"पृष्ठ:हिंदी साहित्य का इतिहास-रामचंद्र शुक्ल.pdf/३०७": अवतरणों में अंतर

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{{Block center|<poem><small>दुंद देखि अरविंद बंदीखाने तें भगाने,
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{{gap}}पायक पुलिंद वै मलिंद मकरंद चोर॥</small></poem>}}
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'''(२८) सोमनाथ-'''ये माथुर ब्राह्मण थे और भरतपुर के महाराज बदनसिंह के कनिष्ठ पुत्र प्रतापसिंह के यहाँ रहते थे। इन्होंने संवत् १७६४ में ‘रसपीयूषनिधि' नामक रीति का एक विस्तृत ग्रंथ बनाया जिसमें पिंगल, काव्यलक्षण, प्रयोजन, भेद, शब्दशक्ति, ध्वनि, भाव, रस, रीति, गुण, दोष इत्यादि सब विषयों का निरूपण है। यह दासजी के काव्य-निर्णय से बड़ा ग्रंथ है। काव्यांग-निरूपण में ये श्रीपति और दास के समान ही है । विषय को स्पष्ट करने की प्रणाली इनकी बहुत अच्छी है ।
'''(२८) सोमनाथ-'''ये माथुर ब्राह्मण थे और भरतपुर के महाराज बदनसिंह के कनिष्ठ पुत्र प्रतापसिंह के यहाँ रहते थे। इन्होंने संवत् १७६४ में ‘रसपीयूषनिधि' नामक रीति का एक विस्तृत ग्रंथ बनाया जिसमें पिंगल, काव्यलक्षण, प्रयोजन, भेद, शब्दशक्ति, ध्वनि, भाव, रस, रीति, गुण, दोष इत्यादि सब विषयों का निरूपण है। यह दासजी के काव्य-निर्णय से बड़ा ग्रंथ है। काव्यांग-निरूपण में ये श्रीपति और दास के समान ही है । विषय को स्पष्ट करने की प्रणाली इनकी बहुत अच्छी है ।