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असल बात


ज़रूर इस बात के हक में ही जाऊँगा कि यह देश इस समय कुछ भी मदद न दे और जिनके पास साम्राज्य है और जो साम्राज्य बनाना चाहते हैं उन दोनों को एक दूसरे के भेजे में समझ भरने के लिए छोड़ दिया जाये। इतना ही नहीं, मुझे यक़ीन हो जाये कि हिन्दुस्तान इस वक़त कठिनाइयाँ पैदा करके गाड़ी न रोक देगा तो भी अंग्रेजों और उनके मित्रों की ही पूरी जीत होगी, तो मैं पसन्द करूंगा कि हम ब्रिटेन की मुश्किलें बढ़ाकर वह परिणाम लायें। मगर यह यक़ीन तो ही नहीं सकता और नाजी सरकार की ज़बरदस्त जीत हुई तो इतनी भारी विपति होगी कि मेरी राय में उसकी जोखम उठाना हमारे लिए ठीक नहीं है। वह जोखम बहुत बड़ी है।

“सवाल यह नहीं है कि हम अंग्रेज़ों को जर्मनी पर विजय पाने में मदद देने की कृपा करें या न करें। नाज़ी जर्मनी लड़ाई में जीतकर दुनिया भर में अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहता है। यह वह उन शक्तियों को हराकर ही कर सकता है कि वे जर्मनी को रोक सकती हैं। हमारे सामने सवाल यह है कि हम दूसरों के साथ शामिल होकर इस तरह की जीत की असंभव बनायें या न बनायें। हेम, जो इस समय संसार के शोषित और पराधीन राष्ट्र हैं, जर्मनी की जीत को बर्दाश्त नहीं कर सकते। मुझे डर है केि इस वक्त हमने उसे रोकने में शामिल होने से इन्कार किया और अफ्रीका और उसके फलस्वरूप जर्मनी जीत गया तो संसार को और खासकर एशिया और अफ्रीका की गैर-युरोपियन और सैनिक दृष्टि से कम-