संगीत-परिचय भाग १
रामावतार 'वीर'

दिल्ली: रामलाल पुरी, पृष्ठ २३

 


पाठ छठा



स्वर साधन विधि

स्वर साधन करते समय बालकों को निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिये:——
१—आलती पालती मारकर सीधे बैठें।
२—तान पूरे के स्वर के साथ कण्ठ मिलाकर गायें।
३—झुककर न बैठें।
४—गर्दन बहुत ऊँची न रखें।
५—गला फाड़कर या बहुत मुंह खोलकर न गायें।
६—दाँत भींचकर या नाक में न गायें।
७—शब्दों का उच्चारण शुद्ध करें।
८—गाते समय अपने चेहरे को बिगड़ने न दें।
९—खाना खाने के तुरन्त बाद न गायें।
१०—गाने के तुरन्त बाद ठण्डी वस्तुओं का सेवन न करे।
११—गाने के बाद गर्म दूध पीना अच्छा है।
१२—लाल मिर्च, खटाई और तेल की बनी हुई वस्तुओं का प्रयोग कम करे।