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२०२ युद्ध और अहिंसा बनाया गया है उसको आपने कबूल किया है और उसके अन्तर्गत देश की रचा की व्यवस्था भी आपने स्वीकार की है । डोमी. नियन स्टेटस की यह सारी रचना ही ऐसी है कि इसमें आपके देश के गरीबों का ही शोषण होनेवाला है; क्योंकि अगर ऊपर के वर्ग के हाथ में राजसत्ता आये तो वह वर्ग ऊपर के वर्ग के विदेशियों के साथ रहकर अपनी शासन-पद्धति तय करेगा । आपके देश को भी अपनी रक्षा के लिए जल, स्थल और वायु-सेना की आवसश्यकता होगी ऐसा जब आप कहते हैं तब तो हो चुका । दूसरे देशों में आपस में शस्त्रास्त्र की जो प्रतियोगिता चल रही है उसे आपका देश भी उत्तेजन देगा । मुझे ऐसा लगता है कि ऐसी हालत में टॉलस्टॉय ने, जिनके कि अहिंसा के विचार आपको पसंद हैं, अलग ही रास्ता लिया होता । लड़ाई ऐसी भयानक वस्तु है कि उसका उपयोग राष्ट्ररक्षा के लिए ही नहीं बल्कि समाज-रक्षा के लिए भी बन्द होना ही चाहिए । आज तो ऐसी स्थिति आ गई है कि प्रत्येक देश के अहिंसावादी स्त्री-पुरुषों की अपनी यह प्रतिज्ञा प्रकट करनी चाहिए कि “हम किसी भी अवस्था में युद्ध के किसी भी साधन को तैयार करने में या उपयोग में लाने में भाग न लेंगे और् ऐसा प्रयत्न करेंगे कि ऐसे साधनों की उत्पत्ति और उपयोग बन्द होते जायें । सच पूछिए तो लड़ाई और हिंसा के साधनों से हमारे देश की स्वतंत्रता मिले इसकी अपेक्षा