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यह गली बिकाऊ नहीं/117
 

पिनांग हिल से लौटने के बाद से अब्दुल्ला मुत्तुकुमरन् की बड़ी उपेक्षा करने खामखाह नफ़रत का जहर उगलने लग गये थे। और गोपाल उनका विरोध मोल लेना नहीं चाहता था। इसलिए देखकर भी अनदेखा कर चुप्पी साध गया।

माधवी बड़े धर्म-संकट में पड़ गयी । उसकी वेदना और ग्लानि का पारावार नहीं रहा। उसे यह समझने में कोई कठिनाई नहीं कि अब्दुल्ला मुत्तुकुमरन् की इतनी उपेक्षा क्यों कर रहा है और उसपर घृणा की आग क्यों उगल रहा है ?

मुत्तुकुमरन् और गोपाल' भी इस बात को खूब ताड़ चुके थे। गोपाल न तो अब्दुल्ला का विरोध-भाजन बनना चाहता था और न मुत्तुकुमरन का । पर अन्दर- ही अन्दर वह भी मुत्तुकुमरन् पर उमड़-घुमड़ रहा था।

माधवी यद्यपि सबसे हँसती-बोलती थी, लेकिन मन ही मन गोपाल और अब्दुल्ला पर आग-बबूला हो रही थी।

मुत्तुकुमरन् के विचार तो यों दौड़ने लगे थे कि दोस्त की बात मानकर मैंने पहला गलत काम यह किया कि इस यात्रा में सम्मिलित होने की सम्मति दे दी। अदरख के व्यापारी का जहाज़ के व्यापार से क्या सरोकार ? पर हाँ, सिर्फ मित्र की बात मानकर मैं कहाँ आया? माधवी का साथ ही इसके पीछे बलवती रहा है ? वस्तुतः मूल कारण की तह में जाने पर माधवी का नया और सच्चा प्रेम ही उभर आता है। नहीं तो इस विलायती यात्रा के लिए मैं राजी ही क्यों होता?

इस सिलसिले में उसका ध्यान एक दूसरी ओर भी गया।

मद्रास में पहले-पहल जब वह अब्दुल्ला से मिला था, तभी अब्दुल्ला और उसके बीच मनोमालिन्य का बीज पड़ गया था। कितने ही कटु प्रसंगों ने खाद बनकर उसके पनपने में हाथ बँटाया । अब तो धृणा और उपेक्षा की हद हो गयी है !

पिनांग की धरती पर आकर मुत्तुकुमरन ने विचार किया तो मुत्तुकुमरन को पता चला कि पहले घटी घटनाओं और अब घट रही घटनाओं के बीच सम्बन्ध है। वह इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि उसी मूल घृणा से यह घृणा पैदा हुई होगी और उन उपेक्षाओं से इन उपेक्षाओं को उत्तेजना मिली होगी।

दूसरे कलाकारों को बंदरगाह से लाने के लिए जब चलने लगे, तब अब्दुल्ला या गोपाल ने मुत्तुकुमरन् की इस तरह उपेक्षा की कि न तो उसे साथ चलने को बुलाया और न साथ न आने को कहा। पर माधवी को साथ चलने को बार-बार बुला रहे थे।

माधवी को लगा कि अब्दुल्ला और गोपाल दोनों मिलकर मुतुकुमरन् की अवज्ञा और उपेक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं। वह यह भी जानती थी कि मुत्तुंकुमरन् का आत्माभिमान जग जाये और रोष फूट जाये तो ये दोनों उसके सामने टिक नहीं सकेंगे।