यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१२८
युद्ध और अहिंसा


एक शब्द फ़िलस्तीन में रहनेवाले यहूदियों से भी। वे गलत रास्ते पर जा रहे हैं, इसमें मुफे कोई शक नहीं। बाइबल में जिस फिलस्तीन की कल्पना है वह कोई भौगोलिक प्रदेश नहीं है। वह तो उनके दिलों में बसा हुआ है। लेकिन अगर भौगोलिक फिलस्तीन को ही अपना राष्ट्रीय घर समझना आवश्यक हो, तो भी ब्रिटिश तोपों के संरक्षण में उसमें प्रवेश करना ठीक नहीं है। क्योंकि बम या संगीनों की मदद से कोई धार्मिक कार्य नहीं किया जा सकता। फिलस्तीन में अगर उन्हें बसना है तो केवल अरबों की सद्भावना पर ही वे वहाँ बस सकते हैं। अतः अरबों का हृदय-परिवर्तन करने की उन्हें कोशिश करनी चाहिए। अरबों के हृदय में भी वही ईश्वर निवास करता है, जो कि यह दियों के हृदय में बस रहा है। अरबों के आगे वे सत्याग्रह कर सकते हैं। उनके खिलाफ कोई अँगुली भी उठाये बगैर, उनके द्वारा गोली से मार डाले जाने या मृतसमुद्र में फेंक दिये जाने को वे तैयार रहें। ऐसा हुआ तो वे देखेंगे कि संसार का लोकमत उनकी धार्मिक आकांक्षा के भो पक्ष में हो जायगा। ब्रिटिश संगीनों की मदद का आश्रय छोड़ दिया जाय, तो अरबों से तर्क-वितर्क करने के, दलीलों से उन्हें समझाने-बुझाने के, सैकड़ों तरीके हैं। इस समय तो वे ब्रिटिशों के साथ उस प्रजा को मिटाने में साझीदार हो रहे हैं जिसने उनके साथ कोई बुराई नहीं की है।

अरबों द्वारा की जानेवाली ज्यादतियों की मैं हिमायत नहीं करता। जिसको वे अपने देश की स्वतंत्रता में अनुचित हस्तक्षेप