विकिस्रोत:सप्ताह की पुस्तक/२२
अहिल्याबाई होलकर (३१ मई १७२५ - १३ अगस्त १७९५) मराठा मालवा साम्राज्य की होलकर साम्राज्ञी थीं। अहिल्याबाई मल्हारराव होलकर की पुत्रवधू एवं खंडेराव की पत्नी थीं। उनके जीवनीकार और इतिहासकार मालकम ने माना है कि अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत-भर के प्रसिद्ध तीर्थों और स्थानों में मंदिर बनवाए, घाट बँधवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण करवाया, मार्ग बनवाए-सुधरवाए, भूखों के लिए अन्नसत्र (अन्नक्षेत्र) खोले, प्यासों के लिए प्याऊ बिठलाए, मंदिरों में शास्त्रों के मनन-चिंतन और प्रवचन हेतु विद्वानों की नियुक्तियाँ की। वे आत्मप्रतिष्ठा एवं आत्मप्रचार के मोह का त्याग करके सदा न्याय करने का प्रयत्न करती रहीं। ये उसी परंपरा में थीं जिसमें उनके समकालीन पूना के न्यायाधीश रामशास्त्री थे और उनके पीछे झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई हुई। इस रचना में अहिल्याबाई के जीवन के विभिन्न पक्षों का उद्घाटन होता है। (पूरा पढ़ें)