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कितनी ही अपूर्ण और संदिग्धार्थ क्यों न हों, संसार ने उनका अर्थ यह किया है कि वे लोकतंत्र की रच्ता के लिए लड़ रहे हैं । जब कि हेर हिटलर जर्मन सीमा-विस्तार के लिए लड रहे हैं। हालाँकि उनसे कहा गया था कि वह अपने दावे को एक निष्पन्न अदालतके सामने जाँच के लिए पेश करें । मगर शान्ति या समझौते के तरीके को उन्होंने उपेच्ता के साथ ठुकरा दिया और तलवार का ही रास्ता चुना । इसीलिए मित्र-राष्ट्रों के साथ मेरी सहानुभूति है। लेकिन मेरी सहानुभूति का मतलब यह हर्गिज नहीं समझना चाहिए कि मैं तलवार के न्याय का किसी भी रूप में समर्थन करता हूँ, फिर वह चाहे निश्चित रूप से ठीक बात के लिए ही क्यों न हो । वाजिब बात में तो ऐसी ज्ञमता होनी चाहिए कि जंगली या खूरेजी के साधनों के बजाय ठीक साधनों से उसकी रच्ता की जा सके । मनुष्य जिसे अपना हक या अधिकार समझता है उसको कायम रखने के लिए उसे खुद अपना खून बहाना चाहिए। अपने विरोधी का खून जो कि उसके 'अधिकार’ पर आपत्ति करे, उसे हर्गिज नही बहाना चाहिए । कांग्रेस जिस भारत का प्रतिनिधित्व करती है वह अपने ‘अधिकार’ को तलवार से नहीं बल्कि अहिंसात्मक उपाय से सिद्ध करने के लिए लड़ रही है। और उसने संसार में अपना एक अद्वितीय स्थान और प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली है, यद्यपि अभी भी अपने उद्देश्य से वह दूर है-हमें आशा करनी चाहिए कि जिस स्वाधीनता का वह स्वप्न्न देख रहा है वह अब बहुत दूर नहीं है। उसके