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चेकोस्लोवाकिया और अहिंसा का मार्ग

यह जानकर खुशी होनी ही चाहिए कि फ़िलहाल तो युद्ध का खतरा टल गया है। इसके लिए जो क़ीमत चुकानी पड़ी क्या शायद वह बहुत ज़्यादा है? क्या इसके लिए शायद अपनी इज़्ज़त से हाथ नहीं धोना पड़ा है? क्या यह संगठित हिंसा की विजय है? क्या हेर हिटलर ने हिंसा को संगठित करने का ऐसा नया तरीका ढूंढ़ँ निकाला है कि जिससे रक्तपात किये बिना ही अपना मतलब सिद्ध हो जाता है? मैं यह दावा नहीं करता कि यूरोप की राजनीति से मुझे जानकारी है। लेकिन मुझे ऐसा मालूम पड़ता है कि यूरोप में छोटे राष्ट्र अपना सिर ऊँचा रखकर कायम नहीं रह सकते। उन्हें तो उनके बड़े-बड़े पड़ोसी हजम कर ही लेंगे और उन्हें उनके जागीरदार बनकर ही रहना पड़ेगा।

यूरोप ने चार दिन की दुनियवी ज़िन्दगी के लिए अपनी आत्मा को बेच दिया है। म्यूनिक में यूरोप को जो शान्ति प्राप्त हुई हैं वह तो हिंसा की विजय है। साथ ही वह उसकी हार भी है। क्योंकि इंग्लैंड और फ्रांस को अगर अपनी विजय का