"पृष्ठ:जयशंकर प्रसाद की श्रेष्ठ कहानियाँ.pdf/२९": अवतरणों में अंतर
सौरभ कुमार75 (वार्ता | योगदान) No edit summary |
सौरभ कुमार75 (वार्ता | योगदान) No edit summary टैग: पूर्ववत |
||
पन्ने का मुख्य पाठ (जो इस्तेमाल में आयेगा): | पन्ने का मुख्य पाठ (जो इस्तेमाल में आयेगा): | ||
पंक्ति ६: | पंक्ति ६: | ||
{{right|—तुम्हारा दर्शनाभिलाषी<br> |
{{right|—तुम्हारा दर्शनाभिलाषी<br> |
||
रसिया"}} |
रसिया"}} |
||
{{dhr|3em}} |
|||
इसी समय महाराज को सुन्दरी पहचान गई, और फिर चरण धरकर बोली-पिताजी, क्षमा करना और शीघ्रतापूर्वक रसिया के कर-स्थित पात्र को लेकर अवशेष पी गई और गिर पड़ी। केवल उसके मुख से इतना निकला—"पिताजी, क्षमा करना।" महाराज देख रहे थे! |
इसी समय महाराज को सुन्दरी पहचान गई, और फिर चरण धरकर बोली-पिताजी, क्षमा करना और शीघ्रतापूर्वक रसिया के कर-स्थित पात्र को लेकर अवशेष पी गई और गिर पड़ी। केवल उसके मुख से इतना निकला—"पिताजी, क्षमा करना।" महाराज देख रहे थे! |