विकिस्रोत:आज का पाठ-सितम्बर २३
केदार रामचंद्र शुक्ल द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास का एक अंश है जिसके दूसरे संस्करण का प्रकाशन काशी के नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा १९४१ ई॰ में किया गया था।
"केदार ने 'जयचंद-प्रकाश' नाम का एक महाकाव्य लिखा था। जिसमें महाराज जयचंद के प्रताप और पराक्रम का विस्तृत वर्णन था। इसी प्रकार का ‘जयमयंक-जसचंद्रिका' नामक एक बड़ा ग्रंथ आज उपलब्ध नहीं है। केवल इनका उल्लेख सिंधायच दयालदास कृत ‘राठौडॉ री ख्यात' में मिलता है जो बीकानेर के राजपुस्तक-भण्डार में सुरक्षित है। इस ख्यात में लिखा है कि दयालदास ने आदि से लेकर कन्नौज तक का वृत्तांत इन्हीं दोनों ग्रंथों के आधार पर लिखा है ।..."(पूरा पढ़ें)