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अहिंसक की विडंबना २०३ वह स्वतंत्रता-जो कि दिन पर दिन केवल नाम मात्र की ही होती जाती है-खो देना ज्यादा पसंद करेंगे । आपका देश “डोमीनियन स्टेटस' प्राप्त करेंगा-इसका यह अर्थ हुआ कि उसे साम्राज्य के अन्तर्गत रहना पड़ेगा । और वह सशस्त्र होगा यानी उसके लिए उसे विदेशी धन, विदेशी बैंका अदि के ऊपर आधार रखना पड़ेगा और परदेशी धनिक आज विश्व का साम्राज्य प्राप्त करने को जूझ रहे हैं यह आप जानते ही हैं ? यानी आज राष्ट्रीयता का आदर्श रखने और संपादन करने में एक बडा भारी जोखिम हैं । आज तो सारी पीड़ित प्रजा और कौमों का संगठन करके पीड़क प्रजा के पंजे मे से उसे मुक्त करने की लड़ाई लड़नी चाहिए । लेकिन पूज्य गांधीजी, आज तो आप केवल अपने ही देश का विचार कर रहे हैं । आपका देश गुलामी के बन्धन में से मुक्त हो यह तो हम भी चाहते है; क्योंकि हमारे राज्य ने काले लोगों पर जो अत्याचार किये हैं उससे काले लोग मुक्त हों यह हम चाहते ही हैं । परन्तु विदेशी-राज्य के पंजे से छूटने के लिए आप भी जब ऐसे साधनों का उपयोग करें कि जिनके दुरुपयोग होने की पूरी संभावना है, तब तो हमें भी उसका विरोध करना पड़ता है । आप कहते हैं कि आज तक भारत को जबर्दस्ती दूसरे देशों को लूटनेवाली कई लडाइयों में भाग लेना पड़ा है । तब आपसे यह कहने की इच्छा होती है कि “नहीं, आप भर इसके लिए जिम्मेदार हैं । आप अगर इन लड़ाइयों से दूर रहना चाहते तो रह सकते थे ।”