विकिस्रोत:पूर्ण पुस्तक/२२
स्त्रियों की पराधीनता जॉन स्टुअर्ट मिल की कृति "THE SUBJECTION OF WOMEN" का शिवनारायण द्विवेदी द्वारा किया गया हिंदी अनुवाद है। इसका प्रकाशन "हरिदास एण्ड कम्पनी", (कलकत्ता) द्वारा १८१७ ई॰ में किया गया।
"विश्व-विजयी सम्राट् नैपोलियन ने एक अवसर पर कहा था कि, "जो कुछ प्राचीनता की ओट में आ जाता है, लोग उसे अन्याय होने पर भी न्याय ही कहा करते हैं," यह बात मुर्दा रीति-रिवाजों और आचार-विचारों के लिए अक्षरशः सत्य है। जो जाति सुधार की धारा से दूर रहती है उसकी निर्बलता उसे मौत की ओर ही घसीटती है। संसार में कोई समय ऐसा नहीं आता जब मनुष्य अपनी दशा समान ही रख सके; या तो उसे संसार के प्रवाह में पड़ कर आगे बढ़ना होगा और या आगे बढ़ने वालों की ठोकरों से कुचल कर मौत का निवाला बनना होगा। यह प्रकृति का नियम है कि, विश्व में योग्यतम की जीत होगी; और अयोग्य केवल इस श्रेणी वाले व्यक्तियों की दया पर जीवित रहेंगे।"...(पूरा पढ़ें)