"पृष्ठ:दुर्गेशनन्दिनी द्वितीय भाग.djvu/१४": अवतरणों में अंतर

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इस शब्द को सुन कर बीरेन्द्र सिंह के हृदय पर नया घाव लगा। 'यदि हमारी कन्या तुम्हारे घर में जीती है तो उसको न देखूंगा और यदि मरगयी हो तो लाओ उसको गोद में लेकर मरूं।' दर्शकगण चुपचाप दांत लले उंगली दबाये इस कौतुक को देख रहे थे।
इस शब्द को सुन कर बीरेन्द्र सिंह के हृदय पर नया घाव लगा। 'यदि हमारी कन्या तुम्हारे घर में जीती है तो उसको न देखूंगा और यदि मरगयी हो तो लाओ उसको गोद में लेकर मरूं।' दर्शकगण चुपचाप दांत लले उंगली दबाये इस कौतुक को देख रहे थे।


नवाब की आज्ञा पाय 'रक्षक बीरेन्द्रसिंह को बध भूमि
नवाब की आज्ञा पाय 'रक्षक बीरेन्द्रसिंह को बध भूमि<br>