"पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/७४": अवतरणों में अंतर
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⚫ | सीरामऊ एक मध्यम श्रेणी का गाँव है। गांव में ठाकुर-ब्राह्मणों की बस्ती अधिक है––कुछ अछूत जातियों के घर हैं, कुछ अहीर हैं––वैश्यों के दो-चार घर हैं और चार-पाँच घर मुसलमानों के हैं। इन मुसलमानों का रहन-सहन अधिकांश हिन्दुओं जैसा है। यहाँ के मुसलमानों को अपने मुसलमान होने का ज्ञान तो है परन्तु वे केवल इतना जानते हैं कोई खुदा है जो इस दुनिया का मालिक है। मुहम्मद साहब उसके नबी हैं। मुहम्मद साहब की शिफारिश से अल्लह मियाँ गुनहगारों के गुनाह माफ कर देगा। बिहिश्त-दोज़ख, रोजा-नमाज़, गुनाह साहब का इन्हें बहुत ही स्थूल ज्ञान है। वे यह तो समझते हैं कि मुसलमानी मजहब हिन्दू मजहब के कुछ खिलाफ है। मुसलमानी मजहब में बड़ी छूट है––इतने झगड़े नहीं हैं जितने हिन्दू मजहब में। इसलिए वे हिन्दुओं से अधिक स्वाधीन हैं। हिन्दुओं के प्रति उनका पार्थक्यभाव तो है परन्तु विरोध भाव नहीं है; क्योंकि हिन्दू अधिक संख्या में होते हुए भी उनसे मित्रता का व्यवहार करते हैं। |
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सीरामऊ एक मध्यम श्रेणी का गाँव है। गांव में ठाकुर-ब्राह्मणों की |
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रात के समय जब इन मुसलमानों को एक साथ बैठने का अवसर |
रात के समय जब इन मुसलमानों को एक साथ बैठने का अवसर मिला तो गप्पें लड़ने लगीं। एक बोला––"आज कल बोटन का बड़ा जोर है।" |
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मिला तो गप्पें लड़ने लगीं। एक बोला—"आज कल बोटन का बड़ा |
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जोर है।" |
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"हाँ परसों हम सन्तोखीपुर की बजार गये थे वहाँ कुछ मुसलमान |
"हाँ परसों हम सन्तोखीपुर की बजार गये थे वहाँ कुछ मुसलमान भाई पूछते थे कि तुम किसे वोट दोगे––हमें कुछ मालूम नहीं था, सो |
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भाई पूछते थे कि तुम किसे वोट दोगे—हमें कुछ मालूम नहीं था, सो |