जो पै मधुकर कहत हमारे गोकुल काहे न आवत?
सपने की पहिंचानि जानि कै हमहिं कलंक लगावत।
जो पै स्याम कूबरी रीझे सो किन नाम धरावत?
ज्यों गजराज काज के औसर औरै दसन दिखावत[१]।
कहन सुनन को हम हैं ऊधो सूर अंत[२] बिरमावत॥४५॥
↑ज्यों गजराज......दिखावत=(कहावत) हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और।