यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
यह गली बिकाऊ नहीं/79
 


से जानता था। फिर थोड़ी देर इधर-उधर की बातें कर गोपाल चला गया ।

उसके जाने के थोड़ी देर बाद माधवी आ पहुँची। उसने भी आते ही पिनांग के अब्दुल्ला ही की बात उठायी। दावत की बात कही और यह भी कहा कि वे बड़े भारी रईस हैं। 'करोड़पति है।

"दस-पन्द्रह साल पहले दो गायक या दो नाटकवाले आपस में मिलते थे तो अपनी-अपनी कला की बातें किया करते थे, पर अब बात यह होती है कि किसे दावत देने से किसका काम कैसे बनेगा?---इसी पर विचार-विमर्श हो रहा है । कला की दुनिया सड़ गयी है-इराका सबूत इससे बढ़कर और क्या चाहिए ?"

"क्या आप यह समझते हैं कि उस सड़ी हुई चीज़ को आप अकेले में सुधार सकते हैं ?"

"कतई नहीं । दुनिया को सुधारने के लिए मैंने अवतार नहीं लिया। लेकिन दो पुश्तों को एक साथ देखकर विचार कर रहा हूँ । राजाधिराजों को अपने द्वार पर आकर्षित करने वाले वे पुराने गंभीर कलाकारों और मंत्रियों और 'नाम बड़े पर दर्शन छोटे' वाले व्यक्तियों के दरवाजोंपर मारे-मारे फिरने वाले आज के बौने कलाकारों में मुक़ाबला कहाँ ? तुलना कर देखता हूँ तो दिल को ठेस पहुंचती है, माधवी !"

"यह सब कहते-कहते मुत्तुकुमरन् भाव-विभोर हो गया तो माधवी की समझ में नहीं आया कि क्या जवाब दे ? थोड़ी देर के मौन के बाद बात पलटती हुई बोली, "नाटक लोगों को बहुत भा गया है । सभी बड़ी प्रशंसा कर रहे हैं ! सभा वालों में 'डेट' के लिए होड़-सी लग गयी है। सब आपकी क़लम का कमाल है !"

"तुम्हारा अभिनय भी कहाँ कुछ कम था? मुझे चापलूसी की बातें ज़्यादा पसंद नहीं। तुमने प्रसंग छेड़ दिया तो मुझे भी बराबर होकर तुम्हारे कदम पर चलना पड़ रहा !"

"अच्छी बात को अच्छा कहना क्या कोई गलत काम है ?"

"आजकल तो लोग बुरी-से बुरी चीज़ को ही अच्छी-से-अच्छी चीज्र साबित करने की कोशिश क्या, उसे साबित ही कर देते हैं ! इसलिए सचमुच की अच्छी चीज़ों के विषय में मुँह पर लगाम लगानी पड़ रही है !"

- "लगानी पड़े तो पड़े । पर मैं तो आपकी तारीफ़ सुनकर अवाती नहीं । मेरा जी चाहता है कि चौबीसों घंटे मेरे सामने कोई आपकी तारीफ़ करता रहे !" माधवी उसके पास ऐसी खड़ी थी, मानो पूर्ण यौवना मदालसा ही साकार खड़ी हो । उसकी आँखों की चमक और होंठों की नमी में मुत्तुकुमरन् मानो नहा ही गया। उसकी देह पर लगी पाउडर की महक, उसके केशों पर लगे तेल की भीनी खुशबू और उसके बालों में गुंथे बेले की सुगंध; नासारंध्र से प्रवेश कर उसकी नस-नस में फैल गयीं । सुमधुर संगीत की तरह उसकी सुंदरता ने उसे बाँध लिया । फिर क्या