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12/यह गली बिकाऊ नहीं
 


उसने देखा कि हाल में बैठे हुए सभी लोगों का ध्यान उन्हीं दोनों की तरफ़ लगा हुआ है । उसे यह भी लगा कि सभी लड़कियाँ उसके पास बैठी हुई लड़की को ईर्ष्या की दृष्टि से देख रही हैं।

पास बैठी हुई लड़की ने पूछा, "क्या मैं आपका नाम जान सकती हूँ ?"

"मुत्तुकुमरन् !" "बड़ा प्यारा नाम है !"

"तो किसी से प्यार हो गया' के बदले आप 'नाम से प्यार हो गया' गा सकती हैं ?"

उसका चेहरा लाल हो गया । होंठों में मुस्कान लुका-छिपी-सी खेलने लगी। "मेरा मतलब है"

"मेरा भी मतलब है । क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ ?" माधवी!"

"आपका नाम भी तो बड़ा प्यारा है।"

माधवी के होठों में फिर से वहीं मुसकान खेल पायीं।

पोटिको में एक कार के बड़ी तेजी से आकर रुकाने की आवाज़ हुई । दरवाजे के खुलने और बंद होने की आवाज़ भी आयी।

वह उससे विदा लेकर अपनी पुरानी जगह पर चली गयी। हाल में असाधारण- सी चुप्पी फैल गयी। मुत्तुकुमरन् को यह समझते देर नहीं लगी कि गोपाल आ गया है।

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हवाई अड्डे से आने वाले गोपाल को अंदर जाकर हाथ-मुँह धोने और कपड़े बदलने में दस मिनट लग गये। उन दस मिनटों में हाल में बैठा हुआ कोई किसी से कुछ नहीं बोला। सबकी आँखें एक ही तरफ़ लगी हुई थीं। सबने इस बात का ख्याल रखा था कि किस मुद्रा में गोपाल का ध्यान आकर्षित किया जा सकता है। एकदम मौन छाया हुआ था। तो भी हरेक व्यक्ति आनेवाले पल के अनुरूप अपने तन-मन को बदलने का उपक्रम कर रहा था। 'क्या बोलें, कैसे बोलें, कैसे हँसे, कैसे हाथ जोड़ें ?" हर कोई बारीकी से मन ही मन इस बात का भी रिहर्सल कर रहा था। भरे-पूरे दरबार में राजा के प्रवेश के इंतजार में जैसी शांति विराजेगी, वह 'हाल उसका नमूना पेश कर रहा था।

'हाल' का यह हाल देखकर मुत्तुकुमरन के मन में यह द्वंद्व मचा कि गोपाल जैसे मित्र से मिलने के लिए क्या मुझे भी ऐसी बनावटी मुद्रा ओड़नी पड़ेगी? नहीं, मित्र-मिलन में ऐसा आदर-भाव दर्शाने या उतावली दिखाने की कोई जरूरत नहीं।

वह इस नतीजे पर पहुंचा कि पहले मैं उसका व्यवहार देखूगा । बाद को उसके