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कसौटी पर

कार्यसमिति के सदस्यों के साथ चर्चा करते हुए मैंने देखा कि अहिंसा शस्त्र से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने के आगे, उनकी अहिंसा कभी नहीं गयी। मैंने इस विश्वास को दिल में जगह दे रखी थी कि संसार की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी सत्ता के साथ लड़ने में गत बीस बरस के अहिंसा के अमल के तर्कपूर्ण परिणाम को कांग्रेसजनों ने पहचान लिया है। लेकिन अहिंसा के जैसे बड़े-बड़े प्रयोगों में कल्पित प्रश्नों के लिए मुश्किल से ही कोई गुंजायश होती है। ऐसे प्रश्नों के उत्तर में मैं खुद कहा करता था कि जब हम वस्तुतः स्वतंत्रता हासिल कर लेंगे तभी हमें यह मालूम होगा कि हम अपनी रक्षा अहिंसात्मक तरीके से कर सकते हैं या नहीं। लेकिन आज यह प्रश्न कल्पित नहीं है। ब्रिटिश सरकार हमारे मुआफिक कोई घोषणा करे या न करे, कांग्रेस को ऐसे किसी रास्ते का निर्णय करना ही पड़ेगा, जिसे कि वह भारत पर आक्रमण होने की हालत में अख्त्यािर करेगी। भले ही सरकार के साथ कोई समझौता न हो, तब भी कांग्रेस को अपनी