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वही पार लगायेगा


आज़ाद घोषित कर दिया जाये, तो वह अपना सारा नैतिक प्रभाव शान्ति के पच्त में जुटा देगा। मेरी राय में जो हिस्सा मैं इस काम में ले रहा हूँ वह बिल्कुल अहिंसात्मक है। कांग्रेस की माँग के पीछे कोई सौदे की भावना नहीं है। वह माँग है भी तो खालिस नैतिक। न सरकार की तङ्ग करने की इच्छा है। सविनय-भंग भी जल्दबाजी में शुरू न होगा। इस बात की सावधानी रखी जा रही है कि कांग्रेस की माँग पर जो भी उचित आप़ति हो उसका समाधान किया जाये और वांछित घोषणा करने में ब्रिटेन को जो भी कठिनाई मालूम हो उसे कम किया जाये। जो अधीर कांग्रेसी अहिंसात्मक ही सही, लड़ाई के लिए छटपटा रहे हैं उनपर खूब जोर डाला जा रहा है। मैं खुद यह चाहता हूँ कि शांति-स्थापन के काम में मैं कारगर हिस्सा लेने के योग्य हो जाऊँ! ऐसा मैं उसी हालात में कर सकता हूँ, जब हिन्दुस्तान सचमुच ब्रिटेन का आजाद साथी बन जाये, भले ही कानूनी क्रियायें युद्ध खत्म होने के बाद होती रहें।

लेकिन मैं हूँ कौन? जो ईश्वर मुझे देता है। इसके अलावा मेरे पास कोई ताकत नहीं है। सिर्फ नैतिक प्रभाव के अलावा मेरी देश-वासियों पर भी कोई सजा नहीं है। इस समय संसार पर जिस भीषण हिंसा का साम्राज्य है उसकी जगह अहिंसा स्थापित करने के लिए ईश्वर मुझे शुद्ध अस्त्र समझता होगा तो वह मुझे बल भी देगा और रास्ता भी दिखायेगा। मेरा बड़ा से बड़ा हथियार तो मूक प्रार्थना है। इस तरह शान्ति स्थापन का काम