यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।



: १७ :
“निर्बल बहुमत' की कैसे रक्षा हो?

इस्लामिया कालेज के प्रोफेसर तैमूर एक पत्र में लिखते हैं:-

“इस समस्या के युग में आहिंसा की गुप्त शक्तियों की भाँकी कराकर आपने जगत को अपना ऋणी बनाया है। बाहरी आक्रमण से शस्त्र-धारण किये बिना हिन्दुस्तान की रक्षा करने का जो प्रयोग आप् करना चाहते हैं वह बेशक युग-युगांतरों में सबसे ज़बरदस्त नैतिक प्रयोग के तौर पर माना जायेगा। इस प्रयोग के सिर्फ दो ही नतीजे आ सकते हैं - या तो हमला करनेवालों की आत्मा उनके सामने खड़ी निदोष प्रजा के प्रेम् से जाप्रत होगी और वह आपने किये पाप पर पशेमान होंगे, या यह होगा कि अपने अहंकार के उन्माद में आहिंसा की शारीरिक शक्ति के स्वय और निर्वीर्यता का चिन्ह मानकर वह समझने लगें कि एक कमजोर प्रजा को पराजित करके उस पर हुकूमत करना ही एक सही और ठीक बात है। जर्मन तत्त्ववेत्ता नीत्से का यह सिद्धांत था और उसीपर आज हिटलर अमल कर रहा है। इस तरह भौतिक शक्ति से