैंने पीडिता का बयान इस पूछताछ के दौरान लिखा नहीं था।" मैंने सी0बी0आई0 विवेचक को दिनांक 01.11.2020 को अपने बयान में यह बताया था "मेरे को पेशकार साहब ने कागज पेन दिया कि पीडिता का बयान सही से लिख लो।" यह सही है कि जब मैं बाहर बयान जो पत्रावली पर प्रदर्श क- 16 है, को लिख रही थी तो पीडिता का भाई वहाँ मौजूद था। यह सही है कि प्रदर्श क - 16 लिखने के पश्चात विडियों वस्तु प्रदर्श - 14 बनायी थी। जब विडियों बनायी गयी थी तब पीडिता ने केवल तीन अभियुक्तों के नाम बताये थे, रवि, रामू और लवकुश । उसके बाद मैंने पीडिता से चौथे व्यक्ति का नाम पूछा था तो उसने फिर से रवि और रामू बताया था। पीडिता चौथे व्यक्ति का नाम नहीं बता रही थी लेकिन [ ३५ ]पीछे से पेशकार ने सन्दीप का नाम लेकर पूछने के लिये बोला तो फिर मैंने पूछा कि सन्दीप भी था क्या, उसके बाद लडकी ने सन्दीप का नाम लिया था । मैंने सी०बी०आई० विवेचक को दिनांक 01.11.2020 को अपने बयान में यह बताया था कि "मैंने पूछा कि पहले आपने जो बयान दिया था उसमें बलात्कार करने का जिक नहीं किया और एक ही लडके का नाम लिया था कि उसने (सन्दीप) मेरा गला दबाया । पारिवारिक पुरानी रंजिश की वजह से उस पर . . . ने बताया कि पहले मुझे होश नहीं था इसलिए नहीं बताया था । बयान प्रदर्श क- 16 लिये जाने के समय पीडिता की माँ, पिता, भाई मौजूद थे तथा और भी काफी लोग मौजूद थे, बाकी को मैं नहीं बता सकती ।


20. साक्षी पी0डब्लू0 - 8 ब्रह्म सिंह, क्षेत्राधिकारी सादाबाद ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सी.बी.आई. विवेचक ने मुझसे पूछताछ की, मेरे द्वारा की गयी विवेचना के सम्बन्ध में मुझसे दस्तावेज सीजर मेमो के द्वारा प्राप्त किये। पत्रावली पर मौजूद D-2 कागज संख्या 7 - अ मेरे द्वारा सी.बी.आई. विवेचक को हस्तान्तरित किये गये, दस्तावेज के सम्बन्ध में बना हुआ सीजर मेमो है। सीजर मेमों पर अपने हस्ताक्षर का शिनाख्त करता हूँ, जिस पर आज प्रदर्श क—17 डाला गया। प्रस्तुत प्रकरण FIR नम्बर 136/ 2020 दिनाँक 14.09.2020 पर P.S. चन्दपा में दर्ज हुआ था, जिसे बाद में राज्य द्वारा सी.बी.आई. को अन्वेषन के लिए हस्तान्तरित कर दिया गया था। इस प्रकरण में मैंने दिनाँक 21.09.2020 को सी.ओ. सादाबाद नियुक्त होने पर उक्त विवेचना को ग्रहण किया एवं अवलोकन किया । मुझसे पूर्व इस प्रकरण में श्री रामशब्द जी विवेचक थे। इस प्रकरण में मैने रामशब्द जी के बाद विवेचना ग्रहण करने पर सी.डी. संख्या 07 से मैंने अपनी विवेचना शुरू की। इसके पूर्व सी. डी. संख्या 01 से 06 तक रामशब्द जी ने की थी । मेरे द्वारा सी.बी.आई. विवेचक को प्रदर्श क- 17 के द्वारा हस्तान्तरित किये गये दस्तावेज, जिसमें थाने से सम्बन्धित रिकार्ड केस डायरी नम्बर-1 दिनांकित 14.09.2020 से केस डायरी नम्बर - 27 दिनाँकित 10.10.2020 तक, जो कुल 230 पृष्ठों में है। मैंने, विवेचक को सी.डी. नम्बर-5 दिनांकित 19.09.2020 के साथ एक सफेद कपड़े के पुलिन्दे में बँधी सी. डी. दी, जिस पर बयान कु० लिखा हुआ है तथा जिस पर न्यायालय में वस्तु प्रदर्श-11 डाला हुआ है । मैंने पीडिता के बयान (22.09.2020 ) से सम्बन्धित थी, जिस पर न्यायालय में वस्तु सी. डी. केस डायरी नम्बर-9 के साथ दी प्रदर्श-13 डाला हुआ है। मैने सी.बी.आई. विवेचक को सी.डी. नम्बर-26 (10.10.2020 ) के साथ पेनड्राईव दी थी, जिसमें JNMC अस्पताल के सी.सी.टी. [ ३६ ]वी. की 25.09.2020 से 28.09.2020 तक की सी.सी.टी.वी. फुटेज है । पेनड्राईव पत्रावली पर उपलब्ध है, जिस पर वस्तु प्रदर्श - 14 डाला हुआ है। इस स्तर पर पत्रावली पर मौजूद पुलिन्दा जिस पर CD 8अ / 25 सी0डी0 को न्यायालय की अनुमति से खोला गया, जिसके अन्दर एक sandisk कम्पनी की लाल और काली रंग की पेनड्राईव निकली, जिसे खोलने पर उसके अन्दर 23.9Gb data free out of 57-2 Gb display हुआ । पेनड्राईव में एक फोल्डर निकला, जिसका नाम CCTV footage- ICU (Hathras Case) निकला, जिसे पुनः खोलने पर दो और फोल्डर निकले जिस पर कैमरा - 1 व कैमरा - 3, 25 September से 28 September लिखा हुआ है । पत्रावली में डी-3 में कागज संख्या 8अ/2-4 में इस प्रकरण से सम्बन्धित FIR नम्बर 136 / 2020 P.S. चन्दपा की मूलप्रति है । इससे सम्बन्धित जी.डी. कागज संख्या 8-अ / 1 से सम्बन्धित जी.डी. है। पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 8क / 7-8 इस प्रकरण से सम्बन्धित सी. डी. नम्बर-1 दिनाँकित 14.09.2020 है । पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 8क / 9-11 इस प्रकरण से सम्बन्धित सी. डी. नम्बर -2 दिनांकित 15.09.2020 पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 8क / 12-13 इस प्रकरण से सम्बन्धित सी. डी. नम्बर-3 दिनाँकित 16.09.2020 है । पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 8क / 14 और 16 इस प्रकरण से सम्बन्धित सी. डी. नम्बर-4 दिनांकित 18.09.2020 है। पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 8क / 17-18 इस प्रकरण से सम्बन्धित सी. डी. नम्बर-5 दिनांकित 19.09.2020 है। इस सी.डी. से सम्बन्धित बयान पत्रावली पर प्रदर्शक - 14 व वस्तु प्रदर्श - 11 के रूप में मौजूद है। पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 85 / 21-23 इस प्रकरण से सम्बन्धित सी. डी. नम्बर - 6 दिनांकित 20.09.2020 है, जिसमे अभियुक्त सन्दीप की गिरफ्तारी एवं गिरफ्तारी से सम्बन्धित मेमो है, जो कागज संख्या 8क / 20 के रूप मे मौजूद है। उपरोक्त 06 सी.डी. पूर्व विवेचक श्री रामशब्द जी द्वारा लिखा हुआ है तथा उनपर उनके हस्ताक्षर की मैं शिनाख्त करता हूँ। मैंने उनसे ही इस प्रकरण की विवेचना ग्रहण की थी उनके हस्ताक्षरों को आज “A” बिन्दु से चिन्हित किया गया। मेरे द्वारा विवेचना के दौरान काटी गयी सी.डी. 07 से 27 तक पत्रावली पर उपलब्ध है, जिनपर मौजूद अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हे आज “B” बिन्दु से चिन्हित किया गया। दौरान विवेचना मैने इस प्रकरण से सम्बन्धित वादी सतेन्द्र की निशानदेही पर घटनास्थल का नक्शा तैयार किया था, जो पत्रावली पर कागज संख्या 8अ / 39 के रूप में उपलब्ध है, जो मैंने मौके पर तैयार करवाया था। इस नक्शे पर मौजूद अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ जिसे "B" बिन्दु [ ३७ ]से चिन्हित किया गया तथा इस नक्शे पर आज प्रदर्श क - 18 डाला गया। पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 8क / 42 पीडिता के आधार कार्ड की छायाप्रति जो मैने विवेचना के दौरान पीडिता के परिवार वालों से लिया था । पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 44 - क पीडिता का स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट है, जो मैने विवेचना के दौरान प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय बूलगढ़ी से प्राप्त किया था, जिसके अनुसार पीडिता की जन्मतिथि 11.11.1997 और उसकी जाति हरिजन लिखा हुआ है, जिस पर आज प्रदर्श क- 19 डाला गया । पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 8क / 57-58 इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता के एक्जिबीट को विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजने के सम्बन्ध में पत्र है, जो मैने विशेष वाहक श्यामसुन्दर के द्वारा भेजा था। इस पत्र के मौजूद अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ जिसे आज "B" बिन्दु से चिन्हित किया गया । पत्र में भेजे गये एक्जिबीट का विवरण दिया हुआ है। इस पत्र कागज संख्या 8अ / 57-58 पर प्रदर्श क- 20 डाला गया। पत्रावली पर मौजूद पत्र कागज संख्या 81 /66-68 मेरे द्वारा विवेचना के दौरान मुख्य न्यायाधीश, हाथरस, एस.पी. हाथरस और विशेष न्यायाधीश, एस. सी. / एस. टी. को भेजा गया, जिस पर मौजूद हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ । पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 8अ / 69 से 83/149 पीडिता के चिकित्सीय परीक्षण से सम्बन्धित दस्तावेज है जो मैने विवेचना के दौरान मैने इकट्ठे किये थे। पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 83/159 मेरे द्वारा मुख्य चिकित्साधिकारी JNMC अलीगढ़ को पीड़िता / मृत से सम्बन्धित पत्राचार है, जिस पर अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज "B" बिन्दु से चिन्हित किया गया । पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 8अ/160-161 सफदरगंज हॉस्पीटल दिल्ली से पीडिता की मृत्यु के उपरान्त पोस्टमार्टम के दौरान संकलित किये गये एक्जिबीट हस्तान्तरण से सम्बन्धित पत्र है, जो यू.पी. पुलिस की ओर से श्री राकेश कुमार सिंह एस.एच.ओ. सैक्टर-20 नोएडा द्वारा प्राप्त करने का मेमो है। इस मेमो को मैने विवेचना के दौरान प्राप्त होने पर, सी.बी.आई. विवेचक के माँगने पर उनको दिया गया था । उपरोक्त पत्र के साथ प्राप्त प्रदर्श श्री रणविजय सिंह, अपर पुलिस उपायुक्त, नोएडा गौतमबुद्धनगर द्वारा अपने पत्र संख्या सीए / सीपी - 15 ऑफ 2020 दिनांकित 30.09.2020 के माध्यम से श्री पीयूष मोर्डिया पुलिस महानिरीक्षक अलीगढ़ परिक्षेत्र अलीगढ के ऑफिस को भेज दी गयी थी, जो एसपी कार्यालय हाथरस में प्राप्त पत्र दिनाँकित 01.10.2020 के माध्यम से संयुक्त निदेशक विधि विज्ञान प्रयोगशाला उत्तर प्रदेश आगरा को परीक्षण हेतु भेज दिया गया। पत्र कागज [ ३८ ]संख्या 8अ / 163एस. पी. हाथरस श्री विक्रान्तवीर के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज सी-बिन्दु से चिन्हित किया गया। मैं उनके साथ काम कर चुका हूँ इसके लिए उनके हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ। दिनाँक 21.09.2020 को विवेचना ग्रहण के उपरान्त मैं पीड़िता से पूछताछ के लिए अस्पताल गया तो उसके परिवारजनों ने बताया की उसकी तबियत सही नहीं है व बयान देने की स्थिति में नही है तो मैने मौजूद डॉक्टर साहब से पीड़िता के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि स्पाईनल कोर्ड में दिक्कत है तथा चोट की वजह से शरीर के अपर लिम्ब और लोवर लिम्ब में संवेदनशीलता कम हो रही है। अस्पताल में पीड़िता के साथ उसके पिताजी, माता जी और उसका भाई संदीप मौजूद था । उसी दिन दौरान विवेचना मैं, पीड़िता के निवास उसके गाँव गया तो वहाँ उसका भाई सत्येन्द्र मिला उससे, मैंने पीड़िता के फोटो, एकाउन्ट डिटैल, आधार कार्ड व जाति प्रमाणपत्र माँगे और उसे बताया कि यह सब उपलब्ध कराये जिससे मुआवजे की कार्यवाही की जा सके। सत्येन्द्र ने साथ घटनास्थल एवं उसकी माताजी, उसकी बहन और उसके द्वारा घास काटने वाली जगह दिखाई तथा वह बाजरे का खेत भी दिखाया जहाँ पीड़िता के साथ दिनाँक 14.09.2020 को घटना होना बताया गया । उस दिन शाम होने के कारण नक्शा नही बनाया गया तथा पीड़िता की माँ के उपलब्ध होने के एक-दो दिन बाद नक्शा बनाया गया शायद 23.09.2020 को बनाया गया। दिनांक 21.09.2020 को ही मुझे हमारे एस.पी. श्री विक्रान्तवीर जी ने मुझे कहा था कि पीड़िता का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है इस सम्बन्ध में उसका मजीद बयान ले लेना । इसके उपरान्त दिनाँक 22.09.2020 को मैंने पीड़िता के पास अस्पताल जाकर अस्पताल जाने का कार्यक्रम बनाया इस पर मैंने अपने अधीनस्थ थाना चन्दपा को महिला पुलिस कर्मी को JNMC अलीगढ़ मे पीड़िता के पास उपलब्ध रहने को कहा। मेरे अस्पताल पहुंचने पर वहाँ महिला हेड कान्स्टेबल सरला अन्य स्टाफ के साथ मौजूद पायी । प्रारम्भिक डॉक्टरों और पीड़िता के परिवार वालों से औपचारिक बातचीत करने के बाद उनके द्वारा स्थिति बयान देने लायक बताने पर पीड़िता का बयान दर्ज किया गया। मेरी उपस्थिति में व निर्देश पर महिला हेड कान्स्टेबल सरला ने पीड़िता से उसके साथ हुई घटना के सम्बन्ध में अस्पताल में उसके बेड के पास जाकर उसका बयान दर्ज किया, लड़की की मान-मर्यादा की स्थिति को देखते हुये मैं कुछ दूरी पर खड़ा रहा। उसी दौरान बयान लिखने से पहले पीड़िता के बयान के सम्बन्ध में पूछताछ का वीडियों बनाया गया था तथा वीडियों को देख करके उसका [ ३९ ]बयान महिला आरक्षी सरला द्वारा अंकित किया गया तथा उसके बाद मुझे दिखाया गया। पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 8अ / 28 प्रदर्श क- 16 वह बयान है जो उस दिन सरला देवी द्वारा दर्ज किया गया था तथा पूछताछ के सम्बन्ध में बनाया गया वीडियो जो मेरे फोन से बनाया गया था, को अपने ऑफिस में देकर उसकी सी.डी. वस्तु प्रदर्श-13 को चेक करके उसे कपड़े पर सील किया गया था तथा ऊपर बयान -डॉटर ऑफ ओमप्रकाश आदि डालकर सील किया गया था। जिस फोन को मैने उस दिन पीड़िता के पूछताछ सम्बन्धी विडियों बनाने के लिए उपलब्ध कराया था वह सी.बी.आई. विवेचक द्वारा मुझसे ले लिया गया था। फोन सीजर के सम्बन्ध में बनाया गया मेमो पत्रावली पर 1803 / 1 डी-6 एडीशनल डॉक्यूमेन्ट के रूप में मौजूद है, जिस पर मौजूद अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ जिन्हे आज “A” बिन्दु से चिन्हित किया गया इस सीजर मेमो पर आज प्रदर्श क - 21 डाला गया। इस स्तर पर लोक अभियोजक द्वारा मालखाने से प्रस्तुत दो सफेद पैकेट खोलने की अनुमति चाही जिस पर एमआर नम्बर 269 / 21 एवं एमआर नम्बर 270/21 डाला है जो C.F.S.L. C.H.D. P.H. Y. के सील से सीलशुदा है। पहला लिफाफा एम. आर. नम्बर 269/21 को खोला गया तो उसके अन्दर एक मोबाईल फोन व पूर्व में प्रयोग की गयी एक पीले रंग का लिफाफा निकला जिस पर गवाह ने अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त की हस्ताक्षरों को “A” बिन्दु से चिन्हित किया गया गवाह ने फोन को देखकर बताया की यह उसके द्वारा प्रयोग में लाया जा रहा फोन सैमसंग ए–51 है जिसका विवरण प्रदर्श क - 21 में दिया हुआ है। इस मोबाईल फोन तथा पीले लिफाफे को, फोन को पुन: सफेद लिफाफे में डालकर संयुक्त वस्तु प्रदर्श-15 डाला गया। दूसरा लिफाफा एम. आर. नम्बर 270 / 21 को खोला गया तो उसके अन्दर एक मोबाईल फोन व पूर्व में प्रयोग की गयी एक पीले रंग का लिफाफा निकला जिस पर गवाह ने अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त की हस्ताक्षरों को “A” बिन्दु से चिन्हित किया गया। गवाह ने फोन को देखकर बताया की यह उसके द्वारा प्रयोग में लाया जा रहा फोन सैमसंग गैलेक्सी जे 7 प्राईम है इस फोन के ऊपर मार्कर से PHY / 515 / 2020 और Ex. M/5 लिखा हुआ है। इस फोन का विवरण प्रदर्श क - 21 में क्रमांक 2 पर दिया हुआ है। इस मोबाईल फोन तथा पीले लिफाफे को, फोन को पुनः सफेद लिफाफे में डालकर संयुक्त वस्तु प्रदर्श - 16 डाला गया । यह वह फोन है जिसके द्वारा दिनाँक 22.09.2020 की कार्यवाही का वीडियो बनाया गया था (इस स्तर पर फोन को चार्जर अरेन्ज कर उसे चार्जिंग के लिए लगाया गया ताकि फोन को खोलकर [ ४० ]उसे देखा जा सके)। मेरे द्वारा उस दौरान कई जगह से फोन आने पर तथा वीडियो आने पर तथा फोन के हैंग करने पर फोन से वीडियो आदि डिलीट कर दी जाती थी, हो सकता है इस पूछताछ के सम्बन्ध में बनायी गयी वीडियो मेरे द्वारा डिलीट कर दी गयी हो, जो इस मोबाईल में इस समय मौजूद नही है। इस स्तर पर पत्रावली पर मौजूद वस्तु प्रदर्श-44 पेनड्राईव जो कागज संख्या 224-अ पीले लिफाफे को खोलकर उसमें मौजूद पेनड्राईव को गवाह को लोक अभियोजक द्वारा उपलब्ध कराये गये लैपटाप में लगाकर दिखाया गया तो गवाह ने पेनड्राईव में मौजूद दोनों वीडियो फाईल चलाने पर देखकर बताया कि यह वही वीडियों है जो मेरे द्वारा अपने फोन पर बनवाया गया था और मैने विवेचना के दौरान यह वीडियो सी.डी. में ट्रान्सफर किया गया था तथा विवेचनार्थ सी.बी. आई. विवेचक को भी उपलब्ध करायी गयी। बयान लिखने के उपरान्त मैने डॉक्टर एम.एफ. हुदा जो पीड़िता के इलाज के इन्चार्ज थे, से फोन पर बात कर उनसे जानकारी चाही की क्या उन्होंने पीड़िता का बलात्कार से सम्बन्धित इन्टरनल जाँच करवाया है तो इस पर उन्होंने कहा की इसकी क्या आवश्यकता है क्योंकि आज तक न तो पीड़िता और न ही उसके परिवारवालों ने बलात्कार के सम्बन्ध में कोई बात बतायी है। इस पर मैंने उनसे कहा की आज मैंने उसका रिकार्डेड (वीडियो रिकार्डेड) बयान लिया है और उसने अपने साथ सामूहिक दुष्कर्म की बात बतायी है। इसके बाद डॉक्टर साहब ने कहा कि अगर ऐसी बात है तो मैं इन्टरनल जाँच करवाता हूँ और इसके 45--20 मिनट बाद पीड़िता का परीक्षण चालू हो गया। दुष्कर्म की बात उजागर होने पर मैंने पीड़िता की माँ से घटना वाले दिन पीड़िता द्वारा पहने गये कपड़े ए5, जाँच के लिए उपलब्ध कराने को कहा तो उसने बताया कि पीड़िता ने अपने कपड़ो सलवार व चड्डी में लैट्रीन कर ली थी और वह मैने धो दिये है व घर पर मिल जायेंगे। मैने दौरान विवेचना सामूहिक बात उजागर होने पर अपने अधीनस्थ थाना प्रभारी चन्दपा डी.के. वर्मा को अभियुक्तों की गिरफ्तारी के निर्देश दिये। अभियुक्तों की गिरफ्तारी सम्बन्धी मेमो पत्रावली पर उपलब्ध है। मैंने विवेचना के दौरान गिरफ्तार अभियुक्तों के डीएनए का मिलान पीड़िता के कपड़े व शरीर से सम्मभावित बायोलोजिकल मैटेरियल के मिलान के लिए पत्राचार किया था। अभियुक्त, मेरे विवेचनाधिकारी बनने से पूर्व गिरफ्तार हो चुका था। बाकी तीन अभियुक्त मेरी विवेचना के दौरान गिरफ्तार किये गये। मैंने उनकी गिरफ्तारी के बाद सैक्सुअल असाल्ट के संदिग्ध के सम्बन्ध में उनका मेडीकल टेस्ट समयाभाव के कारण नहीं कराया था और न ही मैंने उनके द्वारा 4409.2020 को पहने गये [ ४१ ]कपड़ों के सम्बन्ध में पूछताछ की थी क्योंकि घटना को कई दिन हो चुके थे कपड़े घुल चुके थे। इसके उपरान्त दिनाँक 23.09.2020 को मैं पुनः विवेचना के लिए बूलगढ़ी गाँव गया तथा पीड़िता के भाई सत्येन्द्र व उसकी माँ की निशानदेही पर घटनास्थल का मौका नक्शा बनवाया तथा घटनास्थल को उसमें दर्शाया। साईट प्लान पत्रावली पर प्रदर्श क-18 के रूप में मौजूद है। विवेचना के दौरान सामूहिक दुष्कर्म की बात सामने आने पर मैंने अपनी सी.डी. में सम्बन्धित धारा बढ़ाई तथा पीड़िता की मृत्यु होने पर 302 और 376A IPC बढ़ायी गयी। दिनाँक 28.09.2020 को अस्पताल में तैनात उपनिरीक्षक प्रमोद कुमार शर्मा द्वारा मुझे फोन पर सूचित कर बताया गया कि पीड़िता को बेहतर चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए दिल्‍ली रेफर कर दिया गया है। जब तक विवेचना मेरे पास रही उस दौरान मैने पुलिस अधीक्षक महोदय को कई पत्रों के माध्यम से विवेचना की प्रगति एवं विवेचना के सम्बन्ध में अग्रिम कार्यवाही एवं वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध कराने के आशय से पत्राचार किये। मेरे द्वारा सी.बी.आई. को अपने पत्र दिनाँकित 42.40.2020 जो पत्रावली पर कागज संख्या 9अ डी-4 के माध्यम से अभियुक्तगण द्वारा अलीगढ जेल में रहते हुये एस.पी. हाथरस के नाम लिखा हुआ पत्र सुपुर्द किया था जो पत्रावली पर कागज संख्या 40अ डी-5 के रूप में उपलब्ध है। इससे पहले की मैं इस पत्र के सम्बन्ध में विवेचना कर पाता विवेचना शासन द्वारा सी.बी.आई. को हस्तान्तर कर दी गयी। इस पत्र डी-4 कागज संख्या 9-अ एवं 40अ डी-5 पर आज संयुक्त प्रदर्श क-22 डाला गया।

पी०डब्लू0-8 ब्रह्म सिंह, क्षेत्राधिकारी सादाबाद ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि प्रस्तुत प्रकरण की विवेचना मुझे दिनांक 24.092020 को सादाबाद स्थानान्तरण होने के बाद प्राप्त हुई थी। प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 44.09.2020 को थाना चन्दपा में सुबह 0:30 पर दर्ज हुई थी। प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार घटना का समय 09:30 दर्ज है। प्रदर्श क-तहरीर में वादी ने केवल एक अभियुक्त को नामित किया है। प्रदर्श क- में यह भी अंकित है कि फिर मेरी बहन चिललाई तो मेरी माँ रामा ने आवाज दी कि मैं आ रही हूँ। सन्दीप आवाज सुनकर वहाँ से छोडकर भाग गया। तहरीर प्रदर्श क-के अनुसार वादी घटना का चक्षुदर्शी साक्षी नहीं है। यह सही है कि पीडिता के पिता के बयान दिनांक 46.09.2020 में भी केवल एक ही अभियुक्त को नामित किया गया है। प्रदर्श क-4 तहरीर में पीडिता के बेहोश होने का अथवा उसके होश में न होने के सम्बन्ध में कोई कथन नहीं है। मैंने, पीडिता का [ ४२ ]बयान दिनांक 21.09.2020 को दर्ज नहीं किया था क्योंकि उसकी माँ ने यह कहा था कि वह बयान देने की स्थिति में नहीं है। दिनांक 21.09.2020 को मैं बूलगढी गाँव गया था एवं घटनास्थल भी गया था और उसी दिनांक को मुझे मुकदमा वादी सतेन्द्र भी गाँव में अपने घर पर मौजूद मिला था। मैंने उस दिन वादी सतेन्द्र का बयान दर्ज नहीं किया। यह सही है कि मैंने दिनांक 21.09.2020 को घटनास्थल पर पहुंचकर भी नक्शा नजरी नहीं बनाया था क्योंकि समय अधिक हो गया था, अंधेरा हो गया था तथा पीडिता की माॅ स्थान इंगित करने के लिये मौजूद नहीं थी। पत्रावली पर मौजूद प्रदर्श क–18 मेरे द्वारा इस प्रकरण में दिनांक 23.09.2020 को बनाया गया नक्शा नजरी है, जो मैंने पीडिता की माॅ की निशानदेही पर बनाया था। यह सही है कि केस डायरी में मेरे द्वारा घटनास्थल का निरीक्षण वादी की निशानदेही पर किया जाना दर्शाया गया है लेकिन निरीक्षण के समय पीडिता की मॉ भी मौजूद थी, वह भी घटना स्थल के बारे में बता रही थी। यह बात सही है कि प्रदर्श क–18 नक्शा नजरी में अभियुक्त के आने एवं जाने की दिशायें अंकित नहीं है। जहाँ तक मुझे याद है कि घटनास्थल सडक से 17 कदम पर है तथा पीडिता की माँ के घास काटने वाला स्थान घटनास्थल से लगभग इतनी ही दूर आगे है। यह सही है कि उपरोक्त 17 कदम की पैमाईश मैंने किसी भी दस्तावेज में नहीं किया है। मैंने दिनांक 21.09.2020 को पीड़िता की माँ व भाई का बयान इसलिए दर्ज नहीं किया क्योंकि मैं पहले पीडिता का बयान दर्ज करना चाहता था। पीडिता की माँ ने मौखिक रूप से बताया था कि पीडिता के साथ सन्दीप व अन्य तीन-चार लोगों ने दुष्कर्म किया है इसलिए मैं पहले पीडिता का बयान दर्ज करना चाहता था। मैंने घटनास्थल का निरीक्षण दिनांक 21.09.2020, 23.09.2020 व अन्य तारीखों पर भी किया था। दिनांक 21.09.2020 को जब मैं बूलगढी गया तो सतेन्द्र मिला तथा उसने मुझे घटनास्थल दिखायी, इसके बाद जब मैंने उसका बयान दर्ज करने के लिये तलाश किया तो मुझे बताया गया कि वह जे०एन० मेडिकल कालेज चला गया है। दिनांक 21.09.2020 को 02-3 बजे दोपहर को पीडिता का बयान लेने अस्पताल गया था। दिनांक 22.09.2020 को मैं, पीडिता का बयान लेने लगभग 09:00-09:30 बजे अस्पताल पहुंच गया था। उस दिन पीडिता मेरे पहुंचने पर बयान देने की स्थिति में थी। यह बात मेरे संज्ञान में है कि पीडिता ने अपना बयान बोलकर महिला आरक्षी को लिखाया। यह कहना गलत है कि पीडिता का बयान मेरे रीडर / पेशकार ने बोलकर महिला आरक्षी सरला को लिखाया हो। मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि महिला [ ४३ ]आरक्षी द्वारा लिखित किये गये बयानों को टेडा-मेडा होने के कारण बाहर बैठकर मेरे पेशकार / रीडर ने शुद्ध कराया हो । दिनांक 21.09.2020 को मैंने जे०एन० मेडिकल कालेज के किसी भी डाक्टर पीडिता की अन्दरूनी जाँच कराने के लिये नहीं कहा। दिनांक 22.09.2020 को जब पीडिता ने बलात्कार किये जाने के सम्बन्ध में बयान दिया तो मैंने तत्काल डा० एम०एफ० हुदा से फोन पर पीडिता की आन्तरिक परीक्षण हेतु कहा था। मुझे डा० एम०एफ० हुदा द्वारा यह कहा गया कि अभी तक पीडिता व उसके परिवारजनों ने बलात्कार के सम्बन्ध में कोई जिक्र नहीं किया है, केवल मारपीट होना बताया था। जिस समय मैंने दिनांक 22.09.2020 को पीडिता का बयान दर्ज कराया था उस दिन उसके परिवारजन पीडिता के पास अस्पताल में मौजूद थे। पीडिता का मृत्युपूर्व बयान लिखवाते वक्त मैं वहाँ मौजूद नहीं था। दिनांक 22.09.2020 को जब मैंने पीडिता का बयान लिखवाया उसकी स्थिति ठीक थी, उस दिन ऐसा नहीं लग रहा था कि लडकी की मृत्यु हो जायेगी क्योंकि अच्छी तरह से बातचीत कर रही थी। मैंने, सी०बी०आई० को अपने बयान में यह भी बताया था कि मुझे यह भी पता नहीं था कि तहसीलदार पीडिता का बयान लेने अस्पताल डाक्टर साहब ने बुलाया है या हाजिर हुआ है और यह भी बताया था कि यह फैसला डा० एम०एफ० हुदा ने ही लिया था, इसका बाद में पता चला था। मैंने दिनांक 09.10.2020 को पुलिस अधीक्षक महोदय हाथरस को पत्राचार द्वारा यह बताया था कि वादी तथा पीडिता के परिजनों के द्वारा समय-समय पर दिये गये बयानों में भिन्नता के सम्बन्ध में भी कार्यवाही हेतु बताया था। मुझे प्रदर्श क-2 दौरान विवेचना दिनांक 23.09.2020 को एस०पी० हाथरस के पृष्ठांकन के उपरान्त प्राप्त हुई थी। प्रदर्श क-2 में वादी द्वारा चार नामित व दो-तीन अज्ञात अभियुक्त दर्शित किये गये हैं। प्रदर्श क-2 के सन्दर्भ में मेरे द्वारा प्रस्तुत की गयी आख्या पत्रावली कागज संख्या 153 / 1 - 2डी - 10 के रूप में पुलिस अधीक्षक को दी गयी। डी-10 दिनांकित 04.10.2020 में विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट दिनांक 25.09.2020 के आधार पर मैंने यह अंकित किया था कि There are no sign suggestive of vegina / anal intercourse. पैडिता ने अपने बयान प्रदर्श क-17 में अपनी उम्र 18 वर्ष बतायी है। दिनांक 22.09.2020 के बयान में भी पीडिता ने अपनी उम्र 18 वर्ष ही बतायी है। मैंने, पीडिता के स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट प्राप्त किये थे, जिसके अनुसार पीडिता की जन्म तिथि 11.11.1997 है। कथित घटना दिन के 09:30 बजे की है। घटनास्थल वाली सडक पक्की है, जिस पर आवागमन रहता है। आमतौर पर दिन के 09:30 बजे [ ४४ ]21. 22. 44 लोग खेतों में काम कर रहे होते हैं। साक्षी पी0डब्लू0–9 शिव कुमार, होम गार्ड संख्या - 1080 ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि मैं सन् 1990 में उत्तर प्रदेश होम गार्ड में भर्ती हुआ था तथा वर्तमान में मेरी पोस्टिंग जनपद हाथरस में चल रही है। दिनाँक 14.09.2020 को मेरी नियुक्ति थाना चन्दपा में थी। सुबह 9:30 बजे लगभग थाने से मुझे एक महिला जिसका नाम को मजरूबी चिट्ठी प्रदर्श क-8 के साथ जिला अस्पताल बागला जाने को कहा गया। मुझे इस वक्त ध्यान नही है कि थाने में टैम्पो कौन लाया था। उस टैम्पो में मैं, कॉन्स्टेबल नेहा के साथ पीड़िता को लेकर के बागला जिला अस्पताल हाथरस पहुंचे। वहाँ पहुंचकर पीड़िता को इमरजेन्सी में भर्ती कराया। टैम्पों में मेरे साथ पीड़िता की माताजी के साथ 4–5 अन्य सवारिया बैठी हुई थी तथा पीडिता का भाई मोटरसाईकिल पर एक व्यक्ति को बैठाकर पीछे-पीछे आ रहा था। उस दौरान अस्पताल एवं थाने में कुछ पत्रकार / मीडिया वाले पीड़िता से पूछताछ व उसका वीडियो बना रहे थे। मेरे सामने पीड़िता ने चोट के विषय में बताया था कि गाँव के लड़के सन्दीप ने रंजिश की वजह से दुपट्टा खींच लिया था। मेरे अस्पताल ले जाने पर इमरजेन्सी में मौजूद डॉक्टर ने एक बोतल चढायी थी इस बीच उसकी स्थिति खराब होने पर अलीगढ़ रैफर कर दिया गया था । अस्पताल में पीड़िता के साथ मौजूद उसके चाचा ने अपनी गाड़ी से पीड़िता को अलीगढ़ अस्पताल ले जाने की बात कही थी। उस वक्त मैंने थाने पर फोन कर मुन्शी को बताया था कि पीड़िता के परिवार वाले उसे अपनी गाड़ी से ले जाना चाहते हैं। इस पर मुझे निर्देश दिया गया कि यदि परिवार वाले आप लोगों को साथ ले जाना चाहते हैं तो ठीक है नहीं तो वापस आ जाओ । इस पर मैं और नेहा ने पीड़िता के परिवार वालों को रेफरल मिलने के बाद उसके चाचा को बताकर वापस आ गये थे। पी0डब्लू० – 9 शिव कुमार ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि थाने में तथा बागला जिला अस्पताल में पीडिता पत्रकारों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का सटीक उत्तर दे रही थी और वह बेहोश नहीं थी । यह सही है कि थाने से बागला जिला अस्पताल ले जाते समय पीडिता बोल रही थी और बिल्कुल सही लग रही थी । साक्षी पी0डब्लू0 - 10 नेहा, महिला आरक्षी PNO No. 18255/488 थाना चन्दपा ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि मैं सन् 2018 में उत्तर प्रदेश पुलिस मे बतौर महिला आरक्षी भर्ती हुई तथा वर्तमान में मेरी पोस्टिंग जनपद [ ४५ ]45 हाथरस के थाना चन्दपा में चल रही है। दिनाँक 14.09.2020 मै 08.00 बजे ड्यूटी पर थाने आ गयी थी तथा 9.30 बजे लगभग थाने से मुझे बुलाया और बताया कि मुझे एक महिला जिसका नाम को लेकर के साथ जिला अस्पताल बागला जाने को कहा गया। मेरे साथ उस दिन होमगार्ड शिव कुमार गये थे जो थाने से मजरूबी चिट्टी लेकर आये थे। पीड़िता को टैम्पों को बीच वाली सीट पर लिटाया था तथा उसकी माँ साथ थी तथा एक तरफ मै तथा एक तरफ लड़की की बहन बैठी हुई थी जो पुछने पर पता लगा कि वह लड़की की बहन है। देखने पर पता लग रहा था कि पीड़िता के गले पर चोट लगी है और लाईन जैसा निशान है। लड़की होश मे थी तथा धीरे-धीरे बोल भी रही थी। मैने उसकी माँ से पीड़िता के विषय मे पुछा तो उसने बताया कि मैं घास काटने गयी थी व लड़की घास उठाने गयी थी तो वहाँ गाँव का लड़का सन्दीप आया जिससे हमारी पुरानी रंजिश थी और उसने पीड़िता को मारा। थाने से चन्दपा थाने पहुचने में लगभग 25-30 मिनट लगे होगें मैने लड़की की माँ से लड़की के साथ किसी भी प्रकार का छेड़खानी वगैरह तो नही हुई है तो उसने जबाब में बताया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है। अस्पताल में पहुचकर पीड़िता के परिवार वालो ने स्ट्रेचर पर लिटाकर इमरजेन्सी बेड पर लिटा दिया था इस दौरान मौजूद डॉक्टर साहब ने ग्लूकोज की डीप लगवा दी थी। उस दौरान एक पत्रकार अपने फोन पर रिकार्डिंग करते हुये पीड़िता से बात कर रहा था जिसका पीड़िता जबाब दे रही थी थोड़ी देर के बाद डॉक्टर साहब ने कहा कि वह पीड़िता को अलीगढ़ रैफर कर रहे है। पीड़िता के परिवार वालो द्वारा इलाज स्वयं करवाने एवं रैफर पर पीड़िता को स्वयं अलीगढ़ ले जाने की बात पर हमने थाने में इन्स्पेक्टर दिनेश वर्मा जी से फोन पर बात करके पीड़िता के परिवारवालों को सूचित करके हम वापस आ गये थे। पी0डब्लू0 – 10 नेहा, महिला आरक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि मैंने अपने बयान में सी०बी०आई० विवेचक को यह भी बताया था कि रास्ते में न तो लडकी ने और न ही लडकी की मॉ ने बलात्कार होने की बात बतायी थी। मैंने, सी0बी0आई0 विवेचक को यह भी अपने बयान में बताया था कि मैंने रास्ते में उसकी माँ से पूछा था कि लडकी के साथ कोई ऐसी-वैसी बात तो नहीं हुई है। इस पर लडकी की मॉ ने मना कर दिया था । जिस समय मैंने लडकी की मॉ से यह पूछा था उस समय पीडिता भी उसके पास लेटी हुई थी। पीडिता को मैंने थाने से ऑटो द्वारा अस्पताल ले जाते हुये देखा था, उसकी स्थिति तथा कपड़ों की स्थिति से यह प्रतीत नहीं [ ४६ ]23. 24. 46 होता था कि पीडिता के साथ कोई बलात्कार या सामूहिक बलात्कार हुआ हो । साक्षी पी0डब्लू0 - 11 जाफर आलम, स्टॉफ नर्स / ए.एन.एम. जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सी.बी.आई. विवेचक ने मुझसे पूछताछ की थी व मेरा बयान दर्ज किया था। मैंने विवेचक को बताया था कि मैं अलीगढ़ मेडीकल कॉलेज के इमरजेन्सी ट्रायेज में बतौर नर्सिंग काम करता हूँ जहाँ पर इमरजेन्सी में आये मरीज को पहली बार ट्रीटमेंट दिया जाता है और बाद में आवश्कतानुसार सम्बन्धित यूनिटों में भेज दिया जाता है। पत्रावली पर मौजूद डी – 73 कागज संख्या 77 – अ ट्रायेज रजिस्टर की सत्यापित छायाप्रति है जो चेयरमैन डिपार्टमेन्ट ऑफ न्यूरोसर्जरी JNMC मेडीकल कॉलेज ए. एम. यू. अलीगढ़ के डॉ० एम. एफ. हुदा के द्वारा सत्यापित है। मैं उनके हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ जिन्हें मैने अस्पताल के ऑफिशियल रिकार्ड में देख रखा है, उनके हस्ताक्षरों को आज A बिन्दु से चिन्हित किया गया। पत्रावली पर मौजूद डी – 73 / 1 इस रजिस्टर के दिनाँक 14.09.2020 की प्रविष्टि से सम्बन्धित पृष्ठ जिस पर इस केस से सम्बन्धित पीड़िता के अस्पताल में आने की प्रविष्टि पूर्व में हाईलाईटर से हाईलाईट की गयी है। यह पृष्ठ भी डॉ० एम. एफ. हुदा द्वारा अपने हस्ताक्षर मोहर से सत्यापित की गयी है। डी– 73 व डी-73 / 1 कागज संख्या 77अ एवं 77अ / 1 पर संयुक्त प्रदर्श क – 23 डाला गया। पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 83 / 142 पीड़िता के ओ.पी.डी. सम्बन्धित कार्ड की सत्यापित छायाप्रति है जो सी.एम.ओ. इमरजेन्सी एण्ड ट्रॉमा द्वारा सत्यापित है। पीड़िता 14.09.2020 को इमरजेन्सी ट्रायेज में रेफर पर लायी गयी थी। उस दौरान पीड़िता गले में दर्द बता रही थी प्राथमिक उपचार के बाद उसे आपातकाल के रिक्वरी वार्ड में भर्ती कर दिया गया था, जिसका विवरण इमरजेन्सी ट्रायेज रजिस्टर में दर्ज है। उस दौरान पीड़िता एवं उसके परिवारवालों ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म होने की बात मुझसे नहीं बतायी । साक्षी पी0डब्लू०- 12 सना सुबूर, नर्सिंग आफिसर, इमरजेन्सी रिक्वरी वार्ड, जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि मैं नर्सिंग ऑफीसर के पद पर इमरजेन्सी रिक्वरी वार्ड, JNMC मेडीकल कॉलेज में कार्यरत हूँ। इस प्रकरण में सी.बी.आई. विवेचक ने मुझसे पूछताछ की थी व मेरा बयान दर्ज किया था। मैंने विवेचक को बताया था कि मैं रिक्वरी वार्ड में काम करती हूँ तथा डॉक्टर के प्रिस्क्रीप्सन के अनुसार इस केस से सम्बन्धित पीड़िता को दवा दी थी। पत्रावली पर मौजूद डी - 74 / 1 कागज संख्या 78 – अ [ ४७ ]25. 47 | रिक्वरी रूम, ईमरजेन्सी ट्रॉमा सेन्टर रजिस्टर से सम्बन्धित एडमिशन रजिस्टर की सत्यापित छायाप्रति है, जो चेयरमैन डिपार्टमेन्ट ऑफ न्यूरोसर्जरी JNMC मेडीकल कॉलेज ए. एम.यू. अलीगढ़ के डॉ० एम. एफ. हुदा के द्वारा सत्यापित है मैं उनके हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें मैंने अस्पताल के ऑफिसियल रिकार्ड में देख रखा है। उनके हस्ताक्षरों को आज A बिन्दु से चिन्हित किया गया । पत्रावली पर मौजूद डी - 74 /2 इस रजिस्टर में इस केस से सम्बन्धित पीड़िता के हमारे यूनिट में 15.09.2020 को आने की तथा दिनाँक 21.09.2020 को 11:00 बजे हमारे यहाँ से HDU-4 वार्ड भेजे जाने की प्रविष्टि से सम्बन्धित पृष्ठ है, जिस पर इस केस से सम्बन्धित पीड़िता के अस्पताल में आने की प्रविष्टि पूर्व में हाईलाईटर से हाईलाईट की गयी है। यह पृष्ठ भी डॉ० एम.एफ. हुदा द्वारा अपने हस्ताक्षर व मोहर से सत्यापित की गयी है। डी-74/1 व डी - 74 / 2 कागज संख्या 78अ एवं 783 / 1 पर संयुक्त प्रदर्श क-24 डाला गया। मैं पीड़िता के उपचार के दौरान 02-3 दिन ड्यूटी पर रही उस दौरान पीड़िता गले में दर्द और बेचैनी बता रही थी तथा बार-बार पानी माँग रही थी । उस दौरान पीड़िता एवं उसके परिवारवालों ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म होने की बात मुझसे नहीं बतायी। साक्षी पी0डब्लू0 - 13 नौसाबा हैदर, नर्सिंग आफिसर, HDU-4 जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सी.बी.आई. विवेचक ने मुझसे पूछताछ की थी व मेरा बयान दर्ज किया था। मैंने विवेचक को बताया था कि मैं अलीगढ़ मेडीकल कॉलेज के HDU-4 में बतौर नर्सिंग ऑफीसर काम करती हूँ जहाँ पर इमरजेन्सी में आये मरीज को High Dependency Care प्रदान की जाती है। पत्रावली पर मौजूद डी-75/1 कागज संख्या 79 – अ HDU-4 का एडमिशन डिस्चार्ज रजिस्टर की सत्यापित छायाप्रति है, जो चेयरमैन डिपार्टमेन्ट ऑफ न्यूरोसर्जरी JNMC मेडीकल कॉलेज ए. एम. यू. अलीगढ़ के डॉ० एम. एफ. हुदा के द्वारा सत्यापित है। मैं उनके हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें मैंने अस्पताल के ऑफिसियल रिकार्ड में देख रखा है, उनके हस्ताक्षरों को आज A बिन्दु से चिन्हित किया गया । पत्रावली पर मौजूद डी – 75 / 2 इस रजिस्टर में इस केस से सम्बन्धित पीड़िता के हमारे यूनिट HDU-4 में दिनाँक 21.09.2020 को आने की तथा दिनाँक 23.09.2020 को 10.00 बजे हमारे यहाँ से ट्रॉमा आई.सी.यू. वार्ड भेजे जाने की प्रविष्टि से सम्बन्धित पृष्ठ है, जिस पर इस केस से सम्बन्धित पीड़िता के अस्पताल में आने की प्रविष्टि पूर्व में हाईलाईटर से हाईलाईट की गयी है। यह पृष्ठ भी [ ४८ ]48 डॉ० एम. एफ. हुदा द्वारा अपने हस्ताक्षर व मोहर से सत्यापित की गयी है। डी–75/1 व डी–75/2 कागज संख्या 79अ एवं 793 / 1 पर संयुक्त प्रदर्श क– 25 डाला गया। पत्रावली पर मौजूद डी-3 के पेज 142 पर पीड़िता के JNMC रैफरल पर आने से सम्बन्धित ओ. पी. डी. कार्ड है। दिनाँक 22.09.2020 को सुबह 10:00 बजे के आस-पास पीड़िता की माँ व पीड़िता ने, पीड़िता के साथ दुष्कर्म होने वाली बात मुझे पहली बार बतायी। मैंने तुरन्त अपने HDU में मौजूद डॉक्टरों को इस बात की सूचना दी। मेरे सूचना के बाद डॉक्टर साहब ने अन्य डॉक्टरों को इस बारे में सूचना दी तथा कई डॉक्टरों की टीम पीड़िता को देखने के लिए वहाँ आ गये। उस टीम में लेडिज डॉक्टर भी थी। मैं वहाँ आये डॉक्टरों की टीम के सदस्यों का नाम नहीं बता सकती, वह हमारे HDU से नही थे। पीड़िता के सेक्सुअल असॉल्ट से सम्बन्धित जाँच डॉक्टरों की टीम द्वारा की गयी थी, मैंने जाँच में उनकी मदद नहीं की थी। मैंने सम्बन्धित जाँच एवं रिपोर्ट में केवल बतौर गवाह भाग लिया था तथा गवाह के रूप में हस्ताक्षर भी किये थे। मेरे हस्ताक्षर पत्रावली पर मौजूद डी-3 में जाँच रिपोर्ट जो पत्रावली पर कागज संख्या 8–3 / 128 से 8-अ / 137 के रूप में मौजूद है, में पृष्ठ 8अ / 136 पर मौजूद है जो मैने साक्षी के तौर पर किये थे। जिसकी मैं शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज A बिन्दु से चिन्हित किया गया। जाँच रिपोर्ट पर प्रदर्श क– 26 डाला गया। जाँच के दौरान पीड़िता की माँ उसके साथ मौजूद थी। दिनाँक 21.09.2020 एवं 22.09.2020 को पीड़िता की स्थिति स्थिर थी, वह बोल पा रही थी। दिनाँक 23.09.2020 को उसकी स्थिति बिगड़ने पर उसे HDU से आई.सी.यू. भेज दिया गया था । पत्रावली पर मौजूद डी - 77 / 1 इस रजिस्टर में हमारे अस्पताल से सम्बन्धित ट्रॉमा आई.सी.यू. के रजिस्टर की सत्यापित हैं। इस केस से सम्बन्धित पीड़िता के हमारे यूनिट HDU-4 से दिनाँक 23.09.2020 को आईसीयू ट्रॉमा भेजी गयी थी, जिससे सम्बन्धित प्रविष्टि डी - 77 / 2 पर उपलब्ध है। यह पृष्ठ एवं रजिस्टर डॉ० एम. एफ. हुदा द्वारा अपने हस्ताक्षर व मोहर से सत्यापित की गयी है। डी-77 / 1 व डी - 77 / 2 कागज संख्या 81अ / 1 एवं 81अ / 2 पर संयुक्त प्रदर्श क - 27 डाला गया । पी0डब्लू0–13 नौसाबा हैदर ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि दिनांक 22.09.2020 को लगभग 10:00 बजे पीडिता एवं पीडिता की मॉ ने मुझे पहली बार Sexual assault के बारे में बताया था, उस समय पीडिता की मॉ अधिक बोल रही थी, लडकी कम बोल रही थी। पीडिता ने आक्सीजन मास्क लगाया हुआ था। मैंने, पीडिता व पीडिता की मॉ से यह भी [ ४९ ]26. 49 पूछा था कि यह बात ( Sexual assault) आपने पहले क्यों नहीं बतायी । आप पहले ही बता देती तो इस पर दोनों चुप हो गयी थीं। पीडिता की Sexual assault से सम्बन्धित कोई भी जॉच मेरी मौजूदगी में नहीं हुई। मैंने, सी0बी0आई0 विवेचक को अपने बयान में यह बताया था कि दिनांक 21.09.2020 व 22.09.2020 को पीडिता की दशा समान थी और दोनों ही दिनांक को पीडिता की हालत में कोई बदलाव नहीं था । पीडिता दोनों ही दिनांक को मेरी बातों को समझती थी तथा जवाब देती थी तथा अपनी परेशानी बताती थी, जिसको मैं डाक्टर को बताती थी । साक्षी पी0डब्लू0 - 14 डा० एम०एफ० हुदा, प्रोफसर एण्ड चेयरमैन, डिपार्टमेन्ट ऑफ न्यूरो सर्जरी जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सी०बी०आई० विवेचक ने मेरा बयान दर्ज किया था । मैंने उन्हें इस प्रकरण की पीडिता से सम्बन्धित मेडिकल रिकार्ड की प्रतियां सत्यापित करके सीजर मेमो के माध्यम से दी थी। सीजर मेमो पत्रावली पर डी - 70 कागज संख्या 741 / 1 एवं 743 / 2 के रूप में मौजूद है, जिस पर मौजूद अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज ए बिन्दु से चिन्हित किया गया है। इस सीजर मेमो कागज संख्या 741 / 1 एवं 743 / 2 पर आज प्रदर्श क-28 डाला गया। इस सीजर मेमो के माध्यम से मैंने इसमें वर्णित क्रमांक 01 से 07 में वर्णित दस्तावेज सी०बी०आई० विवेचक को हस्तगत किये थे। कागज संख्या 753 / 1 ता 753 / 4 डाक्टरों की दिनांक 01.08.2020 से 31.10.2020 के अवधि की ड्यूटी चार्ट है, जो मेरे द्वारा सत्यापित है। ड्यूटी चार्ट कागज संख्या 753 / 1 ता 753 / 4 पर आज प्रदर्श क-29 डाला गया । कागज संख्या 76अ / 1 ता 76अ / 13 इस प्रकरण की पीडिता से सम्बन्धित चिकित्सीय दस्तावेज है, जिसमें उसके बी०पी० पल्स, आक्सीजन, लेबिल आदि का चार्ट एवं उसको अस्पताल में दिये गये उपचार का ट्रीटमेन्ट कार्ड है। कागज संख्या 76अ/1 ता 76अ/13 पर आज संयुक्त प्रदर्श क- 30 डाला गया । इस स्तर पर उजागर हुआ कि संयुक्त प्रदर्श क-23, 24, 25, 26 एवं 27 पर पूर्व पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर मौजूद नहीं हैं, जबकि उपरोक्त दस्तावेज गवाह पी0डब्लू0-11 से पी0डब्लू0 - 13 के बयानों में साबित कराया गया है। आज मौजूद गवाह ने उपरोक्त दस्तावेजों को सत्यापित करके सी0बी0आई0 विवेचक को हस्तगत किये थे। इस साक्षी ने आज न्यायालय में इन प्रपत्रों को सत्यापित किया है। गवाह की पुष्टि करने पर उपरोक्त प्रदर्शों पर आज मुझ पीठासीन अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किये गये । इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता हमारे [ ५० ]50 अस्पताल में ओ०पी०डी० कैजुअल्टी में दिनांक 14.09.2020 को 4:10 पी0एम0 पर आई थी तथा उसका कैजुअल्टी नम्बर सी - 46578 था, उसे न्यूरो सर्जरी यूनिट में मेरे व अन्य सहयोगी डॉक्टरों द्वारा उपचार दिया गया, जिनमें डॉ० रमन मोहन शर्मा, डॉ० तविश, डॉ० जफर कमाल अन्जुम एवं डॉ० सूरज थे, उसे इमर्जेन्सी सर्जीकल टीम में डॉ० सिरीन व डॉ० दिवान्शु द्वारा उपचार दिया गया। उस दौरान मरीज व उसके परिवारीजन द्वारा गला घोंटने के द्वारा चोट आने का कथन किया गया है। मरीज के परिजनों ने मरीज के बारे में बताया था, उसे बेहोशी हुई थी, गले में दर्द हुआ था। उसके लोअरलिम्ब में सुन्नपन था । उस समय न तो मरीज ने न उसके साथ आये परिजनों ने उसके यौन उत्पीड़न की बात बताई थी। जब मरीज लाई गयी थी उसका बी०पी० लो था, खून में आक्सीजन की मात्रा कम थी व पल्सरेट भी नार्मल नहीं था, परिवर्तित हो रहा था। जब पीडिता का हमने परीक्षण किया तब उसके गले पर स्ट्रेंगुलेशन के निशान थे तथा मरीज के हाथ में कमजोरी थी और पैर बिल्कुल नहीं चल रहे थे। स्तन से नीचे पूरा शरीर सुन्न था । मरीज की स्थिति का कारण स्पाइन इन्जरी था। उस दौरान उसकी आँखों में लालपन होने के कारण नेत्र विशेषज्ञ को बुलाकर दिखाया गया था तथा आँखों के डॉक्टर डा० बजाहत एवं डॉ० फायजा द्वारा उपचार के बाद आँखों की रोशनी सही पायी गयी । आँखों में कन्जेक्टीवाइल हेमरेज के कारण आँखों में लालिमा होना पाया गया, जो स्ट्रेंगुलेशन के कारण सम्भव है। ई0एन0टी0 टीम द्वारा उसी दिन मरीज का परीक्षण किया गया, जो डॉक्टर डॉ० नैंसी, जो डॉक्टर एस०सी०शर्मा व डॉ० अफताफ के अधीनस्थ काम करती हैं, ने परीक्षण किया और उन्होंने गले की चोट का विवरण लिगेचर मार्क 5x2 से०मी० बॉयी ओर तथा दॉयी ओर 10x3 का लिगेचर मार्क, जो जबडे की हड्डी से 5-6 से०मी० नीचे था तथा मरीज के जीभ के अगले हिस्से में दॉत से आये चोट के निशान थे। जीभ कटी या फटी हुई नहीं थी। मरीज को अस्पताल में इमरजेन्सी उपचार की सुविधा प्रदान की गयी। उसे फिल्यूड, एन्टी वोयोटिक, स्टेराइड, ऑक्सीज एवं सर्वाइकल कॉलर तथा अन्य सम्बन्धित आवश्यक उपचार दिया गया तथा उसी समय मरीज को पेशाब के लिये कैथराइज किया गया । पीडिता का एक्सरे एवं सी०टी० स्कैन किया गया तो उसके गले में सर्वाइकल लेबिल सी - 5, सी - 6 लेबिल पर फैक्चर पाया गया तथा सी–5 व सी – 6 हड्डी एक दूसरे के ऊपर खिसकी हुई पाई गयी। जॉच में यह बात भी सामने आयी कि स्पाइन कोड में खून के थक्के जमें हुए थे। दिनांक 21.09.2020 को मरीज की स्थिति को देखते हुए, उसे हाई [ ५१ ]डिपेन्डेंसी यूनिट 4 में सिफ्ट कर दिया गया। उस दौरान मरीज की हालत क्रिटिकल थी। वह होश में थी। दिनांक 22.09.2020 को पहली बार पीड़िता ने ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ को उसके साथ 14.09.2020 को हुई घटना में दुष्कर्म होने के बारे में बताया। इस पर तुरन्त कार्यवाही करते हुए स्त्रीरोग विशेषज्ञ एवं फॉरेन्सिक विभाग को तुरन्त आवश्यक कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया। इस क्रम में पीडिता का विस्तृत Sexual Assault Forensic Examination के लिये टीम गठित कर दी गयी, जिसमें डॉ० भूमिका, डॉ० डालिया रफात, डॉ० फैज अहमद आदि डॉक्टरों को नियुक्त किया गया, जिन्होंने पीडिता की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट सी0एम0ओ0 को भेजी। दिनांक 22.09.2020 को पीडिता की गम्भीर हालत एवं यौन उत्पीड़न की स्थिति को देखते हुए, मजिस्ट्रेट द्वारा मृत्यु पूर्व बयान दर्ज कराने हेतु कार्यवाही की गयी। दिनांक 23.09.2020 को मरीज की स्थिति और गम्भीर होने पर उसे आई0सी0यू0 में वेन्टीलेटर पर सिफ्ट कर दिया गया तथा वह दिनांक 23.09.2020 से दिनांक 28.09.2020 तक वेन्टीलेटर पर रही, उस दौरान मरीज के परिवारीजनों को मरीज की स्थिति के बारे में अवगत कराया गया तथा उनके द्वारा सहमति देने पर इलाज जारी रखा गया तथा उन्हें कहीं और दिखाने का विकल्प भी दिया गया परन्तु वह इलाज से सन्तुष्ट थे और बाहर ले जाने के लिये तैयार नहीं थे। दिनांक 28.09.2020 को मरीज के परिवारीजनों के अनुरोध पर उसे बेहतर इलाज हेतु एम्स दिल्ली के लिये रेफर किया गया और दिनांक 20.09.2020 से दिनांक 22.09.2020 के बीच मरीज की स्थिति एक जैसी थी तथा गम्भीर थी।

पी0डब्लू0-14 डा० एम०एफ० हुदा ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि पीडिता को दिनांक 14.09.2020 को ही पेशाब के लिये नली लगायी थी। यह सही है कि यूरेथा के माध्यम से जब पेशाब की नली लगायी गयी होगी तो उसके जननांग को निश्चित रूप से देखा गया होगा क्योंकि उसके बगैर नली लगाना सम्भव नहीं है। उस समय उसके जननांगों में कोई चोट या Sexual Assault का कोई लक्षण अंकित नहीं किया गया अगर इस तरह का Sexual Assault का कोई लक्षण देखा गया होता तो निश्चित ही अंकित किया जाता। मैंने, सी0बी0आई0 को दिनांक 18.11.2020 को यह बयान दिया था कि “I state that the health condition of the victim was almost same on 20.09.2020, 21.09.2020 and 22.09.2020”। मैंने यह भी बयान दिया था कि पीडिता हमारी बातों का जवाब दे रही थी। पीडिता के साथ दुष्कर्म होने के सम्बन्ध में सर्वप्रथम सूचना मुझे डाक्टर तबिश व सूरज ने दिनांक [ ५२ ]________________

27. 52 22.09.2020 को दी थी। मुझे सबसे पहले पीडिता के साथ दुष्कर्म के सम्बन्ध में सूचना पुलिस अधिकारी / विवेचक ने नहीं दी। मैंने केवल सी0एम0ओ0 को निर्देश दिनांक 22.09.2020 को दिया था। दिनांक 21.09.2020 को पीडिता बयान देने की स्थिति में थी अगर विवेचक यह कहता है कि पीडिता दिनांक 21.09.2020 को बयान देने की स्थिति में नहीं थी तो वह बयान सही नहीं है । साक्षी पी0डब्लू0-15 डा० फैयाज अहमद, असिस्टेण्ट प्रोफेसर, विधि विज्ञान विभाग, जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि मैं वर्तमान में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जे०एन० मेडिकल कालेज के विधि विज्ञान विभाग में असिस्टेण्ट प्रोफेसर के तौर पर संविदा में कार्यरत हूँ। इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता दिनांक 14.09.2020 को ओ.पी.डी. कैजुअल्टी नं0-सी46578 के द्वारा दाखिल हुई थी तथा गले में स्ट्रैगुलेशन की शिकायत थी। दिनांक 22.09.2020 को करीब 11:30 बजे दिन हमारे विधि विज्ञान विभाग को लिखित रिक्यूजिशन न्यूरो सर्जरी विभाग से प्राप्त हुआ था कि किसी दुष्कर्म पीडिता का मेडिकल एग्जामिनेशन होना है। पीडिता की जॉच के लिये गाइनो डिपार्टमेण्ट एवं हमारे विभाग की संयुक्त टीम बनायी गयी थी और उसी दिन हम लोगों ने 12:30 बजे पीडिता का परीक्षण किया । गाइनो वालों ने अपना काम किया तथा हमने अपने से सम्बन्धित काम किया। उस दौरान प्रक्रिया के तहत पीडिता से पूछने पर उसने बताया कि चार लोगों ने दिनांक 14.09.2020 को सुबह 09:00 बजे उसके साथ दुष्कर्म किया तथा दुपट्टे से उसका गला घोंटने का प्रयास किया जब वह अपने गाँव में खेत में कुछ काम कर रही थी । पीडिता से सम्बन्धित मेडिकल अभिलेखों में उसके साथ दुष्कर्म का कोई हवाला नहीं था, इस सम्बन्ध में हमने पीडिता से पूछा तो वह चुप हो गयी। इसके बाद पीडिता व उसकी माँ से लिखित अनुमति प्राप्त करने के बाद उसका परीक्षण शुरू हुआ। इस दौरान वह होश में थी, वह बातचीत कर रही थी। वह किसी तरह से एल्कोहल, ड्रग आदि के प्रभाव में नहीं थी तथा शारीरिक व मानसिक अयोग्यता में नहीं थी। वह अपने लोअर लिम्ब (कमर से नीचे का हिस्सा) नहीं हिला पा रही थी । पीडिता के शरीर पर स्टेन के निशान नहीं थे क्योंकि वह एक हफ्ते से अस्पताल में भर्ती थी और उसके शरीर को पोंछा जा चुका था । परीक्षण के दौरान उसके शरीर पर आँख में रक्त के थक्के थे, जिससे आँख लाल हुई थी । उसके गर्दन पर दो लिगेचर मार्क था, पहला 5x2 से०मी० जो बॉयीं ओर था तथा दूसरा 10x3 से०मी० जो दॉयीं मेडिकल एक्जामिनेशन रिकार्ड एवं तरफ था। इस बारे में उसके सेक्सुअल एग्जामिनेशन रिकार्ड में विवरण [ ५३ ]दिया हुआ है । उसकी पीठ पर 9x2 से0मी0, 6x2 से0मी0, 3x3 से०मी० व 2x2 से०मी० के हील्ड एब्रेजन थे, जिसका तात्पर्य यह है कि छीलन 06-7 दिन पुराने थे । पीडिता के गुप्तांगों की जॉच मौजूद गाइनोक्लोजिस्ट डा० डालिया रफात, डा० भूमिका आदि ने किया था । हमारी विधि विज्ञान टीम ने पीडिता के दुष्कर्म सम्बन्धित परीक्षण के लिये ब्लड सैम्पल, स्कैलफेयर, प्रीनियल स्वैव, वेजाइनल स्वैव एण्डोसर्विकल स्वैव, एनल स्वैव, फिंगर नेल्स डेबरीज और उसके द्वारा घटना के दिन पहने गये कपडे उसकी माँ से गाइनों द्वारा एकत्र करके परीक्षण के लिये हमने प्राप्त किये। प्राप्त किये गये नमूनों को सुरक्षित करके उसकी नियमानुसार लेवलिंग की तथा अस्पताल के मेडिको लीगल काउण्टर में जमा कर दिये। उसके मुँह का स्वैव नहीं लिया गया था क्योंकि घटना वाले दिन से परीक्षण वाले दिन तक पीडिता खा-पी चुकी थी तथा मुँह धो चुकी थी और उसका बॉडी स्वैव नहीं लिया गया था क्योंकि उसे अस्पताल में वाइप (पोंछा ) किया जा चुका था। प्यूबिक हेयर नहीं प्राप्त हो सके क्योंकि शेव किया हुआ था। यूरिनल प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया गया, जो नेगेटिव था । सेक्सुअल सेक्स रिपोर्ट में पीडिता के साथ यूजोफोर्स का विवरण है परन्तु दुष्कर्म के सम्बन्ध में रिपोर्ट में सम्भोग के सम्बन्ध में ओपिनियन रिजर्व रखा गया था, जो कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट के बाद दिया जा सकता था। इस प्रकरण से सम्बन्धित विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा की रिपोर्ट पत्रावली पर डी-1 कागज संख्या 63 / 165 के रूप में मौजूद है। इस रिपोर्ट के आधार पर हमने अपनी रिपोर्ट तैयार की थी, जो पत्रावली पर कागज संख्या 6अ / 197 के रूप में मौजूद है। इस रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज ए बिन्दु से चिन्हित किया गया। हमारे विभाग के चेयरमैन डा० सादिया सईद के हस्ताक्षर की भी मैं शिनाख्त करता हूँ। मैंने उनके साथ काम किया है तथा उन्हें लिखते - पढते व हस्ताक्षर करते देखा है, उनके हस्ताक्षर को आज बी बिन्दु से चिन्हित किया गया। इस रिपोर्ट कागज संख्या 63 / 197 पर आज प्रदर्शक - 31 डाला गया। पीडिता से सम्बन्धित सेक्सुअल एसाल्ट फारेन्सिक एग्जामिनेशन रिपोर्ट की सत्यापित छायाप्रति पत्रावली पर कागज संख्या 6अ / 128 से 63 / 137 के रूप में मौजूद है, जो उस दिन पीडिता के परीक्षण के दौरान तैयार हुआ था। इसके कागज संख्या 6अ / 129 पर मौजूद अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज ए बिन्दु से चिन्हित किया गया । यह रिपोर्ट उस दिन मेरे सामने तैयार हुई थी तथा मैं इसे तस्दीक करता हूँ । [ ५४ ]पी0डब्लू0-15 डा0 फैयाज अहमद ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि यह सही है कि कागज संख्या 6अ / 142 में पीडिता को स्टैंगुलेशन की हिस्टी के साथ भर्ती किया था, इसके अलावा अन्य कोई हिस्टी पेपर्स में लिखी हुई नहीं है। दिनांक 22.09.2020 को पीडिता का इग्जामिनेशन किया, उसकी रिपोर्ट हमने तैयार की थी। रिपोर्ट मेरे हैण्डराईटिंग में नहीं है। रिपोर्ट डा० कासिफ अली की हैण्डराईटिंग में है, जो पत्रावली पर कागज संख्या 63/ 128 से 6अ / 137 तक मौजूद है। यह सही है कि कागज संख्या 63/137 में कॉलम 16 के नीचे यह नोट अंग्रेजी में अंकित है "पेसेन्ट डिड नॉट गेव ऐनी हिस्ट्री ऑफ सेक्सुअल एसाल्ट एट द फर्स्ट टाईम ऑफ एडमिशन टू द हास्पीटल. शी टोल्ड एबाउट द इन्सीडेंट फर्स्ट टाईम ऑन 22.09.2020” यह नोट बिन्दु ए से चिन्हित किया गया। पेपर नम्बर 63 / 108 मैंने देखा था, यह वह पत्र है, जिसके द्वारा न्यूरोसर्जरी विभाग ने हमारे विभाग को पीडिता का सेक्सुअल एसाल्ट परीक्षण कराने हेतु अनुरोध किया था। इस पत्र को मैंने पढा था, यह पत्र दिनांक 22.09.2020 को 11:00 ए. एम. पर हमारे विभाग को प्रेषित किया गया था। इस पत्र में यह अंकित है कि "एबब मेन्शन पेसेंट विद एबब मेन्शन डाईग्नोसिस ऐज एडमिटेड टू अवर साईड । प्रीवियसली पेसेंट एण्ड पेसेंट अटेंडेंड नॉट गिविंग हिस्टी आफ रेप बट नाउ पेसेंट अटेंडेंड गिविंग अटेम्ट टू रेप | यह नोट बिन्दु 20ए चिन्हित किया गया। यह सही है। कि शुरूआत में स्टैंगुलेशन की हिस्टी के अलावा अन्य किसी चोट की हिस्ट्री नहीं दी गयी । विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार पीडिता के साथ कोई भी वेजाईनल / एनल इण्टरकोर्स का चिन्ह दृष्टिगोचर नहीं हुआ था । साक्षी पी0डब्लू0 - 16 डा० डालिया रफात, असिस्टेण्ट प्रोफेसर, स्त्री रोग विभाग, जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि मैं वर्तमान में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जे.एन. मेडिकल कालेज के स्त्रीरोग विभाग में असिस्टेण्ट प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत हूँ। इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता दिनांक 14.09.2020 को ओ.पी.डी. कैजुअल्टी नं0-सी46578 के द्वारा दाखिल हुई थी तथा गले में स्टेंगुलेशन की शिकायत थी। दिनांक 22.09.2020 को करीब 11:30 बजे दिन हमारे स्त्रीरोग विभाग को लिखित रिक्यूजिशन न्यूरो सर्जरी विभाग से प्राप्त हुआ था कि किसी दुष्कर्म पीडिता का मेडिकल एग्जामिनेशन होना है। पीडिता की जॉच के लिये हमारे गाइनो डिपार्टमेन्ट एवं विधि विज्ञान विभाग की संयुक्त टीम बनायी गयी थी और उसी दिन हम लोगों ने 12:30 बजे पीडिता का परीक्षण किया । हम गाइनो वालों ने [ ५५ ]अपना काम किया तथा विधि विज्ञान वालों ने उनसे सम्बन्धित काम किया। उस प्रक्रिया के तहत पीडिता से पूछने पर उसने बताया कि चार लोगों ने दिनांक 14.09.2020 को सुबह 09:00 बजे उसके साथ दुष्कर्म किया तथा दुपट्टे से उसका गला घोंटने का प्रयास किया, जब वह अपने गॉव में खेत में कुछ काम कर रही थी । पीडिता से सम्बन्धित मेडिकल अभिलेखों में उसके साथ दुष्कर्म का कोई हवाला नहीं था, इस सम्बन्ध में हमने पीडिता से पूछा तो वह चुप हो गयी । इसके बाद पीडिता व उसकी माँ से लिखित अनुमति प्राप्त करने के बाद उसका परीक्षण शुरू हुआ। इस दौरान वह होश में थी, वह बातचीत कर रही थी । वह किसी तरह से एल्कोहल, ड्रग आदि के प्रभाव में नहीं थी तथा शारीरिक व मानसिक अयोग्यता में नहीं थी। वह अपने लोअर लिम्ब (कमर से नीचे का हिस्सा) नहीं हिला पा रही थी । पीडिता के गुप्तांगों की जॉच मेरे व डा० भूमिका द्वारा की गयी थी । पीडिता से सम्बन्धित सेक्सुअल एसाल्ट फारेन्सिक एग्जामिनेशन रिपोर्ट की सत्यापित छायाप्रति पत्रावली पर कागज संख्या 6अ/128 से 6अ / 137 के रूप में मौजूद है, जो उस दिन पीडिता के परीक्षण के दौरान मेरे सामने तैयार हुआ था, जिस पर प्रदर्श क - 32 डाला गया। यह रिपोर्ट उस दिन मेरे सामने तैयार हुई थी तथा मैं इसे तस्दीक करती हूँ। इस रिपोर्ट के कागज संख्या 6अ / 130 के पुष्ट भाग पर डा० भूमिका के हस्ताक्षर की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज ए बिन्दु से चिन्हित किया गया। रिपोर्ट के कागज संख्या 63 / 131 के पुष्ट भाग में जो पीडिता से सम्बन्धित फाईण्डिंग है, जो हमने उसे परीक्षण के दौरान पाया था । हमने परीक्षण के दौरान पाया था कि वह होश में थी और समय और व्यक्तियों को पहचान रही थी और उसके लोकल एग्जामिनेशन ऑफ जनटेलिया में यह पाया गया कि कोई रेडनेस, स्वैलिंग, टेण्डरनेस, एब्रेजन, कन्ट्यूजन, लेसरेशन्स नहीं थी । नो टीयर वर सीन ऑन लेबिया मैजोरा, लेबिया माईनोरा यूरेथ्रा हाईमन वेजाइना सर्विक्स फोर्सिट एण्ड पैरीनियम । परीक्षण के दौरान उसके जननांगो से नियमानुसार स्वैव इकट्ठा करके विधि विज्ञान प्रयोगशाला से मौजूद डाक्टरों फैज अहमद एवं डा० कासिफ अली को दिया गया था । पी0डब्लू0-16 डा० डालिया रफात ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि यह सही है कि प्रदर्श क-32 में जो भी प्रविष्टियां की गयी हैं, वह मेरी मौजूदगी में मेरे सामने की गयी हैं। यह सारी प्रविष्टियां मेरे समक्ष पीडिता से पूछने के पश्चात, पीडिता के जवाब देने के पश्चात भरी गयी हैं । मेरे सामने पीडिता ने अपनी आयु 18 वर्ष बतायी थी । मेरे सामने पीडिता ने [ ५६ ]उसके साथ दुष्कर्म करने वाले चार लोगों की आयु लगभग 19 वर्ष से 20 वर्ष बतायी थी। किसी भी दुष्कर्म करने वाली की आयु 28 वर्ष से 35 वर्ष नहीं बतायी थी । पीडिता ने अपने साथ चार लोगों द्वारा वेजाइनल इण्टरकोर्स की बात मेरे समक्ष बतायी थी तथा चार व्यक्तियों पूर्ण वेजाइनल इण्टरकोर्स पेनिस के द्वारा बताया गया एवं हमलावरों की उम्र लगभग 19 से 20 साल बतायी थी । इसके बावजूद भी पीडिता के जननांगों पर कोई रेडनेस, स्वलिंग, टेंडरनेस, एब्रेजन, कन्टूजन, लेसरेशन्स नहीं पाये गये थे । पीडिता के जननांगों के भागों पर कोई भी टियर ऑन लेबिया, मेजोरा, लेबिया माईनोरा, यूरेथ्रा हाईमन, वेजाईना सविक्स, फोरसिट एण्ड पेरीनियम या कोई अन्य फ्रेश इंजरी नहीं पायी गयी। मैं नहीं कह सकती कि कोई ओल्ड इंजरी थी या नहीं। हमारी गाईड लाईन्स में यह निर्देशित है कि सेक्सुअल असाल्ट इग्जामिनेशन में ओल्ड इंजरी मेंशन नहीं किया जाये। पीडिता के जननांग नार्मल थे, कोई भी एबनार्मलिटी नहीं थी। हमें 11:30 बजे दिन में कॉल सेक्सुअल असाल्ट एग्जामिनेशन के सम्बन्ध में न्यूरोलाजी विभाग द्वारा भेजी गयी थी। लगभग 12:30 बजे हमने सेक्सुअल असाल्ट एग्जामिनेशन स्टार्ट कर दिया था तथा एग्जामिनेशन 01:30 बजे पूर्ण हो गया था । साक्षी पी0डब्लू0 - 17 श्रीमती रामा देवी ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण के सम्बन्ध में सी0बी0आई0 विवेचक ने मुझसे पूछताछ कर मेरा बयान दर्ज किया था। घटना दिनांक 14.09.2020 की है, उस दिन मैं अपने घर से सुबह 07:30 बजे अपने बेटे सतेन्द्र व पुत्री पीडिता के साथ खेत पर घास लेने गयी थी । मेरी देवरानी के बच्चे पुतकन्ना व वरूण भी हमारे साथ गये थे, वे आधे रास्ते से हमसे अलग होकर इधर-उधर चले गये थे। घास काटने को जाते वक्त मेरी चचिया सास किरन देवी भी मिली थी। हम घास काटने सडक के किनारे चकरोड की तरफ गये थे। वहाँ हमने घास काटी, कुछ घास की गठरिया बनाकर सतेन्द्र घर डालने को चला गया और मैं एवं पीडिता घास काटने व इकट्ठा करने लगे तथा आगे छोटू के खेत पर घास इकट्ठा करके चले गये। मैंने अपनी पुत्री से कहा और घास काट लेते हैं तो मेरी पुत्री ने कहा कि मुझे प्यास लग रही है। मैं और घास नहीं काटूंगी, तब मैंने उससे कहा कि तू घास मत काट, पर जो कटी है, उसे इकट्ठा कर ले। इस दौरान मैं घास काटने आगे चली गयी तथा वह वहीं घास इकट्ठा करती रही, जहाँ मैं अपनी पुत्री को छोडकर गयी थी, उससे थोडी आगे सीधे हाथ को मोड पर घास काटने लगी, वहॉ मुझे मेरी पुत्री नजर नहीं आ रही थी । फिर मैं वहाँ से घास काटकर वापस [ ५७ ]उस जगह आ गई, जिस जगह पर मैं अपनी पुत्री को छोडकर गई थी तो मैंने देखा कि मेरी पुत्री ने घास इकट्ठा नहीं की है और वह नजर भी नहीं आ रही थी। मैं उसे देखने सडक तक गयी। मैंने सोचा कि वह पानी पीने गई है। फिर कुछ देर बाद मैंने यह सोचा कि काफी देर हो गयी है । वह पानी पीकर नहीं लौटी तो मैंने 02-3 बार सडक की ओर जाकर चक्कर लगाया फिर मैंने उसका नाम लेकर बार-बार आवाज लगायी। आवाज मारमार चिपटी । फिर मैं लौटकर आयी तो मैंने देखा कि बांयी तरफ बाजरे के खेत में पीडिता की एक चप्पल उल्टी पडी थी । इस स्तर पर न्यायालय की अनुमति से न्यायालय की मोहर से दिनांकित 05.03.2021 को सील किया गया, पीला लिफाफा जिसके ऊपर आर्टीकल ए-3 लिखा हुआ है । इस लिफाफे के अन्दर खाकी रंग का एक खुला लिफाफा निकला, जिस पर एम. आर. 2393 / 2020 आर.सी. 1202020 (एस) 0005, इस लिफाफे के अन्दर एक और खाकी रंग का लिफाफा निकला, जिस पर वस्तु प्रदर्श-5 दिनांकित 05.03.2021 लिखा हुआ है। इसके अन्दर पीले रंग का एक लिफाफा और निकला जिस पर वस्तु प्रदर्श - 4 लिखा है। इसके अन्दर हवाई चप्पलों की जोडी निकली, जिस पर वस्तु प्रदर्श - 3 है । गवाह ने चप्पलों की जोडी देखकर बताया कि यह वही चप्पल है, जिसे पीडिता घटना वाले दिन पहने हुये थी। वस्तु प्रदर्श - 3 को खोलने के क्रम में पुनः उन्हीं लिफाफों में डालकर सील किया गया। मैंने चप्पल देखकर अपने हाथ में ले ली और मैंने सोचा कि अगर वह घर जाती तो दोनों चप्पल पहनकर जाती । चप्पल जहां पडी थी, वहां से बाजरा के खेत में गली बन गई थी। मैं वहाँ गई तो मैं देखकर घबरा गई, क्योंकि मेरी लडकी वहाँ बेहोश पडी थी, उसकी आँखें खुली हुई तथा लाल थी, उसके सारे कपडे उतरे हुये थे तथा उसके बगल में इधर-उधर पडे हुये थे । पीडिता के पैर भरा (नाली) की तरफ थे तथा उसका सिर खेत की तरफ था। पीडिता ने घटना से पूर्व कुर्ता - पैजामा, चुन्नी पहिन रखी थी, जो वहां खुले पडे थे, उसका अण्डरवियर भी वहीं पडा हुआ था। मैं देखकर घबराकर रोने लगी, रोने की आवाज सुनकर छोटू जो खेत का मालिक है, वह वहाँ आने लगा तो मैंने उसे आवाज लगाकर रूकने के लिये कहा, क्योंकि मैं पीडिता को कपडे पहना रही थी । पीडिता को कपडे पहनाने में लगभग पौन घण्टा लगा क्योंकि वह खडी नहीं हो पा रही थी, बेहोश पडी हुई थी और उसके गले पर खरोंच के निशान थे तथा मुँह पर खरोंच के निशान थे और उसकी जीभ कटी हुई थी। फिर मैं उसे जैसे-तैसे खींचकर बाहर लायी । मैं उसे बगल में बांहे लगाकर खींचकर बाहर लायी, उस समय केवल पैर जमीन [ ५८ ]को छू रहे थे । पीडिता का दुपट्टा उसके गले में लिपटा हुआ था। इस स्तर पर न्यायालय की अनुमति से न्यायालय की मोहर से दिनांकित 05.03.2021 को सील किया गया, पीला लिफाफा जिसके ऊपर आर्टीकल ए-6 लिखा हुआ है। इस लिफाफे पर एम. आर. 2397 / 2020 आर.सी. 1202020 ( एस ) 0005, इस लिफाफे के अन्दर एक और खाकी रंग का लिफाफा निकला, जिस पर संयुक्त प्रदर्श-7 दिनांकित 05.03.2021 लिखा हुआ है। इसके अन्दर खाकी रंग का एक लिफाफा और निकला जिस पर सी. एफ. एल. 2020 / बी-572 बायो नम्बर 58 / 2020 संयुक्त प्रदर्श - 7 लिखा है। इसके अन्दर सफेद पुलिन्दे में, सफेद पन्नी के अन्दर एक लेडीज अण्डरवियर निकला, जिस पर पूर्व वस्तु प्रदर्श - 6 पडा हुआ है। इसको देख व पहचान कर गवाह ने बताया कि यह पीडिता का अण्डरवियर है, जो जाँच के लिए सी.बी.आई. विवेचक को दिया गया था। इस लिफाफे को पुनः उसी क्रम में लिफाफों के अन्दर रखकर न्यायालय की अनुमति से सील किया गया। जब मैं पीडिता को लेकर बाहर आयी तो वहां छोटू व उसकी माँ बिटौला एवं छोटू का बडा भाई सोम सिंह तथा मुन्नी देवी आ गयी, जो वहां सडक पर डोल रही थी। उस दौरान मैंने छोटू को अपने पुत्र सतेन्द्र को बुलवाने के लिये भेजा। छोटू को दुबारा भेजने पर सतेन्द्र आ गया। छोटू ने बताया कि पहली बार उसे सतेन्द्र नहीं मिला। मुन्नी देवी के साथ उसका लडका लवकुश भी आ गया था। मेरी देवरानी का लडका पुतकन्ना पीडिता के लिये पानी लेकर आया था और लोग, जिनमें लवकुश भी था, पीडिता के लिये पानी लाये होंगे, इस समय मुझे ध्यान नहीं है। लाये गये पानी में से कुछ पानी पीडिता को पिलाया गया तथा उसके मुँह पर छिड़क कर उसे होश में लाया गया । सतेन्द्र ने पीडिता के सिर को अपनी गोद में लेकर पानी पिलाते हुये पूछा कि बहन क्या हुआ तो पीडिता ने सिर्फ यह बोला कि गुड्डू का लडका संदीप कहकर बेहोश हो गयी। उस दौरान मेरी सास भी वहाँ आ गई। सतेन्द्र आते वक्त मेरी सास को मोटरसाईकिल पर बिठाकर लाया था। मेरी बेटी सुनीता भी उस दौरान आ गई। सतेन्द्र की मोटरसाईकिल को सडक पर खडाकर वरूण, पुतकन्ना व मेरी मदद से पीडिता को मोटरसाईकिल पर बीच में बिठा दिया और मैं उसे पकडकर उसके पीछे बैठ गई । मोटरसाईकिल सतेन्द्र चला रहा था और हम पीडिता को लेकर थाना चन्दपा आ गये, बाकी लोग पीछे-पीछे वहां आ गये। रास्ते में हमने मेरे पति को उनके कार्य स्थान पर चलते-चलते सूचित किया तथा सीधे थाने पहुंच गये। थाने पर पहुंचकर हमने पीडिता को थाने में मौजूद पक्के चबूतरे पर लिटा दिया। सतेन्द्र ने वहाँ घटना के सम्बन्ध में रिपोर्ट लिखवायी, इस दौरान [ ५९ ]हम वहाँ करीब आधा घण्टे रहे। थाने वालों द्वारा गाडी उपलब्ध न कराने पर हम उनके कहे अनुसार टैम्पो में पीडिता को लेकर बागला जिला अस्पताल पहुंच गये। हमारे साथ एक महिला पुलिसकर्मी भी गयी थी तथा एक अन्य पुलिस वाला कागज लेकर अस्पताल पहुंचा था और सतेन्द्र व उसके पापा पीछे-पीछे मोटरसाईकिल से आ गये थे। टैम्पो में कुछ सवारी पहले से ही बैठी हुई थी । मैं, मेरी लडकी सुनीता, महिला पुलिसकर्मी पीडिता को टैम्पो में बिठाकर बागला जिला अस्पताल गये थे। अस्पताल पहुंचने पर मौजूद डाक्टरों ने पीडिता का इलाज शुरू किया तथा उसे बोतलें भी चढायी तथा इलाज के दौरान पीडिता को खून की उल्टी भी हुई थी । थोडी देर देखने के बाद डाक्टरों ने कहा कि स्थिति गम्भीर है, इसे अलीगढ ले जाओ, यहाँ इसका इलाज सम्भव नहीं है । उस दौरान किसी ने फोन करके एम्बुलेन्स बुलवाई तथा इलाज सम्बन्धी कागज बनने के बाद लगभग दो बजे हम पीडिता को लेकर जे. एम. मेडिकल कालेज अलीगढ चले गये। एम्बुलेन्स में पीडिता के साथ मैं, सतेन्द्र व सतेन्द्र के पापा बैठकर अलीगढ़ गये थे । मोटरसाईकिल को मेरा रिश्तेदार घर ले गया था। वहाँ पीडिता का इलाज शुरू हुआ तथा 02-3 दिन बाद पीडिता ने लेटे-लेटे अपने कपडों पर लैट्रीन कर ली थी तथा नर्स के कहने पर मैंने उसके अण्डरवियर व सलवार धो दिये तथा सतेन्द्र से कहकर चार हगीज ( डायपर ) मंगवा लिये और पीडिता को हगीज पहनाकर चद्दर उडा दिया। मैंने अपने चचिया सास के लडके को पीडिता के लिए पाजामी लाने के लिये कहा और वह अगले दिन गुलाबी रंग की सलवार घर से ले आया । मेरे चचिया ससुर ए.एम.यू. में ही कार्य करते हैं । पीडिता के वहाँ इलाज के दौरान 01-2 दिन बाद फिर कहा 02-3 दिन बाद पुलिस वाले पीडिता से पूछताछ करने व उसका बयान लेने आये थे। बयान उन्होंने मेरे सामने नहीं लिखा था। पीडिता बडे हाल में भर्ती थी, जहाॅ और भी मरीज थे । पीडिता के कपडे अस्पताल वालों ने जांच के लिए रख लिये थे । पीडिता के इलाज के दौरान उससे मिलने के लिए मेरे कई रिश्तेदार आते-जाते रहे। पीडिता ने अपने साथ हुई घटना के बारे में मुझे 02-3 दिन बाद विस्तार से बताया, जब वह पूरी तरह से होश में आ गई थी। उसने बताया था कि मेरे साथ गलत काम हुआ है, बलात्कार हुआ है। मैंने उससे पूछा कि किसने किया तो उसने मुझें संदीप, रवि, रामू एवं लवकुश के नाम बताये थे । मेरा बेटा संदीप गाजियाबाद में रहता था तथा वह घटना वाले दिन रात को अलीगढ अस्पताल में आ गया था। मेरी बहू संध्या की माँ ने फोन पर मुझे बताया था कि पीडिता की मृत्यु हो गई है। पीडिता की मृत्यु दिल्ली में हुई थी । [ ६० ]उस समय सतेन्द्र घर पर था, सतेन्द्र के पापा व मेरा छोटा बेटा संदीप दिल्ली में थे। उसी रात पुलिस वालों ने पीडिता के शव का हमारे गाँव के बाल्मीकि शमशान घाट में दाह-संस्कार कर दिया था। मेरी पुत्री पीडिता की गाँव में कोई सहेली नहीं थी। मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि हमारे परिवार की अगर गाँव में कोई रंजिश चल रही हो। हम लोग घास काटने से पहले खेत के मालिक से कोई अनुमति नहीं लेते क्योंकि हम घास बेचते नहीं हैं । पीडिता ने घटना वाले दिन जो दुपट्टा ओढा हुआ था, जो कि घटना के समय उसके गले पर लिपटा हुआ था, उसे देखकर पहचान सकती हूँ। इस स्तर पर लोक अभियोजक द्वारा न्यायालय को बताया गया कि पीडिता से सम्बन्धित वह दुपट्टा सी.बी.आई. गाजियाबाद के मालखाने में सुरक्षित रखा हुआ है, जो आज नहीं आ सका है, जिसे बयानों के दौरान गवाह द्वारा पहचान करायी जानी आवश्यक है । आज दिनांक 07.10.2021 को साक्षी श्रीमती रामा देवी पत्नी ओमप्रकाश, उम्र करीब 50 वर्ष, निवासी बूलगढ़ी, थाना चन्दपा, जिला हाथरस के द्वारा अपनी मुख्य परीक्षा में सशपथ कथन किया गया कि विवेचना के दौरान यू०पी० पुलिस विवेचक ने पीड़िता के पहने हुये कपड़े जांच के लिये दिये थे और पीड़िता को अस्पताल में दूसरे कपड़े पहना दिये गये थे। इस स्तर पर सी0बी0आई0 के द्वारा एक पीला लिफाफा जो एम्स नई दिल्ली की मोहर से सील बन्द है, को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर खोलने की अनुमति चाही। इस लिफाफे पर सी0बी0आई0 RC120202080005 हाथरस केस लिखा हुआ है और नम्बर जेड 21011-01-2020 एडमिन 1 लिखा हुआ है । लिफाफे को खोला गया तो इसके अन्दर एक खाकी रंग का खुला लिफाफा निकला जिसके ऊपर सी.एफ.एस.एल. 2020 / बी. 572 एम. आर. नम्बर 2394 / 2020 लिखा हुआ है। इसके अन्दर एक खुले लिफाफे में पीड़िता के कपड़े निकले। इसके अन्दर एक मेंहदी कलर की एक चुन्नी निकली जिस पर फिजिक्स डिवीजन नम्बर 128/20 का टैग लगा हुआ है तथा टैग के दूसरी ओर बायो नम्बर 58 / 2020 लिखा हुआ है तथा इसका विवरण सी०एफ०एस०एल० 2020 / बी. - 572 Exhibit नम्बर 11–XI Dupatta dated 03.11.2020 लिखा हुआ है । दुपट्टे को देखकर गवाह ने इसे पहचानते हुये बताया कि यह पीड़िता का दुपट्टा है जो उसने घटना वाले दिन ओढ़ा हुआ था । इस दुपट्टे पर आज वस्तु प्रदर्श - 15 डाला गया और इसी टैग पर इसका वस्तु प्रदर्श लिखा गया। इसके अन्दर एक लाल / मेहरून रंग की एक कमीज / कुर्ता निकली जिस पर फिजिक्स डिवीजन नम्बर 128 / 20 का टैग लगा हुआ है तथा टैग के दूसरी ओर बायो नम्बर 58 / 2020 लिखा [ ६१ ]हुआ है तथा इसका विवरण सी०एफ०एस०एल० 2020/बी.―572 Exhibit नम्बर 11-X Kurta dated 03.11.2020 लिखा हुआ है। पुलन्दे से निकले लाल/मेहरून रंग के कमीज/कुर्ता को देखकर गवाह ने इसे पहचानते हुये बताया कि यह पीड़िता का कमीज/कुर्ता है जो उसने घटना वाले दिन पहना हुआ था। इसका विवरण सी०एफ०एस०एल० 2020/बी.―572 Exhibit नम्बर 11-X Kurta dated 03.11.2020 लिखा हुआ है। इस कमीज/कुर्ता पर आज वस्तु प्रदर्श―16 डाला गया और इसी टैग पर इसका वस्तु प्रदर्श लिखा गया। इसके अन्दर एक हरे रंग की एक पैजामी/सलवार निकली जिस पर फिजिक्स डिवीजन नम्बर 128/20 का टैग लगा हुआ है तथा टैग के दूसरी ओर बायो नम्बर 58/2020 लिखा हुआ है तथा इसका विवरण सी०एफ०एस०एल० 2020/ बी.―572 Exhibit नम्बर 11―XIII Salwar dated 03.11.2020 लिखा हुआ है। पुलन्दे से निकले हरे रंग के पैजामी/सलवार को देखकर गवाह ने इसे पहचानते हुये बताया कि यह पीड़िता की पजामी/सलवार है जो उसने घटना वाले दिन पहना हुआ था। इसका विवरण सी०एफ०एस०एल० 2020/बी.―572 Exhibit नम्बर 11―XIII Kurta dated 03.11.2020 लिखा हुआ। इस पैजामी/सलवार पर आज वस्तु प्रदर्श―17 डाला गया और इसी टैग पर इसका वस्तु प्रदर्श लिखा गया। इसके अन्दर एक लेडीज अण्डरवियर/पैन्टी निकली जिस पर फिजिक्स डिवीजन नम्बर 128/20 का टैग लगा हुआ है तथा टैग के दूसरी ओर बायो नम्बर 58/2020 लिखा हुआ है तथा इसका विवरण सी०एफ०एस०एल० 2020/बी.―572 Exhibit नम्बर 11―XII Underwear dated 03.11.2020 लिखा हुआ है। पुलन्दे से निकले अण्डरवियर/पैण्टी को देखकर गवाह ने इसे पहचानते हुये बताया कि यह पीड़िता की अण्डरवियर/पैण्टी है जो उसने घटना वाले दिन पहना हुआ था। इसका विवरण सी०एफ०एस०एल० 2020/बी.―572 Exhibit नम्बर 11―XII Underwear dated 03.11.2020 लिखा हुआ है। इस अण्डरवियर/पैण्टी पर आज वस्तु प्रदर्श-18 डाला गया और इसी टैग पर इसका वस्तु प्रदर्श लिखा गया। इसके अन्दर एक पीले रंग की सलवार निकली जिस पर फिजिक्स डिवीजन नम्बर 128/ 20 का टैग लगा हुआ है तथा टैग के दूसरी ओर बायो नम्बर 58/ 2020 लिखा हुआ है तथा इसका विवरण सी०एफ०एस०एल० 2020/ बी.―572 Exhibit नम्बर 11―IX Salwar dated 03.11. 2020 लिखा हुआ है। पुलन्दे से निकले सलवार को देखकर गवाह ने इसे पहचानते हुये बताया कि यह पीड़िता की सलवार है जो उसे अस्पताल में उसके द्वारा बेड पर कपड़ों पर लैट्रीन करने पर बदलकर पहनायी गयी थी। [ ६२ ]इसका विवरण सी०एफ०एस०एल० 2020/ बी.―572 Exhibit नम्बर 11―IX Salwar dated 03.11.2020 लिखा हुआ है। इस सलवार पर आज वस्तु प्रदर्श–19 डाला गया और इसी टैग पर इसका वस्तु प्रदर्श लिखा गया।

पी0डब्लू0―17 श्रीमती रामा देवी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि मेरे सबसे छोटे बेटे का नाम भी सन्दीप है। सन्दीप घटना से एक साल पहले से गाजियाबाद लैब में काम करता था, उसकी उम्र घटना के समय 20-21 साल थी। मेरा घर तथा अभियुक्तगण सन्दीप, रामू व रवि का घर आमने–सामने, आस–पास है। लवकुश का घर मेरे घर से लगा हुआ है। मेरे घर की छत और लवकुश के घर की छत मिली हुई है। रवि शादीशुदा है, उसके तीन बच्चे हैं। रामू और सतेन्द्र लगभग बराबर-बराबर उम्र के हैं। अभियुक्त रामू व रवि, अभियुक्त सन्दीप के चाचा। मुझे अभियुक्त सन्दीप की उम्र नहीं मालूम। मेरे पुत्र सन्दीप से अभियुक्त सन्दीप छोटा है। अभियुक्तगण रवि, रामू व सन्दीप एक ही घर में रहते हैं। लवकुश मेरे पुत्र सन्दीप से लगभग 03-4 वर्ष छोटा है। मेरी यह बात सही है कि मेरे पति हम लोगों के घास काटने के लिये जाने के बाद स्कूल के लिये गये थे। हमने लगभग दो घण्टे घास काटी थी। उस समय किसान लोग अपने आस-पास खेतों में पानी लगा रहे थे। कुछ अपने खेतों में चारा काट रहे थे। जहाँ हमने घास काटी, वहाँ हम केवल तीन ही थे, वहाँ और कोई नहीं था। वरूण व पुतकन्ना वहाँ से चले गये थे। मैंने सी०ओ० साहब से 21.09.2020 को यह कह दिया था कि मेरी लडकी की तबीयत सही नहीं है। वह आज बयान नहीं दे पायेगी, आप बयान लेने के लिये कल आना। मैंने सी0ओ0 साहब से यह नहीं कहा कि मैं भी अपना बयान कल दूँगी। मैंने न तो पीडिता की चीख सुनी और न ही मैंने यह कहा कि मैं आ रही हूँ क्योंकि मेरे कान में मवाद पड़ा था। यह बात गलत है कि पीडिता चिल्लाई हो और मैंने आवाज दी हो कि मैं आ रही हूँ। मैंने सतेन्द्र को भी यह बात नहीं बतायी कि पीडिता चिल्लाई तो मैंने आवाज दी कि मैं आ रही हूँ। सतेन्द्र ने यह बात अपनी तहरीर में क्यों लिखा दी, मैं इसकी कोई वजह नहीं बता सकती। यह सही है कि मैंने पीडिता के साथ मारपीट करते या कोई दुष्कर्म करते मैंने स्वयं किसी को नहीं देखा। जब मैं पीडिता के पास पहुंची तो पीडिता बेहोश थी, उसके गले से चुन्नी लिपटी हुई थी और कपडे सारे उतरे पडे थे। मैंने पीडिता के कपडे उतरे पड़े होने की बात तभी अपने बेटे सतेन्द्र को बता दी थी। मैंने इस बारे में सी0बी0आई0 को यह बयान दिया था कि “कुर्ता, पैजामी,अण्डरवियर तथा ब्रा...के दॉयी तरफ रखे थे।” मैंने, छोटू को आवाज दी जो सामने के खेतों में [ ६३ ]चरी काट रहा था। फिर कहा कि मेरे रोने की आवाज सुनकर छोटू आ गया था। मैंने किसी को मदद के लिये आवाज नहीं दी। मैंने यह गलत बता दिया है कि मैंने छोटू को आवाज दी। खेत छोटू का ही था। मैं कपडे पहना रही थी तब छोटू आ रहा था तो मैंने उसे रूकने के लिये कहा क्योंकि मैं कपडे पहना रही थी। जब तक मैंने कपडे नहीं पहना लिये तब तक मैंने छोटू को नहीं आने दिया। छोटू ने पीडिता को बिना कपडों के नहीं देखा। मैंने अपनी पुत्री को कपडे पहनाने के बाद उसे खेत से मेड तक लाने के लिये छोटू की मदद नहीं ली और न ही किसी अन्य व्यक्ति से मदद ली। वहाँ कोई और मौजूद नहीं था। मैंने छोटू को अपने पुत्र सतेन्द्र को घर से बुलाने के लिये भेजा था। मैंने पीडिता को कपडे पहनाकर तथा खींचकर बरहा (गुल) तक लाने के बाद छोटू को सतेन्द्र को बुलाने के लिये भेजा था। मैं पीडिता को कन्धों से पकडकर, खींचकर बरहा तक लायी थी। जब मैंने चड्डी पहनाई थी तो उसकी पीठ जमीन पर थी। मैंने उसके पैर व कुल्हे उठाकर चड्डी पहनाई थी। पीडिता का कोई भी कपडा फटा हुआ नहीं था। पैजामी का नाडा खुला हुआ था, टूटा हुआ नहीं था। मैंने पीडिता को गले से लिपटा हुआ दुपट्टा निकालने के बाद उसे कपडे पहनाये थे। मैंने पीडिता के मौके पर निर्वस्त्र पाये जाने वाली बात चन्दपा थाने पर पहुंचकर पुलिस वालों को नहीं बतायी थी। मुन्नी देवी और लवकुश को मैंने उस समय उसी घटनास्थल पर देखा था और बिटोला देवी भी आ गयी थी और सोम सिंह भी आ गया था। मुझसे मुन्नी देवी ने यह नहीं कहा कि यह घास काट रही है, लडकी बरहा में पडी हुई है। मुझसे सोम सिंह ने यह नहीं पूछा कि भाभी क्या बात हो गयी है, सोम सिंह पीडिता के पास आ गया था। मेरी बेटी ने यह बात कि मेरे गले में दर्द है और मुझे प्यास लग रही है तब बतायी थी जब मैंने उसे बरहा में लाकर रख दी थी। मैंने सी0बी0आई0 विवेचक को अपने बयानों में यह बताया था कि “लवकुश एक पन्नी में पानी भरकर ले आया।” यह बात सही है कि मैंने सी0बी0आई0 को यह बयान दिया था कि मैंने वह पानी पीडिता के मुँह पर भी डाला था तथा उसके मुँह में भी डालकर उसे पिलाया था। सतेन्द्र, वरूण, पुतकन्ना, मुन्नी देवी, बिटोला देवी, सोम सिंह, लवकुश के आने के बाद आया था क्योंकि मैंने छोटू को दोबारा भेजा था तब सतेन्द्र आया था। यह सही है कि सतेन्द्र, छोटू द्वारा दोबारा बुलाये जाने के बाद अपनी मोटरसाईकिल से घटनास्थल पर आया था। मोटरसाईकिल सडक पर खडी कर सतेन्द्र बरहा तक आया था, जहॉ से सहारा लेकर पीडिता को मोटरसाईकिल तक ले गये थे, उस समय मैंने पीडिता के गले में दुपट्टा दोबारा नहीं बांधा था। मुझे नहीं पता [ ६४ ]कि थाना चन्दपा पर मीडियाकर्मी मौजूद थे तथा कोई विडियों रिकार्डिंग कर रहे थे। वस्तु प्रदर्श–8 को देखकर गवाह ने बताया कि यह उसकी विडियों है, जो दिनांक 14.09.2020 को चन्दपा थाने में किसी ने सूट किया था। यह सही है कि इस विडियों में मैंने केवल सन्दीप का नाम लिया है। मैंने इस विडियों में पीडिता के कपडे उतरने वाली बात शर्म के मारे नहीं बतायी थी। मैंने इस विडियों में यह भी कहा है कि ऐसी कोई बात नहीं थी। गवाह ने मेमोरी कार्ड में मौजूद विडियों जिसका साईज 6.9 एम.बी. है, को देखकर गवाह ने बताया कि विडियों 14.09.2020 को थाने में रिकार्ड हुआ है, जिसमें पीडिता होश में है, बोल रही है और पूछे हुये सवालों को समझकर जवाब दे रही है। उसे पानी छिड़क कर होश में लाया गया था। इस विडियों में पीडिता केवल एक अभियुक्त सन्दीप का नाम ले रही है। गवाह को विडियों सी०डी० वस्तु प्रदर्श-10 चलाकर दिखाया गया तो गवाह ने कहा कि यह दिनांक 14.09.2020 को बागला हास्पीटल का विडियों है। इस विडियों में यह पूछे जाने पर कि और कौन था तो मैंने यह जवाब दिया है कि खाली एक ही छोरा हो क्योंकि लडकी ने एक ही नाम बताया था इसलिए मैंने भी एक ही नाम बताया। मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि अभियुक्त रवि, रामू व सन्दीप के परिवार से हमारी कोई पहली रंजिश है या नहीं। यह बात मैंने इस विडियों में कही है कि हमारी पुरानी रंजिश चल रही है। मैंने इस विडियों में यह बात भी कही है कि हमारे ससुर की चॉद फाड दी। यह बात भी कही है कि इसका मुकदमा भी इसके परिवार से चला था। यह भी कहा है कि उस केस में दो मुल्जिम जेल गये थे जो 06 महीने बाद छुटकर आये थे, वही रंजिश चल रही है। मैंने इस विडियों में यह कहा है कि अभियुक्तगण के परिवार से हमारे परिवार का झगडा 14-15 साल पहले हुआ था और उस समय मैं गाँव बूलगढी में ही रह रही थी। गवाह को इसी वस्तु प्रदर्श में मौजूद विडियों दिखाया गया तो गवाह ने कहा कि यह विडियों बागला हास्पीटल हाथरस का है तथा घटना की तारीख का है। इस विडियों में मेरी पुत्री पीडिता है, जो बोल रही है, होश में है तथा पूछे हुये सवालों का जवाब दे रही है। इस विडियों में भी पीडिता ने केवल सन्दीप का नाम मारपीट में लिया। मैंने बागला हास्पीटल में किसी डाक्टर, नर्स या किसी स्वास्थ्य कर्मचारी या किसी पुलिस वाले या मीडियाकर्मी को यह नहीं बताया कि मेरी लडकी मुझे घटनास्थल पर निर्वस्त्र अवस्था में मिली थी। दिनांक 14.09.2020 को मैंने जे०एन०एम०सी० अलीगढ पहुंचने पर किसी डाक्टर अथवा नर्स को यह बात नहीं बतायी थी कि मेरी लडकी खेतों में निर्वस्त्र अवस्था में मिली। यह सही है कि पीडिता के घटना के [ ६५ ]समय पहने कपडे पुलिस को देने से पहले हमने धो दिये थे और उसे दूसरे कपडे (सिर्फ पैजामी) पहना दिये थे। मैंने अपने देवर भूरी सिंह व बन्टू उर्फ बनवारी को कभी यह नहीं बताया कि मेरी बेटी पीडिता घटना के दिनांक को मुझे खेतों में बिना कपडों के मिली थी। मैंने सी0बी0आई0 विवेचक को अपने बयान दिनांकित 17.10.2020 अन्तर्गत धारा 161 दं0प्र0सं0 में यह कहा था कि मुझे शक हुआ कि कहीं उसे सॉप ने तो नहीं काट लिया। छोटू के कहने पर जब मैंने गौर किया कि उसकी जीभ में चोट लगी है तो मैंने अन्दाजा लगाया कि कहीं उसे सॉप ने तो नहीं काट लिया इसलिए मैंने यह बात सी0बी0आई0 विवेचक को बतायी थी। मेरे घर में केवल एक ही मोबाईल फोन है। उस दौरान हम सभी परिवार वाले जैसे मेरे पति, मेरा बेटा सतेन्द्र, मेरी बेटी पीडिता और मेरी बहू आदि सब उसी फोन का प्रयोग किया करते थे। मेरे घर के फोन से मेरी बेटी अभियुक्त सन्दीप से बात नहीं किया करती थी। मेरे घर का कोई सदस्य उस फोन से अभियुक्त सन्दीप से उसके फोन नम्बर 761864 0133 पर बात नहीं किया करते थे। मेरे घर के बराबर में संजय चौहान का घर है, वह मेरा पडोसी है। संजय चौहान के लडके नाम विश्वनाथ है। जब मेरी पुत्री का बयान विवेचक ब्रहम सिंह द्वारा लिया गया तो उस दौरान मैं वहाँ मौजूद थी। मैं अपनी पुत्री को जे०एन० एम०सी० में भर्ती कराने के बाद लगभग 08-9 दिन तक उसके साथ रही। जब उसे वेन्टीलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया तो मैं गाँव वापस आ गयी थी। मुझे नहीं मालूम कि मंजू दिलेर अस्पताल में मेरी बेटी से मिलने आयी थी या नहीं। चन्द्रशेखर का मैंने नाम सुना था पर वह मेरे सामने मेरी बेटी से मिलने नहीं आया था। यह बात सही है कि मेरे पति घटना वाले दिन से थाने से लेकर अस्पतालों तक मेरे साथ थे। हम दोनों लगातार घटना वाले दिन से पीडिता को वेन्टीलेटर पर शिफ्ट करने तक पीडिता के साथ अस्पताल में रहे थे और इस दौरान मेरे पति जे०एन० एम०सी० अलीगढ से बूलगढी वापस नहीं आये थे। यह कहना गलत है कि मेरी पुत्री पीडिता के साथ अभियुक्त सन्दीप के प्रेम सम्बन्ध रहे हों और हमें उस प्रेम सम्बन्ध से आपत्ति थी। यह कहना भी गलत है कि हमने पीडिता के साथ प्रेम सम्बन्धों से कू होकर दिनांक 14.09. 2020 को हाथापाई की हो, जिससे वह चोटिल हुई और उन्हीं चोटों के कारण उसकी मृत्यु हुई। यह कहना भी गलत है कि इस प्रकरण में सरकार द्वारा मिलने वाले मुआवजे के लालच में हमने झूठा मुकदमा दर्ज कराकर उसकी गम्भीरता को बढाते हुये पहले मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया फिर उसे छेडछाड का मुकदमा बताया, फिर सुविधानुसार उसे बलात्कार [ ६६ ]________________

30. 31. 66 तत्पश्चात सामूहिक बलात्कार का झूठा मुकदमा बनाया हो । साक्षी पी0डब्लू0 - 18 डा० नैन्सी गुप्ता, जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता को मैंने दिनांक 14.09.2020 को डा० भावना के साथ परीक्षित किया था, वह लगभग 04:00 बजे शाम को कैजुअल्टी में लायी गयी थी । पीडिता को गले घोंटने की शिकायत पर लाया गया था तथा उसके गले पर चोट के निशान थे। एक लिगेचर मार्क 5x2 से०मी० का था, जो गले के बीच से 2 से०मी० बांये की तरफ से शुरू हो रहा था। दूसरा लिगेचर मार्क 10x3 से0मी0 का था, वह गर्दन में बीच से शुरू होकर गर्दन की सीधी ओर जा रहा था, जो कान के निचले हिस्से से 07-8 से०मी० नीचे था । उस समय तुरन्त हस्तक्षेप / उपचार की आवश्यकता नहीं थी । परीक्षण के दौरान हमने पाया था कि जीभ में कोई कटे-फटे का निशान नहीं था । हमारी परीक्षण के दौरान न ही पीडिता और न ही उसके परिवार में से किसी ने उसके साथ यौन उत्पीडन के सम्बन्ध में कोई बात नहीं बतायी थी। पीडिता के लाये जाने पर हमारी टीम द्वारा उसका जो विजुअल / फोटोग्राम लिया गया था, वह मैं लेकर आयी हूँ । आज न्यायालय में मैं दो फोटोग्राफ दाखिल कर रही हूँ । उपरोक्त दोनों फोटोग्राफ पत्रावली पर प्रार्थना पत्र संख्या 268ए व फेहरिस्त सबूत संख्या 269ए से दाखिल किये गये। पी0डब्लू0 - 18 डा० नैन्सी गुप्ता ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि यह सही है कि ताकत से गला दबाने से त्वचा के Underneath Tissues echomise हो सकती है। साक्षी पी0डब्लू0 - 19 ओम प्रकाश ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि आज दिनांक 28.10.2021 को साक्षी श्री ओमप्रकाश पुत्र स्व0 श्री बाबूलाल, निवासी ग्राम बूलगढ़ी, थाना चन्दपा, जिला हाथरस के द्वारा अपनी मुख्य परीक्षा में सशपथ कथन किया गया कि इस प्रकरण के सम्बन्ध में सी0बी0आई0 विवेचक ने मुझसे पूछताछ की थी व मेरा बयान दर्ज किया था। मैं आठवीं कक्षा तक पढ़ा हूं तथा दीक्षित फार्मेसी में सफाईकर्मी के रूप में काम करता था । दिनांक 14.09.2020 को मैं उपरोक्त फार्मेसी में कार्य करता था तथा सुबह 8 - 8:30 बजे के बीच अपने काम के लिये जाता था । दिनांक 14.09.2020 को मेरी पत्नी रामा देवी, मेरा पुत्र सतेन्द्र व पीड़िता मेरी पुत्री रोज की तरह सुबह भैंसों के लिये घास काटने के लिये घर से 07 - 7:30 बजे के आसपास निकले थे। कभी वह मुझसे पहले चले जाते थे, कभी मैं उनसे पहले चला जाता था । दिनांक 14.09.2020 को भी मैं परिवारजनों के घास काटने के लिये जाने के बाद अपने [ ६७ ]________________

67 कार्यस्थल के लिये गया था। दिनांक 14.09.2020 को रोज की तरह मैं अपने कार्यस्थल पर कार्य कर रहा था, इतने में मेरे भतीजे पुतकन्ना व वरूण साईकिल से मेरी ओर आये और रोते हुये बोले कि पीड़िता को मार दिया । जिस वक्त मुझे सूचना दी गयी थी, घड़ी में कितने बजे थे, मुझे ध्यान नहीं है। इसके तुरन्त बाद मोटरसाईकिल पर सतेन्द्र भी आ गया, बीच में पीड़िता बैठी हुई थी तथा उसे पीछे से मेरी पत्नी ने पकड़ रखा था। सतेन्द्र ने मुझे केवल इतना कहा कि पापा जल्दी थाने आ जाओ और मैं साईकिल से उसके पीछे-पीछे चन्दपा थाने पहुंच गया। जब मैं साईकिल से चन्दपा थाने पहुंचा तो मेरी पुत्री को वहां एक चबूतरे पर लिटा दिया गया था और उसकी गर्दन लुढ़की हुई थी और उसके मुंह से खून निकल रहा था और उसकी आंखें भी लाल थी और उसकी गर्दन पर निशान थे। थाने पर मेरे पुत्र सतेन्द्र ने लिखित शिकायत दी और उस दौरान पुलिस वाले जो मौजूद थे, मेरी पुत्री से पूछताछ कर रहे थे। इसके बाद मैंने पुलिस वालों से अनुरोध किया कि पीड़िता को अस्पताल ले जाने के लिये गाड़ी का इन्तजाम कर दें, तो इस पर किसी ने कहा कि जैसे लाये हो वैसे ले जाओ। इसे मारकर ले जाओगे क्या । इतने में सतेन्द्र ने मोटरसाईकिल से जाकर एक प्राइवेट ऑटो ले आया जिसे पुलिस वालों ने इशारा कर पीड़िता के लेटे वाले स्थान पर बुलवा लिया। इस दौरान मेरी दूसरी पुत्री सुनीता घर से फोन लेकर आ गयी। हमने पीड़िता को उठाकर सवारियों को आगे-पीछे करके बीच वाली सीट में लिटा दिया। मेरी पत्नी रामा देवी, मेरी पुत्री सुनीता, पीड़िता के साथ टैम्पू में बैठकर बागला जिला अस्पताल की ओर गये। मैं सतेन्द्र के साथ मोटरसाईकिल पर बैठकर बागला अस्पताल गया था। थाने से एक महिला पुलिसकर्मी भी पीड़िता के साथ ऑटो में गयी थी तथा एक अन्य पुलिसकर्मी भी ऑटो में साथ गया था जिसके पास पीड़िता के इलाज के लिये पर्चा था । अस्पताल पहुंचने पर स्ट्रेचर मंगवाकर पीड़िता को उस पर लिटाकर इमरजेन्सी वार्ड तक लेकर गये। पीड़िता के अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने उसे अटेण्ड किया तथा दो ग्लूकोज की बोतल लगायी। बोतल लगाने के बाद पीड़िता को दो-तीन उल्टी हुईं। डाक्टरों ने उसकी स्थिति खराब बताते हुये अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज ले जाने का सुझाव दिया जिसे हमने मान लिया। इस दौरान किसी ने 108 नम्बर पर कॉल कर सरकारी एम्बुलेन्स मंगवा ली और हम पुलिस वालों द्वारा दिये गये कुछ कागज व रेफरल लेटर ले गये, जे. एन. एम. सी. के लिये निकल गये। उस वक्त लगभग 02 - 2:30 बजे हुये थे। मौजूद पुलिस कर्मचारियों ने यह कहा कि हमारी ड्यूटी यहां तक की थी, हमें कागज पकड़ाकर वापस [ ६८ ]________________

68 चले गये। एम्बुलेन्स में पीड़िता के साथ मैं, मेरी पत्नी व मेरा पुत्र सतेन्द्र साथ गया था। एम्बुलेन्स में ड्राईवर से फोन मांगकर अपने पुत्र सन्दीप को फोन करके बताया जो गाजियाबाद में लाल पैथोलॉजी लैब में काम करता है। हम लगभग 04:00 से 05:00 के बीच जे.एन.एम.सी. अलीगढ़ पहुंच गये थे। वहां इमरजेन्सी में पर्ची बनवायी तथा रेफरल के कागज मौजूद डाक्टरों को दिये तो उन्होंने पीड़िता को भर्ती कर लिया। भर्ती होने के बाद पीड़िता का इलाज किया गया तथा इस दौरान उसकी स्थिति सही नहीं थी । उसे 15-16 तारीख की रात को पुन: कहा 16 तारीख की सुबह होश आया तो उसने अपनी मां को बताया कि तीन-चार लोग हैं जिन्होंने मेरे साथ गलत काम किया है बलात्कार किया है, मेरी पत्नी ने यह बात मुझे बतायी। जानकारी होने पर मैं अपने चचेरे भाई भूरी सिंह व सतेन्द्र के साथ थाना चन्दपा आया शिकायत करने के लिये । पुनः कहा सतेन्द्र वहीं रह गया था, मैं और भूरी सिंह थाने गये थे। मेरी पत्नी ने जब मुझे बताया तो सतेन्द्र को भी बताया था। थाने में जो अधिकारी मिले, मुझे उनका नाम याद नहीं है। मैंने उन्हें बताया कि घटना में सन्दीप के अलावा और भी लोग हैं। इस पर उन्होंने मुझे बताया कि सी०ओ० सादाबाद कार्यालय जाओ वह नाम बढ़ा सकते हैं। इस पर मैं और भूरी सिंह सी०ओ० सादाबाद के कार्यालय पहुंचे जहां हमें सी0ओ0 साहब हमें मौजूद नहीं मिले तो हमने उनके स्टेनो को बताया कि सन्दीप के अलावा और भी चार लोग अपराध में शामिल हैं। पुनः कहा सन्दीप को मिलाकर चार लोग शामिल थे। एक दिन सतेन्द्र की पत्नी ने बताया कि किसी अनजान नम्बर से फोन आया जो अपने आप को दिल्ली का डॉन बता रहा है और फोन पर गाली गलौज कर रहा है। इस विषय पर मैंने पास के गांव केही व्यक्ति कोला चाचा से बात की। मैंने जब उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि इस बारे में गुड्डू से बात करो। फिर हमने इस मुद्दे को वहीं छोड़ दिया और इस पर आगे कोई कार्यवाही नहीं की। जब मैंने गुड्डू से फोन नम्बर दिखाकर बात की तो उसने कहा कि यह नम्बर हमारा है। फिर हम लोग अपना काम धन्धा करते रहे। इस बारे में मैंने सी0बी0आई0 विवेचक को भी बताया था कि गुड्डू का लड़का सन्दीप अपने आप को दिल्ली का डॉन बताकर मेरे घर के नम्बर पर फोन किया करता था । सन्दीप के बात करने का कारण मैंने विवेचक को नहीं बताया था । सन्दीप हमें जाल में फंसा रहा था । मैं दीक्षित फार्मेसी में काम करता था तथा काम पर जाने के पहले भैंस का दाना पानी करता था तथा घास आदि लाने का काम मेरी पत्नी, लड़की व बेटा सतेन्द्र करते थे। मैं कभी-कभार उन लोगों के साथ जाता था। अस्पताल में इलाज के [ ६९ ]________________

69 दौरान 22.09.2020 को मेरी पुत्री की तबियत ज्यादा खराब हो गयी। इसके बाद मेरी पुत्री को दिल्ली रेफर कर दिया गया । जब पीड़िता को दिल्ली ले जाया गया तब मैं भी अपने पुत्र सन्दीप के साथ गया था। पहले पीड़िता को एम्स अस्पताल ले जाया गया था । साक्षी द्वारा कहा गया कि बीच की कुछ बातें बताने छूट गयी हैं, वह मैं बताना चाहता हूं। जब हम सी०ओ० सादाबाद के पास गये तो मुझे दो नाम याद थे जो मैंने सी0ओ0 सादाबाद के स्टेनो को बताये थे । सी0ओ0 साहब के स्टेनो ने मेरे द्वारा बताये गये नामों को डायरी में लिख लिये थे। मैंने स्टेनो को बताया था कि इसके अलावा अन्य नाम मेरी पत्नी और पुत्र को पता है। पीड़िता को एम्स में भर्ती कराने का बोलकर दिल्ली ले गये थे परन्तु वहां सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करा दिया गया जहां इलाज के दौरान 29 तारीख की सुबह उसकी मृत्यु हो गयी थी तथा अस्पताल के नियमानुसार शव को मुर्दाघर में दाखिल कर दिया गया था। वहां मैंने व सन्दीप ने पीड़िता के शव की पहचान कर इस सम्बन्ध में बनाये गये दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये थे। पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 8अ / 187 पर मैं अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूं जिसे पूर्व में 'बी' बिन्दु से चिन्हित किया गया था। कागज संख्या 8अ / 188 पर अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूं जिसे 'बी' बिन्दु से चिन्हित किया गया । पी0डब्लू0-19 ओम प्रकाश ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि सन्दीप भतीजा है और रवि व रामू उसके चाचा हैं। वे सब एक ही घर में रहते हैं। मेरे बेटे सन्दीप की उम्र लगभग 21 वर्ष है। पीडिता मेरे पुत्र सन्दीप से लगभग एक साल बडी थी । पीडिता की उम्र लगभग 22 वर्ष होगी । मैंने पीडिता की जन्म तिथि प्राईमरी विद्यालय बूलगढी में दाखिले के समय अन्दाज से दिनांक 11.11.1997 लिखायी थी । यह सही है कि सन् 2001 में मैंने अपने पिताजी से मारपीट का एक मुकदमा थाना चन्दपा में इस मुकदमें के अभियुक्त रवि एवं अभियुक्त सन्दीप के पिता गुड्डू के विरूद्ध दर्ज कराया था। इस मुकदमें का निर्णय कब हुआ और क्या निष्कर्ष निकला, यह मुझे ध्यान नहीं है । मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि उपरोक्त मुकदमें में दिनांक 14.04.2015 को अभियुक्त रवि व गुड्डू को निर्दोष घोषित कर बरी किया गया था। यह सही है कि उपरोक्त मुकदमें में मैं साक्षी पी0डब्लू0 -1 के रूप में परीक्षित हुआ। यह भी सही है कि भूरी सिंह व बन्टू जो मेरे चचेरे भाई हैं, वे दोनों इस मुकदमें में मेरी तरफ से गवाह के रूप में पेश हुये थे। मेरी पत्नी रामा देवी को रवि, गुड्डू से चल रहे मुकदमें के बारे में जानकारी थी । सतेन्द्र को भी [ ७० ]________________

70 उपरोक्त मुकदमें की जानकारी थी । यह सही है कि मुझे दिनांक 14.09.2020 की कथित घटना के सम्बन्ध में कोई व्यक्तिगत जानकारी नहीं है । मैं उस समय अपने कार्य स्थल पर था । मैंने सी0बी0आई0 विवेचक को यह बताया था कि मेरे घर का मोबाईल फोन मेरे पास था और फोन चालू था । मेरी बेटी सुनीता उर्फ विनीषा फोन लेकर थाने पर आयी थी । यह सही है कि थाने पर पीडिता होश में थी और पुलिस अधिकारियों द्वारा पूछे गये सवालों का समझकर जवाब दे रही थी और उसकी विडियों भी बनायी जा रही थी । बागला जिला अस्पताल में दिनांक 14.09.2020 को पीडिता पूछे गये सवालों का जवाब दे रही थी । मेरी पत्नी व लडकी आपस में कुछ दूरी पर घास काट रहे थे तभी गाँव के सन्दीप पुत्र गुड्डू ठाकुर द्वारा जान से मारने की नीयत से मेरी लडकी पीडिता का गला दबा दिया। लडकी के चिल्लाने पर मेरी पत्नी व लडका दौडकर पहुंचे तब तक सन्दीप उसे घायल अवस्था में छोडकर भाग गया। यह सही है कि दिनांक 16.09.2020 को मुझे कथित घटना के सम्बन्ध में पूरी जानकारी मिल चुकी थी और यह भी सही है कि मेरे बयान में सन्दीप के अलावा किसी अन्य अभियुक्त का नाम अंकित नहीं है। मैंने, भूरी सिंह को सारे अभियुक्तों के नाम तथा दुष्कर्म वाली बात नहीं बतायी थी। जब हम सी०ओ० सादाबाद के स्टेनों के पास पहुंचे थे तो मेरे साथ भूरी सिंह के अलावा रामवीर, जो मेरे बहनोई हैं भी साथ थे। मंजू दिलेर जे० एन०एम०सी० अलीगढ में पीडिता के पास आयी थी। राहुल गाँधी व प्रियंका वाड्रा गाँधी मेरे घर गये थे। यह बात सही है कि लगभग सभी चैनलों ने इस सम्बन्ध में मेरे, मेरी पत्नी रामा देवी के, मेरे पुत्र सतेन्द्र के तथा मेरी पुत्रवधू संध्या के इण्टरवियू लिये थे और ये इण्टरवियू सभी चैनलों पर चले थे। मेरे घर पर केवल एक ही फोन है, इसी फोन को मैं, मेरी पत्नी, मेरा पुत्र, मेरी पुत्रवधू तथा मेरी पुत्री पीडिता प्रयोग करती थी । मेरी पुत्री पीडिता मेरे फोन से अभियुक्त सन्दीप के फोन नम्बर 7618640133 पर बात नहीं करती थी। मुझे यह मालूम है कि सी0बी0आई0 ने दौरान विवेचना मेरे फोन नम्बर 9897319621 की सी०डी०आर० निकलवायी है । मेरा घर और अभियुक्तगण रवि, सन्दीप व रामू का घर आमने-सामने है, बीच में सडक है। मेरे तथा अभियुक्त के घर के बीच में कोई अन्य मकान नहीं है । मुझे यह भी जानकारी नहीं है कि रामू कानों से बहरा है। मुझे यह जानकारी है कि रवि और रामू दोनों शादीशुदा हैं और बाल-बच्चेदार हैं। मेरी जानकारी में यह बात नहीं है कि दिनांक 02.06.2020 को गॉव के अतर सिंह, राकेश, रामवीर सिंह, लोकेश कुमार, रवि प्रताप सिंह, दलवीर सिंह, घनेन्द्र सिंह, सोमवीर सिंह, राम कुमार, लोकेश बंशीवाला ने परगना [ ७१ ]________________

32. 71 मजिस्टेट हाथरस के समक्ष पानी बहाकर गन्दगी करने के सम्बन्ध में प्रार्थना पत्र दिया था या नहीं। मेरी मौजूदगी में इस सम्बन्ध में कोई जाँच नहीं हुई । मेरी पत्नी ने मुझे यह बताया था कि जहाँ पीडिता पडी थी वहाँ लवकुश की मॉ मुन्नी देवी व लवकुश भी पहुंच गये थे। पोस्टमार्टम के पश्चात हमें 11:00-11:30 बजे के लगभग हमारी पुत्री का शव मिल गया था। मैंने ऊपर यह बयान दिया है कि उसके पश्चात हमें 11:00-11:30 बजे बेटी का शव प्राप्त हो गया था, सही नहीं है । हमें सिर्फ पुत्री का शव दिखाया गया। यह सही है कि मैंने अपने फोन पर आये फोन से सम्बन्धित नम्बर सन्दीप के पिता गुड्डू को एक कागज पर लिखकर दिया हो तथा गुड्डू से शिकायत की थी। साक्षी पी0डब्लू0-20 डा० गौरव सिंह अभय, सीनियर रेजीडेण्ट, न्यूरो सर्जरी विभाग, वी. एम. एम. सी. एण्ड सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि मैंने इस प्रकरण से सम्बन्धित पीड़िता को उसके 28.09.2020 को हमारे अस्पताल में भर्ती होने पर देखा था तथा उसे उचित इलाज दिया था । उसे हमारे अस्पताल में जे. एन.एम.सी., अलीगढ़ से रेफरल के बाद हमारे अस्पताल के ई.आर. 1 में लगभग 01:30 बजे दिनांक 28.09.2020 को लाया गया था। उसके साथ उसका भाई तथा अन्य परिवारजन आये थे, कुछ यू०पी० पुलिस अधिकारी भी उसके साथ आये थे । मैंने जब उसकी जांच की तो पाया कि उसका ब्लड प्रेशर कम था तथा 80 / 40 था तथा उसके खून में ऑक्सीजन की मात्रा 50 प्रतिशत थी। हमने उसे उपचार दिया तथा आवश्यकतानुसार उसका ई.टी. ट्यूब ब्लॉक होने के कारण दूसरा ट्यूब लगाया गया, उसकी स्थिति बहुत गम्भीर थी । उसे अस्पताल लाने पर अन्तरिम उपचार देने के बाद स्थिति थोड़ी स्थिर होने पर उसे न्यूरो आई.सी.यू. में शिफ्ट किया गया। गम्भीर स्थिति होने के कारण वरिष्ठ डा० दीपांकर सिंह मनकोटिया, जो डिपार्टमेण्ट ऑफ न्यूरो सर्जरी के एसोसिएट प्रोफेसर हैं, को यह केस मार्क किया गया तथा उन्होंने पीड़िता के उपचार को सुपरवाईज किया। पीड़िता के कई दिनों तक अस्पताल में इलाज चलने के दौरान उसका एक्स-रे किया गया, एक्स-रे में उसके बायें फेफड़े में न्यूमोनिक पैच पाया गया जो आम तौर पर सर्वाइकल स्पॉइन के मरीज को लम्बे समय तक वेण्टीलेटर पर या अस्पताल में रहने पर हो जाता है। सी. टी. सर्वाईकल स्पॉइन सी. -5 और सी. -6 में पीड़िता के मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार गम्भीर चोट थी। पीड़िता को यथासम्भव उपचार दिया गया। आइनोट्रोपिक उपचार के बाद भी उसका ब्लड प्रेशर नार्मल नहीं आ रहा था तथा फुल ऑक्सीजन सपोर्ट पर भी उसका ब्लड ऑक्सीजन [ ७२ ]________________

72 लेवल 100 प्रतिशत नहीं आ रहा था । हमारा सफदरजंग अस्पताल भारत के कुछ बेहतरीन अस्पतालों में से एक है जहां इलाज की हर तरह की उपलब्ध सुविधायें मौजूद हैं। पीड़िता को जो उपलब्ध इलाज वह सभी दिये गये। हमारे अस्पताल में स्पोर्ट्स इन्जरी सेण्टर में स्पॉइन इन्जरी की चिकित्सा की भी सुविधा उपलब्ध है। हर तरह के उपचार देने के बावजूद पीड़िता की मृत्यु दिनांक 29.09.2020 को सुबह 06:55 बजे हो गयी थी। पत्रावली पर मौजूद डी. - 54 कागज संख्या 59अ के माध्यम से सी.बी.आई. द्वारा पीड़िता के इलाज से सम्बन्धित दस्तावेज सफदरजंग अस्पताल से प्राप्त किये गये जो आज मेरे सामने उपलब्ध है। इन उपचार सम्बन्धित दस्तावेजों पर मैं अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं जिन्हें आज 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। कागज संख्या 593 / 2 पीड़िता के सफदरजंग अस्पताल में दाखिले से सम्बन्धित रिकॉर्ड है जो मेरे बताने पर मेरे जूनियर ने भरा था तथा मैंने इस पर हस्ताक्षर किये थे। मेरे हस्ताक्षरों को ‘ए बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। कागज संख्या 593 / 3 एवं 593/4 पीड़िता के सफदरजंग अस्पताल में मृत्यु के बाद बनाया गया डेथ समरी (Death Summary) है। इस पर मौजूद अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं। मैंने इस पर हस्ताक्षर किये थे। मेरे हस्ताक्षरों को 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। कागज संख्या 593 / 7 पीड़िता से सम्बन्धित सी. पी. आर. नोट्स हैं जो मेरे द्वारा बनवाया गया था। इस पर मौजूद अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं। मैंने इस पर हस्ताक्षर किये थे। मेरे हस्ताक्षरों को 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। कागज संख्या 597 / 8 पीड़िता के इलाज से सम्बन्धित इमरजेन्सी रजिस्ट्रेशन एम. एल. सी. है जो उसके रेफरल कागज जो जे. एन. एम. सी. अलीगढ़ के एम. एल. सी. नम्बर 35 / 3497 के बाद सफदरजंग में पीड़िता के भर्ती के समय बना था। भर्ती करते वक्त मैंने मरीज की स्थिति को देखकर एडमीशन रिकमेण्ड कर दिया था। मेरे से पूर्व डा० मोहित गुप्ता मरीज के आने पर उसे देखकर विवरण लिख चुके थे। मरीज की स्थिति को देखते हुये, डा० मोहित गुप्ता के लिखे हुये विवरण को देखकर मैंने पीड़िता को न्यूरो सर्जरी में भर्ती करने का रिकमण्ड कर दिया था। इस पर मौजूद अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं। मैंने इस पर हस्ताक्षर किये थे। मेरे हस्ताक्षरों को 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। कागज संख्या 591 / 20 पीड़िता के इलाज से सम्बन्धित केस शीट है जिसे मैंने डी.ओ.डी. आई.सी.यू. को पीड़िता की स्थिति को बता हुये एक्जॉमिन करने का अनुरोध किया था । इस पर अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं। मेरे हस्ताक्षरों को 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया । विद्वान [ ७३ ]________________

33. 73 लोक अभियोजक द्वारा गवाह से सम्बन्धित अभिलेख की छायाप्रति कागज संख्या 593/2, 593 / 3 एवं 59अ / 4 पर प्रदर्श डालने की अनुमति मांगी गयी जिस पर बचाव पक्ष के अधिवक्ता पर आपत्ति की गयी कि उपरोक्त अभिलेख छायाप्रति है जिस पर प्रदर्श अंकित नहीं किया जा सकता है। पी0डब्लू0–20 डा0 गौरव सिंह अभय ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि यह सही है कि सी-5 और सी-6 की इंजरी forceful jerk से आना सम्भव है । यह इंजरी सिंगल इम्पैक्ट से आना सम्भव है । यह सही है कि death summary चार्ट में अन्तिम निदान "Past strangulation with cervical spine injury with septic with cardio pulmonary arrest अंकित है। साक्षी पी0डब्लू0-21 डा० अजीमुद्दीन मलिक, कैजुअल्टी मेडिकल आफिसर, सी.एम.ओ. ट्रामा सेण्टर, जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस केस से सम्बन्धित पीड़िता दिनांक 14.09.2020 को शाम 04:00 बजे के आसपास हमारे अस्पताल में रेफरल से लायी गयी थी । मैं और डा० मेराज सी.एम.ओ. कार्यालय में इवनिंग ड्यूटी पर थे। अगले दिन 15.09.2020 डा0 नरेश कुमार के साथ मैं ड्यूटी पर था और दिनांक 16.09.2020 को मेरी छुट्टी थी और दिनांक 21-22.09.2020 को भी मैं सी.एम.ओ. कार्यालय में ड्यूटी पर था । कैजुअल्टी / ट्रामा सेण्टर में लाये गये मरीजों को पहले ए.सी.एम.ओ./ रेजीडेण्ट डाक्टर देखते हैं तथा उनके Finding के अनुसार मरीज को सम्बन्धित विभाग के वरिष्ठ चिकित्सकों को रेफर कर दिया जाता है। इस प्रकरण से सम्बन्धित मरीज दिनांक 14.09.2020 को लायी गयी थी तो ए.सी.एम.ओ. डा० सायमा तथा डा० अरूण ड्यूटी पर थे। पीड़िता को बागला जिला अस्पताल से रेफर किया गया था । मरीज के पिता द्वारा मरीज की बीमारी के सम्बन्ध में ए.सी.एम.ओ. को जानकारी दी गयी थी तथा ए.सी.एम.ओ. ने जानकारी मेडिकल अभिलेखों में दर्ज की थी। अभिलेखों के अनुसार पीड़िता के पिता ने पीड़िता के साथ यौन उत्पीड़न के सम्बन्ध में कोई बात नहीं बतायी थी। मैंने जब पीड़िता को दिनांक 14.09.2020 को देखा तब उसके गले में चोट थी, वह लेटी हुई थी तथा खड़ी नहीं हो पा रही थी । तब पीड़िता की हालत को देखते हुये ए.सी.एम.ओ. ने उसे प्रारम्भिक उपचार देने एवं उसकी हिस्ट्री अंकित करने के बाद उसे न्यूरो सर्जरी विभाग को रेफर किया जहां उसे नेत्र रोग विशेषज्ञ, नाक, कान, गला एवं फिजीशियन ने भी देखा। दिनांक 22.09.2020 को हमें न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रभारी एम. एफ. हुदा की ओर से एक पत्र प्राप्त हुआ [ ७४ ]________________

74 कि पीड़िता का मजिस्ट्रेट के द्वारा मृत्यु पूर्व बयान अंकित किये जाने की व्यवस्था की जाये जिसे दिनांक 22.09.2020 को डा० एहतेशाम द्वारा प्रभारी सी.एम.ओ. के तौर पर स्वीकृति प्रदान की । यह पत्र पत्रावली में डी. -3 में कागज संख्या 8अ /138 के रूप में मौजूद है, जो छायाप्रति है और डा० उवेद, सी.एम.ओ. द्वारा अपने मोहर व हस्ताक्षर से सत्यापित है। मैं, डा० एम.एफ. हुदा, डा० एहतेशाम एवं डा० उवेद के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं जिन्हें आज क्रमशः 'ए', 'बी' और 'सी' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया । उपरोक्त पत्र को विभागीय कार्यवाही के तहत आगे अग्रसारित कर दिया गया । उपरोक्त पत्र के बाद एक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार, पीड़िता का मृत्यु पूर्व बयान लिखने के लिये अस्पताल आये। मैंने इससे पूर्व अन्य प्रकरणों में तीन मृत्यु पूर्व बयान लिखवाने की कार्यवाही में सहभागिता की थी । नियमतः मजिस्ट्रेट की उपलब्धता के लिये एस.डी.एम. / एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को पत्र लिखा जाता है तथा वहां से मजिस्ट्रेट को नामित किया जाता है तथा नामित मजिस्ट्रेट के अस्पताल आने पर वह सी.एम.ओ. ऑफिस में डायरी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर आगे की कार्यवाही करते हैं। इस क्रम में नामित डाक्टर जो कि ऑन ड्यूटी सी.एम.ओ. होते हैं, मजिस्ट्रेट को मरीज के पास ले जाते हैं तथा मजिस्ट्रेट के सामने मरीज से कुछ सवाल पूछते हैं और उनके जवाब पर तय करते हैं कि मरीज होश में है तथा बयान लिखवाने की स्थिति में है। मरीज की स्थिति के बारे में सुनिश्चित होने पर हम स्थिति को प्रमाणित करते हुये हस्ताक्षर करके मजिस्ट्रेट को बयान दर्ज करने के लिये पीड़िता के पास छोड़कर हम थोड़ा पीछे हो जाते हैं ताकि मजिस्ट्रेट स्वेच्छा से दिये गये बयान को दर्ज कर सके। महिला मरीज के बयान लिखे जाने की स्थिति में हम किसी लेडीज स्टॉफ / नर्स को पास छोड़ देते हैं । मजिस्ट्रेट द्वारा बयान लिखे जाने के दौरान हम दूर खड़े होकर मरीज को देखते रहते हैं कि वह होश में तो है और बेहोश तो नहीं हो रही है। इस प्रकरण में भी मृत्यु पूर्व बयान प्रदर्श क - 15 मेरे देखरेख में दर्ज हुआ था। इस प्रकरण में दर्ज हुआ मृत्यु पूर्व बयान आज मेरे सामने मौजूद है। इस बयान में शुरू की तीन लाइनें जो काले पेन से लिखी हुई हैं, मेरे हस्तलेख में है तथा यह इस बात को दर्शाता है कि बयानकर्ता बयान देने के लिये होश में थी । इस प्रमाण पत्र के बाद मैंने हस्ताक्षर किये थे, जिन्हें पूर्व में 'बी' बिन्दु से चिन्हित किया जा चुका है, की शिनाख्त करता हूं। इसके उपरान्त मजिस्ट्रेट द्वारा पीड़िता / बयानकर्ता का मृत्यु पूर्व बयान मजिस्ट्रेट द्वारा अपने हस्तलेख में दर्ज किया गया। मैंने मजिस्ट्रेट को लिखते हुये नहीं देखा था । वह डायरी की ओट में लिख रहे थे [ ७५ ]________________

34. 75 तथा डायरी से बयान को छिपाया हुआ था तथा मुझे केवल बयानकर्ता का अंगूठे का निशान दिखाया था। इस कार्यवाही के बाद मैंने बयानकर्ता मरीज को देखकर दूसरा सर्टिफिकेट अंगूठे के निशान के नीचे बनाया जिस पर मैंने यह लिखा कि बयान के दौरान पीड़िता होश में थी । मेरे बाद वाले सर्टिफिकेशन और हस्ताक्षर काले पेन से मेरे हस्तलेख में लिखा हुआ है, जिनकी मैं शिनाख्त करता हूं। मेरे हस्ताक्षरों को पूर्व में 'बी' बिन्दु से चिन्हित किया गया, जिसकी मैं शिनाख्त करता हूं । मजिस्ट्रेट के साथ उनका अर्दली भी था जो उनका सामान उठाकर साथ चल रहा था और उसी ने अंगूठे का निशान लगाने के लिये स्टाम्प पैड आगे किया था । मजिस्ट्रेट बयान नोट करने के लिये शाम 5:30 बजे के आसपास दिनांक 22.09.2020 को आये थे तथा यह कार्यवाही 20-25 मिनट तक चली थी। पी0डब्लू0-21 डा0 अजीमुद्दीन मलिक ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि दिनांक 14.09.2020 को डा० सायमा व डा० अरूण ने हिस्टी शीट में यह अंकित किया था कि मरीज या उसके परिजन ने यौन उत्पीडन के बारे में नहीं बताया था। दिनांक 21.09.2020 को मैंने पीडिता को नहीं देखा था। दिनांक 22.09.2020 को मैंने पीडिता को देखा था । दिनांक 22.09.2020 को मुझे यह नहीं लगा था कि पीडिता मरणासन्न अवस्था में है व उसकी मृत्यु हो सकती है। यह बात मैंने सुनी है कि पीडिता ने यौन उत्पीडन के सम्बन्ध में पहली बार अस्पताल स्टाफ को दिनांक 22.09.2020 को ही बताया था। शायद उसी दिन दिनांक 22.09.2020 को पीडिता / मृतका का यौन उत्पीडन से सम्बन्धित जाँच हुई थी । आज न्यायालय में प्रदर्श क -15 में पीडिता का बयान जो मजिस्टेट के हस्तलेख में लिखा हुआ है, उसकी Line spacing के अन्तर के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता हूँ। साक्षी पी0डब्लू0-22 डा० गौरव वी. जैन, प्रोफेसर फारेंसिक मेडिसिन, सफदरजंग अस्पताल नई दिल्ली ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि मैं दिनांक 29.09.2020 को बतौर प्रोफेसर फारेन्सिक विभाग सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली में कार्यरत था । उस दौरान ए०एस०आई० शैलेन्द्र लाकड़ा द्वारा सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता की मृत्यु के बाद उसके पोस्टमार्टम के अनुरोध के साथ सम्बन्धित दस्तावेज दिये थे । औपचारिक अनुरोध प्राप्त होने के बाद हमारे विभाग के विभागाध्यक्ष ने तीन डाक्टरों की टीम बनायी जिसमें मैं भी शामिल था। मेरे अलावा डा० आदित्य आनन्द एवं डा० अलिफ मुजफ्फर सोफी टीम के सदस्य थे। शव विच्छेदन के लिये बोर्ड गठित होने पर हम तीनों डाक्टर [ ७६ ]________________

76 ने शव के आने पर उसका परीक्षण किया तथा इस सम्बन्ध में पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की और हम सभी ने मिलकर अपने हस्ताक्षर किये। मैं अपने हस्ताक्षर तथा मेरे सहकर्मी डाक्टर आदित्य आनन्द एवं डा० अलिफ मुजफ्फर सोफी के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट नम्बर 2131 / 20 दिनांकित 29.09.2020 पत्रावली पर मौजूद डी-1 में कागज संख्या - 170-171 के रूप में मौजूद है। इसके साथ पुलिस वालों के द्वारा दिये गये Inquest Paper कागज संख्या - 172 ता 189 के रूप में मौजूद है जिसे हमें मिलने पर हम तीनों डाक्टरों ने उन पर अपने लघु हस्ताक्षर किये थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट एवं उसके साथ संलग्न दस्तावेज कागज संख्या - 170 ता 189 पर मौजूद मेरे हस्ताक्षरों और लघु हस्ताक्षरों को आज 'ए' बिन्दु से चिन्हित किया गया और डा० आदित्य आनन्द एवं डा0 अलिफ मुजफ्फर सोफी के हस्ताक्षरों को आज 'सी' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट एवं संलग्न दस्तावेजों पर आज संयुक्त प्रदर्श क-33 डाला गया। हमें भेजे गये दस्तावेजों में पीड़िता के इलाज से सम्बन्धित दस्तावेज थे जिनके अनुसार पीड़िता का अज्ञात व्यक्ति ने दिनांक 14.09.2020 को सुबह 09:00 बजे खेत में काम करते वक्त पीछे से दुपट्टे से गला घोंटा था, ऐसा विवरण लिखा हुआ था । दस्तावेजों के अनुसार पीड़िता को सबसे पहले बागला संयुक्त जिला चिकित्सालय में इलाज के लिये भेजा गया था। वहां से रेफर के बाद उसे जे.एन.एम.सी. अलीगढ़ में दिनांक 14.09.2020 को समय 04:10 बजे पी०एम० भर्ती किया गया था। एम०एल०सी० नम्बर - C - 46578 जे.एन.एम.सी. अलीगढ़ के अनुसार वह अपने होश हवाश में थी तथा उसके गले में चोट / लिगेचर मार्क के निशान थे। उसके सम्बन्धित मेडिकल दस्तावेजों में सी.टी. स्कैन की रिपोर्ट थी, जिसके अनुसार उसके गर्दन की हड्डी (सी. -6 ) में फ्रैक्चर था। तत्पश्चात् पीड़िता को दिनांक 28.09.2020 को सफदरजंग अस्पताल में लाया गया जहां उसका निदान गर्दन में चोट एवं शरीर में संक्रमण (Septic ) बताया गया। बाद में दिनांक 29.09.2020 को समय 06:55 बजे सुबह पीड़िता की मृत्यु हो गयी। बाहरी परीक्षण पर हमने पाया कि पीड़िता का शव प्लॉस्टिक शव बैग एवं नीले रंग की अस्पताल की चादर में लिपटा हुआ था। पीड़िता ने वयस्क डायपर पहना हुआ था जिसके अन्दर खून से सनी हुई Cotton Pad मौजूद था । दोनों नाकों में रूई लगी हुई थी। बायीं पैर की एड़ी पर काला धागा बंधा हुआ था। बायें हाथ पर एवं जांघों में सुई के निशान मौजूद थे। बायें हाथ पर 'ओम' गुदा हुआ था। दोनों अंगूठों पर नीली स्याही के निशान थे । दायें कन्धे पर पीछे की तरफ 8x 5 से०मी० का Ecchymotic Patch मौजूद था। पीड़िता के दायें [ ७७ ]________________

77 कन्धे पर मौजूद Extravasation डाक्टर द्वारा लगाये गये गर्दन को स्थिर रखने के लिये लगाये गये Cervical Collar की वजह से सम्भव था। दोनों आंखों में Subconjunctival hemorrhages मौजूद था। उसकी योनि से माहवारी का खून मौजूद था। Hypostasis कमर पर मौजूद थी । मृत्यु उपरान्त अकड़न चेहरे, गर्दन एवं भुजाओं पर मौजूद थी। गर्दन पर सामने Ligature Mark मौजूद था, जिसके ऊपर भूरे काले रंग का खुरन्ट मौजूद था । यह निशान Adams Apple (VSVqvka) के नीचे मौजूद था एवं जबड़े की बायीं तरफ से दायीं तरफ तक 15 से0मी0 तक था। खुरन्ट के नीचे Healed Area (सूखा हुआ घाव ) के निशान मौजूद थे। निशान गर्दन के बीच में 07 से०मी० चौड़ा था । बायीं तरफ 05 सेमी चौड़ा था एवं दायीं तरफ 06 से०मी० चौड़ा था । गर्दन के पीछे की तरफ कोई निशान मौजूद नहीं था । आन्तरिक परीक्षण से सम्बन्धित Observation पोस्टमार्टम रिपोर्ट में विस्तृत में दी गयी है। गर्दन में पीछे की तरफ खाल एवं मांसपेशियों में Extravasation मौजूद था। गर्दन के अन्दर अन्य कोई चोट मौजूद नहीं थी। सी. - 6 पर हड्डी टूटी हुई थी । अन्य कुछ असामान्य नहीं था । इस केस में हमारे द्वारा निम्न वस्तुयें सील की गयीं :- 1. विसरा 2. Neck strapping 3. दोनों हाथों से काटे गये नाखून 4. Pubic Hair 5. मुंह से लिया गया Swab एवं Smear 6. योनि के आसपास से लिया गया Swab एवं Smear 7. दायीं जांघ से लिया गया Swab एवं Smear मृत्यु पूर्व समय अस्पताल के रिकॉर्ड में दर्ज है। मृत्यु का कारण गर्दन की हड्डी में चोट कुन्द आघात / Blunt Trauma द्वारा एवं उसके पश्चातवर्ती परिणाम (Sequelae) था । गर्दन पर मौजूद लिगेचर का निशान गला घोंटने के प्रयास से हुआ था किन्तु मृत्यु का कारण नहीं था । पोस्टमार्टम रिपोर्ट हम तीनों डाक्टरों की टीम ने संयुक्त रूप से तैयार की थी तथा मैं इसकी सत्यता की पुष्टि करता हूं। इस प्रकरण में पीड़िता के पोस्टमार्टम सम्बन्धित कार्यवाही को वीडियोग्राफ कराने के लिये पुलिस अथवा अन्य किसी एजेन्सी के द्वारा कोई अनुरोध नहीं आया था और नियमतः हम लोग बिना अनुरोध के शव विच्छेदन की कार्यवाही का वीडियोग्राफी की अनुमति नहीं देते। वीडियोग्राफी के अनुमति के बाद सम्बन्धित एजेन्सी ही वीडियोग्राफर का इन्तजाम करती है। पोस्टमार्टम की [ ७८ ]________________

35. 78 कार्यवाही के लिये जब शव को लाया गया तो सफदरजंग चौकी के स्टॉफ श्री शैलेन्द्र लाकड़ा के साथ यू०पी० पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद थे। पोस्टमार्टम की कार्यवाही के दौरान हमें पता लगा कि पीड़िता की मृत्यु के उपरान्त कुछ लोगों द्वारा नारेबाजी की जा रही थी क्योंकि पीड़िता को दिनांक 14.09.2020 की घटना के लगभग 15 दिन बाद उसकी मृत्यु के पश्चात् हमारे पास पोस्टमार्टम के लिये लाया गया था। ऐसे में यदि उसके साथ कोई यौन शोषण हुआ तो उसके बारे में हमारे द्वारा कोई राय नहीं दी जा सकती है। पी0डब्लू0-22 डा० गौरव वी. जैन ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि यह सही है कि मृतका की गर्दन के पीछे की ओर कोई भी strangulation का चिन्ह मौजूद नहीं था । हमने परीक्षण के दौरान पाया कि सी-6 की इंजरी सिंगल झटके के इम्पैक्ट से आयी होगी । पीडिता के शरीर पर पाये गये Ligature mark blunt object से सम्भव नहीं है । यह सही है कि अगर दुपट्टे से strangulation किया जायेगा तो Ligature mark गर्दन के चारो ओर आयेगा और उसमें कोई गैप नहीं होगा । न्यायालय द्वारा प्रश्न - क्या इस प्रकरण में पीडिता के गले में चोट दुपट्टे द्वारा strangulation किये जाने पर आना सम्भव है । उत्तर- जी हॉ। ऐसी चोट attempted strangulation से आना सम्भव है । अगर पूर्ण रूप से strangulation किया जाये तो निशान all around the neck आयेगा। इस प्रकरण में strangulation पीडिता की मृत्यु का कारण नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रदर्श क - 33 में मृत्यु का कारण स्पष्ट एवं अन्तिम नहीं दिया गया है तथा बिसरा रिपोर्ट के आने तक तब के लिये स्थगित रखा गया है। यह सही है कि पीडिता के श्वास नली में सफेद झाग मौजूद थे। यह सही है कि मृतका की पीठ पर hypostasis मृत्यु पूर्व नहीं होंगे अपितु मृत्यु पश्चात ही होंगे । साक्षी पी0डब्लू0 - 23 गंगा नारायन झा, नोडल आफिसर रिलायन्स जिओ पश्चिम क्षेत्र ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सी.बी. आई. द्वारा हमारी कम्पनी से कुछ फोन नम्बर से सम्बन्धित कॉल डिटिल व CAF मांगे गये थे, जो मैंने अपने पत्र दिनांकित 15.12.2020 के माध्यम से सी.बी.आई. शाखा प्रमुख गाजियाबाद को उपलब्ध करा दिये थे । मेरा पत्र पत्रावली पर कागज संख्या - 1753 / 1 के रूप में मौजूद है, जिस पर अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ जिन्हें "ए" बिन्दु से चिन्हित किया गया। कागज [ ७९ ]________________

36. 79 संख्या - 1753 / 2 मेरे द्वारा उपलब्ध कराई गयी जानकारी के सम्बन्ध में प्रमाण पत्र अन्तर्गत धारा 65बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम है। मैंने सी.बी.आई. द्वारा मांगी गयी जानकारी जिन फोन नम्बर के सम्बन्ध में दी थी उसे तालिका के रूप में एनेक्चर 1 के रूप में दिया था जो पत्रावली पर कागज संख्या - 1753 / 3 के रूप में मौजूद है। फोन नम्बर 9528761690 हमारे रिकॉर्ड के अनुसार भूदेव कुमार के नाम जारी है जिसका CAF फार्म पत्रावली पर कागज संख्या - 1753/4 के रूप में मौजूद । इस फार्म से सम्बन्धित 24.11.19 से 23.11.20 का सी.डी. आर. सी.बी.आई. को उपलब्ध कराया गया था, जिसमें से पेज 71 of 364 से 210 of 364 पृष्ठ सी.बी.आई. द्वारा न्यायालय में दाखिल किया गया था। पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 1753 / 1 लगायत 1753 /50 जो कि मेरे द्वारा सी.बी.आई. को लिखा गया पत्र, प्रमाण पत्र अन्तर्गत धारा 65बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम, फोन नम्बर से सम्बन्धित एनेक्चर - 1 एवं सी.डी. आर. पर मौजूद अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज "ए" बिन्दुओं से चिन्हित किया गया है। ये जो सी. डी. आर. मैंने उपलब्ध कराये हैं वह जिओ कम्पनी के सरवर से मैंने बतौर अधिकृत अधिकारी प्रिन्ट आउट निकालकर सत्यापित किये हैं। जो सही है और उसमें किसी तरह की छेडछाड़ नहीं की गयी है। उपरोक्त दस्तावेज कागज संख्या 1753 / 1 ता 1753 / 150 पर आज संयुक्त प्रदर्शक 34 डाला गया। साक्षी पी0डब्लू0 - 24 विशाल शर्मा, नोडल आफिसर वोडाफोन आईडिया लिमिटेड पश्चिम क्षेत्र ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सी.बी.आई. द्वारा हमारी कम्पनी से कुछ फोन नम्बर से सम्बन्धित कॉल डिटेल व CAF मांगे गये थे जो मैंने अपने पत्र दिनांकित 15.12.2020 के माध्यम से सी.बी.आई. शाखा प्रमुख गाजियाबाद को उपलब्ध करा दिये थे। मेरा पत्र पत्रावली पर कागज संख्या 1743 / 1 के रूप में मौजूद है, जिस पर मैं अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें "ए" बिन्दु से चिन्हित किया गया। कागज संख्या 1743 / 2 मेरे द्वारा उपलब्ध कराई गयी जानकारी के सम्बन्ध में प्रमाण पत्र अन्तर्गत धारा 65बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम है। फोन नम्बर 7618640133 हमारे रिकॉर्ड के अनुसार संदीप सिसौदिया पुत्र श्री नरेन्द्र सिंह के नाम प्रीपेड फोन के रूप में जारी है, जिसका CAF फार्म पत्रावली पर कागज संख्या 1741 /65 एवं 66 के रूप में मौजूद है। इस फोन से सम्बन्धित सी. डी. आर., जो 24. 11.19 से 23.11.20 का है, जो पत्रावली पर कागज संख्या 174अ / 3 ता 174अ / 64 के रूप में मौजूद है। जो मैंने सी.बी.आई. को उपलब्ध कराई थी । पत्रावली पर [ ८० ]________________

37. मौजूद कागज संख्या 174अ / 1 80 लगायत 174अ / 68 जो कि मेरे द्वारा सी.बी.आई. को लिखा गया पत्र, प्रमाण पत्र अन्तर्गत धारा 65बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम एवं सी.डी. आर. पर मौजूद अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज ए बिन्दुओं से चिन्हित किया गया है। ये जो सी. डी. आर. मैंने उपलब्ध कराये हैं वह वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के सरवर से मैंने बतौर अधिकृत अधिकारी प्रिन्ट आउट निकालकर सत्यापित किये हैं, जो सही है और उसमें किसी तरह की छेडछाड़ नहीं की गयी है। उपरोक्त दस्तावेज कागज संख्या 174अ/1 ता 174अ / 68 पर आज संयुक्त प्रदर्श क 35 डाला गया। पी0डब्लू0 - 24 विशाल शर्मा ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि पत्रावली पर मौजूद सी०डी०आर० प्रदर्श क - 35 के पेज-19 (1743 / 21 ) में मोबाईल नम्बर 7618640133 पर समय 18:06:17, 18:08:12, 18:12:20 दिनांक 12.02.2020 मोबाईल नम्बर 9897319621 से कॉल आयी है। पत्रावली पर मौजूद सी०डी०आर० प्रदर्श क- 35 के पेज - 19 (174अ /21) में मोबाईल नम्बर 7618640133 से समय 18:12:54, 18:13:23 को दिनांक 12.02.2020 मोबाईल नम्बर 9897319621 पर कॉल की गयी है । यह सही है कि सी0डी0आर0 के अवलोकन से यह पता लगता है कि आगे भी उपरोक्त दोनों नम्बरों के बीच कई कॉलों के माध्यम से लगातार कॉल होती रही हैं, जिनमें आउटगोइंग तथा इनकमिंग दोनों तरह की कॉलें हैं। हमारे कम्पनी कर रिकार्ड कम्पनी के सर्वर में मेंटेन किया जाता है, जो हर तरह से सुरक्षित है तथा रिकार्ड के साथ छेडखानी सम्भव नहीं है । साक्षी पी0डब्लू0-25 राजीव वशिष्ठ, नोडल आफिसर भारती एयरटेल लिमिटेड ओखला इण्डस्ट्रीयल एरिया नई दिल्ली ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सी.बी.आई. द्वारा हमारी कम्पनी से कुछ फोन नम्बर से सम्बन्धित कॉल डिटिल व CAF मांगे गये थे, जो मैंने अपने पत्र दिनांकित 16.12.2020 के माध्यम से सी.बी.आई. शाखा प्रमुख गाजियाबाद को उपलब्ध करा दिये थे। मेरा पत्र पत्रावली पर कागज संख्या 1733 / 1 के रूप में मौजूद है, जिस पर मैं अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें "ए" बिन्दु से चिन्हित किया गया। कागज संख्या 1733 / 2 मेरे द्वारा उपलब्ध कराई गयी जानकारी के सम्बन्ध में प्रमाण पत्र अन्तर्गत धारा 65बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम है। फोन नम्बर 8171520995 हमारे रिकॉर्ड के अनुसार सोम सिंह पुत्र श्री ओम प्रकाश के नाम प्रीपेड फोन के रूप में जारी है, जिसका CAF फार्म पत्रावली पर कागज संख्या 1733 / 3 के रूप में मौजूद है। इस फोन से सम्बन्धित सी. डी. आर., जो [ ८१ ]________________

81 24.11.19 से 23.11.20 का है, जो पत्रावली पर कागज संख्या 173अ / 6 ता 1733/31 के रूप में मौजूद है, जो मैंने सी.बी.आई. को उपलब्ध कराई थी । फोन नम्बर 7393077517 हमारे रिकॉर्ड के अनुसार श्यामवीर पुत्र श्री दाताराम के नाम प्रीपेड फोन के रूप में जारी है, जिसका CAF फार्म पत्रावली पर कागज संख्या 1733 / 32 के रूप में मौजूद है। इस फोन से सम्बन्धित सी. डी. आर., जो 24.11.19 से 23.11.20 का है, जो पत्रावली पर कागज संख्या 173अ / 33 ता 1733/47 के रूप में मौजूद है। जो मैंने सी.बी.आई. को उपलब्ध कराई थी। फोन नम्बर 9634091787 हमारे रिकॉर्ड के अनुसार संदीप सिसोदिया पुत्र श्री नरेन्द्र सिंह के नाम प्रीपेड फोन के रूप में जारी है, जिसका CAF फार्म पत्रावली पर कागज सं0-173अ / 48 के रूप में मौजूद है। इस फोन से सम्बन्धित सी.डी.आर., जो 24.11.19 से 23.11.20 का है, जो पत्रावली पर कागज संख्या 1731 / 51 के रूप में मौजूद है, जो मैंने सी.बी.आई. को उपलब्ध करायी थी। फोन नम्बर 9897319621 हमारे रिकॉर्ड के अनुसार ओम प्रकाश पुत्र श्री बाबू लाल के नाम प्रीपेड फोन के रूप में जारी है, जिसका CAF फार्म पत्रावली पर कागज संख्या 1733 / 52 के रूप में मौजूद है। इस फोन से सम्बन्धित सी.डी.आर., जो 24.11.19 से 23.11.20 का है, जो पत्रावली पर कागज संख्या 1731 / 53 ता 1733 / 138 के रूप में मौजूद है, जो मैंने सी.बी.आई. को उपलब्ध कराई थी। ये जो सी. डी. आर., प्रमाण पत्र अन्तर्गत धारा 65बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम एवं CAF फार्म मैंने उपलब्ध कराये है, वह भारती एयरटेल लिमिटेड के सरवर से मैंने बतौर अधिकृत अधिकारी प्रिन्ट आउट निकालकर मोहर लगाकर अपने हस्ताक्षर से सत्यापित किये हैं, जिनकी मैं शिनाख्त करता हॅू, जिन्हें आज "ए" बिन्दु से चिन्हित किया गया । उपरोक्त दस्तावेज जो मेरे द्वारा सत्यापित हैं वो सही हैं और उनमें किसी तरह की छेडछाड़ नहीं की गयी है। उपरोक्त दस्तावेज कागज संख्या 1733 / 1 ता 173अ / 138 पर आज संयुक्त प्रदर्शक - 36 डाला गया । पी0डब्लू0-25 राजीव वशिष्ठ ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि यह सही है कि सी०डी०आर० के पेज संख्या - 107 के अनुसार मोबाईल संख्या 9411803636 से मोबाईल संख्या 9897319621 पर 10:41:12 पर 148 सेकेण्ड की इनकमिंग कॉल है और 10:48:58 पर 38 सेकेण्ड की कॉल है। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह कॉल परस्पर कनेक्ट हुई है और इन पर बातचीत हुई है। यह सही है कि सी०डी०आर० के पेज संख्या-99 के अनुसार दिनांक 14.09.2020 को मोबाईल संख्या 8445329615 से मोबाईल संख्या [ ८२ ]________________

38. 39. 82 9897319621 पर 10:21:47, 10:28:46, 11:10:26 पर तीन इनकमिंग कॉल्स हैं। साक्षी पी0डब्लू0 - 26 सत्य प्रकाश शुक्ला, अवर अभियन्ता, ( प्रा० ) प्रान्तीय खण्ड, लोक निर्माण विभाग हाथरस ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सी0बी0आई0 की टीम द्वारा मेरे कार्यालय के माध्यम से मुझे नक्शा नजरी बनाने के लिये बुलवाया था। मैंने दिनांक 13.10.2020 को सी0बी0आई0 की टीम के साथ ग्राम बूलगढ़ी हाथरस में घटनास्थल का नक्शा नजरी बनाया था तथा उसे सी0बी0आई0 के विवेचक को अपने पत्र के साथ दिया था। मेरा पत्र पत्रावली पर D7 कागज संख्या 12अ / 1 के रूप में मौजूद है, जो मेरे हस्तलेख में है तथा इस पर मौजूद अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूं। मेरे हस्ताक्षर को आज 'ए' बिन्दु से चिन्हित किया गया। इस पत्र के माध्यम से भेजा गया नक्शा नजरी पत्रावली पर कागज संख्या 12अ / 2 के रूप में मौजूद है, जो मेरे ड्राफ्टमैन / मानचित्रकार द्वारा बनाया गया (ड्रा किया गया) । यह मानचित्र हम दोनों द्वारा मिलकर बनाया गया तथा मानचित्र में दर्शाये गये बिन्दु पीड़िता की मां के द्वारा बताने पर इंगित किये गये। इस मानचित्र पर मेरे सहकर्मी मानचित्रकार मोहन खां के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं, जो मेरे सामने किये थे, जिन्हें आज 'बी' बिन्दु से चिन्हित किया गया । मेरे हस्ताक्षरों को 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। मेरे पत्र एवं उसके साथ संलग्न नक्शा नजरी D7 कागज संख्या 12अ / 1 एवं 12अ / 2 पर आज संयुक्त प्रदर्शक -37 डाला गया। पी0डब्लू0-26 सत्य प्रकाश शुक्ला ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि यह सही है कि प्रदर्श क-37 में पीडिता के पड़े होने बताये जाने का स्थान की नाली से दूरी अंकित नहीं की है। यह सही है कि प्रदर्श क-37 में मॉ द्वारा अपने द्वारा घास काटने वाले स्थान से पीडिता के लेटे मिलने वाले स्थान की दूरी अंकित नहीं की है। मेरे अन्दाजे से घटनास्थल से थाना चन्दपा की दूरी 1000 मीटर के आस-पास होगी। यह सही है कि मैंने अपने नक्शे में नाली की चौडाई अंकित नहीं की, अन्दाजन मेड सहित यह 01 मीटर के आस-पास होगी। निरीक्षण के समय खेत में बाजरा की फसल खड़ी थी, जो मेरे कद से ऊँची थी, लगभग साढे पाँच फुट रही होगी। खेत के स्तर से सडक का स्तर करीब डेढ़-दो फीट ऊँची रही होगी । साक्षी पी0डब्लू0 - 27 भूदेव कुशवाहा उर्फ पण्डा ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सी0बी0आई0 विवेचक ने तीन बार मुझे बुलाकर मुझसे पूछताछ की थी व मेरा बयान दर्ज किया था। मैंने उन्हें बताया था कि बूलगढ़ी का रहने वाला सन्दीप बाल्मीकि मेरा सहपाठी था जब हम जगन्नाथ [ ८३ ]________________

83 प्रसाद गंगा देवी इण्टर कालेज में एक साथ पढ़ते थे। मैंने विवेचक को बताया था कि इस प्रकरण का अभियुक्त सन्दीप से मेरी जान पहचान 2016 से है जब मैंने उसके बराबर का खेत बंटाई पर लेकर उसमें बैंगन बोया था। मैंने उस दौरान सन्दीप को अपने खेत में मदद करने के लिये रखा था तथा उसे 250/- रूपये दिन के हिसाब से मजदूरी दी थी। मैंने विवेचक को यह भी बताया था कि मैं होली के रंग (गुलाल ) बनाने की फैक्ट्री में काम करता हूं। मैं 9528761690 नम्बर का प्रयोग करता हूं जिसमें अगस्त 2020 में किसी नये नम्बर से कॉल आया और दूसरी ओर से सन्दीप ने मुझसे बात की और उसने बताया कि वह दिल्ली चला गया है। उसने मुझे बताया था कि उसके घर वालों ने उसके साथ लड़ाई की है और उसको पीटा है तथा उसका सिम तोड़ दिया में । उस दौरान सन्दीप ने मुझे एक फोन नम्बर देकर कहा कि इस नम्बर पर फोन करके मुझे लाइन पर लो। उसने बताया था कि यह एक लड़की का नम्बर है, जिससे उसकी बोलचाल है। उसके घर का नम्बर है। मैंने उसके कहने पर उस नम्बर पर फोन मिलाया था तो फोन उस लड़की के भाई सन्दीप बाल्मीकि ने उठाया था, जो मेरा जानकार था। मैंने उससे उसका हालचाल पढ़ाई के बारे पूछकर फोन काट दिया। उसी दिन मैंने सन्दीप के कहने पर दोबारा फोन मिलाया तो किसी महिला ने फोन उठाया । कान्फ्रेन्स कॉल में सन्दीप चुप रहा तो मैंने इधर-उधर की बात करके फोन रख दिया। बाद में मैंने जब सन्दीप से कहा कि भाई तुमने बात क्यों नहीं की तो उसने बताया कि फोन लड़की की भाभी ने उठाया था इसलिये मैंने बात नहीं की थी। उसके अनुरोध पर मैंने उसी दिन दोबारा फोन मिलाया तो फिर लड़की की भाभी ने उठाया तो फोन मैंने काट दिया। जिस नम्बर पर मैंने सन्दीप के कहने पर फोन मिलाया था वह मुझे याद नहीं और न ही मुझे वह नम्बर याद है, जिससे सन्दीप ने मुझसे बात की । सन्दीप से मेरी उससे एक-आध बार मुलाकात के दौरान मुझे बताया था उसके पड़ोस में रहने वाली लड़की से बोलचाल है और कभी-कभी फोन में बात होती है। उसने बताया था कि वह लड़की उसके सामने रहती है और सन्दीप बाल्मीकि की बहन है। सन्दीप जब गिजरौली में आर0बी0 फैक्ट्री में रंग (गुलाल ) का काम करता था उस दौरान उसने एक दिन मुझसे कुछ पैसे अपनी मां के इलाज के नाम पर उधार मांगे तथा मैंने अपने भाई से पन्द्रह सौ रूपये दिलवा दिये, जो उसने बाद में वापस कर दिये । सन्दीप ने मेरे सामने कई बार सन्दीप बाल्मीकि की बहन से फोन पर बातचीत की थी । सन्दीप ने मुझे बताया था कि उसने बाजार में उस लड़की को अपनी बहन के देवर के हाथ से खाते हुये देखा [ ८४ ]________________

40. 84 था, जिससे उसे शक था। सन्दीप ने मुझे लड़की को फोन मिलाते वक्त यह कहा था कि लड़की के अलावा कोई और उठाये तो पूछना कि सुजाता है क्या और फोन काट देना । सन्दीप मुझे अपना बेस्ट फ्रेण्ड मानता था तथा कोई भी बात अगर होती तो मुझे जरूर बताता था । पी0डब्लू0-27 भूदेव कुशवाहा उर्फ पण्डा ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि सन्दीप अपनी सारी बातें मुझसे शेयर करता था । सन्दीप, मुझे यह भी बताता था कि उसके पीडिता से दोस्ती व प्रेम सम्बन्ध काफी समय से चल रहे हैं और फोन से बातचीत होती रहती है। मुझे सन्दीप ने यह भी बताया था कि मेरे और पीडिता के मध्य सम्बन्धों के बारे में उसके परिवार वालों को मालूम पड गया है और उसके घर वालों ने उसकी पिटाई लगायी है तथा उसका फोन तोड दिया है । सन्दीप ने मुझे यह भी बताया था कि पीडिता के घरवालों ने भी सम्बन्धों को लेकर पीडिता से मारपीट की है और परेशान किया है । सन्दीप ने मुझे फोन इसलिए किया था कि वह, पीडिता के घर पर फोन करके पीडिता से बात करके यह जानना चाहता था कि पीडिता के घर वालें पीडिता के साथ मारपीट तो नहीं कर रहे हैं। मुझे इस बात की व्यक्तिगत जानकारी भी है कि पीडिता और सन्दीप के सम्बन्धों को लेकर पीडिता के घर वाले पीडिता को मारपीट करते थे तथा सन्दीप को सन्दीप के घर वालों ने मारपीट कर दिल्ली भेज दिया था, जहाँ वह काम करता था । साक्षी पी0डब्लू0-28 श्रीमती सत्या वीरी देवी, मेडिकल रिकार्ड आफिसर, सफदरजंग हास्पिटल, नई दिल्ली ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सी0बी0आई0 विवेचक द्वारा मांगने पर मैंने अपने अस्पताल से उनके द्वारा मांगा गया रिकार्ड सीजर मेमो के द्वारा उन्हें हस्तगत किया गया था। सीजर मेमो पत्रावली पर डी - 54 के रूप में मौजूद है, जिस पर मौजूद अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करती हूँ, अपने लघु हस्ताक्षर जो प्रपत्रों पर हैं, उनकी भी शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज 'ए' बिन्दु से चिन्हित किया गया । सीजर मेमो के द्वारा मैंने पीडिता एम०आर०डी० संख्या - 51659 / 2020 से सम्बन्धित रिकार्ड अपने लघु हस्ताक्षर से सत्यापित कर सी0बी0आई0 विवेचक को दिये थे। सीजर मेमो एवं उसके साथ संलग्न मेडिकल दस्तावेज की मूलप्रति मैं आज न्यायालय में लायी हूँ। सीजर मेमो डी - 54 कागज संख्या - 593 एवं उसके साथ संलग्न दस्तावेज कागज संख्या-593 / 1 ता० कागज संख्या-593 / 46 पर आज संयुक्त प्रदर्श क - 38 डाला गया । मैं, न्यायालय में आज पीडिता के इलाज से सम्बन्धित मूल अभिलेख लेकर आयी हूँ, जो कागज [ ८५ ]________________

41. 42. 85 संख्या - 1 से 100 है, जिसमें पीडिता से सम्बन्धित एक्सरे भी शामिल है। मरीज हमारे यहाॅ आई0पी0 संख्या 202051659 दिनांकित 28.09.2020 को दाखिल हुई थी। पीडिता से सम्बन्धित सभी मूल अभिलेख आज न्यायालय में दाखिल कर रही हूँ, जिस पर आज संयुक्त प्रदर्श क- 39 डाला गया । साक्षी पी0डब्लू0 - 29 सरफराज अहमद, रिसेप्सनिष्ट, सी0एम0ओ0 कार्यालय, जे० एन०एम०सी० हास्पीटल, ए०एम०यू० अलीगढ़ ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में मुझे सी0एम0ओ0 कार्यालय से माननीय न्यायालय में इस प्रकरण की पीडिता के सम्बन्ध में मूल चिकित्सीय अभिलेख दाखिल करने हेतु सी0एम0ओ0 द्वारा अधिकृत किया गया, जो मैं आज लेकर आया हूँ। इस स्तर पर गवाह द्वारा मेडिको लीगल शीट कैजुअल्टी सेक्शन जे०एन०एम०सी० हास्पीटल अलीगढ़ से डायरी संख्या 484 दिनांकित 04.03.2022 के माध्यम से माननीय न्यायालय के नाम प्रेषित सीलशुदा खाकी रंग लिफाफा पेश किया, जिस पर सी0एम0ओ0 कार्यालय की मुहर लगी हुई है तथा सी०एम०ओ० डा० असद महमूद के हस्ताक्षर हैं, जिसकी गवाह ने शिनाख्त की है तथा उसे 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया। इस स्तर पर माननीय न्यायालय की अनुमति से लिफाफा खोला गया। लिफाफे के अन्दर पीडिता से सम्बन्धित अभिलेख निकले एवं दो लिफाफे जो प्लास्टिक की टेप से बन्द किये हुये निकले एवं दो लिफाफे जो प्लास्टिक की टेप से बन्द किये हुये निकले । लिफाफे के साथ उससे सम्बन्धित कवरिंग लेटर संलग्न है। पहला डी. नं0 2078ए /एनएस इण्टरनल नं0 7280 दिनांकित 03.10.2020, दूसरा डी. नं0 2081ए / एनएस इण्टरनल नं0 7280 दिनांकित 06.10.2020 एवं तीसरा फाईल संख्या 5834 / 2020 जो ओ०पी०डी०/ कैजुअल्टी संख्या सी - 46578 से सम्बन्धित है। इन अभिलेखों की सत्यापित प्रतिलिपियों पर पूर्व में प्रदर्श डाला जा चुका है। साक्षी पी0डब्लू0-30 विनय शर्मा ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि दिनांक 14.09.2020 को मेरे द्वारा इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता व उसकी माँ का विडियों अपने मोबाईल फोन से थाना चन्दपा परिसर के अन्दर रिकार्ड किया गया था, जो सी०बी०आई० विवेचक व स्वतन्त्र गवाह के सामने दिनांक 21.10.2020 को फोन की विडियों का सी०डी० बनाकर मैंने सी0बी0आई0 विवेचक को दिया था। इस सम्बन्ध में एक मेमो तैयार किया गया था, जो पत्रावली पर डी-44 कागज संख्या 493 के रूप में मौजूद है, जिस पर अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करतू हूँ, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया । स्वतन्त्र गवाह गोविन्द कुमार शर्मा के हस्ताक्षर, जो उन्होंने मेरे सामने किये थे, की शिनाख्त [ ८६ ]________________

86 करता हूँ, जिसे आज 'B' बिन्दु से चिन्हित किया गया। मेरे द्वारा विडियों की सत्यता के सम्बन्ध में एक प्रमाण पत्र अन्तर्गत धारा 65बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम भी दिया गया था, जो मेरे हस्तलेख में की शिनाख्त करता हूँ। प्रमाण पत्र पर मौजूद अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ, जिसे आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया। मेमो डी - 44 एवं प्रमाण पत्र डी - 45 कागज संख्या 493 व 503 पर आज संयुक्त प्रदर्श क - 40 डाला गया। इस स्तर पर गवाह को सी0बी0आई0 माल खाने से लाया गया एम०आर० संख्या 596 / 2021 से चिन्हित खाकी लिफाफे को न्यायालय की अनुमति से खोलकर दिखाया गया तो उसके अन्दर सफेद कागज में लिपटा हुआ तथा सी०बी०आई० की सील से सीलशुदा पैकेट निकला, जिस पर गवाह ने अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त की जिसे 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया तथा स्वतन्त्र गवाह के हस्ताक्षर की भी शिनाख्त की, जिसे 'B' बिन्दु से चिन्हित किया गया तथा उस पर वस्तु प्रदर्श–20 डाला गया । लिफाफे के अन्दर एक सी०डी० निकली, जिसे अभियोजन द्वारा लाये गये लैपटॉप से खोला गया तो उसके अन्दर से एक विडियों फाईल 20200917_095013 निकली, जिसका साईज 51269 के0वी0 है, जिसे देखकर गवाह ने बताया कि यह मेरे द्वारा रिकार्ड किया गया विडियों है । विडियों 39 सेकेण्ड की है। सी०डी० जिसमें उपरोक्त विडियों है, पर आज वस्तु प्रदर्श-21 डाला गया। पी0डब्लू0-30 विनय शर्मा ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि यह विडियों थाना चन्दपा में बने मन्दिर के समक्ष बनायी गयी है, जिसमें मन्दिर व हैण्डपम्प दिखायी दे रहा है और विडियों में पीडिता की माँ अपनी बाईट / बात बता रही है। इसमें पीडिता की मॉ से जिसने प्रश्न किये हैं, वह पत्रकार नेत्रपाल पाठक है, जिसको मैं जानता व पहचानता हूँ तथा उसकी आवाज भी पहचान रहा हूँ। पीडिता की माँ ने अपने इस विडियों में अभियुक्त अकेले सन्दीप को बताया है तथा सन्दीप के पिता का नाम नरेन्द्र उर्फ गुड्डू बताया है। इसके अलावा किसी अन्य व्यक्ति का नाम घटना में सम्मिलित होना नहीं कहा । यह विडियों लगभग 09:30 बजे सुबह थाना परिसर में बनी थी। इस विडियों में पीडिता, पीडिता की माँ तथा पीडिता के परिवार के बच्चे भी दिखायी दे रहे हैं। जिस दिन थाने में विडियों बनी थी उस दिन मैंने गोविन्द कुमार शर्मा को नहीं देखा । विडियों बनाते समय पीडिता वहाँ मौजूद थी तथा बोल रही थी । उस समय पीडिता व पीडिता की मॉ ने कोई बलात्कार या सामूहिक बलात्कार की बात नहीं बतायी थी । पीडिता उस समय बेहोश नहीं थी, [ ८७ ]________________

43. 87 होश में थी तथा पूछे गये प्रश्नों का सटीक उत्तर दे रही थी । साक्षी पी0डब्लू0-31 जगवीर सिंह ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि दिनांक 14.09.2020 को मैं थाना चन्दपा में बतौर एस०एस०आई० कार्यरत था, उस दिन सुबह के समय इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता, उसके परिवारजन के द्वारा थाने लायी गयी थी । मेरे द्वारा इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता व उसकी माँ का विडियों अपने मोबाईल फोन से थाना चन्दपा परिसर के अन्दर रिकार्ड किया गया था, जो सी0बी0आई0 विवेचक व स्वतन्त्र गवाह के सामने दिनांक 21.10.2020 को फोन की विडियों का सी०डी० बनाकर मैंने सी0बी0आई0 विवेचक को दिया था। इस सम्बन्ध में एक मेमो तैयार किया गया था, जो पत्रावली पर डी-46 कागज संख्या 51अ के रूप में मौजूद है, जिस पर अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया । स्वतन्त्र गवाह गोविन्द कुमार शर्मा के हस्ताक्षर, जो उन्होंने मेरे सामने किये थे, की शिनाख्त करता हूँ, जिसे आज 'B' बिन्दु से चिन्हित किया गया। मेरे द्वारा विडियों की सत्यता के सम्बन्ध में एक प्रमाण पत्र अन्तर्गत धारा 65बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम भी दिया गया था, जो मेरे हस्तलेख में है, की शिनाख्त करता हूँ। प्रमाण पत्र पर मौजूद अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ, जिसे आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया। मेमो डी - 46 एवं प्रमाण पत्र डी -47 कागज संख्या 51अ व 52अ पर आज संयुक्त प्रदर्श क- 41 डाला गया। इस स्तर पर गवाह एम0आर0 संख्या 278 / 2021 से को सी0बी0आई0 माल खाने से लाया गया। चिन्हित सीलशुदा पीला लिफाफा को न्यायालय की अनुमति से खोलकर दिखाया गया तो उसके अन्दर सफेद कागज सं सीलशुदा दो छोटे लिफाफे निकले, जिनपर गवाह ने अपने हस्ताक्षरों की पुष्टि करते हुये कहा कि यह हस्ताक्षर मैंने मेमोरी कार्ड से सी०डी० बनाने के बाद उसको सील करते समय किये थे तथा उसने बताया कि छोटे लिफाफे में मेमोरी कार्ड है । गवाह के हस्ताक्षरों को आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया तथा स्वतन्त्र गवाह के हस्ताक्षर को 'B' बिन्दु से चिन्हित किया गया तथा उस पर वस्तु प्रदर्श क - 22 व वस्तु प्रदर्श-23 डाला गया। छोटे लिफाफे को माननीय न्यायालय की अनुमति से खोला गया, जिसके अन्दर एक मेमोरी कार्ड निकली, जिस पर पीएचवाई515 / 20 एचडी -3 अंकित है, जो सादे कागज पर टेप से चिपका हुआ था। उक्त मेमोरी को गवाह के मोबाईल फोन में डालकर चलाया गया, उसके अन्दर इस प्रकरण से सम्बन्धित दिनांकित 14.09.2020 को समय 09:54 पर रिकार्ड की गयी, 34.94 एमवी की विडियों फाईल संख्या video 20200914_095356.mp4 को देखकर बताया [ ८८ ]________________

44. 88 कि यह वही विडियों है जो मैंने थाना परिसर में अपने फोन से रिकार्ड की थी और इसी विडियों का सी०डी० बनवाकर मैंने सी0बी0आई0 विवेचक को दिया था, जो दूसरे सफेद लिफाफे में सील है, जिस पर आज वस्तु प्रदर्श - 23 डाला गया। इस विडियों पर प्रदर्श क - 42 एवं मेमोरी कार्ड पर वस्तु प्रदर्श - 24 डाला गया । इस स्तर पर अभियुक्तगण के अधिवक्ता द्वारा सी०डी० को न चलाने पर अनापत्ति की गयी। सी0डी0 पर वस्तु प्रदर्श - 25 डाला गया। मुख्य रूप से यह पी0डब्लू0 - 31 जगवीर सिंह ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कथन किया है कि यह विडियों थाना चन्दपा के परिसर का है, जिसमें पीडिता स्पष्ट दिखायी दे रही है, जो बेहोश नहीं है एवं बोल रही है। पीडिता के शरीर के किसी भी अंग पर खून के निशान नहीं थे । पीडिता या उसकी माँ को किसी भी व्यक्ति द्वारा सिखाया- पढाया नहीं जा रहा है तथा पीडिता व उसकी मॉ घटना के सम्बन्ध में सारी बातें अपनी स्वेच्छा से बता रही है। पीडिता की मॉ ने घटना के सम्बन्ध में किसी अभियुक्त का नाम नहीं बताया है, न ही किसी यौन उत्पीडन से सम्बन्धित कोई आरोप लगाया है तथा अपनी पुरानी रंजिश का होना बताया है। यह विडियों दिनांक 14.09.2020 को समय 09:54 ए.एम. का है । पीडिता की माँ से मैंने जो प्रश्न किये थे, उनका जवाब वह स्वेच्छा से सटीक दे रही थी । साक्षी पी0डब्लू0-32 दिनेश कुमार वर्मा तत्कालीन थाना प्रभारी थाना चन्दपा, ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि दिनांक 01.09.2020 को मैंने थाना चन्दपा में बतौर प्रभारी निरीक्षक ज्वाइन किया था तथा दिनांक 14.09.2020 को सुबह 09:30 बजे के आसपास इस प्रकरण से सम्बन्धित पीड़िता को उसका भाई सतेन्द्र व उसकी माँ रामा देवी घायल अवस्था में थाने में लेकर आये थे । उस समय मैं थाने में मौजूद था। पीड़िता के आने पर मैंने उसे देखकर हेड मोहर्रिर महेश पाल को बुलाकर पीड़िता के मेडिकल के सम्बन्ध में चिट्ठी देकर इलाज के लिये महिला आरक्षी व होमगार्ड के साथ जिला अस्पताल भेजने का निर्देश दिया। इस दौरान उसकी बहन व पिताजी भी थाने आ गये थे। इस प्रकरण के सम्बन्ध में सी0बी0आई0 के विवेचक ने पूछताछ के दौरान मेरा बयान दर्ज किया था तथा मेरे द्वारा एस0ओ0 चन्दपा रहते हुये इस प्रकरण के सम्बन्ध में मेरे द्वारा की गयी कार्यवाही का ब्योरा लिया गया था। थाने में पीड़िता के घर वालों ने उसे एक चबूतरे पर लिटाया हुआ था। पीड़िता व उसके परिवार वालों चोट के विषय में बताया था कि गांव के सन्दीप ने पुरानी रंजिश के कारण मारपीट की है, जिससे चोंट आयी है । उस दौरान थाने में कुछ स्थानीय पत्रकार [ ८९ ]________________

89 भी आ गये थे, जो कि पीड़िता व उसकी माँ से बातचीत कर उनका वीडियों बना रहे थे। उन पत्रकारों में गोविन्द, विनय शर्मा व नेत्रपाल भी थे। मैंने पीड़िता की स्थिति को देखते हुये एस०एस०आई० जगवीर को पीड़िता को अस्पताल भेजने के लिये ऑटो का प्रबन्ध करने को कहा। इसी दौरान मेरे आदेश के अनुपालन में हेड मोहर्रिर महेश पाल ने एक महिला आरक्षी नेहा व होमगार्ड शिव कुमार को पीड़िता को अस्पताल ले जाने के लिये कह दिया। पीड़िता के भाई सतेन्द्र ने एक लिखित तहरीर दी, जिसके आधार पर इस प्रकरण से सम्बन्धित मुकदमा दर्ज हुआ था। मुकदमा दर्ज होने के तुरन्त बाद मैंने एस०एस०पी० साहब व सी0ओ0 सदर साहब को जरिये टेलीफोन व वायरलेस से सूचित कर दिया था तथा कप्तान साहब ने तुरन्त कार्यवाही कर मुकदमा लिखने व मुल्जिम को गिरफ्तार करने को कहा। इसके उपरान्त मैंने उपनिरीक्षक धीरेन्द्र को निर्देशित किया कि सन्दीप को घर से लेकर आओ। 15-20 मिनट बाद धीरेन्द्र ने वापस आकर बताया कि सन्दीप घर पर नहीं मिला है। इसके कुछ समय बाद मुझे किसी ने सूचना दी कि सन्दीप खेत पर है, तो मैं स्वयं पुलिस बल के साथ खेतों की ओर चल दिया। उसी दौरान सूचना प्राप्त होने के उपरान्त सी०ओ० सदर श्री रामशब्द भी बूलगढ़ी गांव में आ गये थे। मेरे साथ उस दौरान उपनिरीक्षक धीरेन्द्र व महिला आरक्षी रूचि भी थी । हमारे पीछे-पीछे थाने में मौजूद पत्रकारों में से पत्रकार सुनील व विनय शर्मा भी पीछे-पीछे अपने वाहनों से आ गये थे। हमने वहां सन्दीप को ढूंढने का प्रयास किया, परन्तु वह नहीं मिला। आधा-एक घण्टा ढूढने के बाद हम लोग थाना वापस आ गये । इस दौरान मुझे फोन पर नेहा द्वारा सूचित किया गया कि पीड़िता के घर वालों ने उसे अलीगढ़ मेडिकल कालेज इलाज के लिये रैफर करवा लिया है, और यह भी बताया कि वहां उसके चाचा रहते हैं। नेहा ने यह भी बताया कि पीड़िता के परिवार वालों ने मुझे व शिव कुमार को अलीगढ़ ले जाने के लिये मना कर दिया है। इस प्रकरण से सम्बन्धित मेरे द्वारा न्यायालय को प्रेषित की गयी प्रथम सूचना रिपोर्ट की मूल प्रति पत्रावली पर कागज संख्या 53 / 1 लगायत 53/3 के रूप में मौजूद है, जिस पर अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं जिन्हें आज 'ए' बिन्दु से चिन्हित किया गया । यह एफ0आई0आर0 वादी सतेन्द्र की तहरीर पर दर्ज की गयी थी, जो पत्रावली पर प्रदर्श क-1 के रूप में मौजूद है। मेरे द्वारा इस प्रकरण से सम्बन्धित अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गयी तथा गिरफ्तारी मेमो तैयार करवाया गया। अभियुक्त सन्दीप की गिरफ्तारी दिनांक 20.09.2020 को की गयी थी तथा इससे सम्बन्धित गिरफ्तारी मेमो पत्रावली पर [ ९० ]डी.–3 में कागज संख्या 8अ/20 के रूप में मौजूद है, जिस पर अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। इस गिरफ्तारी मेमो पर आज प्रदर्श क-43 डाला गया। अभियुक्त रवि से सम्बन्धित गिरफ्तारी मेमो पत्रावली पर डी.-3 में कागज संख्या 8अ/46 के रूप में मौजूद है, जिस पर अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता है, जिन्हें आज 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। इस गिरफ्तारी मेमो पर आज प्रदर्श क - 44 डाला गया । अभियुक्त रामू से सम्बन्धित गिरफ्तारी मेमो पत्रावली पर डी.-3 में कागज संख्या 83/59 के रूप में मौजूद है, जिस पर अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता है, जिन्हें आज 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। इस गिरफ्तारी मेमो पर आज प्रदर्श क–45 डाला गया। अभियुक्त लवकुश से सम्बन्धित गिरफ्तारी मेमो पत्रावली पर डी.-3 में कागज संख्या 8अ/34 के रूप में मौजूद है, जिस पर एस0आई0 धीरेन्द्र सिंह के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं जिन्हें आज 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। इस गिरफ्तारी मेमो पर आज प्रदर्श क-46 डाला गया। इस प्रकरण से सम्बन्धित पीड़िता व उसके परिवार से मैं उसके स्वास्थ्य के सम्बन्ध में फोन पर अथवा थाने से स्टॉफ को भेजकर निरन्तर जानकारी लेता रहता था । अभियुक्त सन्दीप को पकड़ने के लिये सी०ओ० साहब निर्देश के अनुसार मैंने कई सम्भावित स्थानों पर दबिश दी और उसे पकड़ने का प्रयास किया। मैंने उसके द्वारा प्रयोग किये जा रहे, फोन नम्बर को जानने का भी प्रयास किया परन्तु उसके परिवार वालों ने असहयोग के कारण उसका फोन नम्बर ज्ञात नहीं कर पाये ।

पी0डब्लू0-32 दिनेश कुमार वर्मा ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि पीडिता को मैं थाने परिसर में देखा था । वह होश में थी, बोल रही थी, प्रश्नों के जवाब दे रही थी । पीडिता के शरीर व कपड़ों पर कोई भी बहता हुआ खून नहीं था। पीडिता व उसके परिजनों ने अभियुक्त व उसके परिवार वालों से पुरानी रंजिश का होना बताया था । पत्रकारों एवं एस०एस०आई० जगवीर सिंह द्वारा विडियों बनाये जाते समय पीडिता पूछे गये सवालों को समझकर स्वेच्छा से स्वयं जवाब दे रही थी और उस समय पीडिता या उसके किसी परिवारजन ने पीडिता के साथ कोई रेप या गैंग रेप की घटना के सम्बन्ध में नहीं बताया था। मैं धीरेन्द्र एस०आई० व महिला कां० रूचि के साथ गॉव बूलगढी गया था तो मुझे अभियुक्त रवि व लवकुश गाँव में ही उपस्थित मिले थे। दिनांक 21.09.2020 तक मुझे, पीडिता या उसके किसी परिवारीजन अथवा किसी पुलिसकर्मी द्वारा पीडिता के साथ रेप या गैंग रेप के सम्बन्ध में नहीं [ ९१ ]________________

91 बताया गया था। यह सही है कि अभियुक्त सन्दीप की गिरफतारी दिनांक 20.09.2020 को 10:45 बजे सुबह बूलगढी मोड आगरा रोड से की थी, जो थाना चन्दपा से लगभग 100 मीटर की दूरी पर । यह भी सही है कि अभियुक्त लवकुश की गिरफतारी दिनांक 23.09.2020 को 06:50 ए.एम. पर नगला भूस तिराहा एस0आई0 धीरेन्द्र सिंह द्वारा की गयी थी, जो थाना चन्दपा से मात्र 200-300 मीटर की दूरी पर है। यह सही है कि अभियुक्त लवकुश के पिता रामवीर सिंह थाने पर ही ग्राम चौकीदार के रूप कार्यरत थे । यह सही है कि अभियुक्त रवि की गिरफतारी दिनांक 25.09.2020 को सुबह 08:55 बजे बघना रोड चन्दपा मोड से की गयी थी, जो थाना चन्दपा के पास ही स्थित है। यह भी सही है कि अभियुक्त रामू की गिरफतारी दिनांक 26.09.2020 को 08:55 बजे सटीकरा मोड आगरा रोड से की गयी थी, जो थाने के निकट ही है। मोबाईल नम्बर 8445329615 मेरा है। मैंने अपने मोबाईल से पीडिता के भाई सतेन्द्र के नम्बर पर दिनांक 14.09.2020 को 10:21:47 बजे 105 सेकेण्ड तथा 10:28:46 बजे 77 सेकेण्ड एवं 11:10:26 बजे 51 सेकेण्ड बात की है । श्रीमती मंजू दिलेर मेरी मौजूदगी में कह रही थीं कि इस प्रकरण में कम से कम चार-पाँच मुल्जिम होने चाहिए। इस प्रकार की घटना को एक व्यक्ति कारित नहीं कर सकता। यह भी सही है कि श्रीमती मंजू दिलेर ने मेरी मौजूदगी में परिवार वालों को आश्वासन देते हुये यह भी कहा था कि उनकी सतेन्द्र से, सन्दीप से तथा पीडिता के पापा से लगातार बात होती रहती है। 45. साक्षी पी0डब्लू0-33 प्रोफेसर डा० आदर्श कुमार, विधि विज्ञान विभाग, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सी0बी0आई0 के विवेचक ने प्रकरण से सम्बन्धित पीड़िता के उपचार, पोस्टमार्टम सम्बन्धित दस्तावेज दिखाकर मल्टी इंस्टीट्यूशनल मेडिकल बोर्ड ( MIMB ) परामर्श किया था, जिसका मैं चेयरमैन था और ये बोर्ड चिकित्सा महानिदेशक, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार के आदेश दिनांकित 02.11.2020 से गठित हुआ था व मैं MIMB का चेयरमैन नियुक्त हुआ था तथा प्रोफेसर अरविन्द कुमार विधि विज्ञान चिकित्सा, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली एवं डा० तेजस्वी एच०टी० एसोसियेट प्रोफेसर विधि विज्ञान चिकित्सा, आर०एम०एल० हॉस्पिटल, नई दिल्ली के सदस्य नामित हुये थे। मैंने विधि विज्ञान से सम्बन्धित देश एवं विदेशों में बहुत सारे सेमिनारों में लेक्चर्स दिये हैं। मैंने विधि विज्ञान के सम्बन्ध में स्कॉटलैण्ड में कॉमनवेल्थ फेलोशिप दो बार प्राप्त किये हैं। मैंने भारत में कई संवेदनशील एवं जटिल आपराधिक वादों में विधि [ ९२ ]________________

92 विज्ञान से सम्बन्धित राय दिये हैं, जिनमें प्रमुख उन्नाव रेप एवं मर्डर केस, बदायूं डबल रेप एवं मर्डर केस आदि वादों में राय दी है। मैं वर्तमान नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन के पैनल पर पिछले 15 साल से विधि विज्ञान विशेषज्ञ के रूप में मनोनीत हॅू। हमारी संयुक्त MIMB ने इस प्रकरण की पीड़िता से सम्बन्धित समस्त दस्तावेज का परिशीलन व अवलोकन किया एवं समय-समय पर जिन-जिन डाक्टरों ने पीड़िता का इलाज किया था, उनसे उनके द्वारा पीड़िता को दिये गये चिकित्सा के सम्बन्ध में विचार विमर्श किया तथा पीड़िता की मृत्यु उपरान्त जिन डाक्टरों ने उसका शव विच्छेदन किया था, उनसे भी उनकी निष्कर्ष के सम्बन्ध में विचार विमर्श किया था। हमें सौंपे गये कार्य को अच्छी तरह से कारित करने के लिये हम MIMB के सदस्यों ने दिनांक 05.11.2020 को जे.एन.एम.सी. अलीगढ़ का दौरा किया तथा वहां डाक्टरों से मुलाकात की तथा प्रकरण के सम्बन्ध में विचार विमर्श किया, जिन डाक्टरों से हमारे दौरे के दौरान हमारी मुलाकात नहीं हो पायी, उनसे हमने फोन पर बातचीत की तथा आवश्यकतानुसार उन्हें बाद में MIMB के एम्स में मीटिंग के दौरान बुलाया गया। अलीगढ़ में हमने जिन-जिन डाक्टरों से मुलाकात की, उसका ब्यौरा हमारी दिनांक 24.11.2020 की हमारी MIMB की कार्यवाही में दर्ज है, जो पत्रावली पर डी. – 65 में कागज संख्या 693 / 22 से 693/27 के रूप में मौजूद है । कार्यवाही छः पृष्ठों पर अंकित है, जिस पर MIMB के सभी सदस्यों ने प्रत्येक पृष्ठ पर अपने हस्ताक्षर किये थे। मैं अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूं जिन्हें आज 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। मैं प्रोफेसर अरविन्द कुमार के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं जिन्हें आज 'बी' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया तथा डा० तेजस्वी के हस्ताक्षरों को 'सी' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया । हम तीनों ने एक साथ एक-दूसरे की मौजूदगी में हस्ताक्षर किये थे। दिनांक 24.11.2020 की हमारी MIMB की कार्यवाही में दर्ज है, जो पत्रावली पर डी. -65 में कागज संख्या 693/22 से 693/27 के रूप में मौजूद है, पर आज प्रदर्श क−47 डाला गया। अगले दिन दिनांक 06.11.2020 को हमारी टीम व सी.एफ.एस.एल. दिल्ली की टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा घटनाक्रम को रिकियेट कर घटनाक्रम को समझने का प्रयास किया ताकि पीड़िता के शरीर पर पायी गयी चोटों को वैज्ञानिक ढंग से समझने का प्रयास किया। उस दौरान पीड़िता की माँ मौजूद थी और वह हमें घटनाक्रम के समय अपनी व पीड़िता की स्थिति बता रही थी। रिक्रियेशन ऑफ क्राइम सीन से सम्बन्धित मेमो पत्रावली पर डी. - 52 के रूप में मौजूद है, जो हमारी व [ ९३ ]93 सी0एफ0एस0एल0 की संयुक्त टीम के द्वारा की गयी थी। ये मेमो वहीं मौके पर तैयार हुआ था तथा सभी मौजूद टीम के सदस्यों ने एवं सी0बी0आई0 के अधिकारियों ने उस पर वहीं पर हस्ताक्षर किये थे। मैं अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं, जिन्हें आज 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया । मैं प्रोफेसर अरविन्द कुमार के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं, जिन्हें आज 'बी' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया तथा डा० तेजस्वी के हस्ताक्षरों को 'सी' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। हम सभी टीम के सदस्यों ने एक-दूसरे की मौजूदगी में हस्ताक्षर किये थे। डी. - 52 कागज संख्या 573 / 1 ता 573 / 4 पर आज प्रदर्श क-48 डाला गया। घटनास्थल के दौरे के बाद हमने बागला जिला अस्पताल के सी0एम0एस0 डा० आई०वी० सिंह के चैम्बर में डा० रमेश बाबू एवं फार्मासिस्ट योगेश, वार्ड ब्वाय मोहित कुमार व नर्स बबिता को बुलाकर उनके द्वारा पीड़िता को दिये गये उपचार के सम्बन्ध में एवं बागला हॉस्पिटल के रिकॉर्ड के सम्बन्ध में वार्तालाप किया। इसके बाद शाम को सी०बी०आई० के कैम्प ऑफिस में घटना के तुरन्त बाद मौजूद रहे व्यक्ति छोटू उर्फ विक्रम सिसौदिया से बातचीत की तथा उससे पीड़िता की स्थिति के बारे में समझने का प्रयास किया। दौरान कार्यवाही हम तीनों MIMB के सदस्यों ने प्रकरण में आवश्यकतानुसार इसमें मौजूद गायनी, न्यूरो सर्जरी एवं रेडियोलॉजी के डाक्टरों को भी सम्मिलित करने का निर्णय लिया गया। हमारी जरूरत को समझते हुये सी०बी०आई० ने चिकित्सा महानिदेशक, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार को अनुरोध कर उपरोक्त तीनों विषय के विशेषज्ञों को MIMB में सम्मिलित करवाया। इस सम्बन्ध में चिकित्सा महानिदेशक, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार का नोटिफिकेशन दिनांक 26.11.2020 को ई-मेल के द्वारा प्राप्त हुआ, जिसमें प्रोफेसर अजय चौधरी, विभागाध्यक्ष न्यूरो सर्जरी, आर०एम०एल० हॉस्पिटल, प्रोफेसर शिवानन्द, रेडियोलॉजी विभाग एम्स एवं डा० राजेश कुमारी गायनी डिपार्टमेण्ट एम्स से MIMB के अतिरिक्त सदस्यों के रूप में नामित हुये। MIMB की दिनांक 28.11.2020 की कार्यवाही से सम्बन्धित कार्यवाही पत्रावली पर डी. - 65 में कागज संख्या 693 / 1 ता 693 / 6 के रूप में मौजूद है, जिन पर अपने व अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ। मैं अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं, जिन्हें आज 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। मैं प्रोफेसर अरविन्द कुमार के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं, जिन्हें आज 'बी' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया तथा डा० तेजस्वी के हस्ताक्षरों को 'सी' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। हम सभी टीम के सदस्यों ने एक-दूसरे की मौजूदगी में [ ९४ ]94 हस्ताक्षर किये थे। डी. - 65 कागज संख्या 69अ / 1 ता 691 / 6 पर आज प्रदर्श क – 49 डाला गया । MIMB को परिशीलन व अवलोकन के लिये जो चिकित्सा एवं प्रकरण से सम्बन्धित अन्य दस्तावेज भेजे गये थे, उनकी सूची प्रदर्श क–49 में पेज 01 व 02 पर वर्णित है। MIMB की तीसरी बैठक दिनांक 05.12.2020 को आयोजित की गयी थी, जिसमें हम सभी छः सदस्यों ने कार्यवाही में भाग लिया तथा अलीगढ़ से बुलाये गये डाक्टरों को प्रकरण से सम्बन्धित दस्तावेजों को दिखाकर उनका पक्ष जाना गया। उसी दिन हमने पोस्टमार्टम से सम्बन्धित तीनों डाक्टरों को बुलाकर उनके द्वारा किये गये पोस्टमार्टम के सम्बन्ध में उनका पक्ष जाना। उपरोक्त डाक्टरों से सम्बन्धित विचार विमर्श को दिनांक 05.12.2020 की कार्यवाही में दर्ज किया गया। हमने कार्यवाही के दौरान आवश्यक सामग्री व दस्तावेज पेश करने का आग्रह किया व सी०बी०आई० व डाक्टरों द्वारा हमें उपलब्ध कराया गया, जिसका ब्यौरा कार्यवाही में दर्ज है। मैं अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज 'ए' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। मैं प्रोफेसर अरविन्द कुमार के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज ‘बी’ बिन्दुओं से चिन्हित किया गया तथा डा० तेजस्वी के हस्ताक्षरों को 'सी' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। हम सभी टीम के सदस्यों ने एक-दूसरे की मौजूदगी में हस्ताक्षर किये थे। डी. - 65 कागज संख्या 69अ / 7 ता 693 / 11 पर आज प्रदर्श क – 50 डाला गया । MIMB द्वारा इस प्रकरण से सम्बन्धित सभी पक्षों को समझने के बाद सभी दस्तावेज एवं अन्य सामग्री का विश्लेषण करने के बाद सी०बी०आई० द्वारा अपने अनुरोध में पूछे गये प्रकरण से सम्बन्धित प्रश्नों का जवाब सभी सदस्यों के एकमत राय से दिया गया, जो MIMB की कार्यवाही दिनांकित 17.12.2020 प्रश्न उत्तर प्रारूप में किया गया है, जो पत्रावली पर डी. - 65 में कागज संख्या 693 / 12 ता 693 / 21 के रूप में मौजूद है, जिसमें हम सभी बोर्ड के सदस्यों ने एकमत होने के बाद अपनी विशेषज्ञ राय प्रस्तुत की थी, जिसकी मैं अपने व बोर्ड के अन्य सदस्यों की ओर से तस्दीक करता हूँ। हम सभी ने सहमति दर्ज करते हुये, अपने हस्ताक्षर किये थे। मैं अपने व अन्य सदस्यों के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूँ। मेरे हस्ताक्षरों को आज 'ए बिन्दुओं से चिन्हित किया गया । मैं प्रोफेसर अरविन्द कुमार के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करता हूं, जिन्हें आज 'बी' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया तथा डा० तेजस्वी के हस्ताक्षरों को 'सी' बिन्दुओं से चिन्हित किया गया। डा० राजेश कुमारी के हस्ताक्षरों को 'डी' बिन्दु से चिन्हित किया गया। प्रोफेसर शिवानन्द के हस्ताक्षरों को 'ई' बिन्दु से चिन्हित किया गया। प्रोफेसर अजय [ ९५ ]95 चौधरी के हस्ताक्षरों को 'एफ' बिन्दु से चिन्हित किया गया। हम सभी टीम के सदस्यों ने एक-दूसरे की मौजूदगी में हस्ताक्षर किये थे। डी. - 65 कागज संख्या 693/12 ता 693 / 21 पर आज प्रदर्श क – 51 डाला गया । पी0डब्लू0–33 प्रोफेसर डा० आदर्श कुमार ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि यह सही है कि मैंने या मेरी टीम ने न तो कभी पीडिता को देखा और न ही उसका मेडिको लीगल किया, न ही पी0एम0आर0 किया। मात्र सम्बन्धित प्रपत्रों और सम्बन्धित व्यक्तियों के विचार विमर्श के आधार पर मैंने अपनी राय व्यक्त की। यह भी सही है कि मैंने पूर्व में पीडिता का मेडिको लीगल करने वाले डाक्टर, नर्स टक्निशियन्स एवं मेडिकल स्टॉफ के अलावा पीडिता की माँ तथा सर्वप्रथम घटनास्थल पर पहुंचने वाले विकान्त उर्फ छोटू से विचार विमर्श किया । यह सही है कि डा० रमेश बाबू चिकित्साधिकारी बागला जिला चिकित्सालय हाथरस द्वारा पीडिता का मेडिको लीगल नहीं किया गया था एवं मात्र रेफर किया गया था। मैंने पीडिता की रेफर स्लिप देखी थी । पीडिता की रेफर स्लिप पर यह अंकित नहीं है कि पीडिता बोलने की स्थिति में नहीं है। मैंने सी०बी०आई० द्वारा दिये गये बागला हास्पीटल के 03 विडियोंज देखे थे। इन विडियों में पीडिता बोल रही थी। यह सही है कि जे०एन०एम०सी० के रिकार्ड के अनुसार दिनांक 14.09.2020 को पीडिता परीक्षण के समय होश में थी और समय, स्थान व व्यक्ति के बारे में सचेत थी और उसके कान, नाक व मुँह से किसी भी प्रकार का खून का श्राव नहीं था । यह भी सही है कि पीड़िता को उसके पिता द्वारा मात्र गला घोंटने की शिकायत पर भर्ती कराया गया था। मैंने अपने अलीगढ दौरे के दौरान डा० एम०एफ० हुदा से विचार विमर्श हुआ था तथा मैंने पीडिता के सारे मेडिकल पेपर्स भी देखे थे एवं परिशीलन किया था। मैंने पीडिता का इन्टरनल रेफरल जो ई0एन0टी0 व एफ0एम०टी० को भी देखा था, जिसमें केवल पीडिता के गला घोंटने की शिकायत थी और आँखों के डाक्टर की जॉच आख्या रिपोर्ट में यह अंकित है कि पीडिता को गला घोंटने की शिकायत पर भर्ती कराया गया था। उस समय पीडिता होश में थी। मैंने पीडिता की स्त्री रोग विशेषज्ञ की रिपोर्ट भी देखी थी। डा० भूमिका शर्मा की रिपोर्ट भी देखी थी। रिपोर्ट के अनुसार प्राईवेट पार्ट पर कोई भी फ्रेश इंजरी नहीं थी, न ही कोई हिल्ड इंजरी अंकित की है। सेक्सुअल असाल्ट फारेनसिक इग्जामिनेशन रिपोर्ट दिनांकित 22.09.2020 में यह अंकित है कि “Patient did not gave any history of sexual assault at the time of admission to the Hospital. She told about incidence first time on [ ९६ ]96 22.09.2020”. यह सही है कि अगर यूरेथ्रा से पीडिता को घटना के दिन कैथाराईज किया जायेगा तो वेजाईना का बाहरी भाग साफ दिखायी देगा और अगर वहाँ फ्रेश इंजरी होगी वह दिखायी देगी। यह सही है कि एम0आई0एम0बी0 की टीम ने यह निश्चित मत व्यक्त किया है कि सी - 6 की इंजरी सडन जर्क से आना सम्भव है तथा वह डायरेक्ट चोट से आना सम्भव नहीं है। यह भी सही है कि पीठ पर आये निशान खींचने से आना सम्भव है । यह सही है कि सी - 6 के फैक्चर के पैराप्लेजिक होने के पश्चात भी पीडिता होश में रह सकती है, बेहोश नहीं होगी। यह सही है कि इंटरनल पार्टस के वेजाईना हाईमन भाग के टियर्स ( फटा होना) यदि पुराना है तथा भरा हुआ है तो कम से कम दो सप्ताह पुराना होगा। इससे अधिक कितना भी पुराना हो सकता है । यह भी सही है कि पीडिता के शरीर पर आयी चोटों को मात्र एक व्यक्ति द्वारा ही पहुंचाये जाने की सम्भावना सबसे अधिक है। यह सही है कि गला घोंटने की स्थिति में सामान्यतः पीडिता की मृत्यु कुछ ही मिनटों में होना सम्भव है क्योंकि लगातार उसके श्वास नली एवं रक्त धमनियां अवरूद्ध हो जाती हैं। इस केस में इस पीडिता की मृत्यु गला घोंटने के कारण तुरन्त नहीं हुई है। मैंने मृतका की पी०एम०आर० रिपोर्ट देखा था । पत्रावली पर पी०एम०आर० रिपोर्ट मौजूद है। पी0एम0आर0 रिपोर्ट में यह अंकित है कि “Injury to the cervical spine (neck) produced by indirect blunt trauma and its resultant sequelae. The ligature mark over the neck is consistent with attempted strangulation but did not contribute to death in this case. मैंने इस केस में पीडिता की फारेन्सिक इग्जामिनेशन रिपोर्ट एम०आई०एम०बी० की टीम ने देखी है। फारेन्सिक रिपोर्ट के अनुसार पीडिता के सीज किये गये किसी भी आर्टिकल पर कोई वीर्य नहीं पाया गया । एम०आई०एम०बी० की टीम ने दिनांक 06.11.2020 को दोपहर 12:00 बजे पीडिता की माँ रामा देवी को विमर्श हेतु बुलाया था और उसने यह बताया कि पीडिता घटना के समय जो कपडे पहने हुये थी वह कपडे पीडिता के शरीर पर पहनाये थे तथा वह कपडे दिनांक 22.09.2020 तक बदले नहीं गये एवं अन्तिम बार उन कपड़ों को दिनांक 22.09.2020 को ही डाक्टर्स द्वारा जे०एन०एम०सी० में लिया गया था। दिनांक 06.11.2020 को ही एम०आई०एम०बी० की टीम ने शाम 07:00 बजे सी0बी0आई0 कैम्प पर छोटू उर्फ विकान्त सिसौदिया को जो कि घटना का प्रत्यक्षदर्शी साक्षी है, को बुलाया था, जिसने बताया था कि "After hearing some one screaming in his field, he went to find out as to know what has happened. She saw the victim was lying on the ground in between the [ ९७ ]46. 97 mother and brother first time, when he saw the deceased, she was fully clothed and there was dupatta around her neck. However, he did not know the colour of the dupatta which she was wearing at that time.” एम0आई0एम0बी0 की टीम ने मृतका की मृत्यु के सम्बन्ध में यह निश्चित मत दिया है कि सामान्यतः स्टैंगुलेशन के दौरान पीडिता की मृत्यु कुछ ही मिनटों में हो जाती है क्योंकि श्वास नली और गले की धमनियां और शिराओं के ऊपर लगातार दबाव पडता है लेकिन इस केस में जो उसकी गर्दन में जबरदस्त झटका लगने से उसकी सर्वाइकल में फैक्चर तत्पश्चात होने वाली विविधताओं से हुई है, जो कि काफी विलम्ब से हुई है। साक्षी पी0डब्लू0 - 34 विवेक श्रीवास्तव, निरीक्षक, सी०बी०आई० एस०सी०बी० लखनऊ ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सी0बी0आई0 विवेचक द्वारा मुझे बतौर सहायक विवेचक जो काम सौंपा गया था वह मैंने करके उनको हस्तगत किया था। दौरान विवेचना मैंने प्रकरण से सम्बन्धित कुछ गवाहों के बयान अन्तर्गत धारा 161 दं०प्र०सं० दर्ज किये थे, जिनमें मुख्यतः पीडिता के भाई सन्दीप, चन्दपा थाने के तत्कालीन एस०एच०ओ० डी०के० वर्मा, कां० रश्मि, सी०ओ० रामशब्द, जिन्होंने इस प्रकरण की सी0बी0आई0 को जॉच मिलने से पूर्व विवेचना की थी। इसके अलावा मैंने अन्य लोगों के बयान भी अंकित किये थे। दौरान विवेचना मैंने मुख्य विवेचक के आदेशानुसार प्रकरण से सम्बन्धित माल मुकदमा एवं दस्तावेजों को सीजर मेमो के द्वारा सीज किया था । पत्रावली पर मौजूद डी - 34 सीजर मेमो कागज संख्या 393 के द्वारा मैंने सीजर मेमों में वर्णित दस्तावेज व फाईल पुलिस कां० मुनेश कुमार से प्राप्त किये थे। सीजर मेमो पर अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया । इस सीजर मेमो पर आज प्रदर्श क – 52 डाला गया। पत्रावली पर मौजूद डी-51 सीजर मेमो कागज संख्या 56अ के द्वारा मैंने सीजर मेमों में वर्णित दस्तावेज एस०आई० नरेन्द्र सिंह से गवाह भूरी सिंह की मौजूदगी में प्राप्त किया था। सीजर मेमो पर अपने हस्ताक्षर क शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया । इस सीजर मेमो पर आज प्रदर्श क – 53 डाला गया। पत्रावली पर मौजूद डी-7 सीजर मेमो कागज संख्या 181अ के द्वारा मैंने सीजर मेमों में वर्णित मोबाईल फोन को सीज किया था। मोबाईल फोन तत्कालीन एस०एच०ओ० डी०के० वर्मा थाना चन्दपा से गवाह सचिन वर्मा की मौजूदगी में प्राप्त किया था। सीजर मेमो में फोन के पैटर्न लॉक की आकृति एवं फोन को सील करने वाली मोहर की नमूना मोहर लगी [ ९८ ]98 हुई है। सीजर मेमो पर अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया । इस सीजर मेमो पर आज प्रदर्श क–54 डाला गया । पत्रावली पर मौजूद डी – 8 सीजर मेमो कागज संख्या 182अ के द्वारा मैंने सीजर मेमों में वर्णित मोबाईल फोन को सीज किया था। मोबाईल फोन तत्कालीन सी०ओ० राम शब्द यादव से गवाह सचिन वर्मा की मौजूदगी में प्राप्त किया था। फोन को सील करने वाली मोहर की नमूना मोहर लगी हुई है 1 सीजर मेमो पर अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ जिन्हें आज ‘A’ बिन्दु से चिन्हित किया गया। इस सीजर मेमो पर आज प्रदर्श क–55 डाला गया । पत्रावली पर मौजूद डी-9 सीजर मेमो कागज संख्या 183अ के द्वारा मैंने सीजर मेमों में वर्णित मोबाईल फोन को सीज किया था। मोबाईल फोन तत्कालीन हेड कां० ओमवीर थाना चन्दपा से प्राप्त किया था। सीजर मेमो में फोन के पैटर्न लॉक की आकृति एवं फोन को सील करने वाली मोहर की नमूना मोहर लगी हुई है। सीजर मेमो पर अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करता हूँ, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया । इस सीजर मेमो पर आज प्रदर्श क–56 डाला गया। दौरान विवेचना मैंने मुख्य विवेचक द्वारा बताये गये कार्यो को करके पूरक सी०डी. उनको हस्तगत की । पी0डब्लू0 – 34 विवेक श्रीवास्तव ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि यह सही है कि ए०एस०पी० राम सिंह द्वारा नरेन्द्र सिंह के अंकित बयानों में ओम प्रकाश के साथ दिनांक 16.09.2020 को बनवारी लाल व एक अन्य आदमी के साथ 11:00 / 11:30 बजे सी०ओ० सादाबाद के कार्यालय में मिलने आने वाली बात लिखी गयी है, भूरी सिंह का नाम नहीं लिखा है। यह सही है कि ए०एस०पी० राम सिंह द्वारा नरेन्द्र सिंह के लिये गये बयानों में यह अंकित है कि "मेरे को ओम प्रकाश उनका भाई बनवारी लाल व एक अन्य आदमी द्वारा पीडिता के साथ बलात्कार होने की बावत कोई जिक्र नहीं किया था” तथा नरेन्द्र सिंह ने ए०एस०पी० राम सिंह को अपने बयानों में यह भी अंकित कराया था कि वह लोग सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता का प्रस्ताव लेकर आये थे। इस बयान के मुताबिक एस०आई० नरेन्द्र सिंह दिनांक 16.09.2020 को लगभग 11:30/12:00 बजे तक सादाबाद स्थित सी0ओ0 कार्यालय पर थे परन्तु सन्दीप के बयान के मुताबिक लडकी को दिनांक 16.09.2020 को 10:00 से 12:00 बजे के बीच में होश आया था। रश्मि ने पीडिता का बयान उसके द्वारा लिखा जाना बताया। बयान की रिकार्डिंग ओमवीर द्वारा किया जाना बताया तथा पीडिता का जवाब मुन्शी संजय सुनकर रश्मि को [ ९९ ]99 बता रहे थे। पीडिता का बयान लगभग 12:30 से 01:15 बजे के बीच लिया गया था। पीडिता ने अपने बयानों में यह कहा था कि माँ ने उसे खींचकर रोड पर किया, बाकी किसी को उसने नहीं पहचाना । मुन्शी संजय पीडिता से सवाल कर रहे थे और पीडिता द्वारा दिया गया जवाब रश्मि को बता रहे थे। ओमवीर ने अपने बयानों में यह बताया था कि पीडिता ने घटना के सम्बन्ध में यह बताया था कि उसने सन्दीप के अलावा बाकी किसी को नहीं पहचाना। मेरे द्वारा यह प्रश्न किये जाने पर कि आपके द्वारा पीडिता का मेडिकल क्यों नहीं कराया गया तो पुलिस क्षेत्राधिकारी रामशब्द जी ने यह कहा था कि दिनांक 14.09.2020 को दर्ज मुकदमा केवल 307 भा०दं०सं० के तहत था, जिससे सम्बन्धित मेडिकल जिला अस्पताल में हुआ था। उस समय न तो पीडिता ने न ही वादी या अन्य किसी परिवारजन ने पीडिता के साथ किसी भी तरह के दुराचार की बात बतायी थी। दिनांक 19.09.2020 को धारा 161 दं०प्र०सं० के अन्तर्गत दर्ज किये गये पीडिता के बयान की विडियों रिकार्डिंग की ट्रान्सक्रिपशन मैंने तैयार की है। इस ट्रान्सक्रिपशन के अनुसार पीडिता ने घटना में 04–5 लोगों का होना कहा है। ट्रान्सक्रिपशन में पीडिता ने सन्दीप ने गला काट दिया कहा है। यह पूछने पर कि और कौन-कौन लोग थे, पीडिता ने इसका जवाब वो तो मैंने नहीं देखा, दिया है। संजय मुन्शी के यह पूछने पर कि वो जो 04–5 लोगों में से किसी और को पहचाना, का जवाब पीडिता ने "नहीं" में दिया । इस पूरे ट्रान्सक्रिपशन में किसी भी अभियुक्त के विरूद्ध कोई भी सामूहिक बलात्कार का आरोप पीडिता द्वारा नहीं लगाया गया है लेकिन सन्दीप के विरूद्ध पीडिता ने कहा है कि "फिर मैंने हाथ मारा तो वह जबरदस्ती करने लगा", संजय मुन्शी द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या करने लगा जबरदस्ती तो पीडिता ने जवाब दिया है कि गला घोंट करके मैं जमीन पर गिर गयी । पुन: संजय मुन्शी के पूछने पर तो मैंने हाथ चलाया कि जवाब में पीडिता ने स्पष्ट किया है कि उसने जबरदस्ती गला घोंट दिया मेरा दिनांक 26.10.2020 को मैंने उपनिरीक्षक धीरेन्द्र सिंह का बयान अंकित किया था, जिसमें धीरेन्द्र सिंह ने मुझे अपने बयानों में बताया था कि दिनांक 14.09.2020 को जब वह थाने में था तो उसने देखा था कि पीडिता चबूतरे पर लेटी हुई थी, कुछ पत्रकार पीडिता का विडियों बना रहे थे, पीडिता होश में थी, उसे कोई जाहिरा चोट नहीं थी पीडिता उसकी माँ सन्दीप के द्वारा गला दबाने की बात कह रही थी । डा० रमन मोहन शर्मा ने मुझे अपने बयान में बताया था कि पीडिता की स्वास्थ्य की स्थिति दिनांक 20.09.2020, 21.09.2020 व 22.09.2020 को लगभग समान थी एवं पूछे [ १०० ]100 जाने पर बताया था कि दिनांक 21.09.2020 को किसी भी पुलिसकर्मी या पीडिता के परिवारजन द्वारा मुझसे पीडिता की स्थिति के बारे में नहीं पूछा गया । दिनांक 18.11.2020 को मुझे यह उपरोक्त कथन डा० जफर कमाल अन्जुम और डा० तबीश खॉन, डा० एम०एफ० हुदा एवं डा० नौसाबा हैदर ने भी बतायी थी, जो मैंने अंकित की है। दिनांक 03.11.2020 को मैंने भूरी सिंह का बयान अंकित किया था। भूरी सिंह ने अपने बयानों में मुझे यह बताया था कि वह हेल्थ आफिस ए०एम०यू० में कर्मचारी है तथा अलीगढ़ में ही रहता है और बीच-बीच में अपने गाँव आता-जाता रहता है। पीडिता का पिता ओम प्रकाश उसके ताऊ का लडका है। शाम लगभग 05:30 बजे जब वहाँ भूरी सिंह पहुंचा तो उसे पीडिता के साथ सतेन्द्र की मम्मी और प्रकाश भाई साहब मिले। भूरी सिंह ने उस समय पीडिता की माँ के द्वारा छेडखानी बलात्कार सम्बन्धी कोई बात नहीं कही गयी, न ही सन्दीप के अलावा किसी और का नाम लिया गया। दिनांक 07.11.2020 मैंने पुन: भूरी सिंह का बयान लिया तो भूरी सिंह ने बताया कि वह दिनांक 14.09.2020 को शाम को 05:00 बजे के आस-पास पीडिता को देखने इमरजेन्सी में गया था, उस समय लडकी के गले में पट्टा लगा हुआ था । वह थोडा कम–कम बोल रही थी लेकिन होश में थी, उसने लडकी से हालचाल पूछा था और उसने सिर हिलाकर जवाब दिया था। उस समय लडकी की माँ ने घास काटते समय सन्दीप सिंह द्वारा दुपट्टे से खींचकर गला दबाने वाली बात बतायी थी, उस समय बलात्कार की कोई बात नहीं बतायी थी। ओम प्रकाश और सतेन्द्र ने भी इस बारे में और कुछ नहीं बताया। भूरी सिंह ने यह भी बताया था कि दिनांक 16.09.2020 को वह खाना लेकर सुबह 08:00 – 08:30 बजे अस्पताल पहुंचा था और उसके बाद पीडिता के पिता ओम प्रकाश भाई साहब के साथ लगभग 11:00–12:00 बजे चन्दपा थाने पहुंचा था। चन्दपा थाने पर उसे प्रकाश का जीजा रामवीर अपने भतीजे के साथ पहले से उपस्थित मिले थे एवं बाल्मिक समाज के कुछ लोग आये हुये थे । यहाँ पर ओम प्रकाश द्वारा बताया गया कि घटना में दो लोग और शामिल थे, जिनके नाम रवि व रामू हैं। फिर वह (भूरी सिंह ) प्रकाश ( ओम प्रकाश ) भाई साहब, रामवीर व रामवीर का भतीजा चारो लोग बाईक से सीधे सी०ओ० आफिस सादाबाद पहुंचे तथा घटना में शामिल दो और लोग के नाम बताकर आये थे। दिनांक 26.10.2020 को मैंने मोहित चौधरी का बयान अंकित किया था, जिसमें मोहित चौधरी ने मुझे यह बताया था कि वह सन्दीप का दोस्त है । सन्दीप से उसकी बातें होती रहती थी और उसकी जानकारी के अनुसार पीडिता के साथ सन्दीप के शारीरिक सम्बन्ध [ १०१ ]47. 101 थे और पीडिता के साथ सन्दीप के सम्बन्ध उसकी (मोहित ) दोस्ती से भी पुराने थे। दिनांक 31.10.2020 को मैंने अमन राणा का बयान अंकित किया था। अमन राणा ने मुझे अपने बयान में बताया था कि सन्दीप और पीडिता के बीच लगभग दो साल पहले से करीबी सम्बन्ध थे और यह बात पूरे गाँव को पता है। मुझे अमन राणा ने यह भी बताया था कि मुझे और सबको इन दोनों के सम्बन्ध में बारे में तब पता चला जब सन्दीप, पीडिता से मिलने के लिये उसके घर में चला गया था और पीडिता के घर वालों को पता चलने पर वे सन्दीप के घर शिकायत करने के लिये गये थे। दिनांक 26.10.2020 को मैंने तनिष्क भारद्वाज का भी बयान अंकित किया था, जिसने अपने बयानों में मुझे बताया था कि सन्दीप का पीडिता से सबसे ज्यादा लगाव था तथा सन्दीप ने अपने घर से सोने के कुण्डल चुराकर पीडिता को शापिंग करायी थी । तनिष्क ने यह भी बताया था कि मेरे ( तनिष्क भारद्वाज) के सामने उसने एक सोने का छोटा सा ओम भी बेचा था, जिससे वह पीडिता को गिफ्ट दे सके। तनिष्क ने यह भी बताया था कि सन्दीप को एक बार उसके पापा ने पीडिता के चक्कर में बहुत मारा था । मेरे द्वारा की गयी विवेचना के अनुसार पीडिता व सन्दीप के घटना के पहले से शारीरिक सम्बन्ध थे और यह भी विवेचना से आया कि पीडिता के घर वालों ने सन्दीप से सम्बन्धों को लेकर उसकी पिटाई भी की थी। मेरी विवेचना में भूरी सिंह के बयानों में यह आया है कि वादी पक्ष द्वारा इस घटना में पहले एक नाम तत्पश्चात् तीन नाम एवं अन्त में चार नाम कमशः बढाये गये हैं। मेरे द्वारा लिये गये गवाहन के बयानों में यह भी आया है कि प्रथमतः छेडखानी / जबरदस्ती तत्पश्चात् बलात्कार की घटना बतायी गयी है । पी0डब्लू0-35 सीमा पाहूजा विवेचनाधिकारी / अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, सी०बी०आई० एस०सी०बी० चंडीगढ़ ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि इस प्रकरण में सी०बी०आई० ए०सी०बी० गाजियाबाद द्वारा केस रजिस्टर्ड करने के बाद विवेचना के लिये मुझे सौंपा गया था। विवेचना के लिये मुझे सी0बी0आई0 के अन्य अधिकारियों का भी सहयोग मिला, जिन्होंने बतौर सहायक विवेचक मेरे द्वारा बताये गये कार्य को किया तथा सम्बन्धित केस डायरी काटी एंव बतौर टीम के सदस्य कार्य किया । दौरान विवेचना मैंने प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या आर. सी. 5एस / 2020 प्राप्त होने के बाद अपनी विवेचना प्रारम्भ की। प्रथम सूचना रिपोर्ट की मूलप्रति पत्रावली पर कागज संख्या 43 / 1 लगायत 43/8 के रूप में उपलब्ध है, जिस पर एच०ओ०बी० रघुराम राजन के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया । प्रथम [ १०२ ]102 सूचना रिपोर्ट पर आज प्रदर्श क- 57 डाला गया । दौरान विवेचना मैंने कई गवाहों के बयान स्वयं अंकित किये तथा कई गवाहों के बयान मेरे अधीनस्थ कार्य कर रहे सहायक विवेचकों द्वारा अंकित किये गये । इसी प्रकार मैंने विवेचना के दौरान स्वयं एवं अपने अधीनस्थ सहायक विवेचकों के माध्यम से दस्तावेज प्राप्त किये। विवेचना के उपरान्त इस प्रकरण में मैंने चारों अभियुक्तगण के विरूद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया, जो पत्रावली पर कागज संख्या 3अ/1 लगायत 3अ/19 के रूप में उपलब्ध है, जिसके प्रत्येक पृष्ठ पर अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया तथा एच०ओ०बी० रघुराम राजन के हस्ताक्षरों की शिनाख्त की, जिन्हें आज 'B' बिन्दु से चिन्हित किया गया। आरोप पत्र पर आज प्रदर्श क—–58 डाला गया । आरोप पत्र के साथ मैंने गवाहों की सूची एवं उनके बयान अन्तर्गत धारा 161 दं०प्र०सं० माननीय न्यायालय में दाखिल किये, गवाहों की सूची एवं फेहरिस्त दस्तावेज पत्रावली पर कागज संख्या 162ब / 1 लगायत 162ब / 10 के रूप में मौजूद है, जिस पर मौजूद अपने हस्ताक्षरों की मैं शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया। आरोप पत्र के साथ दाखिल की गयी दस्तावेजों की सूची एवं गवाहों की सूची पर आज प्रदर्श क–59 डाला गया । दौरान विवेचना एकत्रित किये गये दस्तावेजों में से कुछ दस्तावेजों को अतिरिक्त लिस्ट के साथ न्यायालय की अनुमति से दाखिल किये। मेरे द्वारा इस सम्बन्ध में लिखा हुआ आवेदन पत्र पत्रावली पर कागज संख्या 172ब / 1 व 172ब / 2 के रूप में मौजूद है। दस्तावेजों की अतिरिक्त लिस्ट पत्रावली पर कागज संख्या 172ब / 3 के रूप में मौजूद है, जिस पर आज अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करती हूँ, जिस पर आज प्रदर्श क – 60 डाला गया। प्रकरण से सम्बन्धित वस्तु प्रदर्श की सूची पत्रावली पर कागज संख्या 172ब / 5 लगायत 172ब / 8 के रूप में मौजूद है, जिस पर आज अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करती हूँ, जिस पर आज प्रदर्श क–61 डाला गया । पत्रावली पर मौजूद दस्तावेज डी-1 इस प्रकरण से सम्बन्धित सी०बी०आई० द्वारा दर्ज की गयी एफ0आई0आर0 की छायाप्रति है। डी - 2 सीजर मेमो कागज संख्या 7अ, जिस पर पूर्व में प्रदर्शक - 17 डाला हुआ है, के माध्यम से मेरे सहायक विवेचक आर०आर० त्रिपाठी ने पूर्व विवेचक यू०पी० पुलिस से केस से सम्बन्धित विवेचना की फाईल प्राप्त की। सम्बन्धित पत्रावली डी – 3 के रूप में मौजूद है, जो पत्रावली पर कागज संख्या 8अ / 1 लगायत 8अ / 230 के रूप में मौजूद है। पत्रावली पर मौजूद डी-7 इस प्रकरण से सम्बन्धित घटनास्थल का नक्शा नजरी है, जो सी०बी०आई० टीम के अनुरोध पर [ १०३ ]103 सत्य प्रकाश अवर अभियन्ता मोहन खॉ द्वारा बनाया गया था, जिस पर पूर्व में प्रदर्श क– 37 डाला हुआ है। डी –8 कागज संख्या 133 / 1 लगायत 13अ / 2 सीजर मेमो के द्वारा मैंने इसमें वर्णित प्रदर्श बी०के० महापात्रा, सी०एफ०एस०एल० नई दिल्ली से प्राप्त किये थे। इस पर अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिस पर आज प्रदर्श क – 62 डाला गया । पत्रावली पर मौजूद डी – 9 सीजर मेमो के माध्यम से मेरे सहायक विवेचक श्री आर०आर० त्रिपाठी ने इसमें वर्णित दस्तावेज प्राप्त किये थे। श्री आर०आर० त्रिपाठी के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज ‘A’ बिन्दु से चिन्हित किया गया। जिस पर आज प्रदर्शक – 63 डाला गया। पत्रावली पर मौजूद डी - 13 सीजर मेमो के माध्यम से मैंने पीडिता के परिजनो/ माता से अण्डर गारमेंट प्राप्त किये थे । इस सीजर मेमो पर अपने हस्ताक्षर की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया तथा अन्य टीम सदस्यों के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ। यह सीजर मेमो इंस्पेक्टर गनेश शंकर द्वारा मेरे बोलने पर अपने हस्तलेख में लिखा गया, जिस पर आज प्रदर्श क – 64 डाला गया । पत्रावली पर मौजूद डी-15 कागज संख्या 20अ पीडिता को मेडिकल जॉच हेतु भेजने से सम्बन्धित चिट्ठी मजरूबी है, जिस पर पूर्व में प्रदर्श क – 8 डाला हुआ है। पत्रावली पर मौजूद डी – 18, डी – 19 व डी - 20 पीडिता से सम्बन्धित बागला जिला चिकित्सालय में भर्ती के सम्बन्ध में मेंटेन किये जाने वाला रजिस्टर है। पत्रावली पर मौजूद डी - 21 सीजर मेमो के माध्यम से मेरे सहायक विवेचक एस०एस० मयाल द्वारा इसमें वर्णित दस्तावेज एवं प्रदर्श प्राप्त किये थे। मैं एस०एस० मयाल के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज ‘A’ बिन्दु से चिन्हित किया गया, जिस पर आज प्रदर्शक – 65 डाला गया। पत्रावली पर मौजूद डी-35 में इस प्रकरण से सम्बन्धित मिसलेनियस कागज हैं, जो सी०बी०आई० द्वारा आवश्यकतानुसार विभिन्न विभागों से सत्यापित करके निकलवाये गये । पत्रावली पर मौजूद डी – 39 सीजर मेमो कागज संख्या 44अ के माध्यम से मेरे सहायक विवेचक नवनीत मिश्रा ने पीडिता से सम्बन्धित एम्बुलेन्स 108 नम्बर का रिकार्ड प्राप्त किया था, जो इसके साथ संलग्न है। मैं, नवनीत मिश्रा के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज ‘A’ बिन्दु से चिन्हित किया गया, जिस पर आज प्रदर्श क–66 डाला गया। डी – 41 पत्र के माध्यम से मेरे सहयोगी विवेचक एस०एस० मयाल द्वारा एफ0एस0एल0 आगरा से इसमें वर्णित प्रदर्श प्राप्त किये थे। मैं, एस०एस० मयाल के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया, जिस पर आज प्रदर्श क-67 डाला गया। विवेचना के [ १०४ ]104 दौरान, पीडिता के पत्रकारों द्वारा रिकार्ड किये गये विडियों एकत्रित किये गये तथा इसके सम्बन्ध में सम्बन्धित व्यक्तियों से प्राप्ति का मेमोरंडम एवं प्रमाण पत्र अन्तर्गत धारा 66बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम लिये गये, जो पत्रावली पर डी - 42 से डी-47 के रूप में मौजूद हैं, जिन पर पूर्व में प्रदर्श क–5, प्रदर्शक – 6, प्रदर्श क – 40 व प्रदर्श क – 41 डाला हुआ है । दौरान विवेचना मेरे सहायक विवेचक शिव कुमार द्वारा ग्राम बूलगढी में मौजूद घटना स्थल के आस-पास के खेतों का नक्शा नजरी तहसीलदार से बनवाकर प्राप्त किये । सम्बन्धित पत्राचार एवं नक्शा नजरी पत्रावली पर डी-48 कागज संख्या 533 / 1 लगायत 533 / 4 के रूप में मौजूद है। इसमें शिव कुमार के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज ‘A’ बिन्दु से चिन्हित किया गया। डी – 48 कागज संख्या 53अ/1 लगायत 533 / 4 पर आज प्रदर्श क–68 डाला गया । दौरान विवेचना अभियुक्त लवकुश के परिवार रजिस्टर की प्रति सम्बन्धित विभाग से प्राप्त की गयी, जो पत्रावली पर कागज संख्या 54अ / 1 व 543 / 2 के रूप में मौजूद है। इस पर मेरे सहायक विवेचक एस०एस० मयाल के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिस पर आज प्रदर्श क–69 डाला गया । पत्रावली पर डी-50 कागज संख्या 553 के माध्यम से मेरे सहायक नवनीत मिश्रा ने अभियुक्त सन्दीप के पिता से सन्दीप द्वारा 14.09.2020 को पहनी गयी शर्ट प्राप्त की थी। नवनीत मिश्रा के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया, जिस पर आज प्रदर्श क - 70 डाला गया। पत्रावली पर मौजूद डी-52 मेरे द्वारा अन्य सी०एफ०एस०एल० विशेषज्ञ एवं एम०आई०एम०बी० के चिकित्सयों के साथ घटनास्थल के दौरे से सम्बन्धित मेमो है, जिस पर पूर्व में प्रदर्श क – 48 डाला हुआ है। इस पर अपने हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज 'X' बिन्दु से चिन्हित किया गया । पत्रावली पर मौजूद डी-54 सीजर मेमो के माध्यम से मेरे सहायक विवेचक विजय कुमार शुक्ला द्वारा पीडिता से सम्बन्धित मेडिकल रिकार्ड, सफदरजंग की रिकार्ड आफिसर सत्यवीरी देवी से प्राप्त की है। इस सीजर मेमो एवं दस्तावेजों पर पूर्व में प्रदर्श क – 38 डाला हुआ है। मैं, विजय कुमार शुक्ला के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया। इस प्रकरण में विवेचना के दौरान सी०एफ०एस०एल०, डायरेक्टेट ऑफ फारेन्सिक साईन्स गाँधी नगर आदि से सम्बन्धित प्रदर्शो की जॉच करायी गयी, जो पत्रावली पर डी - 55 से डी– 62, डी – 64 के रूप में मौजूद है। डी– 63 इस प्रकरण में सी0बी0आई0 टीम के साथ अन्य विशेषज्ञों द्वारा घटनास्थल के निरीक्षण से सम्बन्धित रिपोर्ट है, जो विवेचना के दौरान [ १०५ ]105 सी0एफ0एस0एल0 से प्राप्त हुई थी। इस रिपोर्ट पर प्राप्त स्वरूप किये गये एस०पी० रघुराम राजन के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ। इस रिपोर्ट पर आज प्रदर्श क- 71 डाला गया। इस प्रकरण में विवेचना के दौरान पीडिता की चिकित्सा से सम्बन्धित दस्तावेज एम०आई०एम०बी० को भेजकर उनसे उनका अभिमत प्राप्त किया था, जो रिपोर्ट के रूप में डी-65 कागज संख्या 691 / 1 लगायत 693 / 27 के रूप में मौजूद है। इस पर पूर्व में प्रदर्श क-47, प्रदर्श क–48, प्रदर्श क–49 व प्रदर्श क – 50 डाला हुआ है। पत्रावली पर मौजूद डी – 66 व डी – 67 पत्रकार नेत्रपाल पाठक से पीडिता का थाना चन्दपा परिसर में बनाये गये विडियों प्राप्त करने के सम्बन्ध में मेमो एवं धारा 65बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अन्तर्गत प्राप्त प्रमाणपत्र है। यह कार्यवाही मेरे सहायक विवेचक श्री आर०आर० त्रिपाठी द्वारा की गयी थी। मैं, मेमोरण्डम पर उनके हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हॅू, जिन्हें आज 'A' बिन्दु से चिन्हित किया गया, जिस पर आज प्रदर्श क–72 डाला गया । पत्रावली पर डी – 68 व डी – 69 पत्रकार गोविन्द कुमार शर्मा द्वार बनाये गये विडियों के सम्बन्ध में मेमोरण्डम व प्रमाण पत्र धारा 66ए भारतीय साक्ष्य अधिनियम है, जिस पर पूर्व में प्रदर्शक – 3 व प्रदर्श क-4 डाला हुआ है। पत्रावली पर मौजूद डी - 70 सीजर मेमो के माध्यम से मेरे सहायक विवेचक श्री विजय कुमार शुक्ला द्वारा प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता के जे०एन०एम०सी० अलीगढ में इलाज से सम्बन्धित रिकार्ड प्राप्त किया, जिसका विवरण इस सीजर मेमो में मौजूद है। इस सीजर मेमो पर पूर्व में प्रदर्श क-28 डाला हुआ है। मैं, विजय कुमार शुक्ला के हस्ताक्षरों की शिनाख्त करती हूँ जिन्हें आज 'A' बिन्दु चिन्हित किया गया। इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता की सी०टी० स्कैन व एक्सरे फिल्म मेरे सहकर्मी विवेचक द्वारा माननीय न्यायालय की अनुमति पत्रावली पर दाखिल की गयी, इससे सम्बन्धित आवेदन पत्र कागज संख्या 301अ/ 1 व 301अ / 2 के रूप में मौजूद है। इसके साथ सी०टी० स्कैन व एक्सरे फिल्म संलग्न है। पत्रावली पर मौजूद कागज संख्या 301अ / 1 लगायत अ / 100 पीडिता के सफदरजंग हास्पिटल में चिकित्सा एवं उसकी मृत्यु से सम्बन्धित है, जिस पर पूर्व में संयुक्त प्रदर्श क – 39 डाला हुआ है। पीडिता के जे०एन०एम०सी० में इलाज से सम्बन्धित मेडिकल दस्तावेजों की मूल प्रतियां कागज संख्या 3053 / 1 लगायत 3053 / 100 के रूप में मौजूद है, जिनकी छायाप्रतियों पर पूर्व प्रदर्श डाला जा चुका । दौरान विवेचना मैंने प्रकरण से सम्बन्धित व्यक्तियों के मोबाइल फोन रिकार्ड निकालने के लिये अपने शाखा प्रमुख के जरिये सम्बन्धित मोबाइल फोन कम्पनियों को अनुरोध भेजा था, [ १०६ ]106 जिसके तहत कम्पनियों द्वारा मोबाइल से सम्बन्धित रिकार्ड, जिसमें सी०डी०आर० एवं कैफ है। पत्रावली पर कागज संख्यज्ञ डी - 1 (i) से डी – 1 (iii) के रूप में पत्रावली पर उपलब्ध है, जिन पर पूर्व में संयुक्त प्रदर्श क- 34, प्रदर्श क–35 व प्रदर्श क– 36 डाला हुआ है। इस प्रकरण में विवेचना के उपरान्त साक्ष्यों के संकलन के पश्चात् मैंने अभियुक्तगण सन्दीप, रवि, रामू व लवकुश के विरूद्ध आरोप पत्र में वर्णित धारा 302, 376, 376ए, 376डी भा०दं०सं० एवं धारा 3(2)(5) एस0सी0 / एस0टी0 एक्ट के अन्तर्गत प्रस्तुत किया था, जो प्रदर्श क – 58 पी0डब्लू0-35 सीमा पाहूजा, विवेचनाधिकारी, सी0बी0आई0 ने अपनी प्रतिपरीक्षा में मुख्य रूप से यह कथन किया है कि यह सही है कि इस गणना से पीडिता की आयु घटना के दिनांक को 22-23 वर्ष के लगभग होगी। मैंने, पीडिता को हास्पीटल में उपचार हेतु भर्ती कराने के अभिलेख भी दौरान विवेचना देखे हैं। पीडिता के परिजनों ने सभी चिकित्सीय अभिलेखों में पीडिता की आयु 18 वर्ष या 19 वर्ष होना अंकित कराया है। अभिलखों के अनुसार, अभियुक्त लवकुश की आयु 18-19 वर्ष रही होगी। अभियुक्त रामू की आयु घटना के समय लगभग 35 वर्ष थी तथा अभियुक्त रवि की आयु लगभग 40 वर्ष थी । दोनों ही विवाहित थे तथा बाल बच्चेदार थे। सन्दीप व लवकुश दोनों ही पीडिता से उम्र में छोटे हैं। थाना चन्दपा पर मु0अ0सं0 63/2001 अन्तर्गत धारा 323, 324, 504, 506, 452 भा०दं०सं० व धारा 3(1)(10) एस0सी0 / एस0टी0 एक्ट मुकदमा वादी सतेन्द्र के बाबा बाबूलाल ने अभियुक्त रवि व सन्दीप के पिता नरेन्द्र उर्फ गुड्डू के विरूद्ध पंजीकृत कराया था। अभिलेखों के अनुसार उक्त मुकदमा दिनांक 14.04.2015 को निर्णित हुआ था तथा नरेन्द्र उर्फ गुड्डू एवं रवि को उक्त मुकदमें में दोषमुक्त किया गया था। दौरान विवेचना मैंने यह भी पाया था कि अभियुक्त लवकुश की मॉ श्रीमती मुन्नी देवी ने वादी मुकदमा सतेन्द्र के पिता ओम प्रकाश व अन्य परिजनों के विरूद्ध एक प्रार्थना पत्र दिनांकित 03.06.2020 को घटना से पूर्व प्रस्तुत किया था, जिस पर लवकुश के पिता रामवीर सिंह व अन्य लोगों के भी हस्ताक्षर थे । उक्त प्रार्थना पत्र में शिकायतकर्तागण द्वारा वादी मुकदमा के पिता ओम प्रकाश के परिवारजनों के विरूद्ध आबादी की जगह में पानी बहाकर प्रदूषण फैलाने के सम्बन्ध में शिकायत की गयी थी तथा इस कारण मुकदमा वादी के परिवार एवं अभियुक्तगण के परिवार के मध्य इस प्रार्थना पत्र को लेकर खटास थी । दौरान विवेचना मेरे संज्ञान में यह तथ्य भी आया था कि अभियुक्त सन्दीप के मोबाईल नम्बर से [ १०७ ]107 मुकदमा वादी के मोबाईल नम्बर पर घटना से पूर्व निरन्तर बातें होती रहती थी । यह बात भी सही है कि पीड़िता के परिजनों ने अपने बयानों में यह बताया था कि मुकदमा वादी अथवा उसकी पत्नी व उसका पिता एवं भाई ने कभी भी अपने फोन से सन्दीप से उसके फोन पर कोई बात नहीं की, न ही सन्दीप ने कभी उनसे कोई बात की। दौरान विवेचना तनिष्क भारद्वाज ने अपने बयानों में यह भी बताया था कि सन्दीप ने अपने घर से सोने के कुण्डल चुराकर पीडिता को शापिंग करायी थी और तनिष्क भारद्वाज ने यह भी बताया था कि सन्दीप ने एक सोने का छोटा सा ओम गले की चैन में पहनने वाला भी बेचा था, जिससे वह, पीडिता को गिफ्ट दे सके। तनिष्क भारद्वाज के बयान में यह बात भी आयी थी कि पीडिता के घर में सन्दीप को देखे जाने के उपरान्त पीडिता को घर में मार भी लगायी थी। अमन राणा ने अपने बयान में यह बताया था कि सन्दीप और पीडिता के बीच लगभग दो साल पहले से करीबी सम्बन्ध थे। यह बात पूरे गाँव को पता है और यह भी बताया था कि जब सन्दीप, पीडिता से मिलने के लिये उसके घर चला गया था और पीडिता के घर वालों को पता चलने पर वे, सन्दीप के घर शिकायत करने भी गये थे। राम कुमार ने अपने बयान में यह बताया था कि पहले लॉक-डाउन के दौरान यह पता चला था कि पीडिता के पिता श्री ओम प्रकाश, सन्दीप सिंह के पिता श्री गुड्डू के पास सन्दीप की शिकायत लेकर गये थे। राम कुमार ने अपने बयानों में यह भी बताया था कि सन्दीप और पीडिता के बीच दोस्ती है और मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा हुआ है। दौरान विवेचना, मेरे अधीनस्थ विवेचक द्वारा मोहित चौधरी का भी बयान अंकित किया गया था, जिसने अपने बयानों में यह बताया था कि पीडिता के प्रति सन्दीप ज्यादा ही आकर्षित था एवं उसके शारीरिक सम्बन्ध थे। विवेचना के दौरान, घटना से पूर्व सन्दीप व पीडिता का प्रेम प्रसंग मेरे संज्ञान में आ गया था और यह तथ्य भी मेरे संज्ञान में आ गया था कि पीडिता से सन्दीप के सम्बन्धों को लेकर पीडिता के परिजन पीडिता से मारपीट करते थे। यह सही है कि दौरान विवेचना अभियुक्त सन्दीप के मोबाईल नम्बर 7618640133 से सम्बन्धित कैफ एवं सी०डी०आर० मोबाईल कम्पनी से निकलवाये गये थे। यह सही है कि विवेचना के दौरान, वादी पक्ष के मोबाईल नम्बर 9897319621 से अभियुक्त सन्दीप के मोबाईल नम्बर से की गयी कॉल और प्राप्त करायी गयी कॉल का मिलान करवाया गया था। दौरान विवेचना यह बात निकलकर आयी थी कि दोनों फोन नम्बरों के बीच निरन्तर बातचीत होती रही है। वादी ने दौरान तफ्तीश अपने बयानों में यह बताया था कि यह फोन घर पर पड़ा रहता था, [ १०८ ]108 जिसका उपयोग घर के सभी सदस्य करते थे तथा पीडिता भी करती थी। यह सही है कि तहरीर प्रदर्श क-1 में पीडिता के साथ छेडखानी एवं बलात्कार के सम्बन्ध में कोई आरोप नहीं लिखा हुआ । वादी द्वारा प्रदर्शक – 1 में यह लिखा हुआ है कि उसकी बहन चिल्लाई थी तथा उसकी मॉ रामा देवी ने आवाज लगायी कि मैं आ रही हूँ। यह सही है कि प्रदर्शक-2 पर वादी के द्वारा पुलिस अधीक्षक हाथरस को दिये जाने के सम्बन्ध में तारीख का स्थान रिक्त है और इसमें यह भी अंकित है कि गले में फंदा लगा होने के कारण मेरी बहन की आवाज ही नहीं निकल पायी। मैंने प्रदर्शक – 1 में सतेन्द्र से पीडिता के द्वारा चिल्लाने वाली बात तथा प्रदर्श क-2 में गले में फंदा लगा होने के कारण आवाज न निकल सकने वाली बात के सम्बन्ध में पूछा था तथा जाँच भी की थी । पत्र प्रदर्श क-2 एस०पी० कार्यालय में दिनांक 22.09.2020 को डायरी संख्या - 2315 से दर्ज है। डायरी की प्रविष्टि के अनुसार, यह प्रार्थना पत्र प्रदर्श क - 2 दिनांक 22.09.2020 को प्राप्त हुआ है। इसमें चार अभियुक्तगण नामित हैं तथा दो-तीन अज्ञात व्यक्तियों का उल्लेख है, जो घटना में सम्मिलित हैं। प्रदर्श क-2 के अनुसार, घटना में संलिप्त अभियुक्तों की संख्या 06-7 होती है। यह सही है कि दौरान विवेचना, यह बात मेरे संज्ञान में आ गयी थी कि वादी मुकदमा सतेन्द्र को घटना के बारे में सबसे पहले छोटू ने उसके घर पर आकर बताया था। सतेन्द्र ने प्रदर्श क-2 में यह लिखा है कि छोटू ने ही प्रार्थी के घर आकर उक्त घटना के बारे में अवगत कराया और कहा कि आपके घर की लडकी मेरे खेत में निर्वस्त्र आपत्तिजनक स्थिति में अतिगम्भीर बेहोशी की अवस्था में पड़ी हुई है। यह सही है कि छोटू से जानकारी मिलने के बाद ही वादी मुकदमा सतेन्द्र घटनास्थल पर गया था और घटनास्थल से रिपोर्ट दर्ज कराने के लिये थाना चन्दपा गया था। प्रदर्श क-2 में यह भी अंकित है कि “रीढ की हड्डी फैक्चर है तथा जीम को काटा है, पूरे शरीर में चोटों के निशान हैं ।" यह सही है कि चिकित्सीय प्रपत्रों के अनुसार गले की चोट के अलावा पीडिता के शरीर पर कोई अन्य चोट नहीं थी । प्रदर्श क-2 में यह भी लिखा है कि "पीडिता प्रार्थना पत्र देने की दिनांक को आई०सी०यू० में भर्ती है ।" यह सही है कि पीडिता के चिकित्सीय प्रपत्रों (एनिसथिसिया नोट) के अनुसार उसे दिनांक 22.09.2020 को समय 09:30 पी. एम. पर आई०सी०यू० में शिफ्ट किया गया था। मैंने प्रदर्श क – 2 के प्राप्ति के सम्बन्ध में तत्कालीन एस०पी० विकान्तवीर का भी बयान दर्ज किया था, उन्होंने बताया था कि वादी दिनांक 22.09.2020 को उनके कार्यालय में आया था तथा प्रार्थना पत्र दिया था, जिसे उन्होंने सी0ओ0 [ १०९ ]109 सादाबाद को निष्पक्ष व त्वरित विवेचना सुनिश्चित करने के पृष्ठांकन के साथ उसी दिन अग्रेसित किया था और मुझे एस०पी० हाथरस विकान्तवीर ने यह भी बयान दिया था कि सतेन्द्र कुमार वादी मुकदमा दिनांक 22.09.2020 को उनसे उनके कार्यालय में मिला था। दिनांक 17.09.2020 को नहीं मिला था। यह सही है कि प्रकरण की घटना से सम्बन्धित एक विडियों दिनांक 21.09.2020 को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था । हमें मंजू दिलेर द्वारा इस प्रकरण के सम्बन्ध में डी०जी०पी० लखनऊ को लिखे गये पत्र के सम्बन्ध में जानकारी कहीं से हुई थी, उस पत्र को मैंने पढा था, पत्र में अंकित अभियुक्तगणों की संख्या मुझे इस वक्त ध्यान नहीं है। दौरान विवेचना, मेरे सहायक विवेचक राम सिंह ए०एस०पी० द्वारा वादी सतेन्द्र का बयान दर्ज किया गया था। सतेन्द्र ने उन बयानों में यह नहीं बताया था कि उसकी बहन घटनास्थल पर आपत्तिजनक एवं निर्वस्त्र अतिगम्भीर बेहोश अवस्था में पड़ी हुई थी। मैंने, पीडिता के थाना चन्दपा परिसर में बनाये गये विडियों देखे थे और विडियों बनाने वालों के बयान भी लिये थे। उन विडियों में पीडिता होश में थी, जवाब दे रही थी । जो विडियों पीडिता का बागला अस्पताल में बना था, वह भी मैंने देखा था एवं विडियों के सम्बन्ध में बयान भी लिये थे तथा हास्पीटल परिसर में बनाये गये विडियों में पीडिता बोल रही थी लेकिन उसकी जुबान दबी हुई थी, लगभग कराह रही थी परन्तु वह होश में थी । यह सही है कि पीडिता के जो विडियों दिनांक 14.09.2020 को थाने व अस्पताल में रिकार्ड किये गये, उनमें वह केवल एक अभियुक्त का नाम ले रही है तथा रेप सम्बन्धित आरोप नहीं लगा रही है। इसी प्रकार पीडिता की मॉ उन विडियों में अभियुक्त के परिवार से पूर्व रंजिश एवं मुकदमें बाजी होने की बात बता रही है। यह सही है कि प्रदर्श क- 32 Sexual Assault Forensic Examination में चिन्ह-ए से प्रदर्शित स्थान पर डाक्टर द्वारा यह अंकित है कि "Patient did not gave any history of sexual assault at the time of admission to the hospital. She told about the incident first time on 22.09.2020." इस सम्बन्ध में जाँच के दौरान जे०एन०एम०सी० हास्पीटल के डाक्टरों एवं अन्य कर्मचारीगण गवाह जफर आलम, गवाह सना सुबुर गवाह नौशाबा हैदर, फैयाज अहमद, डालिया रफात द्वारा भी यह पुष्टि की गयी थी कि दिनांक 14.09.2020 को भर्ती किये जाते समय पीडिता व उसके परिजनों द्वारा कोई भी Sexual assault के सम्बन्ध में एवं बलात्कार के सम्बन्ध में नहीं बताया गया था तथा प्रथम बार दिनांक 22.09.2020 को ही बलात्कार के सम्बन्ध में बताया था । डा० एम०एफ० हुदा का [ ११० ]110

c;ku esjs lg;ksxh foospd fot; dqekj “kqDyk }kjk fnukad 19-10-2020 dks vfHkfyf[kr fd;k x;k Fkk] ftlesa Mk0 ,e0,Q0 gqnk us crk;k Fkk fd ^^ At that time relatives of the patient complaint of alleged history of injury to neck due to strangulation on 14.09.2020 . . . . As informed by the residents attending the patient state that neither the patient nor any other attendants had given the history of sexual assault on the patient at the time of presentation.” blh xokg us ;g Hkh crk;k Fkk fd ^^ In the morning of 22nd September 2020 around 10:00 a.m. for the first time attendants of patient informed to the staff on duty . . . about sexual assault.” xokg Mk0 jeu eksgu “kekZ us Hkh ;gh c;ku fn;k Fkk fd HkrhZ djrs

le; ihfMrk ;k mlds ifjokjtu us Sexual assault ds ckjs esa ugha crk;k FkkA Mk0 tQj deky vatqe ,oa Mk0 rkfc”k [kkW us Hkh ;gh c;ku fn;k Fkk rFkk ts0,u0,e0lh0 ds LVkWQ vatyh c?ksy] Mk0 lwjt dkUr ef.k] Mk0 uSUlh xqIrk] Mk0 QSt vgen] Mk0 dkflQ vyh] ukS”kkck gSnj] luk lqcqj us Hkh ;gh crk;k FkkA foospd fot; dqekj “kqDyk }kjk ;g iwNs tkus ij fd Sexual assault dh ?kVuk ds lEcU/k esa igys D;ksa ugha crk;k rks ihfMrk o mldh ekW

us dksbZ tokc ugha fn;k rFkk pqi jghA ;g lgh gS fd ihfMrk ds fpfdRlh; ijh{k.k esa cykRdkj dh iqf’V ugha gqbZ FkhA bl lEcU/k esa lh0ch0vkbZ0 tkWp ds nkSjku ,e0vkbZ0,e0ch0 ¼Multi Institutional Medical Board½ dk xBu djok;k x;k Fkk vkSj ml Vhe ds ps;jeSu Mk0 vkn”kZ dqekj Fks] mudh fjiksVZ esa ik;k x;k fd cykRdkj ds lEHkkouk dks udkjk ugha tk ldrk D;ksafd ostkbZuk esa CyM DykV~l FksA nkSjku foospuk] la/;k tks oknh lrsUnz dqekj dh iRuh gS] dk Hkh c;ku fy;k Fkk] ftlus crk;k Fkk fd ^^gekjs {ks= esa fctyh vkus&tkus dk le; fuf”pr gSA orZeku le; esa fctyh “kke 07%00 cts ls lqcg 05%00 cts rd jgrh gS vkSj fQj lqcg 09%00 cts ls vkdj “kke 04%00 cts rd jgrh gSA** ;g lgh gS fd lwpuk ij tc lrsUnz ?kVukLFky ij x;k Fkk rks og vius igys igus gq;s diMs cnydj x;k FkkA esjs lg;ksxh foospd us ;g iz”u fd;k Fkk fd tc vkidks] NksVw us cksyk fd vkidh cgu [ksr esa csgks”k iMh gS rks vkidks diMs cnyus dk /;ku dSls vk;kA vkidks rks rqjUr [ksr dh rjQ tkuk pkfg, FkkA foospd us ;g Hkh iwNk Fkk fd vkidks [ksr esa nksckjk ikuh ysdj Hkh tkuk Fkk D;ksafd ihfMrk o vkidh eEeh ds fy;s vki ikuh ysus vk;s FksA vkidks nksckjk [ksr esa ?kkl gh dkVuk Fkk rks yky deht rqjUr cnyus dh D;k t:jr Fkh rc lrsUnz us foospd dks ;g tokc fn;k [ १११ ]111 था कि गर्मी लग रही थी इसलिए लाल कमीज निकाल दिया तथा एक कपडा उसका फटा हुआ भी था इसलिए उसे बदल दिया। यह सही है कि घटनास्थल पर सबसे पहले छोटू आया था और मॉ भी वहाँ मौजूद थी। मैंने, छोटू का बयान लिया था। मैंने, छोटू का बयान कोर्ट की चार्ज शीट में नहीं लगाया है। यह सही है कि घटनास्थल के पास छोटू मौजूद था और भी लोग वहाँ काम कर रहे थे, जिनमें लवकुश की मॉ मुन्नी देवी भी मौजूद थी। घटनास्थल के पास पीडिता की माँ के अलावा सबसे पहले आने वाला व्यक्ति छोटू ही था और घटनास्थल भी छोटू का खेत है। यह भी सही है कि घटनास्थल से पीडिता की मॉ ने अपने पुत्र वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार बुलाने के लिये छोटू को ही अपने घर भेजा था । छोटू को पीडिता की माँ ने सतेन्द्र को बुलाने के लिये दोबारा नहीं भेजा था। यह कहना गलत है कि छोटू के बुलाने जाने पर सतेन्द्र न आया हो तथा छोटू वापस लौटकर आया हो एवं पुनः पीडिता की माँ ने छोटू को सतेन्द्र को बुलाने के लिये भेजा हो । यह कहना गलत है कि छोटू ने विवेचक को यह बयान दिया हो कि सतेन्द्र ने उसके बताने पर कहा था कि अभी कुछ आदमी इकट्ठा हो जाने दो मैं तब जाउंगा । यह सही है कि विकान्त उर्फ छोटू का साक्षी के रूप में Psychological assesment दिनांक 03.11.2020 को कराया गया था। छोटू ने अपने Psychological assesment के समय एक्पर्ट के समक्ष यह बताया था कि उसने देखा कि सतेन्द्र और उसकी माँ बाजरा के खेत में खडे हुये थे। पीडिता उन दोनों के बीच में पडी हुई थी। उस समय उनके आस-पास कोई नहीं था, वह डर गया और भाग गया। छोटू के भाई सोम सिंह ने घटनास्थल पहुंचने से पूर्व रास्ते से ही अपने रिश्तेदार योगेश को अपने मोबाईल नम्बर 8171520995 से मोबाईल नम्बर 9528791279 पर घटना के दिनांक 14.09.2020 को 09:23:21 ए. एम. पर 56 सेकेण्ड का आउटगोइंग कॉल किया था। सोम सिंह के घर से घटनास्थल 600 से 800 मीटर के लगभग होगा और इस दूरी को तय करने में लगभग 05-7 मिनट लगे होंगे। साईकिल से 02-4 मिनट में पहुंच गया होगा। घटनास्थल से छोटू को सतेन्द्र के होते हुये अपने घर पहुंचने में 05-7 मिनट लगे होंगे तब यह घटना लगभग 09:00 बजे के आस-पास की रही होगी। सतेन्द्र घटनास्थल से घास की गठरी लेकर 09:00 बजे से 10-15 मिनट पहले पहुंचा होगा। सतेन्द्र के पहुंचने से लगभग पीछे–पीछे 05–7 मिनट बाद ही छोटू, सतेन्द्र को सूचना देने के लिये पहुंच गया । जिस समय छोटू सतेन्द्र के घर पहुंचा था उस समय बिजली नहीं थी । छोटू, सतेन्द्र के पास 09:00 बजे से पूर्व पहुंच गया। मनीष कुमार नायब [ ११२ ]________________

112 तहसीलदार का बयान दौरान विवेचना दिनांक 29.10.2020 एवं 01.11.2020 को मेरे सहयोगी विवेचक नवनीत मिश्रा एवं राम सिंह के द्वारा दर्ज किया गया था । मनीष कुमार ने अपने बयान दिनांकित 01.11.2020 में यह बताया था कि उस समय एक सादे कागज पर बयान लिखने की जगह छोडकर उपर वाले हिस्से में डाक्टर साहब ने वैरीफिकेशन किया और बीच में काफी जगह छोडकर नीचे पीडिता के अंगूठे का निशान लिया गया.. यह कागज लेकर मैं सी0एम0ओ0 साहब के आफिस में चला गया और मेरी डायरी में मैंने विवरण लिखा था । उस हिसाब से मैंने आराम से बैठकर बयान को पूरा लिखा था मैंने Dying मनीष कुमार ने अपने इसी बयान में declaration मौके पर सील नहीं किया यह भी बताया था कि बयान में पीडिता ने बलात्कार होने का जिक्र नहीं किया था। सिर्फ यह बताया था कि उसकी माँ ने बाद में बताया कि उसकी सलवार निकली हुई थी। मनीष कुमार ने दिनांक 01.11.2020 को अपने बयान यह भी बताया था कि उस समय आस-पास के बेड पर भी मरीज व उनके परिवार के एक-दो सदस्य भी थे। उस समय पीडिता के अटेण्डेंट परिवारजनों को बाहर कर दिया गया था। यह सही है कि पत्रावली पर मौजूद एफ०एस०एल० आगरा की रिपोर्ट में पीडिता के शरीर से फारेन बाईलोजिकल मटेरियल के रूप में sperm and semen मौजूद नहीं पाये गये। यह सही है कि पीडिता के कपडों पर भी वीर्य व शुक्राणु सी०एफ०एस०एल० रिपोर्ट के मुताबिक नहीं पाये गये थे। यह भी सही है कि एम०आई०एम०बी० की रिपोर्ट के अनुसार पीडिता दिनांक 22.09.2020 को जे०एन०एम०सी० अलीगढ में परीक्षण के समय मासिक श्राव की स्थिति में नहीं थी परन्तु दिनांक 29.09.2020 को पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार वह मासिक श्राव के चरण में थी । यह सही है कि एम0आई0एम0बी0 की रिपोर्ट के अनुसार घटना में एक व्यक्ति द्वारा पीडिता को चोट पहुंचाने की सम्भावना सबसे अधिक है, एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा चोट पहुंचाने की सम्भावना कम । यह सही है कि दिनांक 06.11.2020 की शाम को 07:00 बजे एम0आई0एम0बी0 टीम ने सी0बी0आई0 कैम्प पर छोटू उर्फ विकान्त सिसौदिया से पूछताछ की थी। एम०आई०एम०बी० की रिपोर्ट में यह भी अंकित है कि "After hearing some one screaming in his field he went to find out as to know what has happened. He saw the victim was lying on the ground in between the mother and brother. First time, when he saw the deceased she was fully clothed and there was dupatta around her neck." यह भी सही है कि एम0आई0एम0बी0 की रिपोर्ट में यह भी लिखा हुआ [ ११३ ]113 है कि Ministry of Health and Family Welfare के प्रोटोकाल के मुताबिक healed tears दो सप्ताह से कितने अधिक पुराने हो सकते हैं, यह बताना प्रतिबन्धित है। यह सही है कि पीडिता की Internal examination रिपोर्ट की findings के कॉलम में यह अंकित है कि "No abnormality deducted cervix and vegina healthy." यह सही है कि मेडिकल इक्जामिनेशन के समय हमलावरों की अनुमानित आयु 19-20 वर्ष होना अंकित की गयी है। यह परीक्षण दिनांक 22.09.2020 को हुआ । यह भी सही है कि मृतका का मृत्युपूर्व बयान भी उसी दिन दिनांक 22.09.2020 को समय 05:40 पी. एम. पर अंकित किया गया है, जिसमें अभियुक्त रामू की आयु 25 वर्ष व अभियुक्त रवि की आयु 32 वर्ष के लगभग पीडिता द्वारा बतायी गयी है। यह सही है कि प्रदर्शक – 32 (Internal Medical Examination ) व प्रदर्श क–15 ( Dying Declaration) एक ही दिन तैयार किये गये हैं। यह सही है कि विवेचना के दौरान, छोटू का Psychological assesment test कराया गया था और उसने Psychological test में यह बताया था कि "He had witnessed Satendra and his mother were standing in the Bazra field and deceased was lying between them. That time none was around them and he got scared and ran away.” छोटू उर्फ विकान्त ने एम०आई०एम०बी० टीम व Psychological assesment टीम दोनों के सामने एक ही बात कही है। यह सही है कि सतेन्द्र वादी मुकदमा ने अपने बयान में यह बताया था कि मैं लगभग 08:50 बजे गठरी लेकर घर की तरफ रवाना हुआ था। मैं घर पर घास की गठरी डालने एवं पीडिता व मम्मी के लिये पानी लाने गया था। यह भी सही है कि मृतका की माँ के बयान के अनुसार उसने मृतका को कपडे पहनाने व मेड तक खींचकर लाने में किसी की मदद नहीं ली। यह भी सही है कि सोम सिंह ने दौरान विवेचना अपने बयान में यह बताया था कि जब वह पीडिता के पास पहुंचा तब पीडिता बोल रही थी और पानी मॉग रही थी। यह सही है कि विवेचना में यह तथ्य भी आया था कि अभियुक्त लवकुश पीडिता को पिलाने के लिये एक पन्नी में भरकर पानी लाया था और पीडिता की माँ को दिया था, जिसने वह पानी पिलाया था । यह सही है कि साक्षी कांo रश्मि ने विवेचना के दौरान अपने बयान में यह बताया था कि "मुंशी सर पीडिता से सवाल कर रहे थे और पीडिता द्वारा दिया गया जवाब मुझे सुनकर बता रहे थे ।" इसी गवाह ने यह भी बताया था कि छेडछाड सम्बन्धी सवाल उसने स्वयं पीडिता से पूछे थे। यह भी सही है कि हेड कां० श्रीमती सरला देवी ने विवेचना में अपने बयानों में यह बताया था कि "मैंने पूछा कि [ ११४ ]114 पहले आपने जो बयान दिया था उसमें बलात्कार करने का जिक नहीं किया और एक ही लडके का नाम लिया था कि उसने मेरा गला दबाया पारिवारिक पुरानी रंजिश की वजह से उस पर पीडिता ने बताया कि पहले मुझे होश नहीं था इसलिए नहीं बताया ।" साक्षी हेड कां० सरला देवी ने दौरान विवेचना विवेचक को यह भी बयान दिया था कि "मैंने पीडिता का बयान इस पूछताछ के दौरान लिखा नहीं था । इस पूछताछ का विवरण पेशकार साहब किसी कागज पर लिख रहे थे। उसके बाद पीडिता की मम्मी अन्दर ही रह गयी थी और हम सभी रूम / वार्ड के बाहर आ गये, जहाँ कुछ कुर्सी व मेज पडे हुये थे। मेरे को पेशकार साहब ने कागज पेन दिया कि पीडिता का बयान सही से लिख लो । पेशकार साहब ने मुझे जो बोलकर लिखवाया वो मैंने पीडिता का बयान कागज पर लिख दिया। जब मैं बयान लिख रही थी तो पीडिता का भाई भी वहाँ पर मौजूद था । बयान मैंने अपने हिसाब से नहीं लिखा था, मुझे जो पेशकार साहब ने लिखवाया था वही लिखा था । बयान लिखने के बाद फिर से मैं पीडिता के पास गयी और अंगूठा बयान पर लगवा लिया ।" यह सही है कि विवेचक ने साक्षी सरला देवी से प्रश्न किया था कि क्या पीडिता ने चौथे आदमी का नाम आपको बताया? जिसका उत्तर सरला देवी ने दिया कि पीडिता चौथे आदमी का नाम नहीं बता रही थी लेकिन पीछे से पेशकार ने सन्दीप का नाम लेकर पीडिता से पूछने के लिये बोला तो फिर मैंने पूछा कि सन्दीप भी था क्या । इसके बाद लडकी ने सन्दीप का नाम लिया था। यह सही है कि पीडिता ने नामजद व्यक्ति सन्दीप का नाम नहीं बताया था । दौरान विवेचना, विवेचक ने महिला आरक्षी नेहा का बयान अपनी विवेचना में अंकित किया था तथा महिला आरक्षी नेहा ने अपने बयान में बताया था कि "मैंने रास्ते में उसकी माँ से पूछा था कि लडकी के साथ कोई ऐसी – वैसी बात तो नहीं हुई है तो इस पर लडकी की माँ ने मना कर दिया था ।” महिला आरक्षी नेहा ने अपने बयान में दौरान विवेचना यह भी बताया था कि "उसी समय कुछ पत्रकार भी आ गये थे और लडकी से बात करके उससे घटना के बारे में पूछ रहे थे। लडकी उन पत्रकारों को जवाब भी दे रही थी । पत्रकार उसका विडियों भी बना रहे थे ।" सी०ओ० रामशब्द का बयान भी दौरान विवेचना अंकित किया गया था, जिसने अपने बयान में यह बताया था कि दिनांक 16.09.2020 को पीडिता का पिता थाने आया तो मैंने वहाँ जाकर उसका बयान लिया तथा यह भी बताया था कि " दिनांक 19.09.2020 को मैं अलीगढ मेडिकल कालेज गया तथा महिला आरक्षी कु० रश्मि के द्वारा पीडिता का बयान 161 दं०प्र०सं० में दर्ज किया। बयान की रिकार्डिंग मेरे निर्देश पर मेरे गनर [ ११५ ]115 ओमवीर सिंह द्वारा उसके व्यक्तिगत मोबाईल से की गयी थी। पीडिता ने अपने बयान में यह बताया कि पीडिता अपनी माँ के साथ चारा लेने गयी थी वहाँ पर 04–5 लोग थे जिनको वह नहीं पहचानती और यह भी बताया था कि पीडिता द्वारा उसकी माँ को बताया गया कि सन्दीप ने उसका गला दबा दिया है।" पुलिस विवेचक रामशब्द से सी०बी०आई० विवेचक द्वारा यह प्रश्न दौरान विवेचना पूछा गया था कि आपके द्वारा पीडिता का मेडिकल क्यों नहीं करवाया गया, जिस पर विवेचक रामशब्द ने यह उत्तर दिया था कि दिनांक 14.09.2020 को दर्ज मुकदमा केवल 307 भा०दं०सं० के तहत् था, जिससे सम्बन्धित मेडिकल जिला अस्पताल हाथरस में हुआ था। उस समय न तो पीडिता ने ही, न ही वादी और न तो अन्य परिवारजन ने पीडिता के साथ किसी भी तरह की दुराचार की बात बतायी थी। इसी विवेचक ने सी०बी०आई० विवेचक को अपने बयान में यह भी बताया था कि दिनांक 16.09.2020 को मैंने अपने पेशकार नरेन्द्र सिंह उपनिरीक्षक की मौजूदगी में पीडिता के पिता श्री ओम प्रकाश का बयान अन्तर्गत धारा 161 दं०प्र०सं० कोतवाली चन्दपा में दर्ज किया था उसने अपनी बेटी के साथ अभियुक्त / अभियुक्तगण द्वारा दुष्कर्म / सामूहिक दुष्कर्म की बात नहीं बतायी थी। पुलिस विवेचक ब्रहम सिंह ने विवेचक को यह बयान दिया था कि दिनांक 22.09.2020 को हमें सूचना मिली थी कि एक दर्जा प्राप्त मन्त्री सफाई आयोग के जो लडकी को हास्पीटल में देखना चाहता और उसके निवास पर भी जाना चाहता है। पीडिता का बयान लेते समय पता चला कि उसके साथ तो बलात्कार हुआ है। मैंने तुरन्त सीनियर डा० श्री एम०एफ० हुदा से इस बात का जिक्र किया और बताया कि पीडिता ने अपने साथ बलात्कार करने का बयान दिया है, जिस पर डाक्टर साहब ने मुझे बताया कि अभी तक पीडिता ने व उसके माँ-बाप ने ऐसा जिक तो नहीं किया है लेकिन केवल मारपीट होना बताया गया। इसके बाद उन्होंने कहा कि मैं तुरन्त पीडिता की इस बावत डाक्टरी जॉच करवा देता हूँ। मैंने तहसीलदार से बयान करवाने के लिये कोई पत्राचार नहीं किया लेकिन जो हास्पीटल में डाक्टर साहब थे, उन्होंने तहसीलदार साहब को बुलवाया था और लडकी का बयान करवाया था और यह भी बताया था कि तहसीलदार ने पीडिता का बयान 161 दं०प्र०सं० के बयान के बाद लिया था और यह भी बताया था कि तहसीलदार के बयान के दौरान वह जॉच अधिकारी के रूप में अस्पताल में हाजिर नहीं थे। यह भी बताया था कि उस दिन ऐसा नहीं लग रहा था कि लडकी की मृत्यु हो जायेगी क्योंकि वह अच्छी तरह से बातचीत कर रही थी। यह सही है नायब तहसीदार श्री मनीष [ ११६ ]116 कुमार ने अपने बयान में यह बताया था कि पीडिता का मृत्युपूर्व बयान कराने हेतु उनको निर्देश एस०डी०एम० कोल अनीता यादव द्वारा फोन पर दिया गया था। पीडिता का 161 दं०प्र०सं० का बयान जो सी०ओ० रामशब्द द्वारा रिकार्ड किया गया तथा जो विडियों बनायी गयी थी, उसका transcript सी०बी०आई० की विवेचना का भाग है। इस transcript में अभियुक्त सन्दीप के अलावा अन्य किसी अभियुक्त की कोई भी विशिष्ट भूमिका दर्शित नहीं की है तथा यह पूछने पर कि और कौन-कौन लोग थे तो पीडिता ने इसका उत्तर दिया था कि वो तो मैने नहीं देखा तथा पुनः प्रश्न करने पर कि वो जो 04–5 लोगों में किसी और को पहचाना इसका जवाब भी पीडिता ने नहीं कहकर दिया है। इस transcript में पीडिता द्वारा कोई भी बलात्कार या सामूहिक बलात्कार की बात नहीं बतायी गयी है, केवल छेडखानी की बात बतायी गयी है। दौरान विवेचना, सी0बी0आई0 द्वारा कां० रमन यादव का बयान अंकित किया गया है। रमन यादव ने विवेचक को अपने बयान में बताया है कि मैं, पीडिता के पास गया कुछ पत्रकार भी वहाँ थे। पीडिता के कोई खुली हुई चोट नहीं थी, न ही कोई खून बह रहा था, उसकी गर्दन पर खरोंच के निशान थे। हेड कां० संजय कुमार का बयान भी सी०बी०आई० द्वारा दर्ज किया गया था, जिसमें पीडिता ने 04-5 लोगों का होना बताया है तथा बताया है कि सन्दीप ने मेरा गला दबा दिया दुपट्टा से और किसी को नहीं पहचाना । मुझे व्यक्तिगत रूप से जानकारी नहीं है कि राजवीर सिंह दिलेर हाथरस लोक सभा के सांसद है परन्तु जाँच के दौरान यह तथ्य सामने आया था। मुझे व्यक्तिगत जानकारी नहीं है कि सांसद राजवीर दिलेर का मोबाईल नम्बर 9411803636 है। रिकार्ड के अनुसार टेलीफोन नम्बर 9411803636 से पीडिता के पिता के मोबाईल नम्बर 9897319621 पर दिनांक 19.09.2020 को 10:41:12 पर आउटगोइंग कॉल तथा उसी दिनांक को 10:48:58 पर आउटगोइंग कॉल है। यह बात मेरी जानकारी में है कि मंजू दिलेर दर्जा प्राप्त मन्त्री राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग सांसद राजवीर सिंह दिलेर की पुत्री है। यह तथ्य भी जॉच के दौरान स्पष्ट हो गया था कि श्रीमती मंजू दिलेर ने इस प्रकरण से सम्बन्धित पत्र पुलिस महानिदेशक श्री एस०एस० अवस्थी को लिखा था। दौरान विवेचना श्री राकेश कुमार शर्मा जो कि जनपद हाथरस में लोक शिकायत प्रकोष्ठ में कार्यरत रहे थे, का भी बयान अंकित किया है तथा उपरोक्त राकेश कुमार शर्मा ने अपने बयान में सी०बी०आई० विवेचक को यह बताया है कि श्री सतेन्द्र कुमार पुत्र ओम प्रकाश निवासी बूलगढी द्वारा श्रीमान् पुलिस अधीक्षक हाथरस को दिया गया प्रतिवेदन दिनांक 22.09.2020 को लोक [ ११७ ]117 शिकायत प्रकोष्ठ में आर्डर बुक नम्बर 5824 दिनांक 22.09.2020 को दर्ज हुआ था तथा यह भी बयान दिया था कि प्रतिवेदन पर आदेशानुसार उसी दिन आवश्यक कार्यवाही की जाती है। उक्त प्रतिवेदन पर दिनांक 22.09.2020 को ही कार्यवाही की गयी थी, जिससे स्पष्ट है कि उक्त प्रतिवेदन दिनांक 22.09.2020 को प्राप्त हुआ था । डा० एम०एफ० हुदा का भी बयान दौरान विवेचना लिया गया था, जिन्होंने यह बताया था कि दिनांक 14.09.2020 को ही कैथेराईज्ड किया गया था। दौरान विवेचना जे०एन०एम०सी० के स्टॉफ तथा चिकित्सकों एवं नर्सिग के भी बयान दर्ज किये गये थे तथा सभी ने अपने बयान में यह बताया था कि पीडिता को दिनांक 14.09.2020 को जे०एन०एम०सी० में भर्ती किये जाते समय पीडिता या उसके घरवालों में से किसी ने भी बलात्कार जैसी घटना के बारे में नहीं बताया था । यह सही है कि सुश्री आफरीन ने सी0बी0आई0 विवेचक द्वारा एक विडियों क्लिप दिखाये जाने पर उसके सम्बन्ध में अपने बयान में यह कथन किया है कि "आज आपके द्वारा मुझे पीडिता का एक विडियों दिखाया गया है, जिसे देखकर मैं यह कह सकती हूँ कि उपरोक्त विडियों रिक्वरी वार्ड में ही बनाया गया है क्योंकि इस विडियों में लडकी के सिराहने की तरफ एक ट्राली रखी दिख रही है, जिस पर कुछ लिखा हुआ है और ऐसी नम्बर वाली ट्राली हमारे रिक्वरी वार्ड में ही है लेकिन यह विडियों कब और किसने बनाया, इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकती ।" यह सही है कि जो विडियों क्लिप सी0बी0आई0 विवेचक ने सुश्री आफरीन को दिखायी थी, वह विडियों कब और किसने बनायी, उसके बारे में हमारी विवेचना में भी पता नहीं चला सका परन्तु वह विडियों सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी । यह सही है कि ग्राम बूलगढी के हल्का लेखपाल जितेन्द्र सिंह का बयान दौरान विवेचना विवेचक द्वारा लिया गया था, जिसमें उसने यह बताया था कि कुछ व्यक्तियों ने पीडिता के पिता ओम प्रकाश के विरूद्ध ग्राम सभा की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने के सम्बन्ध में शिकायत उपजिलाधिकारी हाथरस को दी थी और उस शिकायत पर अभियुक्त के परिवारजनों के हस्ताक्षर थे और यह भी बताया था कि मौके पर देखने से पता चला कि उक्त जमीन में ओम प्रकाश पुत्र बाबू लाल ग्राम सभा की आंशिक जगह पर एक कमरा अवैध रूप से बना लिया है। लेखपाल ने अपनी जाँच में उक्त शिकायत को सही पाया था । दौरान विवेचना, सी0बी0आई0 ने डा० अलीफ मुजफ्फर सौफी का बयान अंकित किया था, उन्होंने अपने बयान में यह बताया था कि "It is not possible for us to give a definite opinion regarding sexual assault on the deceased.” दौरान विवेचना, [ ११८ ]118 सी0बी0आई0 द्वारा चन्दपा स्थित मधूसुदन डेयरी पर कार्यरत कर्मचारियों एवं डेयरी प्रबन्धक से पूछताछ की थी और सभी ने यही बताया था कि घटना के दिन अभियुक्त रामू उक्त डेयरी पर काम करने पहुंचा था तथा काम किया था । हमने मधूसुदन डेयरी चन्दपा पर लगे हुये सी०सी०टी०सी० कैमरे की डी०बी०आर० भी कब्जे में ली थी तथा विवेचना के दौरान मधूसुदन डेयरी चन्दपा की उपस्थिति पंजिका को कब्जे में लिया था, जिसमें अभियुक्त रामू की उपस्थिति दर्ज थी । यह सही है कि सी०बी०आई० ने अपने आरोप पत्र में यह अंकित किया था कि जब पीडिता की माँ के कहने पर छोटू, सतेन्द्र को बुलाने जा रहा था तो रास्ते में घटनास्थल से 100 मीटर की दूरी पर लवकुश व लवकुश की माँ मुन्नी देवी घास काटते हुये मिले थे और छोटू ने उन्हें घटना के बारे में बताया था। यह सही है कि पीडिता के पिता ओम प्रकाश व भाई सन्दीप मृतका को सफदरजंग हास्पीटल दिल्ली में पीडिता को अपने रिश्तेदार रामवीर सिंह व संजीव के साथ छोड़कर स्वयं अपनी बहन के घर चले गये तथा रात को वहीं सोये थे तथा सुबह मृत्यु की सूचना मिलने पर आये । यह सही है कि पीडिता की मॉ रामा देवी तथा भाई सतेन्द्र कुमार ने पीडिता के साथ कोई घटना कारित करते हुये किसी अभियुक्त को नहीं देखा । यह सही है कि रामा देवी के पश्चात् घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वाला व्यक्ति छोटू उर्फ विकान्त था। यह भी सही है कि छोटू ने एम०आई०एम०बी० टीम के समक्ष तथा Psychological assesment टीम के समक्ष घटनास्थल पर पीडिता को माँ और भाई के बीच में कपड़ा पहनी अवस्था में खेत पर पड़ा होना बताया था । यह भी सही है कि Psychological assesment टीम ने पीडिता को रामा देवी द्वारा कपडे पहनाये जाने वाले कथन को अविश्वसनीय बताया है। मैंने जॉच के आधार पर यह बयान भी दिया है कि सतेन्द्र घास की गठरी लेकर लगभग 08:50 बजे अपने घर के लिये चला गया था और मैंने यह भी बयान दिया है कि छोटू उर्फ विक्रान्त, सतेन्द्र की मॉ के कहने पर 09:00 बजे से पूर्व सतेन्द्र के घर पर पहुंच गया था । यह सही है कि मृतका की मेडिको लीगल रिपोर्ट तथा एम0आई0एम0बी0 टीम द्वारा मृतका के शरीर पर मात्र एक चोट बतायी गयी है तथा एक ही अभियुक्त द्वारा चोट कारित किये जाने की सबसे ज्यादा सम्भावना बतायी गयी है। यह सही है कि अभियुक्त सन्दीप द्वारा दिनांक 07.10.2020 को जिला कारागार अलीगढ से पुलिस अधीक्षक हाथरस को प्रेषित पत्र डी-5 के रूप में मैंने अपनी विवेचना में सम्मिलित किया है। इस पत्र में सन्दीप ने पीडिता के साथ दोस्ती होना तथा फोन पर उससे बात करना बताया [ ११९ ]48. 49. 119 है और यह भी बताया है कि मेरी व पीडिता की दोस्ती को लेकर उसकी माँ व भाई ने उसे मारा-पीटा भी था । यह सही है कि घटना के पश्चात घटना के दिन थाना परिसर व हास्पीटल परिसर में बनाये गये विडियों में पीडिता होश-हवाश में बात कर रही है लेकिन वह कराह रही है और रूक-रूक कर बोल रही है। यह भी सही है कि पीडिता के रेप सम्बन्धी आरोप, आन्तरिक परीक्षण एवं मृत्युपूर्व बयान एक ही दिन के हैं। यह भी सही है कि उसी दिन 09:30 बजे रात्रि में पीडिता को आई०सी०यू० में शिफ्ट किया गया। यह भी सही है कि पक्षों के मध्य आपसी मुकदमेबाजी के साक्ष्य विवेचना में आये हैं। यह भी सही है कि अभियुक्त सन्दीप और पीडिता के मध्य प्रेम सम्बन्धों के साक्ष्य भी विवेचना में आये हैं। यह भी सही है कि अभियुक्त सन्दीप व पीडिता के सम्बन्धों को लेकर घटना के पूर्व में भी पीडिता को उसके परिजनों द्वारा मारपीट किये जाने की साक्ष्य भी विवेचना में आयी है। यह भी सही है कि सूचना मिलने के बाद घटनास्थल पर सतेन्द्र अपने पूर्व पहने हुये कपडे बदलकर आया था। मैंने अभियोजन की ओर से सी०बी०आई० के विद्वान लोक अभियोजक श्री अनुराग मोदी एवं शिकायकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्तागण सीमा कुशवाहा व श्री महीपाल सिंह तथा अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता श्री मुन्ना सिंह पुण्डीर के तर्कों को विस्तार से सुना एवं पत्रावली का सम्यक परिशीलन किया। बहस के दौरान रिकार्ड पर उपलब्ध विडियोज को सी०बी०आई० के विद्वान लोक अभियोजक द्वारा लाये गये लैपटाप पर चलाकर देखा गया । अभियोजन की ओर से सी०बी०आई० के विद्वान लोक अभियोजक एवं शिकायतकर्ता के विद्वान अधिवक्तागण द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि दिनांक 14.09.2020 की सुबह पीडिता अपने भाई सतेन्द्र व मॉ रामा देवी के साथ घास काटने के लिये खेत पर गयी थी, जहाँ से घास काटकर घास की गठरी डालने एवं पीडिता के लिये पानी लाने के लिये पीडिता का भाई सतेन्द्र घर गया था। पीडिता की मॉ रामा देवी घास काट रही थी तथा पीडिता घास इकट्ठा कर रही थी और पीडिता की मॉ घास काटते हुये आगे निकल गयी थी तभी अभियुक्तगण, पीडिता के गले में पडे दुपट्टे से पीडिता को खींचकर बाजरा के खेत में ले गये, जहाँ चारो अभियुक्तगण ने पीडिता के साथ बलात्कार किया तथा पीडिता के गले में पडे दुपट्टे से उसका गला घोंटकर जान से मारने का प्रयास किया, जिससे पीडिता बेहोश हो गयी। पीडिता के गले में आयी चोटों के कारण उसकी रीढ की सी - 6 हड्डी टूट गयी, जिससे पीडिता के शरीर का नीचला भाग निष्क्रिय हो गया। पीड़िता की माँ जब उसे ढूंढतें [ १२० ]120 हुये घटनास्थल पर पहुंची तो पीडिता खेत में निर्वस्त्र एवं बेहोशी की अवस्था में उसे मिली। पीडिता की माँ ने पीडिता को अकेले ही बेहोशी की हालत में कपडे पहनाये और उसे खींचते हुये बाहर बरहा तक ले गयी। पीडिता की मॉ ने छोटू को अपने घर अपने बेटे सतेन्द्र को बुलाने भेजा। सतेन्द्र के आने के पश्चात सतेन्द्र व उसकी माँ रामा देवी पीडिता को थाना चन्दपा ले गये, थाने पर वादी मुकदमा सतेन्द्र द्वारा तहरीर दी गयी, उसके बाद पीडिता को इलाज हेतु बागला जिला चिकित्सालय हाथरस ले गये, जहाँ पीडिता की गम्भीर दशा को देखते हुये मेडिकल कालेज अलीगढ़ रेफर किया गया तब पीडिता को इलाज हेतु मेडिकल कालेज अलीगढ़ ले गये, वहाँ उसका इलाज हुआ और मेडिकल कालेज अलीगढ में भी पीडिता की तबीयत ज्यादा बिगडने पर पीडिता को दिनांक 28.09.2020 को नई दिल्ली रेफर किया गया जहाँ सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान पीडिता की दिनांक 29.09.2020 की सुबह मृत्यु हो गयी। पीडिता को घटना में आयी गले की चोट के फलस्वरूप सेपटीसीमिया होने के कारण पीडिता की मृत्यु हुई। इस प्रकरण में घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी साक्षी नहीं है और पीडिता की भी मृत्यु हो चुकी है तथा पीडिता की मृत्यु हो जाने के कारण पीडिता को न्यायालय में परीक्षित नहीं किया जा सकता। अतः न्यायालय को इस प्रकरण को परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर ही देखना होगा। दौरान विवेचना, पुलिस द्वारा लिये गये पीडिता के बयान एवं पीडिता के मृत्युपूर्व बयान में पीडिता ने चारो अभियुक्तगण द्वारा अपने साथ घटना किये जाने का कथन किया है। पीडिता के साथ बलात्कार हुआ है। पीडिता अनुसूचित जाति बाल्मीकि की सदस्या है और अभियुक्तगण स्वर्ण जाति के क्षत्रिय हैं। इसी भेदभाव के कारण अभियुक्तगण द्वारा पीडिता के साथ सामूहिक बलात्कार कारित कर उसकी हत्या कारित की गयी है। पीडिता को घायल अवस्था में थाने में भी कोई सम्मान नहीं मिला तथा पुलिस द्वारा पीडिता के अनुसूचित जाति की होने के कारण थाने में उसे नीचे चबूतरे पर ही लिटाकर पूछताछ की गयी, उसे अपमानित किया गया तथा उसकी विडियों बनायी गयी। पीडिता को पूरी तरह होश आने पर पीडिता ने अपनी माँ को बताया कि उसके साथ सन्दीप, रवि, रामू एवं लवकुश ने बलात्कार किया है। पीडिता ने पुलिस को दिये गये अपने धारा 161 दं०प्र०सं० के बयान एवं मजिस्ट्रेट को दिये गये मृत्युपूर्व बयान तथा दिनांक 22.09.2020 को मेडिकल कालेज अलीगढ़ में हुये Sexual Assault Examination में डाक्टरों को चारो अभियुक्तगण के नाम बताये हैं। पीडिता ने अपने साथ बलात्कार होने का कथन किया है। मृत्युपूर्व बयान में मजिस्ट्रेट द्वारा बलात्कार [ १२१ ]50. 121 के सम्बन्ध में पीडिता से पूछा ही नहीं गया तो वह कैसे बताती । पीडिता के सभी बयानों का सार निकाला जाये तो चारो अभियुक्तगण के नाम आये हैं और बलात्कार होना बताया है। यदि दिनांक 14.09.2020 को थाना चन्दपा पर ही पीडिता की काउंसिलिंग हो जाती तो हो सकता है कि वह थाने पर ही बलात्कार की बात बता देती । पीडिता का दिनांक 21.09.2020 का एक विडियों वायरल हुआ था लेकिन उस विडियों बनाने वाले का पता नहीं चला सका इसलिए उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता, जिस कारण अभियोजन द्वारा वह विडियों न्यायालय में दाखिल नहीं किया गया है। पीडिता के सभी विडियोज अभिलेख (document ) की परिधि में आते हैं और सभी पक्षकारों द्वारा समस्त विडियोंज पर भरोसा व्यक्त किया गया है। पीडिता के परिवार एवं अभियुक्तगण के परिवार के मध्य रंजिश होना साबित है। विवेचना के दौरान पीडिता का स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट कब्जे में लिया गया, जिसमें पीडिता की जन्म तिथि व जाति का उल्लेख है। साक्षीगण के बयान में आया है कि अभियुक्त सन्दीप व पीडिता की दोस्ती थी और बाद में उनके बीच बोलचाल बन्द हो गयी। अभियुक्तगण दबंग किस्म के व्यक्ति हैं तथा इसी मकसद से अभियुक्तगण द्वारा यह अपराध कारित किया गया है। अभियुक्तगण को अधिकतम दण्ड से दण्डित किया जाये । अभियोजन की ओर से सन्दर्भित विधि व्यवस्था पी. एस. पटेल बनाम् गुजरात राज्य, एस. सी. सी. 1991 पेज - 744 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अवधारित किया है कि मृत्युकालीन बयान का कोई निश्चित प्रारूप नहीं है। अकेले मृत्युकालीन बयान के आधार पर ही दोषसिद्धि हो सकती है। मोती लाल बनाम् मध्य प्रदेश राज्य सी. आर. एल. जे. 2008 पेज-3543 में माननीय न्यायालय ने यह अवधारित किया है कि बलात्कार के अपराध हेतु पीडिता के शरीर पर चोट का होना आवश्यक नहीं है। मनोज गिरी बनाम् छत्तीसगढ राज्य, एस. सी. सी. 2013 (5) पेज - 798 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अवधारित किया है कि जब पीडिता को अभियुक्तगण द्वारा पूरी तरह पराभूत (over power) कर लिया जाये तो कोई चोट आना सम्भावित नहीं होता। अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया है कि अभियोजन पक्ष इस प्रकरण में घटना का निश्चित समय ही स्थापित नहीं कर सका है। इस प्रकरण में वादी मुकदमा सतेन्द्र की ओर से प्रथम तहरीर थाना चन्दपा पर दिनांक 14.09.2020 को दी गयी है, जो थाना चन्दपा पर दिनांक 14.09.2020 को समय 10:30 बजे सुबह अपराध संख्या 136 / 2020, अन्तर्गत धारा 307 मा०दं०सं० व धारा 3 ( 2 ) (v) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार [ १२२ ]122 निवारण) अधिनियम में दर्ज हुई है, जिसमें घटना का समय सुबह 09:30 बजे दर्शाया गया है तथा दूसरी तहरीर दिनांक 22.09.2020 को वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार द्वारा पुलिस अधीक्षक हाथरस के कार्यालय में दी गयी है, उसमें भी घटना का समय सुबह 09:30 बजे होना अंकित किया है परन्तु इसके विपरीत साक्षी ने न्यायालय में दिये अपने बयानों में घटना के बाद घटनास्थल पर समय करीब 08:45 बजे सुबह पहुंचने का कथन किया है। थाना चन्दपा में लगे सी०सी०टी०वी० के अनुसार वादी मुकदमा सतेन्द्र अपनी माँ व पीडिता के साथ दिनांक 14.09.2020 को समय सुबह 09:34:08 पर थाने में प्रवेश किया है तथा समय सुबह 09:57:30 पर यह सभी थाने से रवाना हुये हैं क्योंकि वादी मुकदमा थाना चन्दपा में सुबह 09:34:08 पर प्रवेश किया है तो घटना सुबह 09:30 बजे की हो ही नहीं सकती क्योंकि पीडिता की माँ का कथन है कि घटना के बाद घटनास्थल पर उसे पीडिता को कपडे पहनाने में करीब पौना घण्टा लगा था और घटनास्थल से थाना चन्दपा आने में भी उन्हें कम से कम 10-15 मिनट अवश्य लगे होंगे। इस प्रकार यह घटना लगभग 08:30-08:45 बजे के आस-पास की होगी। इसके अतिरिक्त वादी मुकदमा सतेन्द्र की पत्नी संध्या द्वारा अपने धारा 161 दं०प्र०सं० के बयान में यह बताया गया है कि गाँव बूलगढी में बिजली आने का निश्चित समय है और सुबह के समय बिजली 09:00 बजे आती है। जब छोटू सतेन्द्र की मॉ के कहने पर सतेन्द्र को बुलाने उसके घर गया था तब उस समय बिजली नहीं आ रही थी और सतेन्द्र की पत्नी हाथ से पंखा झल रही थी। इसका अर्थ है कि छोटू सतेन्द्र को बुलाने सुबह 09:00 बजे से पहले ही आया होगा। इस आकलन से भी घटना 09:30 बजे की नहीं हो सकती। अन्य साक्षीगण के बयान में भी घटना के समय के सम्बन्ध में भिन्नता है । अभियोजन पक्ष इस प्रकरण में घटना का कोई निश्चित स्थान भी सिद्ध नहीं कर सका है। विवेचनाधिकारी द्वारा घटनास्थल का निरीक्षण वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार की निशानदेही के आधार पर किया गया है, जबकि वादी मुकदमा सतेन्द्र घटनास्थल का साक्षी नहीं है। वह घटना के बाद में अपनी माँ के बुलावे पर घटनास्थल पर पहुंचा है, उससे पूर्व उसकी माँ रामा देवी पीडिता को घटनास्थल से खींचकर बरहा में ले आयी थी। जब वादी मुकदमा ने घटनास्थल देखा ही नहीं है तो वह घटनास्थल का निरीक्षण विवेचनाधिकारी को कैसे करा सकता है। उत्तर प्रदेश पुलिस के विवेचनाधिकारी द्वारा बनाया गया नक्शा नजरी तथा सी०बी०आई० द्वारा पी.डब्लू.डी. के जूनियर इंजिनियर [ १२३ ]123 सत्य प्रकाश शुक्ला द्वारा बनाये गये नक्शा नजरी में दर्शाये गये घटनास्थल भिन्न-भिन्न है। साक्षीगण के बयानों में भी घटनास्थल में भिन्नता है । वादी मुकदमा सतेन्द्र द्वारा टाईपशुदा तहरीर, जिसका पुलिस अधीक्षक हाथरस के कार्यालय में दिये जाने का कथन है, उसमें वादी मुकदमा सतेन्द्र का कथन है कि उक्त घटना छोटू पुत्र ओम प्रकाश के खेत में हुई थी तथा उक्त छोटू ने ही घटना के बारे में आकर वादी मुकदमा को अवगत कराया कि आपके घर की लडकी मेरे खेत में निर्वस्त्र, आपत्तिजनक स्थिति में, अतिगम्भीर बेहोशी की अवस्था में पड़ी हुई है। अभियोजन कथानक के अनुसार उक्त छोटू, पीडिता की माँ रामा देवी के बाद घटनास्थल पर पहुंचने वाला पहला व्यक्ति है परन्तु उक्त छोटू को अभियोजन द्वारा न्यायालय में परीक्षित नहीं कराया गया है। यहाँ तक कि इस महत्वपूर्ण साक्षी का बयान अन्तर्गत धारा 161 दं०प्र०सं० भी सी०बी०आई० द्वारा अभिलिखित नहीं किया गया है। घटना के साक्षी छोटू का बयान Psychological Assessment Team एवं M.I.M.B. Team द्वारा लिया गया है। इन दोनों बयानों में छोटू ने यह बताया है कि जब वह चीखने की आवाज सुनकर घटनास्थल पर पहुंचा तो पीडिता की मॉ रामा देवी एवं भाई बाजरा के खेत में खड़े हुये थे तथा पीडिता उन दोनों के बीच में पड़ी हुई थी । पीडिता के स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट के अनुसार, पीडिता की जन्म तिथि दिनांक 11.11.1997 है, जिसके अनुसार घटना के समय पीडिता की आयु लगभग 23 वर्ष होती है परन्तु पीडिता के परिवारजन द्वारा बागला जिला चिकित्सालय हाथरस एवं मेडिकल कालेज अलीगढ़ में पीडिता की आयु 18 वर्ष लिखायी गयी है। अभियुक्त सन्दीप उम्र में पीडिता से छोटा है तथा अभियुक्त लवकुश, अभियुक्त सन्दीप से भी छोटा है जबकि अभियुक्त रवि एवं रामू, पीडिता से उम्र में बहुत बड़े हैं। अभियुक्त रामू की उम्र लगभग 30-32 वर्ष एवं अभियुक्त रवि की उम्र 35 वर्ष से भी अधिक है। अभियुक्तगण सन्दीप, रामू व रवि का एक ही घर है, जो वादी मुकदमा के घर के सामने है। अभियुक्त लवकुश का घर भी वादी मुकदमा के घर से सटा हुआ है, जिससे स्पष्ट है कि वादी मुकदमा का परिवार एवं अभियुक्तगण निकट पडोसी हैं और वे, पीडिता के साथ बलात्कार जैसी घटना कारित नहीं कर सकते हैं । विवेचना में यह स्पष्ट हो गया है कि वादी मुकदमा एवं अभियुक्तगण के परिवारजन के मध्य पूर्व से रंजिश थी तथा पीडिता व अभियुक्त सन्दीप के बीच प्रेम सम्बन्ध थे, जिस कारण वादी मुकदमा के परिवारजन, अभियुक्तगण के [ १२४ ]124 परिवारजन से नाराज थे। इस तथ्य की पुष्टि अभियोजन द्वारा परीक्षित कराये गये साक्षीगण ने अपने बयानों में भी की है। दिनांक 14.09.2020 को जब पीडिता को घायल अवस्था में थाना चन्दपा लाया गया तो वहाँ उपस्थित पत्रकारों ने पीडिता से पूछताछ की और इस पूछताछ के विडियों बनाये, जिसमें पीडिता ने मात्र एक अभियुक्त सन्दीप का नाम लिया है। इसके अतिरिक्त अन्य किसी अभियुक्तगण का नाम नहीं लिया है और न ही अपने साथ बलात्कार होने का कोई कथन किया है। इसके उपरान्त पीडिता को बागला जिला चिकित्सालय हाथरस ले जाया गया। वहाँ मौजूद पत्रकारों द्वारा भी पीडिता से पूछताछ की गयी तथा इस पूछताछ के विडियों बनाये गये । इस पूछताछ में भी पीडिता ने मात्र एक अभियुक्त सन्दीप द्वारा घटना कारित करने का कथन किया है तथा अपने साथ बलात्कार होने का कोई कथन नहीं किया है। दिनांक 22.09.2020 को मेडिकल कालेज अलीगढ़ में पीडिता का मृत्युपूर्व बयान मनीष कुमार नायब तहसीदार, तहसील कोल जिला अलीगढ द्वारा अभिलिखित किया गया । मृत्युपूर्व बयान में भी पीडिता ने अपने साथ बलात्कार होने का कोई कथन नहीं किया है। पीडिता के इस बयान में अभियुक्त सन्दीप की उम्र 20 वर्ष, अभियुक्त रामू की उम्र 25 वर्ष एवं अभियुक्त रवि की उम्र 32 वर्ष होने का कथन किया है तथा यह भी कथन किया है कि इन चारो लोगों से हमारी कोई रंजिश नहीं है । पीडिता का बयान अन्तर्गत धारा 161 दं०प्र०सं० दिनांक 19.09.2020 को तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी रामशब्द द्वारा लिया गया है, जिसे महिला आरक्षी रश्मि द्वारा लेखबद्ध किया गया है। पीडिता ने अपने इस बयान में मात्र सन्दीप द्वारा दुपट्टे से गला दबाने एवं उसके साथ छेडखानी करने का कथन किया है, अन्य किसी व्यक्ति का नाम अभियुक्त के रूप में पीडिता ने नहीं लिया है। पीडिता का दूसरा बयान अन्तर्गत धारा 161 दं०प्र०सं० पुलिस क्षेत्राधिकारी ब्रहम सिंह द्वारा दिनांक 22.09.2020 को लिया गया है, जिसे महिला मुख्य आरक्षी सरला देवी द्वारा लेखबद्ध किया गया है। पीडिता ने अपने इस बयान में अभियुक्तगण सन्दीप, रामू, लवकुश व रवि चारों को नामित किया है एवं अपने साथ अभियुक्तगण द्वारा बलात्कार किये जाने तथा अभियुक्त सन्दीप द्वारा दुपट्टे से गला दबाने का कथन किया है। पीडिता के यह सभी बयान मृत्यु कालीन बयान की श्रेणी में आते हैं परन्तु इन सभी बयानों में पीडिता द्वारा विरोधाभासी कथन किये गये हैं। पीडिता द्वारा उसके परिवारजनों के समझाने बुझाने पर [ १२५ ]125 अभियुक्तगण के नाम बढाये गये हैं तथा पहले छेडखानी करने का कथन किया है तथा बाद में बलात्कार करने का आक्षेप लगाया गया है। इन सभी बयानों के समय पीडिता के माँ-बाप व परिवारजन, पीडिता के साथ रहे हैं, जिससे स्पष्ट है कि पीडिता बयानों के समय अपने परिवारजन के प्रभाव में थी। पीडिता के सभी बयान नियमानुसार नहीं लिखे गये हैं। महिला आरक्षी कु० रश्मि के न्यायालय में दिये बयान से यह स्पष्ट है कि पीडिता जो बोल रही थी, उसे संजय सर दोहरा रहे थे और पीडिता और संजय सर के कहे अनुसार कु० रश्मि ने पीडिता का बयान लिखा है। विडियों में पीडिता का पिता, पीडिता के बेड के सिरहाने खडा दिखायी दे रहा है। इसी प्रकार महिला मुख्य आरक्षी सरला देवी ने न्यायालय में दिये अपने बयान में यह कथन किया है कि बयान प्रदर्शक - 16 लिये जाते समय पीडिता की मॉ, पिता व भाई मौजूद थे तथा और भी काफी लोग मौजूद थे, बाकी को वह नहीं सकती। पीडिता का मृत्यूपूर्व बयान अभिलिखित करने वाले साक्षी मनीष कुमार नायब तहसीलदार का अपने बयान में यह कथन है कि मृत्युपूर्व बयान प्रदर्श क – 15 की अन्तिम दो लाईने कागज के आधे भाग में लिखी हुई हैं, पूरे पेज में नहीं है। अन्तिम दो लाईनों के आगे आधे पृष्ठ में मृतका का अंगूठा लगा है इसलिए अन्तिम लाईन से पूर्व लाईन आधा पेज के पश्चात् पेज के शुरू से प्रारम्भ की है। उपरोक्त मृत्युपूर्व बयान प्रदर्श क – 15 को लिखने के पश्चात मौके पर ही सील नहीं किया गया है। पी0डब्लू० – 6 मनीष कुमार के बयान के अनुसार यह बयान अस्पताल से बिना सील किये हुये अपने आफिस ले जाकर मनीष कुमार द्वारा अपने आफिस में सील किया गया । मनीष कुमार द्वारा मृत्युपूर्व बयान लिखने तथा अपने कार्यालय ले जाकर सील करने के उपरान्त उसी दिन न्यायालय को सम्प्रेषित नहीं किया गया है। मनीष कुमार द्वारा लिया गया मृतका का मृत्युपूर्व बयान question answer फार्म में नहीं है। मृतका का मृत्युपूर्व बयान अंकित किये जाते समय ही तैयार नहीं किया गया है बल्कि बाद में सी0एम0ओ0 आफिस में तैयार किया गया, जिस समय पीडिता वहाँ मौजूद भी नहीं थी। मनीष कुमार द्वारा लिखित मृत्युपूर्व बयान प्रदर्श क - 15 पूर्ण रूप से विधिक प्रावधानों के प्रतिकूल है। अभियुक्तगण की ओर से यह भी तर्क दिया गया है कि इस घटना के उपरान्त इलेक्ट्रानिक मीडिया द्वारा अपनी टी.आर.पी. बढाने के आशय से इस प्रकरण को लगातार बढा चढाकर दिखाया गया तथा पूरे देश में लगातार प्रसारित किया गया तथा सोशल मीडिया पर भी यह प्रकरण छाया रहा। इसी [ १२६ ]126 कारण अधिकतर राजनैतिक पार्टियों के कई शीर्ष नेता पीडिता के गाँव बूलगढी आये, जिन्हें प्रशासन द्वारा रोका भी गया परन्तु इसके बावजूद भी राजनैतिक दलों के नेतागण पीडिता के घर भी गये, जिससे इस प्रकरण में राजनैतिक हस्तक्षेप रहा है और उसी राजनैतिक हस्ताक्षेप एवं एस०सी० / एस0टी0 के अपराध में सरकार से मिलने वाले अधिक मुआवजे के लालच में अपराध को लगातार बढाया गया है। पहले धारा 307, फिर छेडखानी और बाद में तीन अन्य अभियुक्तगण के नाम जोडकर प्रकरण को सामूहिक बलात्कार तक ले जाया गया जबकि अभियुक्तगण द्वारा ऐसी कोई घटना कारित नहीं की गयी है । सत्यता यह है कि अभियुक्त सतेन्द्र व मृतका के बीच प्रेम सम्बन्ध थे और वे दोनों फोन से लगातार एक-दूसरे के सम्पर्क में रहते थे। सी0बी0आई0 द्वारा इस सम्बन्ध में निकाले गये फोन कॉल डिटेल्स व सी.डी. आर. से भी यह स्पष्ट है तथा साक्षीगण के बयानों से भी यह साबित होता है कि पीडिता व अभियुक्त सन्दीप के बीच लगातार लम्बी-लम्बी कॉल्स हुई हैं, जबकि इन दोनों के परिवारों के बीच आपसी रंजिश होना बताया गया है। पीडिता व अभियुक्त सन्दीप के बीच सम्बन्धों के कारण पीडिता के परिवार वाले नाराज रहते थे। घटना के दिन भी पीडिता द्वारा अभियुक्त सन्दीप को इशारे करते हुये, लिये जाने के कारण पीडिता के परिवारजन द्वारा उसके साथ मारपीट की गयी, जिससे उसके गले में चोट आयी और उसी चोट के कारण पीडिता की बाद में मृत्यु हुई है। अभियुक्तगण को रंजिश के कारण झूठा फंसाया गया है। घटना दिनांक 14.09.2020 की है परन्तु बलात्कार के सम्बन्ध में पीडिता का चिकित्सीय परीक्षण दिनांक 22.09.2020 को मेडिकल कालेज अलीगढ़ में हुआ है, जिसमें बलात्कार का कोई साक्ष्य नहीं पाया गया है। घटना के समय पीडिता के पहने हुये कपडों का भी फारेन्सिक परीक्षण हुआ है परन्तु उसमें भी कोई बलात्कार सम्बन्धी साक्ष्य नहीं पाया गया है। इस प्रकार पीडिता के चिकित्सीय परीक्षण एवं फारेन्सिक परीक्षण में पीडिता के साथ बलात्कार होने की पुष्टि नहीं हुई है। इस प्रकरण में विवेचना के दौरान गठित एम0आई0एम0बी0 की टीम ने भी अपनी रिपोर्ट में पीडिता के साथ बलात्कार होने की पुष्टि नहीं की है। इस प्रकरण में अभियुक्तगण को रंजिश के आधार पर झूठा फंसाया गया है। अभियुक्तगण निर्दोष हैं, उन्हें ससम्मान रिहा किया जाये। अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपने तर्कों के समर्थन में सन्दर्भित विधि व्यवस्था 2021 (114) ए.सी. सी. 855 विजय सिंह बनाम् उ०प्र० राज्य, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मामले में पीडिता के साथ तीन लोगों ने [ १२७ ]51. 127 बलात्कार किया और उसके शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं था । माननीय न्यायालय ने यह माना कि पूरी कहानी मनगढन्त लगती है। 2007 (2) एस.सी.सी. (आपराधिक ) 187 राजस्थान राज्य बनाम नेत्रपाल व अन्य, जिसमें माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अवधारित किया है कि विसंगतियां अतिश्योक्ति या अलंकरण गवाहों के बयान एवं जॉच अधिकारी के साक्ष्य में विरोधाभास है तो न्यायालय को ऐसे सबूतों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। 2020 (2) जे.आई.सी. 537 अजय व अन्य बनाम् उ०प्र० राज्य इलाहाबाद उच्च न्यायालय, इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय ने यह अवधारित किया है कि मृत्युकालीन कथन परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में दर्ज किया गया है और मृत्युकालीन बयानो में वास्तविक विरोधाभास है तो मृत्युकालीन बयान को सिखाये पढाये जाने की सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता | 2023 ( 1 ) जे.आई. सी. 285 ( एस. सी.) उत्तम बनाम् महाराष्ट्र राज्य, जिसमें माननीय उच्चतम न्यायालय ने अवधारित किया है कि एकाधिक परस्पर विरोधी मृत्युकालीन बयान की ग्राहयता और साक्षीय मूल्य - न्यायालय से यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि वह यह पता लगाने के लिये सबूतो की सावधानी से जाँच करे कि मरने से पहले दिये गये बयानों में से किसकी पुष्टि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत अन्य तात्विक साक्ष्यों से होती है। 2008 सी. आर. एल.जे. 3531 पनीर सेल्वम बनाम् तमिलनाडु राज्य, इस मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय ने अवधारित किया है कि न्यायालय को मृत्युकालीन बयान की सावधानी से जाँच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिये कि मृत्युकालीन बयान सिखाये पढाये जाने या उकसाने या कल्पना का परिणाम तो नहीं है। जहाँ मृत्युकालीन बयान संदिग्ध है उस पर सम्पुष्टि किये गये साक्ष्य के बिना कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए। दुर्बलता से ग्रस्त मृत्युकालीन बयान दोषसिद्धि का आधार नहीं हो सकता । जहाँ मृत्युकालीन बयान की प्रकृति के एक से अधिक बयान हैं। समय के बिन्दु पर सबसे पहले बयान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। पत्रावली के अवलोकन से विदित है कि वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार द्वारा प्रथम तहरीर प्रदर्श क-1 एवं द्वितीय तहरीर प्रदर्श क-2 में घटना का समय सुबह 09:30 बजे होने का कथन किया गया है परन्तु इस साक्षी न्यायालय में दी गयी अपनी मुख्य परीक्षा में कथन किया है कि दिनांक 14.09.2020 को मैं और मेरी बहन पीडिता और मॉ रामा देवी चारा लेने तकरीबन 07:00 बजे सुबह खेत में गये थे। मैंने व मेरी बहन ने चारा काटा, थोडी सी घास मॉ ने काटी व उसके बाद मॉ पीछे गाँव के खेत में चली गयी हम दोनों भाई-बहन ने जो चारा [ १२८ ]128 काटा था, उसे गठरी बांध कर घर की तरफ चल दिये। लगभग 300 मीटर आगे चल कर आये तो छोटू के खेत की मेड पर माँ चारा काट रही थी। मैंने, बहन से कहा कि वह मॉ के पास चली जाये और मैं गठरी लेकर घर चला गया। घर जाने के बाद मैंने अपनी गठरी घर पर रखी, मैं अपने घर में पानी पीने लगा और हवा भी करी। उसके 10-15 मिनट बाद मेरी लडकी आराध्या घेर से भागकर घर पर आयी और बोली कि आपको पापा कोई बुला रहा है। मैं घेर की तरफ गया, मुझे वहाँ कोई नहीं दिखा फिर लाईट आ गयी। मैंने भैंसों को पानी पिलाना शुरू कर दिया। अचानक गाँव का छोटू मेरे घेर की तरफ आया और बोला कि तेरी बहन बीमार हो गयी है, बेहोश हो गयी, तेरी मम्मी बुला रही है, जल्दी जाओ। मैं घर पर गया अपनी मोटरसाईकिल स्टार्ट की और घेर र आया और पापा की जैकेट से कुछ पैसे निकाले और अपने पैजामा में रखे। मैंने जो शर्ट पहले पहनी हुई थी, वह भीग गयी थी, उसे उतारकर दूसरी टी-शर्ट ग्रीन कलर की पहन ली और नीले रंग का पैजामा पहन लिया फिर गाडी स्टार्ट करके सडक की तरफ चल दिया, रास्ते में दादी को मैंने बाईक पर बैठाया और घटनास्थल पर करीब 08:45 बजे सुबह पहुंचा । वादी मुकदमा के इस बयान से स्पष्ट है कि घटना सुबह 08:45 बजे से बहुत पहले हो चुकी थी। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि मैं घर पर घास का गट्ठर डालने तथा पानी लेने आया था। मैं बहन के पास पानी लेकर नहीं गया। मैं घर पर आराम करने लगा। सोचा थोडी देर आराम करके लाईट आने पर पानी लेकर जाऊंगा। छोटू के बताने के बाद मैं घेर से घर पर चला गया था, खेत पर नहीं गया। छोटू ने मुझसे अपने खेत पर पहुंचने के लिये कहा था, छोटू का खेत मेरे घेर से लगभग आधा किलोमीटर दूर है। मैं घेर से सीधा खेत पर जल्दी पहुंच सकता था। मैं घर पर जल्दी की वजह से मोटरसाईकिल लेने गया था। वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह भी कथन किया है कि यह सही है कि घटना दिन के 09:30 बजे की है और इस समय पर ग्रामीण लोग अपने खेतों में चारा लेने के लिये, घास काटने के लिये एवं अन्य कृषि कार्यो के लिये अपने खेतों पर आते-जाते रहते हैं । वादी मुकदमा व पीडिता की मॉ श्रीमती रामा देवी पी0डब्लू0 - 17 ने न्यायालय में दिये अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि घटना दिनांक 14.09.2020 की है, उस दिन मैं अपने घर से सुबह 07:30 बजे अपने बेटे सतेन्द्र व पुत्री पीडिता के साथ खेत पर घास लेने गयी थी। घास काटते हुये मैं आगे निकल गयी जब लौटकर आयी तो उसकी पुत्री पीडिता वहाँ नहीं मिली। तलाश करने पर छोटू के बाजरे के खेत में [ १२९ ]129 पीडिता निर्वस्त्र अवस्था में पड़ी हुई मिली। पीडिता को कपडे पहनाने में लगभग पौन घण्टा लगा क्योंकि वह खड़ी नहीं हो पा रही थी, बेहोश पड़ी थी। मैंने, छोटू को अपने पुत्र सतेन्द्र को बुलवाने के लिये भेजा। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि हमने लगभग 02 घण्टे घास काटी थी, उस समय किसान लोग अपने आस-पास खेतों में पानी लगा रहे थे, कुछ अपने खेतों में चारा काट रहे थे, कुछ लोग घास काट रहे थे। मैंने, छोटू को अपने पुत्र सतेन्द्र को घर से बुलाने के लिये भेजा था। मैंने, पीडिता को कपडे पहनाकर तथा खींचकर बरहा ( गुल) तक लाने के बाद छोटू को सतेन्द्र को बुलाने के लिये भेजा था। इस साक्षी के बयान के अनुसार यदि ये खेत पर 07:30 बजे पहुंच गये और 02 घण्टे घास काटी तो 09:30 बजे गये फिर इस साक्षी ने पीडिता को आवाज लगायी और जब यह साक्षी पीडिता के पास पहुंची तो पीडिता को कपडे पहनाने में पौना घण्टा लगा तो लगभग 10:15 बजे का समय हो गया। फिर इस साक्षी ने छोटू को अपने पुत्र सतेन्द्र को बुलाने के लिये भेजा, सतेन्द्र को आने में भी लगभग 15 मिनट अवश्य लगा होगा तो इनको घटनास्थल पर ही लगभग 10:30 बजे गये। फिर ये लोग पीडिता को मोटरसाईकिल पर बैठाकर थाने ले गये। पी0डब्लू0 - 17 के इन बयानों के अनुसार ये पीडिता को लेकर 10:30 बजे के बाद ही थाने में पहुंचेंगे परन्तु थाना चन्दपा पर लगे सी०सी०टी०वी० के अनुसार इनका प्रवेश थाना चन्दपा में 09:34:08 पर होना दर्शित है। यह भी सही है कि पी0डब्लू0 - 17 रामा देवी एक अनपढ एवं ग्रामीण स्त्री है। ऐसे साक्षी से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह समय के बारे में एकदम सही बयान दे सके। ऐसे साक्षी के बयानों में समय का अन्तर आना स्वभाविक है परन्तु यहाॅ यह उल्लेखनीय है कि पी0डब्लू0 - 1 सतेन्द्र का कथन है कि मेरी लडकी आराध्या घेर से भागकर घर पर आयी और बोली कि आपको पापा कोई बुला रहा है। मैं घेर की तरफ गया, मुझे वहाँ कोई नहीं दिखा फिर लाईट आ गयी। मैंने भैंसों को पानी पिलाना शुरू कर दिया । अचानक गाँव का छोटू मेरे घेर की तरफ आया और बोला कि तेरी बहन बीमार हो गयी है, बेहोश हो गयी, तेरी मम्मी बुला रही है, जल्दी जाओ । विवेचनाधिकारी पी0डब्लू० – 35 श्रीमती सीमा पाहूजा का कथन है कि दौरान विवेचना, संध्या जो वादी सतेन्द्र कुमार की पत्नी है, का भी बयान लिया था, जिसने बताया था कि "हमारे क्षेत्र में बिजली आने-जाने का समय निश्चित है। वर्तमान समय में बिजली शाम 07:00 बजे से सुबह 05:00 बजे तक रहती है और फिर सुबह 09:00 बजे से आकर शाम 04:00 बजे तक रहती है, जिससे स्पष्ट [ १३० ]130 है कि छोटू के सतेन्द्र के घर पहुंचने के बाद लाईट आयी है तो घटना सुबह 09:00 बजे से 15-20 मिनट पूर्व की अवश्य रही होगी । पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार द्वारा थाने पर दी गयी प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रदर्श क-1 में घटना बाजरा के खेत की बतायी गयी है तथा वादी मुकदमा द्वारा पुलिस अधीक्षक हाथरस को दी गयी तहरीर प्रदर्श क-2 में घटना छोटू के बाजरा के खेत की बतायी गयी है। पी0डब्लू0 – 1 वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि जब वह गठरी लेकर आ रहा था तो उसकी माँ, छोटू के खेत की मेड पर चारा काट रही थी, उसने अपनी बहन से कहा कि वह, माँ के पास चली जाये और वह गठरी लेकर चला गया । पी0डब्लू० – 17 रामा देवी ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि कुछ घास की गठरिया बनाकर सतेन्द्र घर डालने चला गया और मैं व पीडिता घास काटने व इकट्ठा करने लगे तथा आगे छोटू के खेत पर घास इकट्ठा करके चले गये। जब वहाँ से घास काटकर वापस उस जगह आयी जिस जगह अपनी पुत्री को छोड़कर गयी थी तो देखा कि बॉयी तरफ बाजरे के खेत में पीडिता की एक चप्पल उल्टी पड़ी थी । जहाँ चप्पल पडी थी, वहाँ से बाजरा के खेत में गली बन गयी, मैं वहाँ गयी तो मैं देखकर घबरा गयी क्योंकि मेरी लडकी बेहोश पड़ी थी। मैं देखकर घबराकर रोने लगी, रोने की आवाज सुनकर छोटू जो खेत का मालिक है, आने लगा तो मैंने उसे आवाज लगाकर रूकने के लिये कहा क्योंकि मैं, पीडिता को कपडे पहना रही थी। इस प्रकार पीडिता की मॉ० पी0डब्लू0 - 17 रामा देवी ने घटना छोटू के बाजरे के खेत की ही होने का कथन किया है। विवेचनाधिकारी ब्रहम सिंह द्वारा बनाये गये नक्शा नजरी दिनांकित 23.09.2020 प्रदर्श क-18 में घटनास्थल 'ए' स्थान से सोम सिंह पुत्र खचेर सिंह के बाजरा के खेत में होना प्रदर्शित किया गया है, जो पानी की नाली से पश्चिम दिशा में है। इसमें पानी की नाली से घटनास्थल की दूरी अंकित नहीं है। सोम सिंह, छोटू का भाई है। नक्शा नजरी संयुक्त प्रदर्श क – 37 दिनांकित 13.10.2020, जो प्रान्तीय लोक निर्माण विभाग के अवर अभियन्ता सत्य प्रकाश एवं मानचित्रकार मोहन खान द्वारा बनाया गया है, इस नक्शा नजरी में घटनास्थल पानी की नाली के उत्तर-पूर्व में बाजरा के खेत में होना दर्शाया गया है परन्तु इस नक्शा नजरी में भी नाली से घटनास्थल की दूरी का उल्लेख नहीं है। नक्शा नजरी प्रदर्श क– 68 दिनांकित 10.11.2020 तहसीलदार हाथरस द्वारा बनाया गया है, जिसमें खेत नं0–5 पर लाल रंग से घटनास्थल नाली के उत्तर दिशा में होना प्रदर्शित [ १३१ ]131 किया गया है। इस नक्शा नजरी में कोई इन्डेक्स नहीं बनाया गया है। इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध तीनों नक्शा नजरी के अवलोकन से यह प्रकट होता है कि घटनास्थल नाली के समीप छोटू व सोम सिंह के बाजरे के खेत के अन्दर है। इस तथ्य की पुष्टि साक्षीगण के बयानों से भी होती है। पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि प्रदर्श क–1 में वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार का कथन है कि फिर मेरी बहन चिल्लाई तो मेरी मॉ रामा ने आवाज दी कि मैं आ रही हूँ। सन्दीप आवाज सुनकर वहाँ से भाग गया। वादी मुकदमा का प्रदर्श क – 2 में यह कथन है कि सन्दीप पुत्र गुड्डू अपने अन्य साथी रवि, रामू, लवकुश व अन्य दो-तीन अज्ञात व्यक्ति, जो गॉव बूलगढी के रहने वाले हैं, की मदद से मेरी बहन को गन्दी नीयत से उसके गले में पड़े दुपट्टे से खींचते हुये बाजरा के खेत में दुष्कर्म करने के उद्देश्य से खींच ले गये। गले में फंदा लगा होने के कारण मेरी बहन की आवाज ही नहीं निकल पायी, जिसका फायदा उठाकर उक्त लोगों ने मेरी बहन के साथ जबरन सामूहिक बलात्कार कर डाला। इस प्रकार प्रदर्श क-2 में 06-7 व्यक्तियों द्वारा पीडिता के साथ सामूहिक बलात्कार करने का कथन है। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू० – 1 सतेन्द्र कुमार ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि पीडिता को अलीगढ़ मेडिकल कालेज में भर्ती कराने के एक-दो दिन बाद उसे होश आने लगा और उसने मेरी मम्मी को इस घटना के बारे में बताया कि गुड्डू का लडका सन्दीप व उसके साथी लवकुश, रामू, रवि थे। उसने बताया कि जब मैं चारा इकट्ठा कर रही थी तो सन्दीप पीछे से आकर मेरे गले में पडे दुपट्टे से पकडकर खींचकर अन्दर ले गया, उन लोगों ने मेरे साथ गन्दा काम किया । इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि प्रदर्श क-1 मूल तहरीर मेरे हस्तलेख में है। यह सही है कि इसमें केवल एक ही अभियुक्त को नामित किया गया है । यह सही है कि इसमें बलात्कार से सम्बन्धित कोई आरोप नहीं है। यह भी सही है कि प्रदर्शक-1 में मेरे द्वारा यह भी अंकित है कि मेरी बहन चिल्लाई तो मेरी मॉ रामा ने आवाज दी कि मैं आ रही हूँ । यह सही है कि मैंने दिनांक 14.09.2020 को मेरी बहन के साथ कोई घटना घटित होते हुये नहीं देखा। इस साक्षी का अपनी प्रतिपरीक्षा में यह भी कथन है कि मैंने प्रदर्श क-2 में अभियुक्तगणों की संख्या चार लिखवायी है तथा दो-तीन अज्ञात भी लिखवाये । इस स्तर पर गवाह को प्रदर्श क-2 पढने के लिये दिया गया, जिसे पढ़कर गवाह ने बताया कि इस पत्र में चार अभियुक्तगणों के अलावा यह भी लिखा हुआ है कि "व अन्य दो-तीन अज्ञात व्यक्ति जो गॉव बूलगढी थाना चन्दपा के [ १३२ ]132 रहने वाले हैं। उक्त लोगों की मदद से मेरी बहन पीडिता को गन्दी नीयत से पीडिता के गले में पड़े दुपट्टे से खींचते हुये बाजरा के खेत में दुष्कर्म करने के उद्देश्य से खींच ले गये ।" यह बात गलती से टाईपिंग त्रुटि के कारण आ गयी, मैंने ऐसा नहीं लिखवाया था। टाईप होने के बाद मैंने पढा नहीं था। पी0डब्लू0 – 17 रामा देवी ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि मैंने, पीडिता की चप्पल देखकर अपने हाथ में ले ली और सोचा कि अगर वह घर जाती तो दोनों चप्पल पहनकर जाती। चप्पल जहाँ पड़ी थी वहाँ बाजरा के खेत में गली बन गयी थी। मैं वहाँ गयी तो मैं देखकर घबरा गयी क्योंकि मेरी लडकी वहाँ बेहोश पडी थी, उसकी आँखे खुली हुई तथा लाल थी, उसके सारे कपडे उतरे हुये थे तथा उसके बगल में इधर-उधर पडे हुये थे। पीडिता ने घटना से पूर्व कुर्ता, पैजामा, चुन्नी पहन रखी थी, जो वहाँ खुले पडे हुये थे, उसका अण्डरवियर भी वहीं पडा हुआ था। मैं देखकर घबराकर रोने लगी, रोने की आवाज सुनकर छोटू जो खेत का मालिक है, वहाँ आने लगा तो मैंने उसे आवाज लगाकर रूकने के लिये कहा क्योंकि मैं पीडिता को कपडे पहना रही थी। पीडिता को कपडे पहनाने में लगभग पौन घण्टा लगा क्योंकि वह खड़े नहीं हो पा रही थी, बेहोश पडी थी और उसके गले पर खरोंच के निशान थे तथा मुँह पर खरोंच के निशान थे और उसकी जीभ कटी हुई थी फिर मैं जैसे-तैसे बगल में बांहें लगाकर खींचकर बाहर लायी, उस समय केवल पैर जमीन को छू रहे थे, पीडिता का दुपट्टा उसके गले में लिपटा हुआ था। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि मैंने न तो पीडिता की चीख सुनी, न ही मैंने यह कहा कि मैं आ रही हूँ। यह बात गलत है कि पीडिता चिल्लाई हो और मैंने आवाज दी हो कि मैं आ रही हूँ। मैंने किसी को यह बात नहीं बतायी कि पीडिता चिल्लाई थी तथा मैंने आवाज दी थी कि मैं आ रही हूँ। मैंने, सतेन्द्र को भी यह बात नहीं बतायी। सतेन्द्र ने यह बात अपनी तहरीर में क्यों लिखा दी, मैं इसकी कोई वजह नहीं बता सकती। यह सही है कि मैंने, पीडिता के साथ मारपीट करते या कोई दुष्कर्म करते स्वयं किसी को नहीं देखा। जब मैं, पीडिता के पास पहुंची थी तो पीडिता बेहोश थी, उसके गले से चुन्नी लिपटी हुई थी और सारे कपडे उतरे पड़े थे । यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इस साक्षी ने अपनी मुख्य परीक्षा में एक स्थान पर तो यह कहा है कि पीडिता ने घटना से पूर्व कुर्ता, पैजामा, चुन्नी पहन रखी थी, जो वहाँ खुले पडे हुये थे तथा एक स्थान पर मुख्य परीक्षा में एवं प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि पीडिता का दुपट्टा उसके गले में लिपटा हुआ था। इस साक्षी का अपनी प्रतिपरीक्षा में यह भी [ १३३ ]133 कथन है कि मैंने, पीडिता के कपडे उतरे पड़े होने की बात तभी अपने बेटे सतेन्द्र को बता दी थी। मैंने, छोटू को आवाज दी, जो सामने के खेतों में चरी काट रहा था फिर कहा कि मेरे रोने की आवाज सुनकर छोटू आ गया था। मैंने किसी को मदद के लिये आवाज नहीं दी। मैंने यह गलत बता दिया है कि मैंने, छोटू को आवाज दी। खेत छोटू का ही था । जब तक मैंने कपडे नहीं पहना लिये तब तक मैंने छोटू को नहीं आने दिया। मैंने अपनी पुत्री को कपडे पहनाने के बाद उसे खेत से मेड तक लाने के लिये छोटू से मदद नहीं ली और न ही किसी अन्य व्यक्ति से मदद ली । मैंने, पीडिता को कपडे पहनाकर तथा खींचकर बरहा (गुल) तक लाने के बाद छोटू को सतेन्द्र को बुलाने भेजा था। मैं, पीडिता को कन्धे से पकडकर खींचकर बरहा तक लायी थी जब मैंने चडढी पहनायी थी तो उसके पैर जमीन पर थे। मैंने उसके पैर व कुल्हे उठाकर चडढी पहनायी थी। पीडिता का कोई भी कपडा फटा हुआ नहीं था। पैजामी का नाडा खुला हुआ था, टूटा हुआ नहीं था। मैंने, पीडिता के गले से लिपटा हुआ दुपट्टा निकालने के बाद उसे कपडे पहनाये थे। मैंने, पीडिता के मौके पर निर्वस्त्र पाये जाने वाली बात चन्दपा थाने पर पहुंचकर पुलिस वालों को नहीं बतायी थी । यहाँ यह उल्लेखनीय है कि पी0डब्लू0 - 17 रामा देवी का यह कथन है कि वह जब बाजरे के खेत में पीडिता को ढूंढती हुई पहुंची तो वहाँ पीडिता निर्वस्त्र बेहोश पड़ी थी। इस साक्षी का यह भी कथन है कि पीडिता के निर्वस्त्र मिलने की जानकारी उसने अपने पुत्र पी0डब्लू0 – 1 सतेन्द्र को दे दी थी परन्तु थाना चन्दपा पर पी0डब्लू0 – 1 द्वारा दी गयी प्रथम तहरीर प्रदर्श क-1 में पीडिता के निर्वस्त्र मिलने का कोई उल्लेख नहीं है। यह भी महत्वपूर्ण है कि पी0डब्लू0 - 17 रामा देवी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि मैंने, सी0बी0आई0 विवेचक को अपने बयान दिनांकित 17.10.2020 अन्तर्गत धारा 161 दं०प्र०सं० में यह कहा था कि मुझे शक हुआ कि कहीं उसे सॉप ने तो नहीं काट लिया। छोटू के कहने पर जब मैंने गौर किया कि उसके जीभ में चोट लगी है तो मैंने अन्दाजा लगाया कि कहीं उसे सॉप ने तो नहीं काट लिया इसलिए मैंने यह बात सी0बी0आई0 विवेचक को बतायी थी । यदि पी0डब्लू0 - 17 रामा देवी को खेत में पीडिता निर्वस्त्र अवस्था में पड़ी मिली तो सॉप के काटने का शक कैसे हो सकता है। निर्वस्त्र अवस्था में शक सीधा यौन हमले की ओर ही जाता। सॉप के काटने का शक होने से इस बात पर सन्देह उत्पन्न होता है कि पीडिता, उसकी मॉ को निर्वस्त्र अवस्था में मिली। इस सम्बन्ध में इस प्रकरण की विवेचनाधिकारी पी0डब्लू0 – 35 श्रीमती सीमा पहूजा ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है [ १३४ ]134 कि यह भी सही है कि Psychological Assessment Team ने पीडिता को रामा देवी द्वारा कपडे पहनाये जाने वाले कथन को अविश्वसनीय बताया है। पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि दिनांक 14.09.2020 को जब पीडिता को घायल अवस्था में बागला जिला चिकित्सालय हाथरस में ले जाया गया तो वहाँ पीडिता की उम्र 18 वर्ष लिखायी गयी। इसी दिनांक को मेडिकल कालेज अलीगढ़ में पीडिता को भर्ती कराते समय भी उसकी उम्र 18 वर्ष लिखायी गयी। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू० – 1 सतेन्द्र कुमार ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि मुझे यह जानकारी नहीं है कि पीडिता की जन्म तिथि विद्यालय के प्रलेखों के अनुसार दिनांक 11.11.1997 है। गवाह को पत्रावली में मौजूद पीडिता का स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट प्रदर्श क-19 दिखाकर पूछा गया तो उसने कहा कि यह मैंने पहले नहीं देखा था। यह सही है कि प्रदर्श क–19 स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट के अनुसार, घटना वाले दिन पीडिता की उम्र 22 वर्ष 07 माह रही होगी। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू0 - 17 रामा देवी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कथन किया है कि मेरे सबसे छोटे बेटे का नाम भी सन्दीप है, जिसकी उम्र घटना के समय 20-21 वर्ष थी । पीडिता, सन्दीप से दो-तीन वर्ष बडी थी। पीडिता के पिता पी0डब्लू0 – 19 ओम प्रकाश ने भी अपनी प्रतिपरीक्षा में इस सम्बन्ध में यह कथन किया है कि मेरे बेटे सन्दीप की उम्र लगभग 21 वर्ष है। पीडिता मेरे पुत्र सन्दीप से बडी थी, वह लगभग 01 साल बडी थी, पीडिता की उम्र लगभग 22 वर्ष होगी। इस प्रकार पीडिता के परिवारजन के बयानों से पीडिता के स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट में दर्ज जन्म तिथि दिनांक 11.11.1997 की पुष्टि होती है, जिसके अनुसार पीडिता की उम्र घटना के समय लगभग 22 वर्ष 10 माह थी । पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि पी0डब्लू०-1 सतेन्द्र कुमार ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि अभियुक्तगण रवि व रामू, अभियुक्त सन्दीप के चाचा हैं। अभियुक्त रवि की उम्र 34-35 साल होगी, रवि शादीशुदा है और बाल-बच्चेदार है। अभियुक्त रामू की उम्र लगभग 27–28 साल होगी, यह भी शादीशुदा व बाल-बच्चेदार है। अभियुक्त सन्दीप 20 - 22 साल का होगा, सन्दीप जो रामू व रवि का भतीजा है, उसकी उम्र में लगभग 10, 12 व 13 साल का अन्तर है। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू0 - 17 रामा देवी का कथन है कि मेरा घर तथा अभियुक्तगण सन्दीप, रामू व रवि का घर आमने-सामने व आस-पास है। लवकुश का घर मेरे घर से लगा हुआ है। मेरे घर की छत और लवकुश के घर की छत मिली हुई है। अभियुक्तगण रामू व [ १३५ ]135 रवि, अभियुक्त सन्दीप के चाचा हैं। अभियुक्तगण रवि, रामू व सन्दीप एक ही घर में रहते हैं। मेरे पुत्र सन्दीप से अभियुक्त सन्दीप छोटा है। लवकुश, मेरे पुत्र सन्दीप से लगभग 03-4 वर्ष छोटा है । पी0डब्लू0 - 19 पीडिता के पिता ओम प्रकाश द्वारा इस सम्बन्ध में यह कथन किया गया है कि रवि की उम्र लगभग 30-32 वर्ष होगी व रामू की उम्र 27-28 वर्ष होगी, सन्दीप की उम्र 23-24 वर्ष होगी। मेरा घर और अभियुक्तगण सन्दीप, रामू व रवि का घर आमने-सामने है, बीच में सड़क है। मेरे घर तथा अभियुक्तगण के घर के बीच में कोई अन्य मकान नहीं है। पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि वादी मुकदमा पी0डब्लू0 – 1 सतेन्द्र कुमार का मुख्य परीक्षा में यह कथन है कि मुझे अब इस बात की जानकारी है कि पूर्व में मेरे पिता ओम प्रकाश ने इस मुकदमें के अभियुक्त रवि पुत्र अतर सिंह व सन्दीप के पिता गुड्डू उर्फ नरेन्द्र के विरूद्ध हरिजन एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मुकदमें के निर्णय के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि मुझे यह नहीं मालूम कि मेरे बाबा के सम्बन्ध में जो मुकदमा रवि तथा गुड्डू के विरूद्ध दर्ज कराया था वह 14.04.2015 को निर्णित हुआ और मुझे भी नहीं मालूम की उस मुकदमें में दोनों मुल्जिमों को दोषमुक्त किया गया। मुझे यह जानकारी नहीं है कि वह मुकदमा न्यायालय ए. डी. जे. कक्ष संख्या - 3 / विशेष न्यायाधीश, एस. सी. / एस. टी. एक्ट, एस.टी. नं० 110 / 2006 राज्य बनाम् रवि एवं एक अन्य के रूप में चला था। इसकी सत्य प्रतिलिपि पत्रावली पर डी-35 दस्तावेज में कागज संख्या 403 / 54 से 403 / 57 के रूप में संलग्न है। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू0–17 रामा देवी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि अभियुक्त रवि, रामू व सन्दीप के परिवार से हमारी कोई पहली रंजिश है या नहीं। यह बात मैंने इस विडियों में कही है कि हमारी पुरानी रंजिश चल रही है। मैंने इस विडियों में यह बात भी कही है कि हमारे ससुर की चाँद फाड दी । यह बात मैंने इस विडियों में कही है कि इसका मुकदमा भी इनके परिवार से चला था। मैंने यह भी कहा है कि उस केस में दो मुल्जिम जेल गये थे, जो 06 महीने बाद छूटकर आये थे, वही रंजिश चल रही है। मुझे दिनांक 14.09.2020 को यह जानकारी थी कि अभियुक्तगण के परिवार से हमारी रंजिश चल रही है। यह बात मुझे बडी बुढियों ने बतायी थी । मैंने इस विडियों में यह भी कहा है कि अभियुक्तगण के परिवार से हमारे परिवार का झगडा 14-15 साल पहले हुये था और उस समय मैं गॉव बूलगढी में ही रह [ १३६ ]136 रही थी। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू0 - 19 ओम प्रकाश ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि यह सही है कि सन 2001 में मैंने अपने पिता से मारपीट का एक मुकदमा थाना चन्दपा में इस मुकदमें के अभियुक्त रवि एवं अभियुक्त सन्दीप के पिता गुड्डू के विरूद्ध दर्ज कराया था। इस मुकदमें का निर्णय कब हुआ और क्या निष्कर्ष निकला, यह मुझे ध्यान नहीं। मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि उपरोक्त मुकदमें में दिनांक 14.04.2015 को अभियुक्त रवि व गुड्डू को निर्दोष घोषित कर बरी किया गया था। इस मुकदमें में मेरा बयान नहीं हुआ था परन्तु इसके तुरन्त बाद इस साक्षी ने इसके प्रतिकूल कथन किया है कि यह सही है कि उपरोक्त मुकदमें मैं साक्षी पी0डब्लू0 – 1 के रूप में परीक्षित हुआ। मेरी पत्नी रामा देवी को रवि व गुड्डू से चल रहे, मुकदमें के बारे में जानकारी थी। सतेन्द्र को पिता के साथ मारपीट के उपरोक्त मुकदमें की जानकारी थी। मेरी जानकारी में यह बात नहीं है कि दिनांक 02.06.2020 को गाँव के अतर सिंह, राकेश, रामवीर सिंह, लोकेश कुमार, रवि प्रताप सिंह, दलवीर सिंह, घनेन्द्र सिंह, सोमवीर सिंह, राम कुमार, लोकेश बंशीवाला ने परगना मजिस्ट्रेट हाथरस के समक्ष पानी बहाकर गन्दगी करने के सम्बन्ध में प्रार्थना पत्र दिया था या नहीं। मेरी मौजूदगी में इस सम्बन्ध में कोई जाँच नहीं हुई। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू0 – 35 विवेचनाधिकारी श्रीमती सीमा पाहूजा ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि दौरान विवेचना मैंने यह पाया था कि मुकदमा वादी सतेन्द्र के बाबा बाबूलाल ने अभियुक्त रवि व सन्दीप के पिता नरेन्द्र उर्फ गुड्डू के विरूद्ध थाना चन्दपा पर मु0अ0सं0 63 / 2001 अन्तर्गत धारा 323, 324, 504, 506, 452 भा०दं०सं० व धारा 3 ( 1 ) (10) एस०सी० / एस0टी0 एक्ट पंजीकृत कराया था और अभिलेखों के अनुसार उक्त मुकदमा दिनांक 14.04.2015 को निर्णित हुआ था तथा नरेन्द्र उर्फ गुड्डू एवं रवि को उक्त मुकदमें में दोषमुक्त किया गया था । दौरान विवेचना मैंने यह भी पाया था कि अभियुक्त लवकुश की मॉ श्रीमती मुन्नी देवी ने वादी मुकदमा सतेन्द्र के पिता ओम प्रकाश एवं अन्य परिजनों के विरूद्ध एक प्रार्थना पत्र दिनांकित 30.06.2020 को घटना से पूर्व प्रस्तुत किया था । उक्त प्रार्थना पत्र में शिकायतकर्तागण द्वारा वादी मुकदमा के पिता ओम प्रकाश के परिवारजनों के विरूद्ध आबादी की जगह में पानी बहाकर प्रदूषण फैलाने के सम्बन्ध में शिकायत की गयी थी तथा इस कारण मुकदमा वादी के परिवार एवं अभियुक्तगण के परिवार के मध्य इस प्रार्थना पत्र को लेकर खटास थी। यह सही है कि ग्राम बूलगढी के हलका लेखपाल जितेन्द्र सिंह का बयान दौरान विवेचना विवेचक द्वारा लिया गया था, [ १३७ ]137 जिसमें उसने अपने बयान में यह बताया था कि गाँव के कुछ व्यक्तियों ने पीडिता के पिता ओम प्रकाश विरूद्ध ग्राम समाज की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने के सम्बन्ध में शिकायत उप जिलाधिकारी हाथरस को दी थी और उस शिकायत पर अभियुक्त के परिवारजनों के हस्ताक्षर थे तथा यह भी बताया था कि मौके पर देखने से पता चला कि उक्त जमीन में ओम प्रकाश पुत्र बाबूलाल ने ग्राम समाज की आंशिक जगह पर एक कमरा अवैध रूप से बना लिया है। लेखपाल ने अपनी जॉच में उक्त शिकायत को सही पाया था । पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि इस सम्बन्ध में पी0डब्लू० - 27 भूदेव कुशवाहा उर्फ पण्डा ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कथन किया है कि सन्दीप अपनी सारी बातें मुझसे शेयर करता था और वह यह भी बताता था कि उसके पीडिता से दोस्ती व प्रेम सम्बन्ध काफी समय से चल रहे हैं और फोन से बातचीत होती रहती है। जब मैं खेत पर होता था तो कई बार सन्दीप से मैंने पीडिता को फोन पर बात करते सुना था। मुझे, सन्दीप ने यह भी बताया था कि मेरे व पीडिता के मध्य सम्बन्धों के बारे में उसके परिवार वालों को मालूम पड गया है और उसके घर वालों ने उसकी पिटाई लगायी है तथा उसका फोन तोड दिया है। सन्दीप ने मुझे यह भी बताया था कि पीडिता के घर वालों ने भी सम्बन्धों को लेकर पीडिता से मारपीट की है और परेशान किया है । सन्दीप ने मुझे फोन इसलिये किया था कि वह पीडिता के घर पर फोन करके पीडिता से बात करके यह जानना चाहता था कि पीडिता के घर वाले पीडिता के साथ मारपीट तो नहीं कर रहे हैं। पीडिता तथा सन्दीप के सम्बन्धों की बात मेरे अलावा गॉव के साथी लडकों को भी पता थी। मुझे इस बात की व्यक्तिगत जानकारी भी है कि पीडिता और सन्दीप के सम्बन्धों को लेकर पीडिता के घर वाले पीडिता को मारपीट करते थे तथा सन्दीप को सन्दीप के घर वालों ने मारपीट कर दिल्ली भेज दिया था, जहाँ वह काम करता था। इस सम्बन्ध में वादी मुकदमा पी0डब्लू0-1 सतेन्द्र कुमार का भी अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन है कि मुझे इस बात की जानकारी है कि राम कुमार को मेरे पिता ओम प्रकाश ने पीडिता व सन्दीप के मेल-जोल के सम्बन्ध में शिकायत की थी। पी0डब्लू0–34 विवेक श्रीवास्तव सहायक विवेचक ने भी अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि दिनांक 26.10.2020 को मैंने, मोहित चौधरी का बयान अंकित किया था, जिसमें मोहित चौधरी ने मुझे यह बताया था कि वह, सन्दीप का दोस्त है। सन्दीप से उसकी बातें होती रहती थी और उसकी जानकारी के अनुसार पीडिता के साथ सन्दीप के शारीरिक सम्बन्ध थे और पीडिता के साथ [ १३८ ]138 सन्दीप के सम्बन्ध उसकी (मोहित ) दोस्ती से भी पुराने थे। दिनांक 31.10.2020 को मैंने, अमन राणा का बयान अंकित किया था, जिसने बताया था कि सन्दीप और पीडिता के बीच लगभग दो साल पहले से करीबी सम्बन्ध थे और यह बात पूरे गाँव को पता है। मुझे, अमन राणा ने यह भी बताया था कि मुझे व सबको इन दोनों के सम्बन्ध के बारे में तब पता चला जब सन्दीप, पीडिता से मिलने के लिये उसके घर में चला गया था और पीडिता के घर वालों को पता चलने पर वे सन्दीप के घर शिकायत करने के लिये गये थे। दिनांक 26.10.2020 को मैंने तनिष्क भारद्वाज का भी बयान अंकित किया था, जिसने बताया था कि सन्दीप का पीडिता से सबसे ज्यादा लगाव था तथा सन्दीप ने अपने घर से सोने के कुण्डल चुराकर पीडिता को शापिंग करायी थी। तनिष्क ने यह भी बताया था कि मेरे सामने उसने एक सोने का छोटा सा ओम भी बेचा था, जिससे वह पीडिता को गिफ्ट दे सके । तनिष्क ने यह भी बताया था कि सन्दीप को एक बार उसके पापा ने पीडिता के चक्कर में बहुत मारा था । मेरे द्वारा की गयी विवेचना के अनुसार, पीडिता व सन्दीप के घटना के पहले से शारीरिक सम्बन्ध थे और यह भी विवेचना में आया कि पीडिता के घर वालों ने सन्दीप से सम्बन्धों को लेकर उसकी पिटाई भी की थी। पी0डब्लू0 – 35 श्रीमती सीमा पाहूजा विवेचनाधिकारी ने अपने बयान में साक्षीगण तनिष्क भारद्वाज, अमन राणा एवं मोहित चौधरी के उपरोक्त बयानों की पुष्टि की है तथा यह भी कथन किया है कि दौरान विवेचना मेरे सहयोगी विवेचक द्वारा राम कुमार पुत्र बिजेन्द्र सिंह निवासी बघना का भी बयान अंकित किया था, जो ग्राम प्रधान श्रीमती रूपवती के पुत्र थे और ग्राम बूलगढ़ी भी ग्राम पंचायत बघना के अन्तर्गत आता था। राम कुमार ने अपने बयानों में यह बताया था कि पहले लॉक डाउन के दौरान यह पता चला था कि पीडिता के पिता श्री ओम प्रकाश, सन्दीप सिंह के पिता श्री गुड्डू के पास सन्दीप की शिकायत लेकर गये थे। मुझे जब पता चला तो मैंने, सन्दीप सिंह के पिता से कहा था कि अपने लडके को बाहर भेज दो तथा लडकी पक्ष से कहा था कि आप अपनी लडकी की शादी कर दो। राम कुमार ने अपने बयानों में यह भी बताया था कि सन्दीप और पीडिता के बीच दोस्ती है और मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा हुआ । विवेचनाधिकारी का इस सम्बन्ध में यह भी कथन है कि विवेचना के दौरान, घटना से पूर्व सन्दीप व पीडिता का प्रेम प्रसंग मेरे संज्ञान में आ गया था और यह तथ्य भी मेरे संज्ञान में आ गया था कि पीडिता के सन्दीप से सम्बन्धों को लेकर पीडिता के परिजन पीडिता से मारपीट करते थे। जहाँ तक पीडिता व अभियुक्त सन्दीप के बीच फोन पर [ १३९ ]139 लगातार बातचीत होने का प्रश्न है। इस सम्बन्ध में अभियोजन की ओर से प्रस्तुत साक्षी पी0डब्लू0 - 23 गंगा नारायण झा, जो रिलायंस जियो के पश्चिम क्षेत्र के नोडल आफिसर हैं, ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि फोन नम्बर 9528761690 हमारे रिकार्ड के अनुसार भूदेव कुमार के नाम जारी है, जिसका CAF फार्म पत्रावली पर कागज संख्या 1753 / 4 के रूप में मौजूद है। पी0डब्लू0–24 विशाल शर्मा पुत्र राम अवतार शर्मा, जो वोडाफोन आईडिया लिमिटेड पश्चिम क्षेत्र के नोडल आफिसर हैं, ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि फोन नम्बर 7618640133 हमारे रिकार्ड के अनुसार सन्दीप सिसौदिया पुत्र श्री नरेन्द्र सिंह के नाम प्रीपेड फोन के रूप में जारी है, जिसका CAF फार्म पत्रावली पर कागज संख्या 1743 / 65 एवं 66 के रूप में मौजूद है, जिसे इस साक्षी ने संयुक्त प्रदर्श क-35 के रूप में साबित किया है। इस साक्षी का यह भी कथन है कि पत्रावली पर मौजूद सी. डी. आर. प्रदर्श क- 35 के पेज-19 (1743 / 21 ) में मोबाईल नम्बर 7618640133 पर समय 18:06:17, 18:08:12, 18:12:20 दिनांक 12.02.2020 को मोबाईल नम्बर 9897319621 से कॉल आयी । पत्रावली पर मौजूद सी. डी. आर. प्रदर्श क-35 के पेज - 19 ( 1743 / 21 ) में मोबाईल नम्बर 7618640133 से समय 18:12:54, 18:13:23 को दिनांक 12.02.2020 मोबाईल नम्बर 9897319621 पर कॉल की गयी है। इस साक्षी का इसी प्रकार कथन है कि दिनांक 18.02.2020, 21.02.2020 को भी इन दोनों नम्बरों पर कॉल होती रहीं हैं। इस साक्षी का यह भी कथन है कि यह सही है कि सी. डी. आर. के नम्बर से यह पता लगता है कि आगे भी दोनों नम्बरों के माध्यम से लगातार कॉल होती रहीं हैं, जिनमें आउटगोईंग तथा इनकमिंग दोनों तरह की कॉलें हैं। हमारे कम्पनी का रिकार्ड कम्पनी के सर्वर में मेन्टेन किया जाता है, जो हर तरह से सुरक्षित है तथा रिकार्ड के साथ छेडखानी सम्भव नहीं है। पी0डब्लू0-25 राजीव वशिष्ठ नोडल आफिसर भारती एयरटेल लिमिटेड ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि हमारे रिकार्ड के अनुसार, फोन नम्बर 8171520995 सोम सिंह पुत्र ओम प्रकाश के नाम प्रीपेड फोन के रूप में जारी है। फोन नम्बर 7393077517 श्यामवीर पुत्र दाताराम के नाम प्रीपेड फोन के रूप जारी है। फोन नम्बर 9634091787 सन्दीप सिसौदिया पुत्र नरेन्द्र सिंह के नाम प्रीपेड फोन के रूप में जारी है तथा फोन नम्बर 9897319621 ओम प्रकाश पुत्र श्री बाबूलाल के नाम प्रीपेड फोन के रूप में जारी है। उपरोक्त दस्तावेज इस साक्षी द्वारा संयुक्त प्रदर्श क-36 के रूप में साबित किये गये हैं। इस साक्षी का अपनी प्रतिपरीक्षा में यह भी कथन है [ १४० ]140 कि यह सही है कि ओम प्रकाश के मोबाईल संख्या 9897319621 की सी.डी.आर. के पेज संख्या - 31/171 पर इस मोबाईल नम्बर से मोबाईल नम्बर 7618640133 पर कई आउटगोईंग कॉल्स हैं। उपरोक्त साक्षीगण के बयानों से स्पष्ट है कि मोबाईल नम्बर 7618640133 एवं 9897319621 के बीच लगातार बातें होती रहीं हैं। मोबाईल नम्बर 7618640133 अभियुक्त सन्दीप का है तथा मोबाईल नम्बर 9897319621 पीडिता के पिता ओम प्रकाश के नाम है। पी0डब्लू०–1 सतेन्द्र का कथन है कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि हमारे घर के मोबाईल नम्बर 9897319621 से अभियुक्त सन्दीप के मोबाईल नम्बर पर बात होती थी अथवा नहीं। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू0 - 17 रामा देवी का कथन है कि मेरे घर में केवल एक ही मोबाईल फोन है, उस दौरान हम सभी परिवार वाले जैसे मेरे पति, मेरा बेटा सतेन्द्र, मेरी बेटी पीडिता और मेरी बहू आदि सब उसी फोन का प्रयोग किया करते थे। मेरे घर के फोन से मेरी बेटी अभियुक्त सन्दीप से बात नहीं किया करती थी। मेरे घर का कोई सदस्य उस फोन से अभियुक्त सन्दीप से उसके फोन नम्बर 7618640133 पर बात नहीं किया करते थे। इस सम्बन्ध में विवेचनाधिकारी ने अपने आरोप पत्र के पैरा -18 में यह उल्लेख किया है कि दिनांक 17.10.2019 से दिनांक 03.03.2020 तक अभियुक्त सन्दीप के फोन नम्बर 7618640133 से पीड़िता के परिवार के फोन नम्बर 9897319621 पर 39 कॉल्स हुई हैं तथा पीडिता परिवार के मोबाईल नम्बर 9897319621 से अभियुक्त सन्दीप के फोन नम्बर 7618640133 पर 66 कॉल्स हुई हैं। इस प्रकार इस अवधि में पीडिता के परिवार के मोबाईल तथा अभियुक्त सन्दीप के मोबाईल के बीच कुल 105 कॉल्स हुई हैं और पीडिता के पिता पी0डब्लू0 - 19 ओम प्रकाश का भी यह कथन है कि मेरे घर पर केवल एक ही फोन है और इसी फोन मैं व मेरी पत्नी, मेरा पुत्र व मेरी पुत्रवधू तथा मेरी पुत्री पीडिता प्रयोग करती थी। यदि पीडिता के परिवार का कोई अन्य अभियुक्त सन्दीप से मोबाईल पर बात नहीं करता था तो स्पष्ट है कि पीडिता ही अभियुक्त सन्दीप से बात करती रही होगी। उक्त साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि अभियुक्त सन्दीप व पीडिता के बीच मोबाईल पर लगातार बातचीत होती रही है। इस प्रकार पत्रावली पर मौजूद उक्त साक्ष्य से स्पष्ट है कि पीडिता एवं अभियुक्त सन्दीप के मध्य दोस्ती से भी अधिक घनिष्ट सम्बन्ध थे और उनके मध्य मोबाईल से लगातार बातचीत होती रही है। पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि आरोप पत्र में विवेचनाधिकारी का कथन है कि फारेन्सिक जॉच में पीडिता के कपडो पर कोई [ १४१ ]141 रक्त अथवा वीर्य नहीं मिला है। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू0 - 17 रामा देवी का कथन है कि पीडिता का इलाज शुरू हुआ तथा दो-तीन दिन बाद पीडिता ने लेटे-लेटे अपने कपड़ों पर लैट्रीन कर ली थी तथा नर्स के कहने पर मैंने उसके अण्डरवियर सलवार धो दिये तथा सतेन्द्र से कहकर 04 हगीज ( डायपर) मंगवा लिये और पीडिता को हगीज ( डायपर) पहनाकर चद्दर उड़ा दिया। पीडिता के कपडे अस्पताल वालों ने जॉच के लिये रख लिये थे परन्तु किसी भी डाक्टर, नर्स या जे०एन०एम०सी० के किसी अन्य कर्मचारी ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि पीडिता के कपडे जाँच होने से पहले धो दिये गये हों बल्कि इसके विपरीत एम0आई0एम०बी० टीम के चेयरमैन प्रो० डा० आदर्श कुमार ने अपनी प्रतिपरीक्षा में इस सम्बन्ध में यह कथन किया है कि एम०आई०एम०बी० की टीम ने दिनांक 06.11.2020 को दोपहर 12:00 बजे पीडिता की मॉ रामा देवी को विमर्श हेतु बुलाया था और उसने यह बताया कि पीडिता घटना के समय जो कपडे पहने हुये थी, वह कपडे पीडिता के शरीर पर पहनाये थे तथा वह कपडे दिनांक 22.09.2020 तक बदले नहीं गये एवं अन्तिम बार उन कपडों को दिनांक 22.09.2020 को ही डाक्टर्स द्वारा जे०एन०एम०सी० में लिया गया था। पीडिता की मॉ रामा देवी पी0डब्लू0 – 17 ने एम०आई०एम०बी० की टीम के समक्ष पीडिता के कपडे धोये जाने का कथन नहीं किया है। अतः पी0डब्लू0 - 17 रामा देवी का यह कथन कि नर्स के कहने पर उसने, पीडिता के कपडे धो दिये थे, विश्वसनीय नहीं है। पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि पीडिता की मॉ पी0डब्लू0–17 रामा देवी ने अपनी मुख्य परीक्षा में यह कथन किया है कि मेरी देवरानी का लडका पुतकन्ना, पीडिता के लिये पानी लेकर आया था, जिनमें लवकुश भी था । पीडिता के लिये पानी लाये होंगे इस समय मुझे ध्यान नहीं है। लाये गये पानी में से कुछ पानी पीडिता को पिलाया गया तथा कुछ उसके मुँह पर छिड़क कर उसको होश में लाया गया। सतेन्द्र ने पीडिता के सिर को अपनी गोद में लेकर पानी पिलाते हुये पूछा कि बहन क्या हुआ तो पीडिता ने सिर्फ यह बोला कि गुड्डू का लडका सन्दीप, यह कहकर वह बेहोश हो गयी। जबकि प्रतिपरीक्षा में इस साक्षी का कथन है कि मैंने, सी०बी०आई० विवेचक को अपने बयानों में यह बताया था कि लवकुश एक पन्नी में पानी भरकर ले आया था। मैंने वह पानी पीडिता के मुँह पर भी डाला था तथा उसके मुँह में भी डालकर उसे पिलाया था। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू० – 1 सतेन्द्र का कथन है कि पीडिता मौके पर बेहोश थी, जब उसके चेहरे पर पानी डाला गया तो वह होश में आ [ १४२ ]142 गयी और उसने गुड्डू के लडके सन्दीप का नाम बताया और फिर बेहोश हो गयी। पीडिता के चेहरे पर पानी मैंने नहीं डाला था, मुझे नहीं मालूम की पानी किसने डाला था। पानी मेरे सामने नहीं डाला था । पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि अभियोजन की ओर से प्रस्तुत साक्षी पी0डब्लू० – 2 गोविन्द कुमार शर्मा, जो अमर तनाव के पत्रकार हैं, जिन्होंने दिनांक 14.09.2020 को सुबह के वक्त थाना चन्दपा पर 04 विडियों बनाने का कथन किया है। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह भी कथन किया है कि मैंने यह विडियों क्लिप अपनी मोबाईल से दिनांक 14.09.2020 को सुबह लगभग 09:48 बजे बनायी थी। मेरे बनाये गये विडियों में पीडिता भली-भाँति बोली रही है एवं उसकी आवाज साफ है तथा पीडिता होश में है, बेहोश नहीं है और हर पूछे गये प्रश्नों का सटीक जवाब दे रही है। मेरे विडियों के अन्दर जब पीडिता की माँ से पूछा गया क्या किया उसने तो इसके जवाब में पीडिता की माँ ने कहा "भयो कछु नाय" और यह भी कहा है कि "मैं तो मार-मार चिपटी वाय' यह सही है कि विडियों में पुलिस अधिकारी एस०ओ० डी. के. वर्मा, एस. एस. आई. जगवीर सिंह भी पीडिता व पीडिता की माँ से पूछताछ करते हुये नजर आ रहें हैं तथा पीडिता व पीडिता की माँ अपने होशो-हवाश में जवाब दे रही है। पीडिता केवल एक ही नाम सन्दीप बता रही है। पी0डब्लू0 – 3 रवि कुमार, रिपोर्टर हिन्दी खबर ने इस सम्बन्ध में अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि दिनांक 14.09.2020 को सुबह के वक्त बागला जिला अस्पताल हाथरस में मैंने, पीडिता व उसकी माता से बात कर उसके 03 विडियों बनाये थे। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि यह सी०डी० मैंने दिनांक 14.09.2020 को बागला जिला अस्पताल हाथरस में समय सुबह 11:40 बजे अपने मोबाईल से खुद बनाये थे। इस सी०डी० में पीडिता बोल रही है, होश में है, प्रश्नों के सटीक जवाब दे रही है तथा एक ही नाम सन्दीप बता रही है। पीडिता ने इस विडियों में बलात्कार या सामूहिक बलात्कार का आरोप नहीं लगाया है। उसी दिन और उसी समय मैंने उसी स्थान पर पीडिता की माँ का भी विडियों बनाया था, जिसमें उसने मारपीट का होना बताया था। इस विडियों में पीडिता की माँ ने 14-15 साल पूर्व की रंजिश होना बताया है। पी0डब्लू0 – 30 विनय शर्मा ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि दिनांक 14.09.2020 को मेरे द्वारा इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता व उसकी मॉ का विडियों अपने मोबाईल फोन से थाना चन्दपा परिसर के अन्दर रिकार्ड किया गया था और फोन की विडियों का सी०डी० बनाकर मैंने सी०बी०आई० विवेचक [ १४३ ]143 को दिया था। इस साक्षी का अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन है कि इस विडियों में पीडिता की मॉ अपनी बाईट / बात बता रही है। इसमें पीड़िता की माँ से जिसने प्रश्न किये हैं, वह पत्रकार नेत्रपाल पाठक है। पत्रकार नेत्रपाल पाठक द्वारा यह पूछने पर कि क्या मामला था, आपकी यह लडकी पड़ी हुई है तो पीडिता की मॉ ने बताया कि "गॉव में ऐसी तू-तू मैं-मै तो होती रहती है, उसने यह खुंस निकाली है।” पीडिता की मॉ ने अपनी इस विडियों में अभियुक्त अकेले सन्दीप को बताया है तथा सन्दीप के पिता का नाम नरेन्द्र उर्फ गुड्डू बताया है, इसके अलावा किसी अन्य व्यक्ति का नाम घटना में सम्मिलित होना नहीं कहा । यह विडियों लगभग 09:30 बजे सुबह थाना परिसर में बनी थी। विडियों बनाते समय पीडिता वहाँ मौजूद थी तथा बोल रही थी। उस समय पीडिता व पीडिता की मॉ ने कोई बलात्कार या सामूहिक बलात्कार की बात नहीं बतायी थी। पीडिता उस समय बेहोश नहीं थी, होश में थी तथा पूछे गये प्रश्नों का सटीक उत्तर दे रही थी। अभियोजन की ओर से प्रस्तुत पी0डब्लू0 31 जगवीर सिंह तत्कालीन एस. एस. आई. ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि मेरे द्वारा इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता व उसकी माँ का विडियों अपने मोबाईल फोन से थाना चन्दपा परिसर के अन्दर रिकार्ड किया गया था, जिसमें पीडिता स्पष्ट दिखायी दे रही है, जो बेहोश नहीं है एवं बोल रही है। पीडिता या उसकी माँ को किसी भी व्यक्ति द्वारा सिखाया- पढाया नहीं जा रहा है तथा पीडिता व उसकी माँ घटना के सम्बन्ध में सारी बातें अपनी स्वेच्छा से बता रही है। पीड़िता की माँ ने घटना सम्बन्ध में किसी अभियुक्त का नाम नहीं बताया है, न ही किसी यौन उत्पीडन से सम्बन्धित कोई आरोप लगाया है तथा अपनी पुरानी रंजिश का होना बताया है। यह विडियों दिनांक 14.09.2020 को समय 09:54 ए. एम. का है। पीडिता की माँ से मैंने जो प्रश्न किये थे, उनका जवाब वह स्वेच्छा से सटीक दे रही है। उक्त साक्षीगण के बयान से स्पष्ट है कि दिनांक 14.09.2020 को थाना चन्दपा परिसर में तथा बागला जिला अस्पताल हाथरस में पीडिता के बनाये गये विडियों में पीडिता होश में है, बेहोश नहीं है और उसने पूछे गये प्रश्नों के सटीक उत्तर दिये हैं। विडियों में पीडिता ने मात्र एक अभियुक्त सन्दीप का नाम लिया है तथा अपने साथ बलात्कार अथवा सामूहिक बलात्कार होने का कोई कथन नहीं किया है । पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि पी0डब्लू०-1 सतेन्द्र कुमार ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि गाँव फिरसौली में मेरी सगी बुआ हैं। मुझे यह जानकारी नहीं है कि मंजू दिलेर मेरी बुआ की रिश्तेदारी में आती [ १४४ ]144 हों। राजवीर दिलेर मेरे घर आये थे। चन्द्रशेखर रावण मेरी बहन से मिलने जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ में आया था, जो भीम आर्मी का चीफ है। डा० राजकुमारी बंसल छत्तीसगढ मेडिकल कालेज में प्रोफेसर मेरे घर पर उस दौरान आयी थीं और एक रात हमारे यहाॅ रूकी थी। अगर मंजू दिलेर ने मेरे किसी प्रार्थना पत्र को संलग्न कर कोई अभ्यावेदन पुलिस अधिकारीगण या राजनैतिक प्रमुख को प्रेषित किया है तो मुझको उसकी जानकारी नहीं है। पी0डब्लू0–19 ओम प्रकाश ने इस सम्बन्ध में अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि मंजू दिलेर जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ में पीडिता के पास आयी थी । चन्द्रशेखर रावण भी जे०एन०एम०सी० अलीगढ में पीडिता से मिलने आया था और मेरे गाँव में भी गया था। यह सही है कि चन्द्रशेखर रावण अभी कुछ दिन पहले मेरे घर गया भी था और रूका भी था। राहुल गाँधी व प्रियंका वाड्रा गाँधी मेरे घर गये थे, मुझे नहीं मालूम की राहुल गाँधी व प्रियंका वाड्रा गाँधी ने मेरे परिवार को कोई चेक दिया या नहीं। यह बात सही है कि लगभग सभी चैनलों ने इस सम्बन्ध में मेरे, मेरी पत्नी रामा देवी, मेरे पुत्र सतेन्द्र के तथा मेरी पुत्रवधू संध्या के इण्टरवियू लिये थे और ये सारे इण्टरवियू सभी चैनलों पर चले थे । इस सम्बन्ध में पी0डब्लू0-35 विवेचनाधिकारी श्रीमती सीमा पाहूजा का कथन है कि यह बात मेरी जानकारी में है कि मंजू दिलेर दर्जा प्राप्त मन्त्री राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग, सांसद राजवीर सिंह दिलेर की पुत्री हैं। यह तथ्य भी जॉच के दौरान स्पष्ट हो गया था कि श्रीमती मंजू दिलेर ने इस प्रकरण से सम्बन्धित पत्र पुलिस महानिदेशक श्री एस. सी. अवस्थी को लिखा था । विवेचनाधिकारी का यह भी कथन है कि पुलिस विवेचक ब्रहम सिंह ने सी०बी०आई० विवेचक को यह बयान दिया था कि दिनांक 22.09.2020 को हमें सूचना मिली थी कि एक दर्जा प्राप्त मन्त्री सफाई आयोग के जो लडकी को हास्पीटल में देखना चाहता है और उसके निवास पर भी जाना चाहता है। विवेचनाधिकारी का यह भी कथन है कि हमें, मंजू दिलेर द्वारा इस प्रकरण के सम्बन्ध में डी. जी. पी. लखनऊ को लिखे गये पत्र की जानकारी कहीं से हुई थी, उस पत्र को मैंने पढा था, पत्र में अंकित अभियुक्तगणों की संख्या इस वक्त ध्यान नहीं । इस प्रकार पत्रावली पर उपलब्ध उक्त साक्ष्य के अवलोकन से यह तो प्रकट होता है कि दर्जा प्राप्त मन्त्री मंजू दिलेर द्वारा इस प्रकरण के सम्बन्ध में एक पत्र पुलिस महानिदेशक उ०प्र० को भेजा गया है और यह भी प्रकट होता है कि कई राजनैतिक दलों के नेतागण इस प्रकरण की जानकारी मिलने के उपरान्त पीडिता के गाँव में आये थे परन्तु इससे यह साबित नहीं होता है कि उन्होंने इस प्रकरण की विवेचना में [ १४५ ]145 कोई हस्ताक्षेप किया हो । पत्रावली के अवलोकन यह भी विदित है कि घटना दिनांक 14.09.2020 की है परन्तु बलात्कार के सम्बन्ध में पीडिता का चिकित्सीय परीक्षण दिनांक 22.09.2020 को मेडिकल कालेज अलीगढ़ में हुआ है, जिसमें बलात्कार का कोई साक्ष्य नहीं पाया गया है। घटना के समय पीडिता के पहने हुये कपड़ों का भी फारेन्सिक परीक्षण हुआ है परन्तु उससे भी कोई बलात्कार सम्बन्धी साक्ष्य नहीं पाया गया है। इस प्रकार पीडिता के चिकित्सीय परीक्षण एवं फारेन्सिक परीक्षण में पीडिता के साथ बलात्कार होने की पुष्टि नहीं हुई है। इस प्रकरण में विवेचना के दौरान गठित एम०आई०एम०बी० की टीम ने भी अपनी रिपोर्ट में पीडिता के साथ बलात्कार होने की पुष्टि नहीं की है। पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि घटना दिनांक 14.09.2020 की सुबह के समय की है और पीडिता को उसी दिन चिट्ठी मजरूबी के साथ बागला जिला चिकित्सालय हाथरस में इलाज हेतु ले जाया गया, जहाँ डा० रमेश बाबू द्वारा उसका इलाज किया गया। डा० रमेश बाबू पी0डब्लू0–4 के रूप में परीक्षित हुये हैं। इस साक्षी ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि मेरे द्वारा पीडिता के परीक्षण के दौरान उसके गले पर चोट से सूजन, blood oozing के निशान, semi conscious condition थी। मेरे सामने परीक्षण के दौरान वह बोली नहीं थी। उस दौरान पीडिता के साथ sexual assault के सम्बन्ध में कोई जानकारी मेरे सामने पीडिता व उसके परिवार वालों के द्वारा नहीं लायी गयी थी, न ही मजरूबी चिट्ठी में ऐसा कुछ लिखा था । गले की चोट को देखते हुये उसकी स्थिति के अनुसार उसे अलीगढ़ मेडिकल कालेज रेफर किया गया । इस साक्षी का प्रतिपरीक्षा में कथन है कि मैंने, पीडिता की कोई इंजरी नोट नहीं की, फिर कहा कि पीडिता की दशा गम्भीर थी। मैंने, पीडिता के शरीर के किसी भी हिस्से पर ब्लड नहीं देखा, केवल गले पर blood oozing था, पीडिता को कोई हेड इंजरी नहीं थी। इस सम्बन्ध में अभियोजन की ओर से परीक्षित पी0डब्लू0 - 18 डा० नैन्सी गुप्ता ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता को मैंने दिनांक 14.09.2020 को डा० भावना के साथ परीक्षित किया था, वह लगभग 04:00 बजे शाम को कैजुअल्टी में लायी गयी थी। पीडिता को गला घोंटने की शिकायत पर लाया गया था तथा उसके गले पर चोट के निशान थे। एक लिगेचर मार्क 05x2 सेमी0 का था, जो गले के बीच से 02 सेमी० बॉयी तरफ से शुरू हो रहा था । दूसरा लिगेचर मार्क 10x3 सेमी0 का था, जो गर्दन के बीच से शुरू होकर गर्दन [ १४६ ]146 के सीधी ओर जा रहा था । कान के निचले हिस्से से 07-8 सेमी0 नीचे था। परीक्षण के दौरान हमने पाया था कि जीभ में कोई कटे-फटे का निशान नहीं था। इस साक्षी ने न्यायालय में पीडिता के दो फोटोग्राफ दाखिल किये। इस साक्षी का प्रतिपरीक्षा में यह कथन है कि ताकत से गला दबाने से त्वचा के underneath tissues echomise हो सकती है। यह मैं नहीं बता सकती कि underneath tissues echomise होने से ही लिगेचर मार्क बन सकते हैं अथवा नहीं। इस सम्बन्ध में अभियोजन की ओर से परीक्षित पी0डब्लू0 - 15 डा० फैयाज अहमद अस्सिटेन्ट प्रोफेसर विधि विज्ञान विभाग जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता दिनांक 14.09.2020 को ओ०पी०डी० कैजुअल्टी नं० सी-46578 के द्वारा दाखिल हुई थी तथा गले में स्ट्रैंगुलेशन की शिकायत थी। दिनांक 22.09.2020 को करीब 11:30 बजे दिन हमारे विधि विज्ञान विभाग को लिखित रिक्यूजिशन न्यूरो सर्जरी विभाग से प्राप्त हुआ था। उसी दिन हम लोगों ने 12:30 बजे पीडिता का परीक्षण किया। गाईनो वालों ने अपना काम किया तथा हमने अपने से सम्बन्धित काम किया। पीडिता से पूछने पर उसने बताया कि चार लोगों ने दिनांक 14.09.2020 को सुबह 09:00 बजे उसके साथ दुष्कर्म किया तथा दुपट्टे से उसका गला घोंटने का प्रयास किया जब वह अपने गाँव में खेत में कुछ काम कर रही थी। पीडिता से सम्बन्धित मेडिकल अभिलेखों में उसके साथ दुष्कर्म का कोई हवाला नहीं था। इस सम्बन्ध में हमने, पीडिता से पूछा तो वह चुप हो गयी। बाद में पीडिता व उसकी मॉ से लिखित अनुमति प्राप्त करने के बाद उसका परीक्षण शुरू हुआ। इस दौरान वह होश में थी और बातचीत कर रही थी । वह किसी तरह से एल्कोहल, ड्रग आदि के प्रभाव में नहीं थी तथा शारीरिक व मानसिक अयोग्यता में नहीं थी। वह अपने लोवर लिम्ब ( कमर से नीचे का हिस्सा) नहीं हिला पा रही थी। पीडिता के शरीर पर स्टैन के निशान नहीं थे क्योंकि वह एक हफ्ते से अस्पताल में भर्ती थी और उसका शरीर पोंछा जा चुका था। पीडिता के गुप्तांगों की जॉच मौजूद गाईनोक्लोजिस्ट डा० डालिया रफात, डा० भूमिका आदि ने किया था। हमारी विधि विज्ञान टीम ने पीडिता के दुष्कर्म सम्बन्धित परीक्षण के लिये ब्लड सैम्पल, स्कैल फेयर, प्रिनियल स्वैब, वेजाईनल स्वैब, एन्डो सर्विकल स्वैब, एनल स्वैब, फिंगर नेल्स डेबरीज और उसके द्वारा घटना के दिन पहने गये कपडे उसकी माँ से गाईनो द्वारा एकत्र करके परीक्षण के लिये हमने प्राप्त किये । प्राप्त किये गये नमूनों को सुरक्षित करके उसकी नियमानुसार लेवलिंग की तथा अस्पताल के मेडिको लीगल [ १४७ ]147 काउन्टर में जमा कर दिये। यूरिनल प्रेग्नेन्सी टेस्ट कराया गया, जो निगेटिव था। सेक्सुअल टेस्ट रिपोर्ट में पीडिता के साथ यूजोफोर्स का विवरण है परन्तु दुष्कर्म के सम्बन्ध में रिपोर्ट में सम्भोग के सम्बन्ध में ओपिनियन रिजर्व रखा गया था, जो कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट के बाद दिया जा सकता था । इस रिपोर्ट कागज संख्या 6अ / 197 पर आज प्रदर्श क – 31 डाला गया। पीडिता से सम्बन्धित सेक्सुअल असाल्ट फारेन्सिक एग्जामिनेशन रिपोर्ट की सत्यापित प्रति पत्रावली पर कागज संख्या 63 / 128 से 6अ / 137 के रूप में मौजूद है, जिसे इस साक्षी द्वारा तस्दीक किया गया । इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि यह सही है कि कागज संख्या 63 / 142 में पीडिता को स्ट्रैंगुलेशन की हिस्ट्री के साथ भर्ती किया गया था। इसके अलावा अन्य कोई हिस्ट्री पेपर में लिखी हुई नहीं है। इस साक्षी का अपनी प्रतिपरीक्षा में यह भी कथन है कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार पीडिता के साथ कोई भी वेजाईनल / एनल इण्टरकोर्स का चिन्ह दृष्टिगोचर नहीं हुआ था। इस सम्बन्ध में अभियोजन की ओर से परीक्षित पी0डब्लू0 - 16 डा० डालिया रफात अस्सिटेन्ट प्रोफेसर स्त्री रोग विभाग जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ ने अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि दिनांक 2209.2020 को करीब 11:30 बजे दिन हमारे स्त्री रोग विभाग को न्यूरोसर्जरी विभाग से लिखित रिक्यूजिशन प्राप्त हुआ था कि किसी दुष्कर्म पीडिता का मेडिकल एग्जामिनेशन होना । पीडिता की जॉच के लिये हमारे गाईनो डिपार्टमेन्ट एवं विधि विज्ञान विभाग की संयुक्त टीम बनायी गयी थी। उस दिन हम लोगों ने 12:30 बजे पीडिता का परीक्षण किया । हम गाईनो वालों ने अपना काम किया तथा विधि विज्ञान वालों ने उनसे सम्बन्धित काम किया। इस प्रक्रिया के तहत् पीडिता से पूछने पर उसने बताया कि चार लोगों ने दिनांक 14.09.2020 को सुबह 09:00 बजे उसके साथ दुष्कर्म किया तथा दुपट्टे से उसका गला घोंटने का प्रयास किया जब वह अपने गाँव में खेत में काम कर रही थी। पीडिता से सम्बन्धित मेडिकल अभिलेखों में उसके साथ दुष्कर्म का कोई हवाला नहीं था । इस सम्बन्ध में हमने, पीडिता से पूछा तो वह चुप हो गयी। इस दौरान वह होश में थी और बातचीत कर रही थी, वह किसी तरह से एल्कोहल, ड्रग आदि के प्रभाव में नहीं थी तथा शारीरिक एवं मानसिक अयोग्यता में नहीं थी । वह अपने लोवर लिम्ब ( कमर से नीचे का हिस्सा) नहीं हिला पा रही थी। पीडिता के गुप्तांगों की जाँच मेरे व डा० भूमिका के द्वारा की गयी थी। पीडिता से सम्बन्धित सेक्सुअल असाल्ट फारेन्सिक एग्जामिनेशन रिपोर्ट की सत्यापित छाया प्रति, जो उस दिन पीडिता [ १४८ ]148 के परीक्षण के दौरान मेरे सामने तैयार हुआ था, जिस पर प्रदर्श क–32 डाला गया। हमने परीक्षण के दौरान पाया था कि वह होश में थी और समय और व्यक्तियों को पहचान रही थी और उसके लोकल एग्जामिनेशन ऑफ जनटेलिया में यह पाया गया कि कोई रेडनेस, स्वेलिंग, टेन्डरनेस, एबरेजन, कन्टयूजन, लेसेरेशंस नहीं थी । नो टियर वर सीन ऑन लेबिया मैजोरा, लेबिया माईनोरा, यूरेथ्रा हाईमन, वेजाईना सर्विक्स फोरसिट एण्ड पैरीनियम । परीक्षण के दौरान, उसके जननांगों से नियमानुसार स्वैब इकट्ठा करके विधि विज्ञान प्रयोगशाला में मौजूद डा० फैज अहमद व डा० कासिफ अली को दे दिया गया था। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि मेरे सामने पीडिता ने अपनी आयु 18 वर्ष बतायी थी और पीडिता ने उसके साथ दुष्कर्म करने वाले चार लोगों की आयु लगभग 19-20 वर्ष बतायी थी । किसी भी दुष्कर्म करने वाले की आयु 28-35 वर्ष नहीं बतायी थी। पीडिता ने अपने साथ चार लोगों द्वारा वेजाईनल इण्टरकोर्स की बात मेरे समक्ष बतायी थी तथा चार व्यक्तियों द्वारा पूर्ण वेजाईनल इण्टरकोर्स पेनिस के द्वारा बताया गया एवं हमलावरों की उम्र लगभग 19-20 साल बतायी थी। इसके बावजूद भी पीडिता के जननांगों पर कोई भी रेडनेस, स्वैलिंग, टेंडरनेस, कन्टयूजन, लेसेरेशन्स नहीं पाये गये थे। पीडिता के जननांगों के भागों पर कोई भी टियर ऑन लेबिया मैजोरा, लेबिया माईनोरा, यूरेथ्रा, हाईमन वेजाईना, सर्विक्स, फोरसिट एवं पैरीनियम या कोई फेश इंजरी नहीं पायी गयी। मैं नहीं कह सकती कि कोई ओल्ड इंजरी थी या नहीं। पीडिता के जननांग नार्मल थे और कोई भी एबनार्मिलिटी नहीं थी। लगभग 12:30 बजे हमने सेक्सुअल असाल्ट एग्जामिनेशन स्टार्ट कर दिया था तथा 01:30 बजे पूर्ण हो गया था। इस सम्बन्ध में अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी0डब्लू0 – 13 नौसाबा हैदर नर्सिग आफिसर HDU-4 जे०एन०एम०सी० मेडिकल कालेज का कथन है कि दिनांक 22.09.2020 को लगभग 10:00 बजे पीडिता एवं पीडिता की माँ ने मुझे पहली बार सेक्सुअल असाल्ट के बारे में बताया था। उस समय पीडिता की माँ अधिक बोल रही थी, लडकी कम बोल रही थी। मैंने, पीडिता व उसकी मॉ से यह भी पूछा था कि यह बात (सेक्सुअल असाल्ट ) आपने पहले क्यों नहीं बतायी तो इस पर वह दोनों चुप हो गयी थीं। मैंने, सी०बी०आई० विवेचक को अपने बयान में यह बताया था कि दिनांक 21.09.2020 व 22.09.2020 को पीडिता की दशा समान थी। दोनों ही दिनांक को पीडिता की हालत में कोई बदलाव नहीं था। अभियोजन की ओर से परीक्षित पी0डब्लू0 – 14 डा० एम०एफ० हुदा प्रोफेसर व चेयरमैन न्यूरोसर्जरी विभाग [ १४९ ]149 जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि इस प्रकरण से सम्बन्धित पीडिता हमारे अस्पताल में ओ०पी०डी० कैजुअल्टी में दिनांक 14.09.2020 को 04:10 पी. एम. पर आयी थी, उसका कैजुअल्टी नं० सी - 46578 था। उसे न्यूरोसर्जरी यूनिट में मेरे व अन्य सहयोगी डाक्टरों द्वारा उपचार दिया गया, जिनमें डा० रमन मोहन शर्मा, डा० ताबिश डा० जफर कमाल अंजुम एवं डा० सूरज थे। उसे इमरजेन्सी सर्जिकल टीम में डा० सिरीन व डा० दिव्यांशु द्वारा उपचार दिया गया। उस दौरान मरीज व उसके परिवारजन द्वारा गला घोंटने के द्वारा चोट आने का कथन किया गया है। मरीज के परिजनों ने मरीज के बारे में बताया था कि उसे बेहोशी हुई थी, गले में दर्द हुआ था । उसके लोवर लिम्ब में सुन्नपन था। उस समय न तो मरीज ने न उसके साथ आये परिजनों ने उसके साथ यौन उत्पीडन की बात बतायी थी । दिनांक 21.09.2020 को मरीज की स्थिति को देखते हुये, उसे हाई डिपेन्डेंसी यूनिट-4 में शिफ्ट कर दिया गया, उस दौरान मरीज की हालत क्रिटिकल थी, वह होश में थी । दिनांक 22.09.2020 को पहली बार पीडिता ने ड्यूटी पर मौजूद स्टॉफ को उसके साथ दिनांक 14.09.2020 को हुई घटना में दुष्कर्म होने के बारे में बताया । इस क्रम में पीडिता का विस्तृत Sexual assault forensic examination के लिये टीम गठित कर दी गयी, जिसमें डा० भूमिका, डा० डालिया रफात, डा० फैज अहमद आदी डाक्टरों को नियुक्त किया गया, जिन्होंने पीडिता की विस्तृत जाँच कर रिपोर्ट सी०एम०ओ० को भेजी। दिनांक 22.09.2020 को पीडिता की गम्भीर हालत एवं यौन उत्पीडन की स्थिति को देखते हुये, मजिस्ट्रेट द्वारा मृत्युपूर्व बयान दर्ज कराने हेतु कार्यवाही की गयी। दिनांक 28.09.2020 को मरीज के परिवारजनों के अनुरोध पर उसे बेहतर इलाज हेतु एम्स दिल्ली के लिये रेफर किया गया। दिनांक 20.09.2020 से दिनांक 22.09.2020 के बीच मरीज की स्थिति एक जैसी थी तथा गम्भीर थी। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि पीडिता को दिनांक 14.09.2020 को ही पेशाब के लिये नली लगायी गयी थी। पीडिता को पेशाब के लिये नली उसके यूरेथ्रा (पेशाब का रास्ता) लगायी गयी थी। यह सही है कि यूरेथ्रा के माध्यम से जब पेशाब की नली लगायी गयी होगी तो उसके जननांग को निश्चित रूप से देखा गया होगा क्योंकि उसके बगैर नली लगाना सम्भव नहीं है। उस समय उसके जननांगों में कोई चोट या सेक्सुअल असाल्ट का कोई लक्षण अंकित नहीं किया गया अगर कोई इस तरह का सेक्सुअल असाल्ट का कोई लक्षण देखा गया होता तो निश्चित ही अंकित किया जाता । पीडिता के [ १५० ]150 साथ दुष्कर्म होने के सम्बन्ध में सर्वप्रथम सूचना मुझे दिनांक 22.09.2020 को डा० तबिश व सूरज ने दी थी। मुझे सबसे पहले पीडिता के साथ दुष्कर्म के सम्बन्ध में सूचना पुलिस अधिकारी / विवेचक ने नहीं दी। दिनांक 21.09.2020 को पीडिता बयान देने की स्थिति में थी । उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण के सम्बन्ध में प्रोफेसर आदर्श कुमार की अध्यक्षता में एक मल्टी इंस्टीट्यूशनल मेडिकल बोर्ड (एम0आई0एम0बी0) चिकित्सा महानिदेशक स्वास्थ्य मन्त्रालय के आदेश दिनांकित 02.11.2020 से गठित हुआ था, जिसमें चेयरमैन डा० आदर्श कुमार के साथ प्रोफेसर अरविन्द कुमार विधि विज्ञान चिकित्सा लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज नई दिल्ली व डा० तेजस्वी एच०टी० एसोसिएट प्रोफेसर विधि विज्ञान चिकित्सा, आर. एम. एल. हास्पीटल नई दिल्ली सदस्य नामित हुये। अभियोजन की ओर से एम0आई0एम0बी0 के चेयरमैन डा० आदर्श कुमार विधि विज्ञान विभाग अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली को पी0डब्लू0 - 33 के रूप में परीक्षित कराया गया है। एम०आई०एम०बी० टीम की रिपोर्ट पत्रावली पर प्रदर्श क-47 से प्रदर्श क–51 के रूप में मौजूद है। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि यह सही है कि मैंने या मेरी टीम ने न तो कभी पीडिता को देखा और न ही उसका मेडिको लीगल किया, न ही पी०एम०आर० किया । मात्र सम्बन्धित प्रपत्रों और सम्बन्धित व्यक्तियों के विचार विमर्श के आधार पर मैंने अपनी राय व्यक्त की । यह भी सही है कि मैंने पूर्व में पीडिता का मेडिको लीगल करने वाले डाक्टर, नर्स, टेक्नीशियन्स एवं मेडिकल स्टॉफ के अलावा पीडिता की माँ तथा सर्वप्रथम घटनास्थल पर पहुंचने वाले विक्रान्त उर्फ छोटू से विचार विमर्श किया। यह सही है कि डा० रमेश बाबू चिकित्साधिकारी बागला जिला चिकित्सालय हाथरस द्वारा पीडिता का मेडिको लीगल नहीं किया गया था एवं मात्र रेफर किया गया था। मैंने, पीडिता की रेफर स्लिप देखी थी, उसमें यह अंकित नहीं है कि पीडिता बोलने की स्थिति में नहीं है। मैंने, सी०बी०आई० द्वारा दिये गये बागला हास्पीटल के तीन विडियोंज देखे थे, उन विडियोंज में पीडिता बोल रही थी। यह सही है कि जे०एन०एम०सी० के रिकार्ड के अनुसार दिनांक 14.09.2020 को पीडिता परीक्षण के समय होश में थी और समय, स्थान व व्यक्ति के बारे में सचेत थी और उसके कान, नाक व मुँह से किसी भी प्रकार का खून का श्राव नहीं था। यह भी सही है कि पीडिता को उसके पिता द्वारा मात्र गला घोंटने की शिकायत पर भर्ती कराया गया था। मैंने अपने अलीगढ़ दौरे के दौरान डा० एम०एफ० हुदा से विचार विमर्श किया था तथा मैंने, पीडिता के सारे मेडिकल पेपर्स भी देखे थे एवं परिशीलन किया था। मैंने, पीडिता का [ १५१ ]151 इन्टरनल रेफरल, जो ई.एन. टी. व एफ. एम.टी. को भी देखा था, जिसमें केवल पीडिता के गला घोंटने की शिकायत थी और आँखों के डाक्टर की जॉच आख्या रिपोर्ट में यह अंकित कि पीड़िता को गला घोंटने की शिकायत पर भर्ती कराया गया था, उस समय पीडिता होश में थी। मैंने, पीडिता की स्त्री रोग विशेषज्ञ की रिपोर्ट भी देखी थी। डा० भूमिका शर्मा की रिपोर्ट भी देखी थी । रिपोर्ट के अनुसार, प्राईवेट पार्ट पर कोई भी फ्रेश इंजरी नहीं थी, न ही कोई हील्ड इंजरी अंकित की है। सेक्सुअल असाल्ट फारेन्सिक एग्जामिनेशन रिपोर्ट दिनांकित 22.09.2020 में यह अंकित है कि "Patient did not gave any history of sexual assault at the time of admission to the Hospital. She told about incidence first time on 22.09.2020". यह सही है कि अगर यूरेथ्रा से पीडिता को घटना के दिन कैथाराईज किया जायेगा तो वेजाईना का बाहरी भाग साफ दिखायी देगा और अगर वहॉ फेश इंजरी होगी तो वह दिखायी देगी। यह सही है कि एम0आई0एम0बी0 की टीम ने यह निश्चित मत व्यक्त किया है कि सी - 6 की इंजरी सडन जर्क से आना सम्भव है तथा वह डायरेक्ट चोट से आना सम्भव नहीं है। यह भी सही है कि पीठ पर आये निशान खींचने से आना सम्भव । यह सही है कि सी - 6 के फैक्चर के पैराप्लेजिक होने के पश्चात भी पीडिता होश में रह सकती है, बेहोश नहीं होगी। यह सही है कि इंटरनल पार्टस के वेजाईना हाईमन भाग के टियर्स ( फटा होना) यदि पुराना तथा भरा हुआ है तो कम से कम दो सप्ताह पुराना होगा। इससे अधिक कितना भी पुराना हो सकता है। यह भी सही है कि पीडिता के शरीर पर आयी चोटों को मात्र एक व्यक्ति द्वारा ही पहुंचाये जाने की सम्भावना सबसे अधिक है। यह सही है कि गला घोंटने की स्थिति में सामान्यतः पीडिता की मृत्यु कुछ ही मिनटों में होना सम्भव है क्योंकि लगातार उसके श्वास नली एवं रक्त धमनियां अवरूद्ध हो जाती हैं। इस केस में इस पीडिता की मृत्यु गला घोंटने के कारण तुरन्त नहीं हुई है। मैंने मृतका की पी०एम०आर० रिपोर्ट देखा था । पत्रावली पर पी0एम0आर0 रिपोर्ट मौजूद है। पी0एम0आर0 रिपोर्ट में यह अंकित है कि “Injury to the cervical spine (neck) produced by indirect blunt trauma and its resultant sequelae. The ligature mark over the neck is consistent with attempted strangulation but did not contribute to death in this case. यह मत पी०एम०आर० करने वाले डाक्टरों का है। फारेन्सिक रिपोर्ट के अनुसार, पीडिता के सीज किये गये किसी भी आर्टिकल पर कोई वीर्य नहीं पाया गया। एम०आई०एम०बी० की टीम ने मृतका की मृत्यु के सम्बन्ध में यह निश्चित मत दिया है कि सामान्यत: स्ट्रैंगुलेशन के दौरान पीडिता की मृत्यु कुछ ही [ १५२ ]152 मिनटों में हो जाती है क्योंकि श्वास नली और गले की धमनियां और शिराओं के ऊपर लगातार दबाव पड़ता है लेकिन इस केस में जो उसकी गर्दन में जबरदस्त झटका लगने से उसकी सर्वाइकल में फैक्चर तत्पश्चात होने वाली विविधताओं से हुई है, जो कि काफी विलम्ब से हुई है। अभियोजन की ओर से मृतका के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डा० गौरव वी. जैन को पी0डब्लू०-22 के रूप में परीक्षित कराया गया है। इस साक्षी ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि ए.एस.आई. शैलेन्द्र लाकडा द्वारा सफदरजंग अस्पताल में पीडिता की मृत्यु के बाद उसके पोस्टमार्टम के अनुरोध के साथ सम्बन्धित दस्तावेज दिये थे। औपचारिक अनुरोध प्राप्त होने के बाद हमारे विभाग के विभागाध्यक्ष ने 03 डाक्टरों की टीम बनायी, जिसमें मैं भी शामिल था, मेरे अलावा डा० आदित्य आनन्द व डा० अलिफ मुजफ्फर सौफी टीम के सदस्य थे। हम तीनों डाक्टरों ने शव के आने पर उसका परीक्षण किया तथा इस सम्बन्ध में पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की और हम सभी ने अपने हस्ताक्षर किये। पोस्टमार्टम रिपोर्ट एवं संलग्न दस्तावेजों पर संयुक्त प्रदर्श क – 33 डाला गया। बाहरी परीक्षण पर हमने पाया कि पीडिता के दॉये कन्धे पर पीछे की तरफ 8x5 सेमी० का Ecchymotic Patch मौजूद था। पीडिता के दॉये कन्धे पर मौजूद extravasation डाक्टर द्वारा गर्दन को स्थिर रखने के लिये लगाये गये सर्वाइकल कॉलर की वजह से सम्भव था। उसकी योनी में महावारी का खून मौजूद था । Hypostasis कमर पर मौजूद थी। मृत्यु उपरान्त अकडन चेहरे, गर्दन एवं भुजाओं पर मौजूद थी । गर्दन के सामने लिगेचर मार्क मौजूद था, जिसके ऊपर भूरे काले रंग का खुरन्ट मौजूद था । यह निशान टेंटुआ के नीचे मौजूद था एवं जबड़े के बॉयी तरफ से दी तरफ तक 15 सेमी0 तक था । खुरन्ट के नीचे सूखे हुये घाव के निशान मौजूद थे, निशान गर्दन के बीच में 07 सेमी0 चौडा था, बॉयी तरफ 05 सेमी0 चौडा था एवं दॉयी तरफ 06 सेमी० चौडा था । गर्दन के पीछे की तरफ कोई निशान मौजूद नहीं था। गर्दन के अन्दर अन्य कोई चोट मौजूद नहीं थी। सी - 6 हड्डी टूटी हुई थी, अन्य कुछ असामान्य नहीं था । मृत्यु का कारण गर्दन की हड्डी में चोट कुन्द आघात / blunt trauma द्वारा एवं उसके पश्चातवर्ती परिणाम (Sequelae) था। गर्दन पर मौजूद लिगेचर का निशान गला घोंटने के प्रयास से हुआ था किन्तु मृत्यु का कारण नहीं था। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि यह सही है कि मृतका की गर्दन के पीछे की ओर कोई भी स्ट्रैगुलेशन का चिन्ह मौजूद नहीं था। हमने परीक्षण के दौरान पाया कि सी-6 की इंजरी सिंगल झटके के इम्पैक्ट से आयी होगी। पीडिता के शरीर पर पाये [ १५३ ]153 गये Ligature mark blunt object से सम्भव नहीं है। यह सही है कि अगर दुपट्टे से स्ट्रैगुलेशन किया जायेगा तो लिगेचर मार्क गर्दन के चारो ओर आयेगा और उसमें कोई गैप नहीं होगा। अगर पूर्ण रूप से स्ट्रैंगुलेशन किया जाये तो निशान around the neck आयेगा इस प्रकरण में स्ट्रैंगुलेशन पीडिता की मृत्यु का कारण नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रदर्श क – 33 में मृत्यु का कारण स्पष्ट एवं अन्तिम नहीं दिया गया है तथा बिसरा रिपोर्ट के आने तक के लिये स्थगित रखा गया है। यह सही है कि मृतका के पीठ पर Hypostasis मृत्यु पूर्व नहीं होंगे अपितु मृत्यु पश्चात ही आये होंगे । इस प्रकार पीडिता की चिकित्सा के सम्बन्ध में पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखीय व मौखिक साक्ष्य से यह परिलक्षित होता है कि पीडिता के चिकित्सीय परीक्षण एवं यौन हमले से सम्बन्धित चिकित्सीय परीक्षण में पीडिता के साथ बलात्कार होने से सम्बन्धित कोई चोट अथवा चिन्ह पीडिता के जननांगों पर नहीं पाया गया है और किसी भी डाक्टर अथवा नर्स ने अपने बयान में बलात्कार से सम्बन्धित कोई साक्ष्य पाये जाने का कथन भी नहीं किया है। पत्रावली के अवलोकन से यह भी विदित है कि पीडिता का मृत्युपूर्व बयान दर्ज करने वाले नायब तहसीलदार, तहसील कोल, जिला अलीगढ़, जो अभियोजन पक्ष की ओर से पी0डब्लू0 – 6 के रूप में परीक्षित हुये हैं, ने अपने सशपथ बयान में यह कथन किया है कि तत्कालीन एस. डी. एम. के आदेश पर दिनांक 22.09.2020 को शाम को 05:00 बजे करीब मैं अस्पताल पहुंचा था। वहाँ सी.एम.ओ. अजीम मलिक से मुलाकात की तथा उन्हें अपना परिचय दिया तब उन्होंने एक गोपनीय मेमो मृत्युपूर्व बयान दर्ज करने के सम्बन्ध में दिया और मैं, सी. एम. ओ. साहब के साथ पीडिता के वार्ड में पहुंचा। वहाँ 04-5 बेड थे और पीडिता एवं अन्य मरीजों के परिवारजन मौजूद थे, जिन्हें डाक्टर साहब ने बाहर कर दिया था। इसके बाद मैंने, पीडिता से बातचीत की व अपना परिचय दिया। उसको बताया कि मैं एक मजिस्ट्रेट हॅू और आपका बयान दर्ज करने आया हूँ। आपका बयान गोपनीय रखा जायेगा, आप निश्चिन्त होकर अपनी बात बता सकती हो । मेरे द्वारा दिनांक 22.09.2020 को समय 05:40 पी.एम. पर पीडिता का मृत्युपूर्व बयान दर्ज किया गया । डा० अजीम मलिक सी. एम. ओ. द्वारा गवाह के होश में होने एवं बयान के दौरान होश में रहने के सम्बन्ध में प्रमाण पत्र अपने मोहर व हस्ताक्षर के साथ उसी दिन लगाये गये थे, जिनकी मैं शिनाख्त करता हूँ। उन्होंने मेरे समक्ष ही हस्ताक्षर किये थे व प्रमाण पत्र लिखा था । [ १५४ ]154 बयान हिन्दी में है, मेरे द्वारा अपने हस्तलेख में लिखा गया था, जिसकी मैं शिनाख्त करता हूँ। लिखने के बाद पीडिता के अंगूठे का निशान लगवाया गया था। पीडिता द्वारा उस दिन दिया गया बयान मैंने हू-बहू शब्द ब शब्द दर्ज किया था तथा पीडिता को भी पढकर सुनाया था, उसने सुनकर बयान की तस्दीक की थी। बयान पर प्रदर्श क – 15 डाला गया। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि यह सही है कि मुझे तत्कालीन एस.डी.एम. कोल द्वारा मौखिक निर्देश फोन द्वारा डी.डी. लिखे जाने हेतु दिया गया था। यह सही है कि मृत्युपूर्व बयान लिखने के लिये मैंने मेमो जे०एन०एम०सी० मेडिकल कालेज जाकर स्वयं प्राप्त किया था। मैंने, पीडिता को शपथ दिलाकर बयान लिया था। मृतका ने अपने मृत्युपूर्व बयान में सभी अभियुक्तों की वल्दीयत, उम्र व जाति भी बतायी थी। मुझे, मृतका ने रवि की वल्दीयत अत्तन बतायी थी । कोष्ठक लगाने को कहा था या नहीं कहा था, ध्यान नहीं है। मृत्युपूर्व बयान में लडके और आदमी के बीच में जो (/) चिन्ह अंकित है, वह भी मृतका ने अपने बयान में नहीं बताया था। मैंने स्वयं लगा लिया था। मुझे यह ध्यान नहीं है कि शब्द रामवीर सिंह के आगे जो कोष्ठक में थाने में चौकीदार अंकित किया गया है, वह कोष्ठक मृतका ने अपने बयान में बताया या नहीं। मृतका के इस बयान में उसके साथ किसी भी अभियुक्त द्वारा बलात्कार किये जाने का कोई उल्लेख नहीं है। यह भी सही है कि मृतका का मृत्युपूर्व बयान लिखे जाने के पश्चात् डाक्टर द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र के उपरान्त भी उसका अंगूठा निशानी नहीं लिया गया। यह सही है कि मृत्युपूर्व बयान प्रदर्श क-15 में मृतका के बयान की अन्तिम दो लाईनें कागज के आधे भाग में लिखी हुई हैं, पूरे पेज पर नहीं हैं। अन्तिम दो लाईनों के आगे आधे पृष्ठ में मृतका का अंगूठा लगा है इसलिए मैंने अन्तिम लाईन से पूर्व लाईन आधा पेज के पश्चात् पेज के शुरू से प्रारम्भ की। यह सही है कि उपरोक्त मृत्युपूर्व बयान प्रदर्श क – 15 को लिखने के पश्चात् मौके पर ही सील नहीं किया था। यह भी सही है कि यह बयान प्रदर्श क–15 मैंने अस्पताल से बिना सील किये हुये अपने आफिस ले जाकर अपने आफिस में सील किया था। यह भी सही है कि मृत्युपूर्व बयान मैंने लिखने तथा अपने कार्यालय जाकर सील करने के उपरान्त उसी दिन न्यायालय को सम्प्रेषित नहीं किया। प्रदर्शक – 15 मैंने, मृतका का मृत्युपूर्व बयान अंकित किये जाते समय ही तैयार नहीं किया था बल्कि बाद में सी. एम. ओ. साहब के आफिस में तैयार किया था। जिस समय प्रदर्श क-15 तैयार किया गया था, उस समय वहाँ मृतका नहीं थी। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू0 - 21 डा० अजीमुद्दीन ने अपने सशपथ [ १५५ ]155 बयान में यह कथन किया है कि इस प्रकरण में मृत्युपूर्व बयान प्रदर्श क-15 मेरी देखरेख में दर्ज हुआ था, जो आज मेरे सामने मौजूद है। इस बयान में शुरू की तीन लाईनें काले पेन की लिखी हुई हैं, मेरे हस्तलेख में हैं तथा यह इस बात को दर्शाता है कि बयानकर्ता बयान देने के लिये होश में था। इस प्रमाण पत्र के बाद मैंने हस्ताक्षर किये थे, जिन्हें पूर्व में 'बी' बिन्दु से चिन्हित किया जा चुका है, की शिनाख्त करता हूँ। इसके उपरान्त मजिस्ट्रेट द्वारा पीडिता का मृत्युपूर्व बयान अपने हस्तलेख में दर्ज किया गया। इस कार्यवाही के बाद मैंने बयानकर्ता मरीज को देखकर दूसरा सर्टिफिकेट अंगूठे के निशान के नीचे बनाया, जिस पर मैंने यह लिखा कि बयान के दौरान पीडिता होश में थी। मेरे बाद वाले सर्टिफिकेशन और हस्ताक्षर काले पेन से मेरे हस्तलेख में लिखा हुआ है, जिसकी मैं शिनाख्त करता हूँ। इस साक्षी ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि दिनांक 14.09.2020 को डा० सायमा व डा० अरूण ने हिस्ट्री शीट में यह अंकित किया था कि मरीज या उसके परिजन ने यौन उत्पीडन के बारे में नहीं बताया था । दिनांक 22.09.2020 को मुझे यह नहीं लगा था कि पीडिता मरणासन्न अवस्था में है व उसकी मृत्यु हो सकती है। पीडिता का बयान जो मजिस्ट्रेट के हस्तलेख में लिखा हुआ है, उसकी लाईन स्पेसिंग के अन्तर के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू0 – 35 श्रीमती सीमा पाहूजा ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कथन किया है कि मनीष कुमार अपने बयान दिनांकित 01.11.2020 में यह बताया था कि उसी समय एक सादे कागज पर बयान लिखने की जगह छोडकर ऊपर वाले हिस्से में डाक्टर साहब ने वैरीफिकेशन किया और बीच में काफी जगह छोडकर नीचे पीडिता के अंगूठे का निशान लगा लिया . . . . . यह कागज लेकर मैं, सी. एम. ओ. साहब की आफिस में चला गया । मेरी डायरी में मैंने विवरण लिखा था, उस हिसाब से आराम से बैठकर बयान को पूरा लिखा था। मैंने मृत्युपूर्व बयान मौके पर सील नहीं किया। मनीष कुमार ने अपने इसी बयान में यह भी बताया था कि बयान में पीडिता ने बलात्कार होने का जिक्र नहीं किया था, सिर्फ यह बताया था कि उसकी माँ ने बाद में बताया कि उसकी सलवार निकली हुई थी। यह सही है कि प्रदर्श क— 32 Internal medical examination व प्रदर्श क – 15 Dying declaration एक ही दिन तैयार किये गये हैं । भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 32 में यह उपबन्धित है कि वे दशाएं जिनमें उस व्यक्ति द्वारा सुसंगत तथ्य का किया गया कथन सुसंगत है, जो मर गया है या मिल नहीं सकता, इत्यादि- सुसंगत तथ्यों [ १५६ ]52. 156 के लिखित या मौखिक कथन, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा किये गये थे, जो मर गया है या मिल नहीं सकता है या जो साक्ष्य देने के लिये असमर्थ हो गया है या जिसकी हाजिरी इतने विलम्ब या व्यय के बिना उपाप्त नहीं की जा सकती, जितना मामले की परिस्थितियों में न्यायालय को अयुक्तियुक्त प्रतीत होता है, निम्नलिखित दशाओं में स्वयमेव सुसंगत हैं- - ( 1 ) जबकि वह मृत्यु के कारण से सम्बन्धित है जबकि वह कथन किसी व्यक्ति द्वारा अपनी मृत्यु के कारण के बारे में या उस संव्यवहार की किसी परिस्थिति के बारे में किया गया है जिसके फलस्वरूप उसकी मृत्यु हुई, तब उन मामलों में, जिनमें उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण प्रश्नगत हो । ऐसे कथन सुसंगत हैं चाहे उस व्यक्ति को, जिसने उन्हें किया है, उस समय जब वे किये गये थे मृत्यु की प्रत्याशंका थी या नहीं और चाहे उस कार्यवाही की, जिसमें उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण प्रश्नगत होता है, प्रकृति कैसी ही क्यों न हो। के कारण इस प्रकरण में “पीडिता” द्वारा दिये गये सभी बयान अपनी मृत्यु के बारे में और उस संव्यवहार की परिस्थिति के बारे में, जिसके परिणाम स्वरूप “पीडिता” की मृत्यु हुई है, "पीडिता' द्वारा किये गये हैं। इस प्रकरण में “पीडिता' की मृत्यु का कारण प्रश्नगत है, जिस कारण "पीडिता' के सभी बयान धारा 32 (1) दं०प्र०सं० में परिभाषित मृत्युकालीन बयान की श्रेणी में आते हैं और यह बात अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता एवं अभियोजन की ओर से भी बहस के समय स्वीकार की गयी है तथा अभियुक्तगण एवं अभियोजन दोनों पक्षों ने सभी विडियोज पर भी विश्वास व्यक्त किया है। यह अविवादित है कि पीडिता / मृतका एक अनुसूचित जाति की लडकी थी तथा अभियुक्तगण सवर्ण हैं। पीडिता व उसका परिवार एवं अभियुक्तगण एक ही गाँव बूलगढ़ी के निवासी हैं और निकट पडोसी हैं तथा ये सभी एक-दूसरे को भली-भाँति जानते व पहचानते हैं । पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखीय व मौखिक साक्ष्य से प्रकट है कि घटना की सर्वप्रथम तहरीर पी0डब्लू० – 1 वादी मुकदमा सतेन्द्र कुमार द्वारा थाना चन्दपा पर दी गयी, जिसके आधार पर थाना चन्दपा पर प्रथम सूचना रिपोर्ट मुकदमा अपराध संख्या 136 / 2020, अन्तर्गत धारा 307 भा०दं०सं० दर्ज हुई। उसके पश्चात् पीडिता को बागला जिला अस्पताल ले जाया गया, जहाँ से पीड़िता की गम्भीर हालत होने के कारण उसे जे०एन०एम०सी० अलीगढ रेफर किया गया । [ १५७ ]157 दिनांक 14.09.2020 को लगभग 04:00 बजे शाम पीडिता को जे०एन०एम०सी० अलीगढ में भर्ती कराया गया, जहाँ पीडिता का चिकित्सीय परीक्षण हुआ। पीडिता के गले पर चोट के निशान एक लिगेचर मार्क 5x2 सेमी०, जो गले के बीच से 02 सेमी0 बॉये की तरफ से शुरू हो रहा था । दूसरा लिगेचर मार्क 10x3 सेमी0 का था, वह गर्दन में बीच से शुरू होकर गर्दन के सीधी ओर जा रहा था, जो कान के निचले हिस्से से 07-8 सेमी0 नीचे था, पाये गये। दिनांक 28.09.2020 को पीडिता की गम्भीर स्थिति को देखते हुये, जे०एन०एम०सी० अलीगढ से उसे दिल्ली रेफर किया गया। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उपचार के दौरान दिनांक 29.09.2020 की सुबह पीडिता की मृत्यु हो गयी । पीडिता के पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अवलोकन से विदित होता है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पीडिता की गर्दन पर सामने लिगेचर मार्क मौजूद था । यह निशान टेंटुऐ के नीचे मौजूद था एवं जबड़े की बॉयी तरफ से दॉयी तरफ तक 15 सेमी० तक था । खुरन्ट के नीचे healed area (सूखा हुआ घाव ) के निशान मौजूद थे। निशान गर्दन के बीच में 07 सेमी0 चौडा था, बॉयी तरफ 05 सेमी0 चौडा था एवं दॉयी तरफ 06 सेमी चौडा था । गर्दन के पीछे की तरफ कोई निशान मौजूद नहीं था। गर्दन के अन्दर अन्य कोई चोट मौजूद नहीं थी। सी - 6 हड्डी टूटी हुई थी, अन्य कुछ असामान्य नहीं था । अब यह देखा जाना है कि दिनांक 14.09.2020 को घटना जिस प्रकार से अभियोजन द्वारा बताया गया है, उस प्रकार से कारित की गयी अथवा नहीं। यह अविवादित है कि पीडिता की मृत्यु स्वभाविक नहीं थी बल्कि असामान्य थी। अब यह देखा जाना है कि पीड़िता के गले में पडे दुपट्टे से पीडिता का गला किसने दबाया। पी0डब्लू० – 1 सतेन्द्र कुमार घटना का चक्षुदर्शी साक्षी नहीं है। इस साक्षी ने बताया है कि मेरे व मेरी मम्मी के सामने मेरी बहन पीडिता ने गुड्डू का लडका सन्दीप का नाम लिया था। पी0डब्लू0-17 पीडिता की मॉ रामा देवी का भी कथन है कि सबसे पहले पीडिता ने गुड्डू के लडके सन्दीप का नाम बताया। बाद में इस साक्षी का यह कथन है कि घटना के दो-तीन दिन बाद इस साक्षी को पीडिता ने चार अभियुक्तगण सन्दीप, रवि, रामू व लवकुश के घटना में संलिप्त होने की बात बतायी तथा यह भी बताया कि चारो अभियुक्तगण ने उसके साथ बलात्कार किया है। प्रस्तुत मामले में जब पीडिता का भाई सतेन्द्र व पीडिता की मॉ रामा देवी, पीडिता को थाना चन्दपा ले गये तो वहाँ पत्रकारों पी0डब्लू० - 2 गोविन्द कुमार शर्मा व पी0डब्लू – 30 विनय शर्मा ने पीडिता व उसकी माँ के विडियों बनाये और उनसे पत्रकारों व पुलिस [ १५८ ]158 अधिकारियों ने पूछताछ की, जो वस्तु प्रदर्श – 8 व वस्तु प्रदर्श - 21 है। थाना चन्दपा पर भी पीडिता ने केवल एक अभियुक्त सन्दीप का नाम बताया है तथा बलात्कार होने का कोई कथन नहीं किया है। वस्तु प्रदर्श - 8 के सम्बन्ध में पी0डब्लू0 – 1 सतेन्द्र कुमार का न्यायालय में दिये गये बयान में यह कथन है कि इस विडियों में पीडिता बोल रही है और पुलिस अधिकारी द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब दे रही है। इस विडियों में मेरी मॉ रामा देवी भी दिखायी दे रही है, जो घटना के सम्बन्ध में बता रही है। पी0डब्लू० – 2 गोविन्द कुमार शर्मा ने न्यायालय में दिये अपने बयान में यह कथन किया है कि मेरे बनाये गये विडियो में पीडिता भली-भाँति बोल रही है एवं उसकी आवाज साफ है। पीडिता होश में है तथा बेहोश नहीं है और हर पूछे गये प्रश्नों का सटीक जवाब दे रही है। पी0डब्लू0 – 30 विनय शर्मा ने न्यायालय में दिये अपने बयान में यह कथन किया है कि विडियो बनाते समय पीडिता वहाँ मौजूद थी तथा बोल रही थी। उस समय पीडिता व पीडिता की माँ ने कोई बलात्कार या सामूहिक बलात्कार की बात नहीं बतायी थी। पीडिता उस समय बेहोश नहीं थी, होश में थी तथा पूछे गये प्रश्नों का सटीक उत्तर दे रही थी। थाना चन्दपा से चिट्ठी मजरूबी के साथ पीडिता को उपचार हेतु बागला जिला अस्पताल हाथरस लाया गया। वहाँ पत्रकार पी0डब्लू0–3 रवि कुमार द्वारा पीडिता की विडियों बनाते हुये पूछताछ की गयी, जो वस्तु प्रदर्श - 10 है। वहाँ भी पीडिता ने सिर्फ एक ही अभियुक्त सन्दीप का नाम लिया है तथा बलात्कार होने का कोई कथन नहीं किया है । वस्तु प्रदर्श-10 के सम्बन्ध में भी पी0डब्लू0 – 1 सतेन्द्र कुमार ने अपने बयान में यह स्वीकार किया है कि इस विडियों में मेरी बहन पीडिता है, जो होश में है, बोल रही है तथा उससे मारपीट करने वाला का नाम सन्दीप बता रही है। मारपीट में सन्दीप के अलावा किसी और का नाम नहीं बताया है। इस विडियो में पीडिता ने अपने साथ दुष्कर्म के बारे में कोई बात नहीं कही है। पी0डब्लू0–3 पत्रकार रवि कुमार का न्यायालय में दिये अपने बयान में कथन है कि इस सी०डी० में पीडिता बोल रही है, होश में है। प्रश्नों के सटीक जवाब दे रही है तथा एक ही नाम सन्दीप बता रही है। पीडिता ने इस विडियो में बलात्कार या सामूहिक बलात्कार का आरोप नहीं लगाया है। पीडिता के जे०एन०एम०सी० अलीगढ में उपचार के दौरान दिनांक 19.09.2020 को पी0डब्लू0–5 महिला आरक्षी कु० रश्मि द्वारा पीडिता का बयान अन्तर्गत धारा 161 दं०प्र०सं० दर्ज किया गया, जो प्रदर्श क – 14 है। बयान के समय पीडिता का विडियो भी बनाया गया है, जो वस्तु प्रदर्श- 11 है। पीडिता ने इस बयान यह कहा है कि सन्दीप [ १५९ ]159 ने दुपट्टे से मेरा गला दबा दिया, गला दबाने से पहले छेडखानी की। इस बयान में भी पीडिता ने बलात्कार होने का कथन नहीं किया है। पी0डब्लू0–5 कु० रश्मि ने न्यायालय में दिये अपने बयान में यह कथन किया है कि पीडिता अपना बयान दर्ज कराते हुये पूरे होशो-हवाश में थी व पूछे गये सवालों का स्वयं जवाब दे रही थी। प्रदर्श क-14 के लिखे जाने के दौरान पीडिता ने अभियुक्त सन्दीप के अलावा अन्य किसी व्यक्ति का हमलावर के तौर पर नाम नहीं लिया। इसके पश्चात् दिनांक 22.09.2020 को उपचार के दौरान जे०एन०एम०सी० अलीगढ में ही पी0डब्लू0 – 7 मुख्य आरक्षी सरला देवी द्वारा पीडिता का बयान अन्तर्गत धारा 161 दं०प्र०सं० दर्ज किया गया, जो प्रदर्श क– 16 है। प्रदर्श क – 16 लिखने के पश्चात् विडियो वस्तु प्रदर्श- 14 बनायी गयी, प्रदर्श क–16 में पीडिता ने कहा है कि सन्दीप, रामू, लवकुश व रवि ने मेरे साथ बलात्कार किया था। सन्दीप ने बलात्कार किया और मेरा गला दुपट्टे से दबाया। मैं बेहोश हो गयी। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू0 - 7 सरला देवी ने न्यायालय में दिये अपने बयान में यह कथन किया है कि पीडिता से पूछने पर उसने बताया कि मैं और मेरी मम्मी चारा लेने खेत में गये थे, वहाँ पर चार लडके सन्दीप, रामू, लवकुश व रवि ने मुझे पकड लिया और मेरे साथ बलात्कार किया। पीडिता का बयान लिये जाते समय पीडिता की मॉ, पीडिता के पास मौजूद थी। जब विडियो बनायी गयी थी तब पीडिता ने केवल तीन अभियुक्तों के नाम बताये थे रवि, रामू और लवकुश। उसके बाद मैंने पीडिता से चौथे व्यक्ति का नाम पूछा तो उसने फिर से रवि और रामू बताया था। पीछे से पेशकार ने सन्दीप का नाम लेकर पीडिता से पूछने के लिये बोला तो फिर मैंने पूछा कि सन्दीप भी था क्या । इसके बाद लड़की ने सन्दीप का नाम लिया था। इसके पश्चात् पी0डब्लू0 – 6 नायब तहसीलदार मनीष कुमार ने पीडिता का बयान दर्ज किया, जो प्रदर्श क – 15 है। प्रदर्श क-15 में पीडिता ने यह कथन किया है कि मेरी गर्दन में पडे दुपट्टे से सन्दीप ने कसकर पकडकर मेरी गर्दन को दबाते हुये पीछे की तरफ मुझे खींचा और रामू, लवकुश व रवि मिलकर मुझे बाजरा के खेत में घसीट ले गये। मेरे दुपट्टे मेरी गर्दन इतनी कसके जकड दी कि मेरी आवाज ही नहीं निकल रही थी और कुछ ही देर में मैं बेहोश हो गयी। काफी देर बाद मेरी मम्मी मुझे ढूंढते हुये आयी तो मैं, उन्हें बेहोशी अवस्था में सलवार उतरी हुई, बाजरा के खेत में पड़ी मिली। पीडिता ने अपने इस बयान में बलात्कार होने का कथन नहीं किया है। इस बयान के पहले व बाद में जे०एन०एम०सी० अलीगढ के डा० अजीम मलिक द्वारा यह प्रमाण पत्र दिया गया [ १६० ]160 है कि पीडिता बयान देने से पहले व बयान देते समय अपने होशो-हवाश में थी। पी0डब्लू0 – 6 मनीष कुमार ने भी न्यायालय में दिये अपने बयान में यह कथन किया है कि पीड़िता के इस बयान में उसके साथ किसी भी अभियुक्त द्वारा बलात्कार किये जाने का कोई उल्लेख नहीं है । अविवादित रूप से पीडिता के साथ अपराध होते हुये किसी ने नहीं देखा। स्पष्ट है कि घटना का कोई चक्षुदर्शी साक्षी नहीं है क्योंकि पी0डब्लू0–1 सतेन्द्र कुमार, जो पीडिता का भाई है, उसने भी अपनी साक्ष्य में स्वीकार किया है कि घटना उसने नहीं देखी और पी0डब्लू0 - 17 रामा देवी, पीडिता का माँ ने भी स्वीकार किया है कि उसने घटना के बारे में जो बताया है वह अपनी बेटी (पीडिता) के बताने पर ही बताया है। इस मामले में पीडिता ने सबसे पहले बयान थाना चन्दपा में पत्रकारों पी0डब्लू० – 2 गोविन्द कुमार शर्मा व पी0डब्लू0 – 30 विनय शर्मा के सामने दिया, जो वस्तु प्रदर्श – 8 व वस्तु प्रदर्श - 21 है। उसके बाद बागला जिला अस्पताल हाथरस में पत्रकार पी0डब्लू0 – 3 रवि कुमार ने पीडिता का विडियो बनाया, जो वस्तु प्रदर्श - 10 है। उसके बाद जे०एन०एम०सी० अलीगढ़ में भर्ती करने के बाद दिनांक 19.09.2020 को आरक्षी कु० रश्मि पी0डब्लू० –5 ने पीडिता का बयान अंकित किया, जो प्रदर्श क-14 है। उसके बाद दिनांक 22.09.2020 को मुख्य आरक्षी सरला देवी ने पीड़िता का बयान लिया, जो प्रदर्श क-16 है तथा इसके पश्चात् दिनांक 22.09.2020 को ही पी0डब्लू0 – 6 नायब तहसीलदार मनीष कुमार ने पीडिता का बयान प्रदर्शक - 15 दर्ज किया। पीडिता की इलाज के दौरान दिनांक 29.09.2020 को मृत्यु हो गयी। इस प्रकरण में पीड़िता की मृत्यु का कारण प्रश्नगत है इसलिए पीडिता के द्वारा दिये गये उपरोक्त बयान धारा 32 ( 1 ) भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अन्तर्गत मृत्युकालिक बयान की श्रेणी में आते हैं। अभियुक्तगण की ओर से दिया गया यह तर्क कि घटना का समय निश्चित नहीं है। क्योंकि इस केस में पीडिता के अतिरिक्त कोई चक्षुदर्शी साक्षी नहीं है इसलिए पीडिता के परिवार वालों ने घटना का क्या समय बताया वह सुसंगत नहीं रह जाता है। अभियोजन कथानक के अनुसार, पीडिता के पास सबसे पहले उसकी मॉ रामा देवी पहुंची। रामा देवी के अनुसार पीडिता ने सबसे पहले उसे यह बताया कि गुड्डू का पुत्र सन्दीप । इसके पश्चात् यह लोग थाना चन्दपा पर आये । जहाँ पी0डब्लू0-2 गोविन्द कुमार शर्मा के अनुसार उसने, पीडिता का विडियो बनाया, जिसमें पीडिता ने केवल एक अभियुक्त सन्दीप द्वारा चोट पहुंचाना बताया है और बलात्कार होने का कोई कथन नहीं किया है, जो वस्तु प्रदर्श – 8 है। इस बात [ १६१ ]161 को वादी मुकदमा पी0डब्लू० – 1 सतेन्द्र कुमार व पी0डब्लू0 - 17 रामा देवी ने स्वीकार किया है कि पीडिता की विडियो, जिसमें वह होश में थी और सटीक जवाब दे रही थी। इसके पश्चात् बागला जिला अस्पताल हाथरस में पत्रकार रवि कुमार ने विडियो बनायी । इसे भी पी0डब्लू0 – 1 सतेन्द्र कुमार व पी0डब्लू0 – 17 रामा देवी ने स्वीकार किया है। इसके पश्चात् जे०एन०एम०सी० अलीगढ में पीडिता को भर्ती किया गया, जहाँ पी0डब्लू०-5 कु० रश्मि ने उसका बयान लिया, जिसमें पीडिता ने बताया कि सन्दीप ने दुपट्टे से गला दबा दिया। पीडिता ने इस बयान में बलात्कार की कोई घटना नहीं बतायी। मृत्युकालिक बयान के सन्दर्भ में विधि का सुस्थापित सिद्धान्त है कि यदि मृत्युकालिक बयान स्वेच्छा से दिया जाना तथा विश्वसनीय होना साबित होता है तो मात्र मृत्युकालिक बयान के आधार पर अभियुक्त की दोषसिद्धि की जा सकती है। खुशाल राव बनाम् बाम्बे राज्य, 1958 एस. सी. आर. में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अवधारित किया है कि ऐसा कोई कानून का नियम या सिद्धान्त नहीं है कि मृत्युकालिक कथन बिना किसी सम्पोषण के दोषसिद्धि का आधार नहीं हो सकता । यदि कोई कथन सच्चा है और स्वेच्छा से दिया गया है तो उसे किसी सम्पोषण की आवश्यकता नहीं । इस केस में माननीय न्यायालय ने यह भी अवधारित किया है कि न्यायालय को इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि मृत्युकालिक बयान के अन्तर्गत किये गये कथन एक समान अथवा नहीं, बार-बार कथन का बदलना उसकी विश्वसनीयता को खत्म करता है और उसे अविश्वसनीय बनाता है । यह देखा जाना चाहिये कि कथन अपराध के बाद यथाशीघ्र किया गया हो और उसे पढाने सिखाने का अवसर किसी को न मिला हो । पी. एस. पटेल बनाम् गुजरात राज्य, एस. सी.सी. 1991 पेज-744 में भी माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अवधारित किया है कि अकेले मृत्युकालीन बयान के आधार पर ही दोषसिद्धि हो सकती है । पीडिता ने दिनांक 22.09.2020 को मुख्य आरक्षी सरला देवी को दिये अपने बयान में अभियुक्त सन्दीप द्वारा दुपट्टे से गला दबाना तथा चारो अभियुक्तगण सन्दीप, रामू, लवकुश व रवि द्वारा बलात्कार किया जाना बताया है। इसके पश्चात् पी0डब्लू० – 6 नायब तहसीलदार मनीष कुमार द्वारा लिये गये बयान चारो अभियुक्तगण के नाम बताये हैं तथा सन्दीप के द्वारा दुपट्टे से गला दबाते हुये पीछे की तरफ खींचना और चारो अभियुक्तगण द्वारा बाजरा के खेत में घसीटकर ले जाना बताया है परन्तु बलात्कार किये जाने का कथन नहीं किया है T [ १६२ ]162 पत्रकारों द्वारा थाना चन्दपा एवं बागला जिला अस्पताल हाथरस में पीडिता के विडियो घटना की तिथि दिनांक 14.09.2020 को ही बनाये गये हैं तथा महिला आरक्षी कु० रश्मि द्वारा पीडिता का बयान घटना के पाँच दिन बाद दिनांक 19.09.2020 को लिया गया है। यदि वास्तव में पीडिता के साथ घटना चार व्यक्तियों द्वारा की गयी होती तथा उसके साथ बलात्कार भी किया गया होता तो वह घटना की तिथि पर पत्रकारों को दिये गये अपने बयान में चारो अभियुक्तगण का नाम बताती और बलात्कार के बारे में भी बताती। घटना के पाँच दिन महिला आरक्षी कु० रश्मि को दिये अपने बयान में भी उसने एक ही अभियुक्त सन्दीप का नाम बताया तथा बलात्कार की कोई घटना नहीं बतायी है इसलिए दिनांक 22.09.2020 को पी0डब्लू0 – 7 सरला देवी एवं पी0डब्लू0 – 6 नायब तहसीलदार मनीष कुमार के सामने, जो पीडिता ने चार अभियुक्तण के नाम बताये हैं, उनमें अभियुक्त सन्दीप के अतिरिक्त तीन अन्य अभियुक्तगण के नाम घटना कारित करने वालों में विश्वसनीय होना नहीं कहा जा सकता और न ही पीडिता के साथ बलात्कार होने का कथन विश्वसनीय कहा जा सकता है क्योंकि सरला देवी के द्वारा पीडिता का बयान लेने के बाद शाम को उसी दिन नायब तहसीलदार मनीष कुमार द्वारा पीडिता का बयान लिया गया है। पीडिता ने इस बयान में अपने साथ बलात्कार होने का कथन नहीं किया है। इसके अतिरिक्त यह भी महत्वपूर्ण है कि पीडिता के किसी भी चिकित्सीय परीक्षण में उसके साथ बलात्कार होना अंकित नहीं किया गया है। एम०आई०एम०बी० की टीम ने भी पीडिता के साथ बलात्कार होने की पुष्टि नहीं की है। दूसरे अविवादित रूप से यह घटना होने के बाद घटना राजनैतिक रूप ले चुकी थी तथा पीडिता के परिवार वालों से बहुत से लोग मिलने आ रहे थे और पीडिता के परिवारजन, पीडिता से मिल रहे थे इसलिए इस सम्भावना को नकारा नहीं जा सकता कि अन्य लोगों अथवा अपने परिवारजन के सिखाये पढाये जाने पर अभियुक्त सन्दीप के अतिरिक्त अन्य अभियुक्तगण के नाम घटना के आठ दिन बाद पी0डब्लू0 - 7 मुख्य आरक्षी सरला एवं पी0डब्लू0 - 6 नायब तहसीलदार मनीष कुमार को दिये गये अपने बयान में पीडिता द्वारा बताये गये । पीडिता की मॉ ने, जो अपने बयान में यह कहा है कि पीडिता ने घटना के दो-तीन दिन बाद चारो अभियुक्तगण के नाम बता दिये थे और अपने साथ बलात्कार होने का कथन किया था। यह साक्ष्य इसलिये अविश्वसनीय है क्योंकि घटना के पाँच दिन बाद दिनांक 19.09.2020 को महिला आरक्षी कु० रश्मि ने उसका बयान लिया, जिसमें पीडिता ने सिर्फ एक अभियुक्त सन्दीप का नाम बताया और [ १६३ ]163 बलात्कार की बात नहीं बतायी । माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विधि निर्णय कामेश्वर सिंह बनाम् बिहार राज्य व अन्य, 2018 ( 2 ) सी. सी. एस. सी. 896 (एस.सी.) में यह अवधारित किया गया है कि "एक चीज में मिथ्या तो प्रत्येक चीज में मिथ्या” का सिद्धान्त भारत में लागू नहीं होता। शायद ही कोई ऐसा साक्षी हो, जिसकी साक्ष्य में असत्यता का अंश न हो अथवा अतिश्योक्ति, अलंकार अथवा सुधार न हो । न्यायालय का यह कर्तव्य है कि वह किसी साक्षी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य की सावधानीपूर्वक समीक्षा करे तथा भूसे से गेंहूँ को अलग करने की तरह कार्य करे। विधि निर्णय सुच्चा सिंह व अन्य बनाम् पंजाब राज्य, 2003 (7) एस. सी. सी. 643 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह अवधारित किया गया है कि जहाँ सारतत्व को व्यर्थ से अलग किया जा सकता है वहाँ न्यायालय किसी अभियुक्त को इस तथ्य के होते हुये भी दोषसिद्ध करने के लिये स्वतन्त्र होगा कि उसी साक्ष्य को अन्य अभियुक्त व्यक्तियों को दोषी साबित करने के लिये अपर्याप्त माना गया है। "एक चीज में मिथ्या तो प्रत्येक चीज में मिथ्या' का सिद्धान्त भारत में लागू नहीं होता। इसलिए पीडिता की मॉ पी0डब्लू0 - 17 रामा देवी का यह साक्ष्य कि दिनांक 14.09.2020 को उसने, पीडिता को बेहोशी की हालत में देखा और उसके गले में दुपट्टा बंधा था और पूछने पर उसने, गुड्डू के पुत्र सन्दीप का नाम बताया था। यह साक्ष्य विश्वसनीय क्योंकि पीडिता के चिकित्सीय प्रपत्रों तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उसके गले में लिगेचर मार्क पाया गया है व अन्य साक्षीगण पत्रकार पी0डब्लू0–2 गोविन्द कुमार शर्मा, पी0डब्लू0-30 विनय शर्मा व पी0डब्लू0 – 3 रवि कुमार, पी0डब्लू0 – 5 महिला आरक्षी कु० रश्मि के बयान में भी मात्र अभियुक्त सन्दीप के द्वारा घटना कारित करना बताया गया है। पीडिता ने इन सभी को दिये गये बयान में यह बताया है कि सन्दीप ने उसके गले में दुपट्टा डालकर खींचा था। पीडिता के इस बयान की पुष्टि पीडिता के चिकित्सीय परीक्षण रिपोर्ट से भी होती है तथा पीडिता का चिकित्सीय उपचार करने वाले डाक्टर पी0डब्लू0 – 18 डा० नैन्सी गुप्ता, पी0डब्लू0 – 16 डा० डालिया रफात व पी0डब्लू0 - 15 डा० फैयाज अहमद तथा पीडिता का पोस्टमार्टम करने वाले पी0डब्लू0 - 22 डा० गौरव वी. जैन के बयानों से भी होती है। यह भी उल्लेखनीय है कि पीडिता ने अपने प्रत्येक बयान में अभियुक्त सन्दीप द्वारा घटना कारित किये जाने का कथन किया है । उपरोक्त साक्ष्य के आधार पर यह बिना किसी सन्देह के पूर्णतः साबित हो जाता है कि दिनांक 14.09.2020 को अभियुक्त सन्दीप ने पीडिता के गले में पड़े [ १६४ ]164 दुपट्टे से उसे खींचा था, जिससे वह घटनास्थल पर बेहोश हो गयी थी तथा इलाज के दौरान दिनांक 29.09.2020 को पीडिता की मृत्यु हो गयी। पीडिता की गर्दन के सामने की ओर लिगेचर मार्क पाये गये, गर्दन के पीछे की ओर लिगेचर मार्क नहीं पाये गये। इस सम्बन्ध में पी0डब्लू0 - 20 डा० गौरव सिंह अभय का कथन है कि यह इंजरी Single impact से तथा Forceful jerk से आना सम्भव है। पी0डब्लू0–22 डा0 गौरव वी. जैन का कथन है कि यह सही है कि मृतका की गर्दन के पीछे की ओर कोई भी Strangulation का चिन्ह मौजूद नहीं था । हमने परीक्षण के दौरान पाया कि सी-6 की इंजरी सिंगल झटके के Impact से आयी होगी। यह सही है कि अगर दुपट्टे से Strangulation किया जायेगा तो लिगेचर मार्क गर्दन के चारो ओर आयेगा और उसमें कोई Gap नहीं होगा। अगर पूर्ण रूप से Strangulation किया जाये तो निशान All around the neck आयेगा । पी0डब्लू0 – 33 प्रो0 आदर्श कुमार चेयरमैन एम०आई०एम०बी० का भी कथन है कि एम0आई०एम०बी० की टीम ने मृतका की मृत्यु के सम्बन्ध में यह निश्चित मत दिया है कि सामान्यत: Strangulation के दौरान पीडिता की मृत्यु कुछ ही मिनटों में हो जाती है लेकिन इस केस में पीडिता की मृत्यु, जो उसकी गर्दन में जबरदस्त झटका लगने से उसकी Cervical में फैक्चर तत्पश्चात् होने वाली विविधताओं से हुई है, जो कि काफी विलम्ब से हुई है। यह सही है कि एम0आई0एम0बी0 की टीम ने यह निश्चित मत व्यक्त किया है कि सी - 6 की इंजरी sudden jerk से आना सम्भव है तथा वह डायरेक्ट चोट से आना सम्भव नहीं है। यह भी सही है कि पीडिता के शरीर पर आयी चोटों को मात्र एक व्यक्ति द्वारा ही पहुंचाये जाने की सम्भावना सबसे अधिक है। इस प्रकरण में पीडिता घटना के आठ दिन बाद तक बातचीत करती रही है और बोलती रही है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि अभियुक्त का आशय निश्चित रूप से ही पीडिता की हत्या करने का ही रहा था । इसलिये अभियुक्त सन्दीप का उपरोक्त कृत्य धारा 304 भाग - 1 मा०दं०सं० के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है, न कि धारा 302 भा0दं०सं० के अन्तर्गत | जहाँ तक अन्य अभियुक्तगण के विरूद्ध विरचित आरोप अन्तर्गत धारा 376, 376ए, 376डी व 302 भा०दं०सं० व धारा 3 ( 2 ) (v) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम व अभियुक्त सन्दीप के विरूद्ध धारा 376, 376ए, 376डी भा0दं०सं० के अन्तर्गत विरचित आरोप का प्रश्न है, उसके सम्बन्ध में मेरा विचार है कि साक्ष्य के उपरोक्त विवेचन में पीडिता के साथ बलात्कार होना साबित नहीं हुआ है तथा अभियुक्तगण रवि, रामू व लवकुश [ १६५ ]165 के द्वारा पीडिता के साथ कथित अपराध कारित किया जाना भी नहीं पाया गया है। इसलिये अभियुक्तगण रवि, रामू व लवकुश धारा 376, 376ए, 376डी, 302 मा०दं०सं० व धारा 3( 2 ) (v) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के दण्डनीय अपराध के आरोप से तथा अभियुक्त सन्दीप अन्तर्गत धारा 376, 376ए, 376डी भा0दं०सं० के आरोप से दोषमुक्त किये जाने योग्य है। परन्तु अभियोजन पक्ष द्वारा अभियुक्त सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू के विरूद्ध धारा 304 भाग -1 भा०दं० सं० तथा धारा 3 ( 2 ) (v) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम का अपराध सन्देह से परे • साबित किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 भाग-1 में आजीवन कारावास अथवा 10 वर्ष तक के कारावास के दण्ड का प्रावधान निहित है इसलिए अभियुक्त सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू का उक्त अपराध धारा 3 ( 2 ) (v) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अन्तर्गत भी दण्डनीय है । अतः सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 भाग – 1 सपठित धारा 3 ( 2 ) (v) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप में दोषसिद्ध किया जाता है। अभियुक्त सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू पूर्व से न्यायिक अभिरक्षा में है। पत्रावली, अभियुक्त सन्दीप सिसौदिया उर्फ चन्दू के दण्ड के बिन्दु पर सुनवाई हेतु लंच उपरान्त पेश हो। दिनांक:- 02.03.2023 ( त्रिलोक पाल सिंह ) (J.O. No.UP-6143) विशेष न्यायाधीश, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम, हाथरस।

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