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आतङ्क


कोई आतंक नहीं है। अगर वे आतंक या भय से अभिभूत हो जायें, तो यह उनके लिए जर्मन गोलियों, गोलों और जहरीली गैसों से कहीं भयंकर शत्रू बन जायेगा। हमें इन कष्ट सहनेवाले पश्चिमी देशों से शिक्षा लेनी चाहिए और अपने बीच से आतंक को निकाल बाहर कर देना चाहिए। फिर हिन्दुस्तान में तो आतंक के लिए कोई वजह ही नहीं है। आगर ब्रिटैन को मरना भी पड़ा तो वह कठिनाई से और बहादुरी के साथ मरेगा। हम हार के समाचार सुन सकते हैं, पर हमें पस्तहिम्मती की बात कभी सुनाई न पड़ेगी। जो कुछ घटित होगा, व्यवस्थापूर्वक घटित होगा।

इसलिए जो लोग मेरी बात पर कान देते हैं उनसे में कहूँगा कि सदा की तरह अपना रोजगार या काम करते जाओ। जमा की हुई रकमों को मत निकालो, न नोटों को नकदी में बदलने की जल्दबाजी करो। अगर तुम सावधान हो तो तुम्हें कोई नया खतरा न उठाना पड़ेगा। अगर हममें विप्लव उठ खड़ा हो तो जमीन में गड़े हुए या तिजोरियों में रखे हुए धन को बैंक या कागज की बनिस्बत ज्यादा सुरक्षित न समझना चाहिए। वैसे तो इस वक्त हर चीज में खतरा है। ऐसी हालत में तुम जैसे हो वैसे बने रहना ही सबसे अच्छा है। तुम्हारा धीरज, अगर ज्यादा लोग उसका अनुसरण करें, बाजार में स्थिरता लायेगा। अराजकता के खिलाफ़ वह सबसे बड़ा प्रतिबन्ध होगा। इसमें शक नहीं कि ऐसे वक्त में गुण्डई का डर रहता है। पर इसका मुक़ाबला करने