विकिस्रोत:सप्ताह की पुस्तक/२४
पाँच फूल १९२९ में सरस्वती-प्रेस द्वारा प्रकाशित प्रेमचंद के पाँच कहानियों का संग्रह है। ये पाँच कहानियाँ हैं - कप्तान-साहब, स्तीफ़ा, जिहाद, मंत्र और फ़ातिहा।
"जगतसिंह को स्कूल जाना कुनैन खाने या मछली का तेल पीने से कम अप्रिय न था। वह सैलानी, आवारा, घुमक्कड़ युवक था। कभी अमरूद के बाग़ो की ओर निकल जाता और अमरूदों के साथ माली की गालियाँ बड़े शौक़ से खाता। कभी दरिया की सैर करता और मल्लाहों की डोंगियों में बैठकर उस पार के देहातों में निकल जाता। गालियाँ खाने में उसे मज़ा आता था। गालियाँ खाने का कोई अवसर वह हाथ से न जाने देता। सवार के घोड़े के पीछे ताली बजाना, एक्कों को पीछे से पकड़कर अपनी ओर खींचना, बुड्ढों की चाल की नक़ल करना, उसके मनोरञ्जन के विषय थे। आलसी काम तो नहीं करता ; पर दुर्व्यसनों का दास होता है, और दुर्व्यसन धन के बिना पूरे नहीं होते। जगतसिंह को जब अवसर मिलता घर से रुपये उड़ा लेजाता।..."(पूरा पढ़ें)