भ्रमरगीत-सार/४३-जाय कहौ बूझी कुसलात

बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १०५

 

राग सारंग
जाय कहौ बूझी कुसलात।

जाके ज्ञान न होय सो मानै कही तिहारी बात॥
कारो नाम, रूप पुनि कारो, कारे अंग सखा सब गात।
जौ पै भले होत कहुँ कारे तौ कत बदलि सुता लै जात[]
हमको जोग, भोग कुबजा को काके हिये समात?
सूरदास सेए सो पति कै पाले जिन्ह तेही पछितात॥४३॥

  1. तौ कत......लै जात=तो क्यों लड़के (कृष्ण) को बदलकर लड़की ले जाते?