"पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/५९": अवतरणों में अंतर
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⚫ | महाक्षत्रपस काददामपुजस राज्ञ क्षत्रपस दामजदप्रिय" लिखा रहता है। परन्तु कुछ सिके ऐसे भी मिले हैं जिन पर “राज्ञो महाक्षयस्य रुद्रदान पुनस्य राज्ञ क्षत्रपस्थ दामस. "लिखा होता है। तथा इसके महाक्षत्रप उपाधेिवाले सिक्कों पर “राज्ञो महाक्षम्पस रुद्रदाम्नपुत्रस राज्ञो महाक्षत्रपस यामजनश्रिय लिखा रहता है। इसके दो पुत्र थे---सत्यदामा और जीवदामा । |
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जीवदामा। [मा स० [ 0]-१२.३० सं० [४०]-१९८=वि. |
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नेप-धश ! |
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⚫ | जीवदामा दो प्रकारके चाँदी के सिक्के मिले हैं। इन दोनों पर महाक्षत्रपको उपाधि लिखी होती है। राया इन दोनों प्रकारके सिक्कोंको ध्यानपूर्वक देखनेसे अनुमान होता है कि इन दोनोंके ढलवाने में कुछ समयका अन्तर अवश्य रहा होगा । इस अनुमानकी पुष्टिमें एक प्रमाण और भी मिलता है। अर्थात् इसके चचा दासिंह प्रयमके सिक्कों से प्रकट होता है कि यह दो दफे क्षत्रप और दो ही दफे महाक्षत्रप हुमागा। इससे अनुमान होता है कि जीवदामाके पहली प्रकारके सिक्के रुद्रसिह के प्रथम चार क्षत्रप रएमे समय और दूसरी प्रकारके अपने रचा रदसिंहके दूसरी बार क्षत्रप होने के समय ढलबाये गये होंगे। |
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जीवदामा ।। [ ० स० १ [ ० ०]-१२० (६० सं० १ [७८ ]-१९४=वि. |
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जीपदानाके पाले प्रकार के सिक्का पर इररी तरफ “राशो महाक्षपस दाम अभियं पुत्रस राशो महाक्षपस जीवा " और सीधी तरफ सिरके पीने शक-मनट १ [+'+] लिखा रहता |
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(1) सप एक सारे खगले मदार यमदी बने हैं। |
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⚫ | जीवदामा दो |
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अदाना पले प्रकार के सिक्कों पर इरी तरफ * शो महाउपस दामादभिर्य पुनस राक्ष मानेपर्म अवघ् ? आर थीं तरफ सिर प३ शक-मजतु १ [+'+] हा रस्ता (1) राष्ट्र एक से ले र नदी बने हैं। |