भ्रमरगीत-सार/१६५-भली बात सुनियत हैं आज

बनारस: साहित्य-सेवा-सदन, पृष्ठ १४७

 

राग बिलावल
भली बात सुनियत हैं आज।

कोऊ कमलनयन पठयो है तन बनाय अपनो सो साज॥
बूझौ सखा कहौ कैसे कै, अब नाहीं कीबे कछु काज।
कंस मारि बसुदेव गृह आने, उग्रसेन को दीनो राज॥
राजा भए कहाँ है यह सुख, सुरभि-संग बन गोप-समाज?
अब जो सूर करौ कोउ कोटिक नाहिंन कान्ह रहत ब्रज आज॥१६५॥