यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
७९
मुझे पश्चाताप नहीं है


यह निवेदन आज असर पैदा करने के हेतु से लिखा गया था। वह असर हिसाब करके, तोल-माप के जरिये, पैदा नहीं हो सकता था। अगर दिल में यकीन हो जाता कि मेरा रास्ता सही रास्ता सही रास्ता था, तो उस पर अमल करना आसान था। जनता के मन पर दबाव के वक्त असर होता है। मेरे निवेदन का असर नहीं हुआ, इससे जाहिर होता है कि या तो मेरे शब्दों में शक्ति नहीं, या ईश्वर की ही कुछ ऐसी इच्छा है कि जिसका हमें पता नहीं। यह निवेदन व्यथित हृदय से निकला है। मैं उसे रोक नहीं सकता था। यह निवेदन केवल उसी चतण के लिए नहीं लिखा गया था। मुझेपूर्ण विश्वास है कि उसमें बताया गया सत्य शाश्वत है।

अगर आज से भूमिका तैयार न की गई, तो युद्ध के अन्त में जब चारों ऒर खिन्नता और थकान का वातावरण होगा, नया नंत्र बनाने का समय ही नहीं रह जायेगा नया तन्त्र जो भी होगा वह जाने-अनजाने आज से हम जो प्रयत्न करेंगे, उसीका परिणाम होगा। दरअसल, प्रयत्न तो मेरा निवेदन निकलनेसे पहले ही शुरू हो चुका था। आशा है कि निवेदन ने उसे उत्तोजन दिया होगा, और एक निश्चित दिशा दिखाई होगी। गैर अधिकारी नेताओं और ब्रिटिश प्रजा का मत ढालने वालों को मेरी सलाह है कि यदि उन्हें यक़ीन हो गया है कि मेरा रास्ता सही है, तो वे उसे स्वीकार कराने का प्रयत्न करें। मेरे निवेदन ने जो महान प्रश्न उठाया है, उसके सामने हिन्दुस्तान की आजादी का प्रश्न तुच्छ बन जाता है। मगर मैं इन दो अंग्रेज़ मित्रों के साथ सह