भ्रमरगीत-सार/४३-जाय कहौ बूझी कुसलात
जाय कहौ बूझी कुसलात।
जाके ज्ञान न होय सो मानै कही तिहारी बात॥
कारो नाम, रूप पुनि कारो, कारे अंग सखा सब गात।
जौ पै भले होत कहुँ कारे तौ कत बदलि सुता लै जात[१]॥
हमको जोग, भोग कुबजा को काके हिये समात?
सूरदास सेए सो पति कै पाले जिन्ह तेही पछितात॥४३॥
- ↑ तौ कत......लै जात=तो क्यों लड़के (कृष्ण) को बदलकर लड़की ले जाते?