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युद्ध के विरोध में युद्ध १८१ रेगी, इंग्लैंड की मदद करने को तैयार हो जायेंगे ? यह मैं जानता हूँ कि मुझे जो कहना है वह सब उत्तम रीति से नहीं कह सका हूँ, परन्तु मेरे कहने का मर्म आप समभ सकेंगे । इसका उत्तर मिलेगा तो मुझे खुशी होगी ।' मुझे भी ऐसा लगता है कि पत्र-लेखक अपनी चीज उत्तम रीति से पेश नहीं कर सके हैं । पाठकों में एक ऐसा वर्ग होता है जो गम्भीर लेखों को भी ध्यानपूर्वक नहीं पढ़ते, केवल इसीलिए कि वे साप्ताहिक पत्र में आते हैं । पत्र लिखनेवाले भाई भी ऐसे ही वर्ग के मालूम होते हैं। उनके जैसे पाठक अगर फिर से उस अध्याय को पढ़ेगे तो उसमें से बहुत सी बातें समझ सकेंगे। (१) मैने सेवा का यह काम इसलिए नहीं लिया कि मैं युद्ध में विश्वास रखता हूं । कम से कम अप्रत्यच्त रूप से उसमें भाग लेने से बचे रहना असम्भव था । (२) युद्ध में भाग लेना या विरोध करने का मुझे अधिकार नहीं था । (३) जिस प्रकार मैं यह नहीं मानता कि पाप में हिस्सा लेने से पाप दूर हो सकता है । उसी प्रकार यह भी मैं नहीं मानता कि युद्ध में भाग लेने से युद्ध-निषेध हो सकता है । परन्तु जिसे हम पापयुक्त या अनिष्ट समझते हैं ऐसी अनेक वस्तुओं में हमें सचमुच लाचारी से हिस्सा लेना पड़ता है, यह दूसरी बात है । इसे यहाँ समभने की जरूरत है । (४) हिंसावादी समझते-बूझते चाह करके और पहले से ही