भ्रमरगीत-सार/२५९-मधुकर कौन देस तें आए
मधुकर! कौन देस तें आए?
जब तें क्रूर गयो लै मोहन तब तें भेद न पाए॥
जाने सखा साधु हरिजू के अवधि बदन को आए।
अब या भाग, नन्दनन्दन को या स्वामित[१] को पाए॥
आसन, ध्यान, वायु-अवरोधन, अलि, तन मन अति भाए।
है बिचित्र अति, गुनत सुलच्छन गुनी जोगमत गाए॥
मुद्रा, सिंगी, भस्म, त्वचा मृग, ब्रजजुवती-तन ताए।
अतसी[२] कुसुमबरन मुख मुरली सूर स्याम किन लाए?॥२५९॥