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यह गली बिकाऊ नहीं/111
 

"मेरा दिल खौल रहा है !"

"क्यों? क्या हुआ?"

"उस उल्लू के पट्ठे को इतना भी लिहाज़ नहीं रहा कि आपको भी बुला ले !"

"वह कौन होता है, मुझे बुलानेवाला ?" पूछते हुए उसने रूमाल से उसकी आँखें पोंछी और बड़े प्यार से उसके सिर के बाल सहलाये। "मेरा इसी क्षण मर जाने को जी कर रहा है। क्योंकि इस क्षण में आप मुझपर प्रेम बरसा रहे हैं। अगले क्षण कौन जाने, आपका गुस्सा उभारने का कोई ग़लत काम हो जाये ! इससे अच्छा तो प्यार के क्षणों में ही मर जाना है न।"

"सुनो! पागल की तरह बको मत ! और कोई दूसरी बातें करो हाँ, अब्दुल्ला के पास गयी थी न तुम ! वह क्या बोल-बक रहा था?

"कुछ नहीं, बेहूदी बातें बकता रहा। दस मिनट से भी ज्यादा देर तक उसकी बकवास सुननी पड़ी। कह रहा था कि 'आइ एम ए मैन ऑफ़ फैशन्स अंड फ़ैन्सीज़!"

"इसका क्या मतलब?"

माधवी ने मतलब भी बता दिया और इसके साथ ही, मुत्तुकुमरन भी बोलना बंद कर किसी सोच में पड़ गया।

हवाई जहाज़ ईप्पो में उतरा। वहां भी माला पहनाने के लिए कई प्रशंसक तैयार खड़े थे। सिर्फ गोपाल ही अब्दुल्ला के साथ उतरकर गया । माधवी सिर-दर्द का बहाना बनाकर इस सिर-दर्द से बच गयी।



सोलह
 

इप्पो के हवाई अड्डे पर अब्दुल्ला के साथ उतरा हुआ गोपाल वापस विमान के अन्दर लौट आया। उसने माधवी को बुलाया, “माधवी ! तुम एक मिनट आकर अपना मुंह तो दिखा आओ। अरे; आजकल सिर्फ मर्द जाए तो कौन रसिक कद्र करने को तैयार होता है ? पूछता है, आपकी मंडली में कोई अभिनेत्री नहीं है ?"

"मैं नहीं आती ! मुझे बड़ा सिर-दर्द हो रहा है।"

"प्लीज ! बहुत-से लोग हाथों में माला लिये खड़े हैं !"

माधवी असमंजस में पड़कर मुत्तुकुमरन को यों देखती रही मानो वह बाहर